Friday, 27 January 2012
Thursday, 26 January 2012
राजपथ पर दिखी आन, बान व शान की झलक
देश के 63वें गणतंत्र दिवस के मौके पर गुरुवार को राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील ने राजपथ पर तिरंगा फहराया। इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में थाईलैंड की पहली महिला प्रधानमंत्री यिंगलक शिनावात्रा सहित कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।
ध्वाजारोहण से पहले राष्ट्रपति ने इंडिया गेट स्थित अमर जवान ज्योति पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। गणतंत्र दिवस समारोह पर आतंकी हमले की आशंका को देखते हुए राजधानी में जमीन से लेकर आसमान तक कड़ा पहरा बिठा दिया गया। सीमाओं को आधी रात के बाद सील कर सभी सार्वजनिक स्थानों पर सुरक्षा बलों की कड़ी चौकसी बरती जा रही है।
दिल्ली के जनरल आफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल विजय कुमार पिल्लै परेड की अगुवाई की। उनके साथ दिल्ली के चीफ ऑफ स्टाफ मेजर जनरल राजबीर सिंह थे। उनके पीछे जीप पर सवार परमवीर चक्र प्राप्त नायब सूबेदार योगेन्द्र सिंह यादव और हवलदार संजय कुमार, अशोक चक्त्र प्राप्त ब्रिगेडियर सी ए पिथावाला, लेफ्टिनेंट कर्नल जस राम सिंह [पूर्व], मेजर डी श्रीराम कुमार, मानद नायब सूबेदार छेरिंग मुतुप [पूर्व], हुकुम सिंह, गोविन्द सिंह व भूरे लाल ने राष्ट्रपति को सलामी दी।
परेड में सेना की 61वीं कैवेलरी, पैराशूट रेजीमेंट, बंगाल इंजीनियर गु्रप, ब्रिगेड ऑफ गार्डस, कुमायूं रेजीमेंट, असम रेजीमेंट, महार रेजीमेंट, गोरखा राइफल्स रेजीमेंट के जवान शामिल थे।
परेड में 3000 किलोमीटर तक मार करने वाली अग्नि-4 मिसाइल देखने को मिलेगी, जिसे रक्षा डीआरडीओ ने विकसित किया है। डीआरडीओ 150 किलोमीटर दूरी तक मार करने वाली प्रहार मिसाइल और मानवरहित हवाई वाहन [यूएवी] रूस्तम-1 का प्रदर्शन भी किया गया।
भारतीय सेना टी-72 टैंक, मल्टिपल राकेट लाच प्रणाली, पिनाका मल्टी बैरल राकेट प्रणाली और जैमर स्टेशन वीएचएफ [यूएचएफ] का प्रदर्शन से सभी दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। सेना के उन्नत हल्के हेलीकाप्टर धु्रव ऊपर आकाश में उड़ान भरी और भारतीय वायुसेना पहली बार सी-130-जे सुपर हर्कुलिस विमान का प्रदर्शन किया गया।
वायुसेना के सी-130-जे सुपर हरक्यूलिस विमान पहली बार परेड में शामिल हुए। परेड के समापन पर फ्लाईपास्ट का नेतृत्व तीन एमआई-35 हेलीकाप्टरों ने किया। उनके पीछे एक आईएल-78, दो एएन-32 और दो ड्रोनियर ने आकाश में भारत की शक्ति का प्रदर्शन किया।
इसके बाद, पाच जगुआर और पाच मिग-29 लड़ाकू विमानों ने आकाश के सीने को चीरते हुए गणतंत्र का जयघोष किया। एसयू-30 एमकेआई विमान भी फ्लाईपास्ट का हिस्सा बने।
चाक-चौबंद सुरक्षा व्यवस्था के बीच होने वाली इस बार की परेड का आकर्षण खोजी कुत्तो भी थे। इन पर दिल्ली पुलिस का बम निरोधक दस्ता और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड [एनएसजी] आतंकवादी घटनाओं और अन्य वारदात की जाच में भरोसा करते हैं।
