Friday 28 October 2011

Our New Campaign for Women Education

We are Start our New Campaign for Women Education in upcoming days.....! We hope we get your support.... For educate women...!
 

Meri "MAA" by Chiragan

MERI "MAA" Ye kahani hai kuch un bachchho ki jinki jindagi me us sabse badi teacher, margdarshak ki kami hai... jo ki unhe har galat aur sahi me antar batati thi..... Un par aane vale har ek aanch ko pahle apne upar sah leti thi. khud bhukhe soti thi magar apne bachchhe ko kabhi bhukhe sone nahi deti thi. Ye kahani hai us maa ki jiske aaage sbhi natmastak hue....
sochiye kuch un bachchho k baare me jinke pas ye maa hi nahi hai....?
Kabhi bhi kisi anath bachchhe par aap julm na kare.....? kyoki uske paas to uski sabse badidaulat uski "MAA" bhi nahi hai....!
Chaliye kyo na hum aur aap in jaise bachchho ki maa bane....! apne ghar ki poorane khilauno aur kapdo ko na pheke inhe kuch aise hi anath bachchho ko de....! taki vo is aane vali thand me ji sake.....! ya fir apne poorane kapdo aur khilauno ko humae bheje. jise hum in jaise jaroorat mand bachchho ko de sake...!
 


Tuesday 25 October 2011

Happy Dipawali

 
Happy Dipawali

Java Beans & Servelate Project by Kinjal

 Java Beans & Servelate Project in picture format making on Powerpoint by me (Kinjal Kumar- www.kinjalkumar.blogspot.com) for Chiragan NGO (www.chiraganindia.blogspot.com, chiragan.india@gmail.com, +91-9616-0000-39)
 











Saturday 22 October 2011

Art Competition at Akash Academy, Chatnag road, Jhunshi, Allahabad









 
We are organized A student motivation & Child Mental Development Art Competition on 18 October 2011 at Akash Academy, Chatnaag Road, Jhunshi, Allahabad, UP.

Friday 21 October 2011

kinjal kumar: Query Handling Technique by kinjal kumar for Chira...

kinjal kumar: Query Handling Technique by kinjal kumar for Chiragan...: Query Handling Technique Project in picture format making on Powerpoint by me (Kinjal Kumar- www.kinjalkumar.blogspot.com) for Chiragan NGO (www.chiraganindia.blogspot.com, chiragan.india@gmail.com, +91-9616-0000-39)

Computer Networks & Networking Hardware Project

kinjal kumar: Computer Networks & Networking Hardware Project: Computer Networks & Networking Hardware Project in picture format making on Powerpoint by me ( Kinjal Kumar- www.kinjalkumar.blogspot.com ...

Thursday 20 October 2011

Art Competition at Chaudhari Jagdamba School, Bambam Chauraha, Jhunshi, Allahabad


 
We are organized A student motivation & Child Mental Development Art Competition on 10 October 2011 at Chaudhari Jagdamba School, Bambam Cauraha, Jhunshi, Allahabad, UP.

जरूरी है संतुलित खाद्य नीति

पंजाब के पटियाला जिले में अनाज खरीदने वाली किसी एजेंसी ने करोड़ों रुपये मूल्य का गेहूं सड़ जाने के कारण उसे जमीन में दबा दिया। इसकी जानकारी मीडिया को तब हुई जब क्षेत्र के गरीब किसानों ने जमीन में गड़ा अनाज अपने पशुओं को खिलाने के लिए निकालना शुरू किया। फिलहाल बताया यह जा रहा है कि अनाज रखरखाव में लापरवाही के कारण सड़ा। यह मामला न केवल सरकारी धन और संपदा की बर्बादी, बल्कि पूरे देश में व्याप्त खाद्य संकट का भी मजाक उड़ाने जैसा है। इससे इस बात का पता चलता है कि हमारा सरकारी अमला देश की गंभीर समस्याओं और गरीब जनता की मुश्किलों के प्रति कितना संवेदनशील है। पंजाब में इसके पहले भी सरकारी एजेंसियों द्वारा खरीदा गया लाखों टन अनाज रखरखाव में लापरवाही के ही कारण सड़ जाने का मामला सामने आ चुका है। यह सब केवल पंजाब में होता हो, ऐसा भी नहीं है। कमोबेश पूरे देश में सरकारी एजेंसियों की लापरवाही के कारण ऐसे कई मामले हो चुके हैं। यह अलग बात है कि इनमें से कुछ ही मामले सामने आ पाते हैं और ज्यादातर दबा दिए जाते हैं। जो मामले सामने आ जाते हैं, उनको लेकर भी कोई कार्रवाई होती हो, ऐसा मालूम नहीं हो पाता। आमतौर पर इनकी जांच के लिए कोई कमेटी या आयोग बैठा दिया जाता है और वह अंत तक कोई नतीजा या निष्कर्ष ही नहीं निकाल पाता है।

