Saturday 10 August 2013

LAW लॉ में करियर

आज लॉ ग्रेजुएशन के बाद करियर के कई नए ऑप्शंस सामने आए हैं। पारंपरिक तौर पर कोर्ट और वकालत का क्षेत्र तो है ही, इसके अलावा तमाम कंपनियां अपने यहां लीगल ऑफिसेज भी खोलती हैं। इसमें टैक्सेशन, सेल टैक्स, आदि मामलों को देखने के लिए लॉ ग्रेजुएट्स को रखा जाता है। अगर स्टूडेंट्स किसी दूसरे देश के लॉ के बारे में कुछ जानकारी हासिल करता है, तो उसे एब्रॉड में भी मौका मिलता है। इन सबके अलावा एक बडा काम लीगल राइटिंग का भी है। यही कारण है कि लॉ में करियर की राह आज ज्यूडिशियरी तक ही सीमित नहीं रह गई, बल्कि प्रशासन से लेकर मैनेजमेंट तक फैल गई है। इंडस्ट्री में लॉ प्रोफेशनल्स की कमी की वजह से अब क्लैट के माध्यम से सीनियर सेकंडरी के बाद ही एंट्री शुरू हो गई है। इस क्षेत्र में करियर के अनेक ऑप्शन होने के कारण यूथ के बीच लॉ ज्यादा पॉपुलर हो रहा है। अगर आपको भी यह फील्ड लुभा रहा है, तो किसी अच्छे कॉलेज में एंट्री लेकर लॉ में करियर बना सकते हैं।
कैसे लें एंट्री
लॉ में दाखिले के लिए अब अलग-अलग टेस्ट देने की बजाय कैट, मैट की तर्ज पर क्लैट शुरू किया गया है। कॉमन ला एडमिशन टेस्ट, यानी एक ही प्रवेश परीक्षा के जरिए लॉ यूनिवर्सिटी या कॉलेजेज में पढने का मौका मिल रहा है। इसके अलावा बहुत से कॉलेज अपने यहां अलग एंट्रेंस एग्जाम के जरिए भी एलएलबी में एडमिशन दे रहे हैं। 5 ईयर्स एलएलबी में 12वीं पास स्टूडेंट्स को आ‌र्ट्स, कॉमर्स या साइंस में 50 परसेंट होने चाहिए। इसके बाद दो वर्षीय एलएलएम में एडमिशन के लिए एलएलबी में 55 परसेंट मा‌र्क्स जरूरी हैं। बेहतर होगा कि आप जिस कॉलेज या यूनिवर्सिटी में एडमिशन ले रहे हैं, उस कॉलेज के बारे में पहले जानकारी ले लें।
क्वालिटी एजुकेशन पर फोकस
अक्सर स्टूडेंट्स सोचते हैं कि लॉ के लिए गवर्नमेंट इंस्टीट्यूट ही बेहतर है। विशेषज्ञों के अनुसार देश में बहुत सारे प्राइवेट लॉ कॉलेजेज हैं, जहां क्वॉलिटी एजुकेशन के साथ ही कैंपस प्लेसमेंट होता है। इसलिए स्टूडेंट्स उन्हीं कॉलेजों या इंस्टीट्यूट को प्रिफरेंस दें, जहां फैकल्टी मेंबर्स योग्य और अनुभवी हों, कैंपस प्लेसमेंट की सुविधा हो और इसके साथ ही क्वॉलिटी एजुकेशन पर फोकस हो। इस तरह की सुविधा इन दिनों अच्छी प्राइवेट लॉ यूनिवर्सिटीज और कॉलेज उपलब्ध करा रहे हैं। अगर आप क्वॉलिटी एजुकेशन लेना चाहते हैं, तो प्राइवेट इंस्टीट्यूट की तरफ रख कर सकते हैं।
स्कोप
लॉ की डिग्री हासिल करने के बाद स्टूडेंट्स के लिए कोर्ट में प्रैक्टिस तो कर ही सकते हैं, साथ ही स्टेट लेवल पर ज्यूडिशियरी में भर्ती के लिए समय-समय पर एग्जाम्स भी आयोजित किए जाते हैं। यहां प्रॉसिक्यूटर, जिसे सरकारी वकील कहा जाता है, के रूप में काम करने का मौका है। ज्यूडिशियरी सर्विसेज में एग्जाम के जरिए राज्यों में जूनियर स्तर पर जज की भर्ती होती है।
बाजारीकरण और उदारीकरण की व्यवस्था लागू होने के बाद देश भर में बैंकिंग और फाइनेंस सर्विसेज का एक्सपैंशन हुआ है। देशी-विदेशी कंपनियां शहर से लेकर गांव तक बिजनेस को बढावा दे रही हैं। इनके अलावा कॉरपोरेट सेक्टर भी अपने पैर पसार रहा है। ऐसी व्यवस्था में कॉमर्स और मैनेजमेंट के अलावा लार्ज स्केल पर लॉ ग्रेजुएट्स को भी जॉब्स मुहैया कराई जा रही हैं। कंपनियों और लीगल फर्म में बतौर ऑफिसर या एडवाइजर के रूप में लॉ स्टूडेंट्स को रखा जा रहा है।
प्राइवेट या गवर्नमेंट बैंक सिर्फ मैनेजर, अकाउंटेंट या क्लर्क ही नहीं, अपने यहां लॉ ऑफिसर भी नियुक्त कर रहे हैं। इसी तरह टैक्सेशन से जुडी कंपनियां अपने यहां लॉ के विशेषज्ञों को रख रही है। एमएनसी में मैनेजमेंट की टीम में एक लॉ एक्सपर्ट को भी मैनेजर के रूप में रखा जा रहा है। प्राइवेट कंपनियों और बैंकों के एक्सपैंशन ने लॉ ग्रेजुएट्स को जॉब के नए ऑप्शन दिए हैं। मीडिया व‌र्ल्ड में भी लॉ ग्रेजुएट्स के लिए रास्ते खुल रहे हैं। हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट की लॉ रिपोर्टिग के लिए न्यूज इंडस्ट्री लॉ प्रोफेशनल्स को प्रिफरेंस दे रही हैं। इसके अलावा टीचिंग के लिए आमतौर पर एलएलएम व नेट या पीएचडी छात्रों को करियर मुहैया कराया जा रहा है। अगर आपके पास लॉ की डिग्री है तो आपके लिए ऑप्शंस की कमी नहीं है।
करियर स्कोप
-कॉर्पोरेट लॉयर
-लीगल एडवाइजर
-साइबर लॉ एक्सपर्ट
-टीचिंग
-लीगल रिपोर्टिग
-बैंक में लॉ आफिसर
-प्रॉसिक्यूटर
-जज

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