इससे पूर्व राष्ट्रपति ने शांतिकाल का सर्वोच्च वीरता सम्मान अशोक चक्र मरणोपरांत लेफ्टिनेंट नवदीप सिंह को दिया। गणतंत्र दिवस से पूर्व संध्या पर तीन कीर्ति चक्र और 16 शौर्य चक्र समेत अनेक बहादुरी के तमगों का एलान किया गया था। ग्यारह जांबाजों को मरणोपरांत पदक दिए गए।
महज पांच माह की अपनी सैन्य सेवा में सर्वोच्च बलिदान देने वाले ले. नवदीप सिंह ने 19 अगस्त, 2011 को जम्मू कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर गुरेज सेक्टर में हुई मुठभेड़ के दौरान कमांडो अभियान की अगुवाई करते हुए 12 आतंकियों के सफाए में कामयाबी दिलाई। अपने परिवार में तीसरी पीढ़ी के इस युवा सैन्य अधिकारी ने अपने साथी की भी गोली अपने सीने पर झेली। ले. नवदीप के पिता रिटायर्ड कैप्टन [मानद] जोगिंदर सिंह गुरुवार को राष्ट्रपति से अपने पुत्र का अशोक चक्र प्राप्त किया।
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक राजपूताना राइफल्स के ले. कर्नल कमलदीप सिंह और कैप्टन आशुतोष कुमार को कीर्ति चक्र और सेना कोर के ले. सुशील खजूरिया को मरणोपरांत यह पदक दिया गया। इस साल के लिए घोषित शौर्य चक्र पदकों की फेहरिस्त में सेना के नौ, वायु सेना और नौ सेना से एक-एक सैनिक का नाम था। इसके अलावा सीमा सड़क संगठन के दो और जम्मू कश्मीर पुलिस के एक कर्मी को मरणोपरांत शौर्य चक्र दिया गया।
पवनहंस लिमिटेड के एक कैप्टन का भी नाम इस सूची में शामिल थे। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के सहायक कमांडेंट रविंद्र कुमार सिंह को भी शौर्य पदक दिया गया। रक्षा मंत्रालय के अनुसार तीन अधिकारियों को दूसरी बार सेना मेडल [वीरता] के लिए चुना गया वहीं 73 को वीरता का सेना मेडल दिया गया। तीन अधिकारियों को नौ सेना मेडल [वीरता] तथा वायु सेना के दो अधिकारियों को वायु सेना मेडल दिया गया।
अगला सेनाध्यक्ष बनने के लिए कतार में खड़े सभी वरिष्ठ सेना अधिकारियों के नाम इस बार सेवा पदकों की फेहरिस्त में हैं। इस वर्ष के लिए घोषित परम विशिष्ट सेवा मेडल की सूची में पश्चिमी कमान प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल शंकर राजन घोष, मध्य कमान के मुखिया लेफ्टिनेंट जनरल वीके अहलूवालिया, पूर्वी कमान के चीफ लेफ्टिनेंट जनरल बिक्रम सिंह और उत्तारी कमान प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल केटी परनायक के शामिल रहे।
महत्वपूर्ण है कि अपने उम्र विवाद को लेकर सरकार के खिलाफ अदालत में पहुंच चुके सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह यदि किसी कारण से अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाते तो इन्हीं अधिकारियों के नामों पर विचार होगा। वहीं यदि जनरल सिंह 31 मई, 2012 तक निर्धारित अपना कार्यकाल पूरा करते हैं तो लेफ्टिनेंट जनरल बिक्रम सिंह का नाम सेनाध्यक्ष पद के लिए लगभग तय माना जा रहा है।