ऐसे समय में जबकि पूरे देश में अनाज का संकट चल रहा हो, यह मामला आसानी से निपटा दिए जाने लायक नहीं है। इसके सभी पहलुओं पर पूरी तरह विचार किया जाना जरूरी हो ही जाता है। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि इस समय पूरे देश में न केवल अनाज और दालों, बल्कि सभी खाद्य पदाथरें के दाम बेतहाशा बढ़ते जा रहे हैं। यह स्थिति कोई आज से नहीं, पिछले करीब एक दशक से चली आ रही है। आटा, चावल, दाल, सब्जियां, फल, दूध आदि सभी चीजों के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। जब भी महंगाई पर रोक लगाने की बात जनता की ओर से की जाती है तो मंत्रियों का आम तौर पर एक ही जवाब होता है कि अभी यह संभव नहीं है। जनता को महंगाई का सामना करने के लिए आगे भी तैयार रहना चाहिए। विपक्षी दलों समेत तमाम जनसंगठन भी इसकी आलोचना कर लेते हैं और अपने कर्तव्यों की इतिश्री समझ लेते हैं। सरकार भी, ऐसा लगता है कि यह सब झेलने की आदी हो चुकी है। सरकार के रवैये से तो यही लगता है कि वह इन बातों की कोई खास चिंता नहीं करती है, न तो अपनी आलोचना और न जनता की मुसीबतों की ही। शायद इसीलिए वह समस्या के समाधान के प्रति कोई गंभीरता भी नहीं दिखाती है। अगर ठीक-ठीक विश्लेषण किया जाए तो विपक्ष और दूसरे संगठनों की स्थिति भी लगभग ऐसी ही दिखेगी। इनमें से अगर कोई भी जनता की समस्याओं के प्रति संवेदनशील और उनके समाधान के प्रति गंभीर होता तो वह केवल हल्ला मचाने के बजाय इनके हल पर विचार करता और कुछ विकल्पों की तलाश करता। सरकार पर सिर्फ जरूरी वस्तुओं का कृत्रिम संकट पैदा करने का आरोप लगाने के बजाय उन वास्तविक कारणों की तलाश करता और उनके प्रति सरकार का ध्यान आकर्षित करता, जिनके कारण खाद्यान्न या दूसरी जरूरी चीजों का संकट पैदा हो रहा है। आज पूरे देश में सभी जरूरी पदाथरें के दाम लगातार बढ़ रहे हैं और आम जनता बेतहाशा बढ़ती महंगाई से परेशान है। इसकी वजह सिर्फ कुछ खास चीजों की कम पैदावार या कुछ व्यापारियों द्वारा की जा रही जमाखोरी भर नहीं है। सरकारी गोदामों में अनाज का सड़ना और उसका जमीन में दबाया जाना इस बात का प्रमाण है कि हमारा सरकारी अमला भी इसके लिए कुछ कम जिम्मेदार नहीं है। अगर यह ठीक ढंग से काम करे और अपनी जिम्मेदारियों का सम्यक निर्वाह करे तो ऐसी स्थितियों से अगर पूरी तरह न भी सही तो भी एक हद तक तो बचा ही जा सकता है। लेकिन इसके पहले कि समाधान की बात की जाए, हमें मौजूदा हालात का ठीक से विश्लेषण करना ही होगा। हमें यह देखना होगा कि गलतियां कहां और क्यों हो रही हैं। हमें अपनी क्षमताओं और संसाधनों को भी आंकना और समझना होगा।