इस वर्ष बेहतरीन सेवा के लिए 28 अधिकारियों को परम विशिष्ट सेवा मेडल दिए गए। पूर्व में कीर्ति चक्र और शौर्य चक्र हासिल कर चुके कर्नल अजय कोठियाल को इस बार विशिष्ट सेवा पदक के लिए चुना गया। सेवा पदकों में इस बार उत्ताम युद्ध सेवा मेडल [01], दूसरी बार अतिविशिष्ट सेवा मेडल [06], अतिविशिष्ट सेवा मैडल [45], युद्ध सेवा मेडल [04] शामिल हैं।
परेड मार्ग के चप्पे-चप्पे पर 25 हजार कमांडो तैनात किए गए थे। मुख्य समारोह स्थल पर एंटी एयरक्राफ्ट गन, एनएसजी दस्ता एवं विशेष कार्य बल तैनात किए गए। एक आला अधिकारी के अनुसार गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान दिल्ली को नो फ्लाई जोन घोषित किया गया था। पूर्वान्ह 11.15 से लेकर अपरान्ह 12.15 तक दिल्ली से 50 नोटिकल मील तक विमानों का आवागमन प्रतिबंधित रहा। इस अवधि में आईजीआई एयरपोर्ट पर न तो कोई विमान उड़ सकेंगे और न ही उतर सकेंगे।
डायल के मुताबिक पूरे दिन एयरपोर्ट पर भी सुरक्षाकर्मियों की पूरी चौकसी रहेगी। दिल्ली में गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान बाहर से आने वाले व्यवसायिक वाहनों के लिए प्रवेश की इजाजत नहीं दी गई। गुरुवार को परेड विजय चौक से शुरु होकर राजपथ, इंडिया गेट, तिलक मार्ग, बहादुरशाह जफर मार्ग, नेताजी सुभाष मार्ग होती हुई लाल किला ग्राउंड पहुंची। परेड की सुरक्षा के तहत पुलिस ने इन इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद कर दी है। ताकि दशहतगर्द किसी भी तरह से अपने मंसूबों में सफल नहीं हो सके। इसके तहत जिन इलाके से परेड गुजरी उन इलाकों में पहले ही गटर के ढक्कन, बिजली के बाक्स व डाक पेटी सहित तमाम उन स्थानों की जाच की गई जहा बम इत्यादि रखे जा सकते हैं। इसके अलावा प्रमुख बिल्डिंग व दुकानें भी सुरक्षा प्रबंध के तहत सील कर दी गईं।
खुफिया एजेंसियों ने गणतंत्र दिवस के मद्देनजर राजधानी में लश्कर तथा बब्बर खालसा इंटरनेशनल आतंकियों द्वारा गड़बड़ी फैलाए जाने की आशंका जताई है। सुरक्षा प्रबंध के तहत पुलिस अधिकारियों ने बुधवार को परेड मार्ग पर सुरक्षा प्रबंधों का जायजा भी लिया। परेड के दौरान परेड मार्ग पर कमांडो तैनात किए जाने के साथ ही वहा पुलिस नियंत्रण कक्ष की जिप्सियां व मोटरसाइकिलें नियमित गश्त करतीं रहीं। महत्वपूर्ण स्थलों पर शार्प शूटर तैनात किए जाने के साथ ही पूरे इलाके पर दूरबीन द्वारा नजर रखी जाएगी।
दिल्ली पुलिस प्रवक्ता राजन भगत के मुताबिक गणतंत्र दिवस के लिए समारोह स्थल व परेड मार्ग पर दिल्ली पुलिस के 25 हजार कमांडो तैनात किए गए थे।
ध्वाजारोहण से पहले राष्ट्रपति ने इंडिया गेट स्थित अमर जवान ज्योति पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। गणतंत्र दिवस समारोह पर आतंकी हमले की आशंका को देखते हुए राजधानी में जमीन से लेकर आसमान तक कड़ा पहरा बिठा दिया गया। सीमाओं को आधी रात के बाद सील कर सभी सार्वजनिक स्थानों पर सुरक्षा बलों की कड़ी चौकसी बरती जा रही है।
दिल्ली के जनरल आफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल विजय कुमार पिल्लै परेड की अगुवाई की। उनके साथ दिल्ली के चीफ ऑफ स्टाफ मेजर जनरल राजबीर सिंह थे। उनके पीछे जीप पर सवार परमवीर चक्र प्राप्त नायब सूबेदार योगेन्द्र सिंह यादव और हवलदार संजय कुमार, अशोक चक्त्र प्राप्त ब्रिगेडियर सी ए पिथावाला, लेफ्टिनेंट कर्नल जस राम सिंह [पूर्व], मेजर डी श्रीराम कुमार, मानद नायब सूबेदार छेरिंग मुतुप [पूर्व], हुकुम सिंह, गोविन्द सिंह व भूरे लाल ने राष्ट्रपति को सलामी दी।
परेड में सेना की 61वीं कैवेलरी, पैराशूट रेजीमेंट, बंगाल इंजीनियर गु्रप, ब्रिगेड ऑफ गार्डस, कुमायूं रेजीमेंट, असम रेजीमेंट, महार रेजीमेंट, गोरखा राइफल्स रेजीमेंट के जवान शामिल थे।
परेड में 3000 किलोमीटर तक मार करने वाली अग्नि-4 मिसाइल देखने को मिलेगी, जिसे रक्षा डीआरडीओ ने विकसित किया है। डीआरडीओ 150 किलोमीटर दूरी तक मार करने वाली प्रहार मिसाइल और मानवरहित हवाई वाहन [यूएवी] रूस्तम-1 का प्रदर्शन भी किया गया।
भारतीय सेना टी-72 टैंक, मल्टिपल राकेट लाच प्रणाली, पिनाका मल्टी बैरल राकेट प्रणाली और जैमर स्टेशन वीएचएफ [यूएचएफ] का प्रदर्शन से सभी दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। सेना के उन्नत हल्के हेलीकाप्टर धु्रव ऊपर आकाश में उड़ान भरी और भारतीय वायुसेना पहली बार सी-130-जे सुपर हर्कुलिस विमान का प्रदर्शन किया गया।
वायुसेना के सी-130-जे सुपर हरक्यूलिस विमान पहली बार परेड में शामिल हुए। परेड के समापन पर फ्लाईपास्ट का नेतृत्व तीन एमआई-35 हेलीकाप्टरों ने किया। उनके पीछे एक आईएल-78, दो एएन-32 और दो ड्रोनियर ने आकाश में भारत की शक्ति का प्रदर्शन किया।
इसके बाद, पाच जगुआर और पाच मिग-29 लड़ाकू विमानों ने आकाश के सीने को चीरते हुए गणतंत्र का जयघोष किया। एसयू-30 एमकेआई विमान भी फ्लाईपास्ट का हिस्सा बने।
चाक-चौबंद सुरक्षा व्यवस्था के बीच होने वाली इस बार की परेड का आकर्षण खोजी कुत्तो भी थे। इन पर दिल्ली पुलिस का बम निरोधक दस्ता और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड [एनएसजी] आतंकवादी घटनाओं और अन्य वारदात की जाच में भरोसा करते हैं।
इससे पूर्व राष्ट्रपति ने शांतिकाल का सर्वोच्च वीरता सम्मान अशोक चक्र मरणोपरांत लेफ्टिनेंट नवदीप सिंह को दिया। गणतंत्र दिवस से पूर्व संध्या पर तीन कीर्ति चक्र और 16 शौर्य चक्र समेत अनेक बहादुरी के तमगों का एलान किया गया था। ग्यारह जांबाजों को मरणोपरांत पदक दिए गए।
महज पांच माह की अपनी सैन्य सेवा में सर्वोच्च बलिदान देने वाले ले. नवदीप सिंह ने 19 अगस्त, 2011 को जम्मू कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर गुरेज सेक्टर में हुई मुठभेड़ के दौरान कमांडो अभियान की अगुवाई करते हुए 12 आतंकियों के सफाए में कामयाबी दिलाई। अपने परिवार में तीसरी पीढ़ी के इस युवा सैन्य अधिकारी ने अपने साथी की भी गोली अपने सीने पर झेली। ले. नवदीप के पिता रिटायर्ड कैप्टन [मानद] जोगिंदर सिंह गुरुवार को राष्ट्रपति से अपने पुत्र का अशोक चक्र प्राप्त किया।