यह बात किसी से छिपी नहीं है कि उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड और उड़ीसा के कुछ जिलों में कई साल से अकाल पड़े होने के कारण लाखों की संख्या में गरीब लोग भुखमरी की कगार पर पहुंच चुके हैं। क्या यह बेहतर नहीं होता कि अनाज को गलत जगह रखकर सड़ाने के बजाय इन जरूरतमंद लोगों में बांट दिया जाता? तमाम गरीब लोग केवल इसलिए अनाज नहीं खरीद पा रहे हैं कि बढ़े हुए दाम के कारण वह उनकी पहुंच से बाहर हो गया है। फल-सब्जियों का हाल भी यही है। क्या यह बेहतर नहीं होगा कि अनाज को गोदाम में रखकर सड़ाने के बजाय सस्ती दरों पर लोगों को उपलब्ध करा दिया जाता? देश में उपलब्ध अनाज के ही वितरण की व्यवस्था को अगर संतुलित कर लिया जाए तो काफी हद खाद्य संकट को हल कर लिया जाएगा। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि अपनी उपज के भंडारण और उसके रख-रखाव की सही व्यवस्था कर ली जाए। यह सही है कि हमारे पास अनाज भंडारण की पर्याप्त और अच्छी सुविधाएं नहीं हैं। कई दशकों पहले बने अनाज के गोदाम अभी तक पहले जैसी स्थिति में ही बने हुए हैं। न तो उनमें अनाज के भंडारण की स्थिति में कोई बदलाव किया गया है और न पर्याप्त मात्रा में नए गोदाम ही बनाए जा रहे हैं। दूसरी तरफ अनाज का पुराना स्टॉक निकलने के पहले ही नया स्टॉक आ जाता है। अब जिन राज्यों में किसान संगठन मजबूत स्थिति में हैं, वहां अक्सर सरकार धरना-प्रदर्शन से बचने के लिए नया स्टॉक खरीदने के लिए आदेश जारी कर देती है। जबकि उसे रखने के लिए उसके पास जगह होती ही नहीं है। आखिरकार होता यह है कि नया स्टॉक खुले मैदान में या सड़क पर कहीं भी रख दिया जाता है।

जब भी अनाज सड़ता है तो उसके पीछे आम तौर पर यही कारण होते हैं। बाद में सरकारी कर्मचारी अपने को बचाने के लिए सड़ा हुआ अनाज कहीं भी गाड़ने-दबाने में जुट जाते हैं। हमारे सरकारी अमले की वैसे भी आदत हो गई है सिर्फ खानापूरी की। इसलिए देश और आम जनता की वास्तविक जरूरतों की ओर किसी का ध्यान जाता ही नहीं है। सबसे पहली जरूरत तो इस बात की है कि खरीदे गए अनाज के भंडारण की समुचित व्यवस्था बनाई जाए। जिन राज्यों में जैसी जरूरत है, उसी हिसाब से वहां नए गोदाम बनाए जाएं। जब तक यह नहीं हो पाता है तब तक के लिए केंद्र और सभी राज्यों की सरकारों को चाहिए कि मिल-जुल कर एक आम सहमति वाली खाद्य नीति तैयार करें। इसके तहत इस बात का पहले से आकलन करें कि इस साल पूरे देश में कुल कितना अनाज पैदा होगा और उसके भंडारण की हमारे पास क्या व्यवस्था है। किन राज्यों में कितने अनाज के भंडारण की सुविधा है। तमाम जगहों पर भंडारण के बाद भी अगर अनाज बच जाता है तो उसे तुरंत उन जगहों पर बांट दिया जाए, जहां अकाल जैसी स्थिति है। कम से कम इतना तो हो ही जाएगा कि अनाज बर्बाद नहीं होगा और लोग भुखमरी के शिकार भी नहीं होंगे। 