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक राजपूताना राइफल्स के ले. कर्नल कमलदीप सिंह और कैप्टन आशुतोष कुमार को कीर्ति चक्र और सेना कोर के ले. सुशील खजूरिया को मरणोपरांत यह पदक दिया गया। इस साल के लिए घोषित शौर्य चक्र पदकों की फेहरिस्त में सेना के नौ, वायु सेना और नौ सेना से एक-एक सैनिक का नाम था। इसके अलावा सीमा सड़क संगठन के दो और जम्मू कश्मीर पुलिस के एक कर्मी को मरणोपरांत शौर्य चक्र दिया गया।
पवनहंस लिमिटेड के एक कैप्टन का भी नाम इस सूची में शामिल थे। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के सहायक कमांडेंट रविंद्र कुमार सिंह को भी शौर्य पदक दिया गया। रक्षा मंत्रालय के अनुसार तीन अधिकारियों को दूसरी बार सेना मेडल [वीरता] के लिए चुना गया वहीं 73 को वीरता का सेना मेडल दिया गया। तीन अधिकारियों को नौ सेना मेडल [वीरता] तथा वायु सेना के दो अधिकारियों को वायु सेना मेडल दिया गया।
अगला सेनाध्यक्ष बनने के लिए कतार में खड़े सभी वरिष्ठ सेना अधिकारियों के नाम इस बार सेवा पदकों की फेहरिस्त में हैं। इस वर्ष के लिए घोषित परम विशिष्ट सेवा मेडल की सूची में पश्चिमी कमान प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल शंकर राजन घोष, मध्य कमान के मुखिया लेफ्टिनेंट जनरल वीके अहलूवालिया, पूर्वी कमान के चीफ लेफ्टिनेंट जनरल बिक्रम सिंह और उत्तारी कमान प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल केटी परनायक के शामिल रहे।
महत्वपूर्ण है कि अपने उम्र विवाद को लेकर सरकार के खिलाफ अदालत में पहुंच चुके सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह यदि किसी कारण से अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाते तो इन्हीं अधिकारियों के नामों पर विचार होगा। वहीं यदि जनरल सिंह 31 मई, 2012 तक निर्धारित अपना कार्यकाल पूरा करते हैं तो लेफ्टिनेंट जनरल बिक्रम सिंह का नाम सेनाध्यक्ष पद के लिए लगभग तय माना जा रहा है।
इस वर्ष बेहतरीन सेवा के लिए 28 अधिकारियों को परम विशिष्ट सेवा मेडल दिए गए। पूर्व में कीर्ति चक्र और शौर्य चक्र हासिल कर चुके कर्नल अजय कोठियाल को इस बार विशिष्ट सेवा पदक के लिए चुना गया। सेवा पदकों में इस बार उत्ताम युद्ध सेवा मेडल [01], दूसरी बार अतिविशिष्ट सेवा मेडल [06], अतिविशिष्ट सेवा मैडल [45], युद्ध सेवा मेडल [04] शामिल हैं।
परेड मार्ग के चप्पे-चप्पे पर 25 हजार कमांडो तैनात किए गए थे। मुख्य समारोह स्थल पर एंटी एयरक्राफ्ट गन, एनएसजी दस्ता एवं विशेष कार्य बल तैनात किए गए। एक आला अधिकारी के अनुसार गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान दिल्ली को नो फ्लाई जोन घोषित किया गया था। पूर्वान्ह 11.15 से लेकर अपरान्ह 12.15 तक दिल्ली से 50 नोटिकल मील तक विमानों का आवागमन प्रतिबंधित रहा। इस अवधि में आईजीआई एयरपोर्ट पर न तो कोई विमान उड़ सकेंगे और न ही उतर सकेंगे।
डायल के मुताबिक पूरे दिन एयरपोर्ट पर भी सुरक्षाकर्मियों की पूरी चौकसी रहेगी। दिल्ली में गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान बाहर से आने वाले व्यवसायिक वाहनों के लिए प्रवेश की इजाजत नहीं दी गई। गुरुवार को परेड विजय चौक से शुरु होकर राजपथ, इंडिया गेट, तिलक मार्ग, बहादुरशाह जफर मार्ग, नेताजी सुभाष मार्ग होती हुई लाल किला ग्राउंड पहुंची। परेड की सुरक्षा के तहत पुलिस ने इन इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद कर दी है। ताकि दशहतगर्द किसी भी तरह से अपने मंसूबों में सफल नहीं हो सके। इसके तहत जिन इलाके से परेड गुजरी उन इलाकों में पहले ही गटर के ढक्कन, बिजली के बाक्स व डाक पेटी सहित तमाम उन स्थानों की जाच की गई जहा बम इत्यादि रखे जा सकते हैं। इसके अलावा प्रमुख बिल्डिंग व दुकानें भी सुरक्षा प्रबंध के तहत सील कर दी गईं।
खुफिया एजेंसियों ने गणतंत्र दिवस के मद्देनजर राजधानी में लश्कर तथा बब्बर खालसा इंटरनेशनल आतंकियों द्वारा गड़बड़ी फैलाए जाने की आशंका जताई है। सुरक्षा प्रबंध के तहत पुलिस अधिकारियों ने बुधवार को परेड मार्ग पर सुरक्षा प्रबंधों का जायजा भी लिया। परेड के दौरान परेड मार्ग पर कमांडो तैनात किए जाने के साथ ही वहा पुलिस नियंत्रण कक्ष की जिप्सियां व मोटरसाइकिलें नियमित गश्त करतीं रहीं। महत्वपूर्ण स्थलों पर शार्प शूटर तैनात किए जाने के साथ ही पूरे इलाके पर दूरबीन द्वारा नजर रखी जाएगी।
दिल्ली पुलिस प्रवक्ता राजन भगत के मुताबिक गणतंत्र दिवस के लिए समारोह स्थल व परेड मार्ग पर दिल्ली पुलिस के 25 हजार कमांडो तैनात किए गए थे।
Saturday, 21 January 2012
चाणक्य नीति- सांप से भी ज्यादा जहरीले होते हैं ऐसे लोग...
हमारे आसपास दो प्रकार के लोग होते हैं एक तो सज्जन या अच्छे लोग और दूसरे हैं दुर्जन या बुरे लोग। सज्जन लोगों के साथ किसी को कोई परेशानी नहीं रहती है। जबकि दुर्जनों लोगों का साथ हमेशा ही दुख और परेशानियां देने वाला होता है। दुर्जन लोगों के लिए आचार्य चाणक्य ने कहा है कि-
दुर्जनस्य च सर्पस्य वरं सर्पो न दुर्जन:।
सर्पो दंशति काले तु दुर्जनस्तु पदे पदे।।
अर्थात् दुर्जन और सांप दोनों ही जहरीले होते हैं फिर भी दुर्जनों की तुलना में सांप ज्यादा अच्छे होते हैं। क्योंकि सांप मौका मिलते ही केवल एक ही बार डंसता है जबकि दुर्जन लोग हर पल काटते हैं।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि हमारे आसपास जो दुर्जन लोग हैं वे सांपों से अधिक जहरीले होते हैं और हानिकारक रहते हैं। जो लोग कपटी और नीच होते हैं उनसे दूर ही रहना चाहिए। सांप केवल तभी हमला करता है जब उसे स्वयं के प्राणों का संकट दिखाई देता है। सांप केवल एक ही बार डंसता है। इसके विपरित जो भी लोग कपटी, नीच और दुराचारी होते हैं वे सदैव दूसरों को कष्ट पहुंचाते रहते हैं। इन लोगों की वजह से कई बार निर्दोष व्यक्ति भी बड़ी परेशानियों में उलझ जाता है। कपटी इंसान हर पल समस्याएं खड़ी करते रहते हैं। इसी वजह से ऐसे लोगों सांपों से भी अधिक खतरनाक होते हैं। इन लोगों से दूर रहने में ही भलाई होती है।