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काले धन पर बेफिक्री

एक विस्फोटक खुलासे में स्विस बैंकिंग घोटालों को उजागर करने वाले रुडोल्फ एल्मर ने कहा कि बहुत सी भारतीय कंपनियां और धनी भारतीय, जिनमें अनेक फिल्म स्टार और क्रिकेटर भी शामिल हैं, केमैन द्वीप जैसे टैक्स हैवेन इलाकों में अपने काले धन को जमा कर रहे थे। एल्मर ने कहा कि 2008 में उन्होंने जो सूची जारी की थी उसमें कर चोरी करने वाले अनेक भारतीयों के नाम भी दर्ज थे। उन्होंने भारत सरकार पर आरोप लगाया कि वह काले धन को वापस लाने की दिशा में गंभीर और सार्थक प्रयास नहीं कर रही है। रुडोल्फ एल्मर को हल्के में नहीं लिया जा सकता। वह स्विस बैंक जूलियस बेयर के पूर्व अधिकारी हैं। उन्होंने 20 साल तक इस बैंक में काम किया है। वह केमैन द्वीप में बैंक के मुख्य परिचालन अधिकारी थे। अपने कार्यकाल के दौरान एल्मर को साक्ष्य मिले कि उनका बैंक ग्राहकों को कर चोरी में मदद पहुंचा रहा है। इन्हीं साक्ष्यों को एल्मर ने सीडी में कॉपी करके विकिलीक्स के संपादक जूलियन असांजे को सौंप दिया था। दावा किया गया है कि सीडी में दो हजार खातेदारों के नाम हैं, जिनमें कई भारतीय हैं। इसमें 1997 से 2002 के बीच के बैंक खातों का विवरण है, जिसे अब तक सार्वजनिक नहीं किया गया है।
इस संबंध में अमेरिका जैसे कुछ देशों ने गंभीर प्रयास किए और स्विट्जरलैंड पर दबाव बनाकर अपना धन वापस लाने में सफलता हासिल की। बराक ओबामा को अपना धन वापस लाने की चिंता है, जर्मन चांसलर एंजेला मार्केल इसे लेकर क्रोधित हैं और फ्रांस में निकोलस सरकोजी बैंकिंग व्यवस्था के नियमन पर जोर दे रहे हैं, किंतु विदेशों में जमा काले धन से सर्वाधिक प्रभावित भारत इस संबंध में जरा भी परेशान नहीं है, बल्कि वह कर चोरों को फायदा पहुंचाने के लिए स्वैच्छिक घोषणा योजना का मसौदा तैयार कर रहा है। रुडोल्फ एल्मर ने कहा कि सब कुछ रवैये पर निर्भर करता है। भारत सरकार ने काले धन को वापस लाने के गंभीर प्रयास नहीं किए। सरकार को कार्रवाई के लिए मजबूर करने के लिए समाज को दबाव डालना होगा। भारत एक बड़ा देश है और दिन पर दिन और शक्तिशाली होता जा रहा है। यह विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के लिए अफसोस की बात है कि निर्वाचित सरकार तथा अधिकारियों के बजाय एक विदेशी हमारे देश के काले धन को लेकर चिंतित है।
दिलचस्प बात यह है कि इसी जूलियस बेयर बैंक में काला धन जमा करने वालों की एक अन्य सूची भी सामने आई है। इसमें सौ से अधिक भारतीयों के नाम शामिल हैं। कर चोरी के सुरक्षित ठिकानों में 40 करोड़ रुपये जमा कराने वाले 18 भारतीयों के नाम का इस साल के शुरू में खुलासा हुआ था। लीचेंस्टाइन सूची को एक जर्मनवासी ने हासिल किया तथा इसे भारतीयों के साथ साझा किया। नागरिक समूह 'इंडिया रिजुवेनेशन इनीसिएटिव' द्वारा दर्ज की गई जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद भी सरकार ने इन खातेदारों के नाम सार्वजनिक नहीं किए। सरकार इस आधार पर नाम सार्वजनिक करने से इंकार कर रही है कि वह जर्मनी के साथ दोहरे कराधान संधि से बंधी हुई है। इन आंकड़ों को हासिल करने से भारत-जर्मनी के बीच संधि का उल्लंघन नहीं होता, किंतु कुछ रहस्यमयी कारणों से सरकार इस मामले में दुराग्रहपूर्ण रवैया अपना रही है। भारत के करदाताओं के साथ सूचना साझा न करने का एक और उदाहरण कुछ माह पूर्व का है। स्विट्जरलैंड में एचएसबीसी बैंक में काला धन जमा करने वाले एक हजार भारतीयों के नामों की सूची सरकार को मिली। ये आंकड़े फ्रांस सरकार को मिले, जिसने भारत सरकार को हस्तांतरित कर दिए, किंतु सरकार ने अभी तक यह सूची सार्वजनिक नहीं की। जब भी विदेशी बैंकों में काला धन जमा करने वालों के नाम सार्वजनिक करने का प्रश्न उठता है, सरकार और