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दुर्जनस्य च सर्पस्य वरं सर्पो न दुर्जन:।
सर्पो दंशति काले तु दुर्जनस्तु पदे पदे।।
अर्थात् दुर्जन और सांप दोनों ही जहरीले होते हैं फिर भी दुर्जनों की तुलना में सांप ज्यादा अच्छे होते हैं। क्योंकि सांप मौका मिलते ही केवल एक ही बार डंसता है जबकि दुर्जन लोग हर पल काटते हैं।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि हमारे आसपास जो दुर्जन लोग हैं वे सांपों से अधिक जहरीले होते हैं और हानिकारक रहते हैं। जो लोग कपटी और नीच होते हैं उनसे दूर ही रहना चाहिए। सांप केवल तभी हमला करता है जब उसे स्वयं के प्राणों का संकट दिखाई देता है। सांप केवल एक ही बार डंसता है। इसके विपरित जो भी लोग कपटी, नीच और दुराचारी होते हैं वे सदैव दूसरों को कष्ट पहुंचाते रहते हैं। इन लोगों की वजह से कई बार निर्दोष व्यक्ति भी बड़ी परेशानियों में उलझ जाता है। कपटी इंसान हर पल समस्याएं खड़ी करते रहते हैं। इसी वजह से ऐसे लोगों सांपों से भी अधिक खतरनाक होते हैं। इन लोगों से दूर रहने में ही भलाई होती है।
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भारतीय बच्चे मैथ्स में क्यों पिछड़ रहे हैं?
ट्रेनिंग दें और गणित को रोचक बनाएं
प्रो. पी.के. चांदला
प्रख्यात शिक्षाविद्
पिछले साल ऑस्ट्रेलियन काउंसिल फॉर एजुकेशनल रिसर्च द्वारा किशोरों में मैथ्स और साइंस की जागरूकता के आकलन के बारे में कराए गए 'पीसा' नामक ग्लोबल टेस्ट में भारतीय बच्चों के प्रदर्शन को निराशाजनक बताना खबर का एक पहलू है। इस टेस्ट में 73 देशों के बच्चों ने हिस्सा लिया था और भारत सिर्फ किर्गिस्तान से ऊपर रहा यानी नीचे से दूसरा स्थान हासिल किया। ऐसा ही नतीजा भारतीय संस्था- प्रथम की सातवीं सालाना रिपोर्ट में निकाला गया है। कुछ लोग कह सकते हैं कि खास तौर से गणित में भारतीय बच्चों का पिछड़ना एक बड़ा झटका है। यह देखते हुए हाईस्कूल-इंटरमीडिएट तक स्टूडेंट मैथ्स में ही सबसे ज्यादा स्कोर करते हैं, एक ग्लोबल टेस्ट में उनका फिसड्डी साबित होना अखबारों की हेडलाइंस बनाने के लिए काफी है। पर क्या इसे भारतीय मेधा की हार माना जाए। मुझे लगता है कि यह मसला ओरिएंटेशन का है। भारतीय बच्चे पहली बार इस टेस्ट में शामिल हुए थे। लगता है कि उन्हें इस टेस्ट के लिए सही ढंग से ट्रेनिंग नहीं मिली। वरना ऐसे टेस्टों में हमारे बच्चे किसी से पीछे नहीं रहते। बल्कि अभी तक तो यही खबरें आती रही हैं कि ब्रिटेन-अमेरिका में भारतीय मूल के बच्चे ही साइंस-मैथ्स में आगे रहते हैं।
इसके बजाय दूसरी चीजों से सहमत हुआ जा सकता है। वह यह कि माध्यमिक स्तर की पढ़ाई के बाद किशोरों-युवाओं की दिलचस्पी खालिस तौर पर मैथ्स में नहीं रह जाती है। इसकी जगह वे कंप्यूटर साइंस, मैनेजमेंट, इंजिनियरिंग, कॉमर्स आदि में बढ़ जाते हैं। पर गणित तो वहां भी है। गणित सिर्फ अंकों का मामूली जोड़-घटाव नहीं है। बल्कि मौजूदा वक्त में अप्लाइड मैथ्स हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का आधार है। यह आज के फाइनैंशल मैनेजमेंट, शेयर मार्केट या कहें कि एमबीए से लेकर इंजिनियरिंग तक सभी की बुनियाद में है।