अधिकारी एक ही राग अलापने लगते हैं कि दोहरे कराधान संधि ने उनके हाथ बांध रखे हैं। भारत में अनेक स्विस कंपनियां और बैंक कारोबार कर रहे हैं। ऐसे में राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए सरकार इन कंपनियों और स्विट्जरलैंड सरकार पर दबाव बनाकर काले धन की जानकारी आसानी से हासिल कर सकती है, किंतु काले धन पर सरकार षडयंत्रकारी चुप्पी साधे है। भारत के कानून मंत्री द्वारा हाल ही में दिए गए बयान से पता चलता है कि भारत के लूटे गए धन को वापस लाने की उनकी कोई इच्छाशक्ति नहीं है, बल्कि वह इस प्रकार के मामलों में न्यायिक दखलंदाजी पर लगभग अवमाननापूर्ण बयान जारी से गुरेज नहीं करते।
भारत में खुफिया एजेंसियों पर अरबों रुपये खर्च किए जाते हैं। क्या रॉ, इंटेलीजेंस ब्यूरो जैसी इकाइयां कर चोरों और आर्थिक अपराधियों के विदेशी खातों के बारे में जानकारी नहीं जुटा सकतीं? इस पर अविश्वास नहीं किया जा सकता कि इन एजेंसियों में काबिल अधिकारी और संसाधन हैं, जो काले धन के स्रोत तक पहुंच सकते हैं। तब सवाल उठता है कि इन्हें नागरिकों के वृहद हितों के पक्ष में काम करने से कौन रोकता है? अगर जर्मनी की खुफिया एजेंसी एक अघोषित भेदिये को 60 लाख डॉलर देकर एलटीजी ग्रुप के ग्राहकों का गोपनीय विवरण हासिल कर सकती है तो भारत की खुफिया एजेंसियां इस प्रकार के उपाय क्यों नहीं अपना सकतीं? भारतीय राजनीतिक नेतृत्व काले धन को वापस लाने पर कदम पीछे खींचता रहा है। भारत से जुड़े स्विस व्यापारिक और वित्तीय हितों पर दबाव बढ़ाने के बजाय सरकार ने इनके प्रति नरमी बरती है। यही नहीं, भारत में यूबीएस जैसे स्विस बैंकों की शाखाएं खुलवाकर सरकार ने काले धन के विदेशों में इलेक्ट्रॉनिक हस्तातंरण का रास्ता और आसान बना दिया है।
कानून मंत्री के हालिया बयान से निष्कर्ष निकलता है कि उन्हें सामान्य करदाताओं के हितों से अधिक चिंता व्यापारियों और कर चोरों के निवेश को सुरक्षित रखने की है। उन्होंने उच्चतम न्यायालय द्वारा काले धन के संबंध में विशेष जांच दल के गठन के फैसले को भी अनुचित बताया। इससे भी अधिक झटका इस बात से लगता है कि हाल ही में सरकार ने स्विट्जरलैंड के साथ कर संधि पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके अनुसार अतीत में भारत से लूटी गई संपदा स्विस बैंकों में जमा करने वालों को दोषमुक्त कर दिया जाएगा और इन अपराधियों को दंड नहीं दिया जा सकेगा। यह संधि एक अप्रैल, 2012 से लागू होगी। सरकार ने एक बार फिर काले धन के संबंध में भविष्य में होने वाले खुलासों का सुरक्षा कवच तैयार कर लिया है। सरकार को तगड़ा बहाना मिल गया है-स्विट्जरलैंड के साथ संधि होने के कारण हमारे हाथ बंधे हैं। हम किसी अपराधी को सजा नहीं दे सकते।
[जसवीर सिंह: लेखक आइपीएस अधिकारी हैं और लेख में उनके निजी विचार हैं] 

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Art Competition at Akash Academy, Bambam Chauraha, Jhunshi, Allahabad






 
We are organized A student motivation & Child Mental Development Art Competition on 10 October 2011 at Aakash Academy, Bambam Cauraha, Jhunshi, Allahabad, UP.

Sunday 9 October 2011

Art Competition at Saraswati siksha niketan, Rahimapur, Jhunshi, Allahabad







 
We are organized A student motivation & Child Mental Development Art Competition on 01 October 2011 at Saraswati siksha niketan, Rahimapur, Jhunshi, Allahabad, UP.

Art Competition at M R S School & collage, patel nagar, jhunshi, allahabad





We are organized A student motivation & Child Mental Development Art Competition on 01 October 2011 at M R S School & collage, patel nagar, jhunshi, allahabad, UP.