हमारे युवा गणित से उस रूप में बेशक नहीं जुड़े हैं जिसका अभिप्राय जॉय ऑफ मैथ्स यानी गणित की गुत्थियों में डूबने-उतराने और उनका मजा लेने से है। पर यह सिर्फ उनकी कमी नहीं है। इसके लिए उन्हें नर्सरी से ही ट्रेनिंग देने की जरूरत है। छोटी उम्र में ही गणित में उनकी दिलचस्पी बढ़ाने की कोशिश हमारे एजुकेशन सिस्टम को करनी होगी।
इंफ्रास्ट्रक्चर खराब है और निवेश भी कम
प्रो. गीता वेंकटरमण
गणितज्ञ, अंबेडकर यूनिवर्सिटी
ग्लोबल टेस्ट पीसा के नतीजे या संस्था- प्रथम की रिपोर्ट के निष्कर्ष से मैं हैरान नहीं हूं। देश के औसत स्कूली सिस्टम से इससे ज्यादा की उम्मीद नहीं की जा सकती। आम तौर पर कक्षाओं में पढ़ाई एग्जाम ओरिएंटेड है। यानी उसमें किसी विषय की समझ पैदा करने और उसमें रुचि जगाने के बजाय रटंत विद्या पर जोर है। इस पर सरकारी स्कूलों के खराब इंफ्रास्ट्र्क्चर और सरकारी शिक्षा में निवेश की कमी से हालात और बिगड़ रहे हैं। स्कूली शिक्षा में आधारभूत सुधार किए बिना ग्लोबल स्टैंडर्ड की परीक्षा में सफलता पाने की कल्पना नहीं की जा सकती। पर जहां तक गणितीय मेधा की बात है तो टेस्ट के खराब नतीजों के आधार पर यह निष्कर्ष नहीं निकाला जाना चाहिए गणित में भारत रसातल में पहुंच गया है या गणित में टैलंट का यहां अभाव है।
जरूरत इसकी है कि देश में मौजूद प्रतिभाओं को विकास के बेहतर मौके उपलब्ध कराए जाएं। साथ ही इंजिनियरिंग आदि को लेकर हमारे मिडिल क्लास में जो ऑब्शेसन पैदा हो गया है जिसके कारण लोग गणित से दूर भाग रहे हैं, उसे भी दूर करने की जरूरत है। जिन छात्रों में गणित को लेकर जरा भी जिज्ञासा होती है, वे उसका खूब आनंद उठाते हैं। किसी गणितीय समस्या का हल करने पर उन्हें जो खुशी मिलती हैं, उसकी तुलना नहीं हो सकती।
चुनौती यह है कि हम अध्यापन के तौर-तरीकों में ऐसा बदलाव लाएं जिससे ज्यादा से ज्यादा छात्रों में गणित के प्रति रुचि पैदा हो और वे उसकी खूबसूरती और आनंद का स्वाद लेना जान सकें। फिलहाल तो हम इन सब में काफी पिछड़े हुए हैं। और ऐसा कर पाना आसान भी नहीं है। इधर एक सकारात्मक पहल एनसीईआरटी और राज्यों की प्राथमिक स्तर की गणित की किताबों में हुआ है। हम देश में वैसी मैथमैटिक लैब बना सकें जहां लोग गणित के रोचक पहलुओं को देख-समझ सकें, तो बहुत बेहतर होगा। लेकिन अभी यह दूर की कौड़ी है।
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Tuesday, 10 January 2012
Art Competition at D R Singh girls Inter collage, Jhunshi, Allahabad, U.P.
We are organized A student motivation & Child Mental Development Art Competition at D R Singh girls Inter collage, Jhunshi, Allahabad, U.P.
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