Agar do logo me kabhi ladai na ho to samajh lena, Rishta dil se nahi dimag se nibhaya ja raha hai. By Chiragan |
Friday, 30 November 2012
Agar do logo me kabhi ladai na ho to samajh lena, Rishta dil se nahi dimag se nibhaya ja raha hai. By Chiragan
एक मंदिर के बहार कुछ इश तरह का बोर्ड लगा था! अब आप बताये क्या ये सही लिखा था या गलत ? अगर गलत या सही तो क्यों?
The most difficult phase of life. is not when no one understand you, It is when, you don't understand yourself...; Chiragan
Saturday, 24 November 2012
News published on 23 November 2012 in Swatantra Chetna, Allahabad Rashtriya Hindi Dainik (Event: Chiragan Allahabad District Level Art Competition 2012 organised by Chiragan an social, human & educational devalopment society)
News published on 23 November 2012 in Swatantra Bharat, Allahabad Rashtriya Hindi Dainik (Event: Chiragan Allahabad District Level Art Competition 2012 organised by Chiragan an social, human & educational devalopment society)
News published on 23 November 2012 in Prayagraj Times, Allahabad Rashtriya Hindi Dainik (Event: Chiragan Allahabad District Level Art Competition 2012 organised by Chiragan an social, human & educational devalopment society)
News published on 23 November 2012 in Our Leader, Allahabad Rashtriya Hindi Dainik (Event: Chiragan Allahabad District Level Art Competition 2012 organised by Chiragan an social, human & educational devalopment society)
News published on 23 November 2012 in Nyay ka prahari, Allahabad Rashtriya Hindi Dainik (Event: Chiragan Allahabad District Level Art Competition 2012 organised by Chiragan an social, human & educational devalopment society)
News published on 23 November 2012 in Jansandesh Times, Allahabad Rashtriya Hindi Dainik (Event: Chiragan Allahabad District Level Art Competition 2012 organised by Chiragan an social, human & educational devalopment society)
News published on 23 November 2012 in Inext, Allahabad Rashtriya Hindi Dainik (Event: Chiragan Allahabad District Level Art Competition 2012 organised by Chiragan an social, human & educational devalopment society)
News published on 23 November 2012 in Daily news activist, Allahabad Rashtriya Hindi Dainik (Event: Chiragan Allahabad District Level Art Competition 2012 organised by Chiragan an social, human & educational devalopment society)
News published on 23 November 2012 in Chetna vichardhara, Allahabad Rashtriya Hindi Dainik (Event: Chiragan Allahabad District Level Art Competition 2012 organised by Chiragan an social, human & educational devalopment society)
News published on 23 November 2012 in Amrit Prabhat, Allahabad Rashtriya Hindi Dainik (Event: Chiragan Allahabad District Level Art Competition 2012 organised by Chiragan an social, human & educational devalopment society)
News published on 23 November 2012 in Allahabad Express, Allahabad Rashtriya Hindi Dainik (Event: Chiragan Allahabad District Level Art Competition 2012 organised by Chiragan an social, human & educational devalopment society)
News published on 23 November 2012 in Aaj, Allahabad Rashtriya Hindi Dainik (Event: Chiragan Allahabad District Level Art Competition 2012 organised by Chiragan an social, human & educational devalopment society)
Friday, 23 November 2012
Chiragan Organize a Free SSC Data Entry Operator Workshop on Office.org, on 4, 5, 6 December 2012 at Chiragan Technical Institute, Jhunshi, Allahabad
Chiragan Organize a Free SSC Data Entry Operator Workshop on Office.org, on 1, 2, 3 December 2012 at C.I.C.E.C., Allahabad
Chiragan Organize a Free SSC Data Entry Operator Workshop on Office.org, on 28, 29, 30 November 2012 at Samir Computer Institute, 7 Hashimpur, Allahabad
Chiragan Organize a Free SSC Data Entry Operator Workshop on Office.org, on 25, 26, 27 November 2012 at Shanu Computer Typing Institute, Rajapur, Allahabad
Chiragan team member in front of chiragan Stall in:- Chiragan District level art competition on 18 november 2012 at allahabad museum, company garden, allahabad
Chiragan District level art competition photos on 18 november 2012 at allahabad museum, company garden, allahabad
Chiragan District level art competition photos on 18 november 2012 at allahabad museum, company garden, allahabad |
Chiragan District level art competition photos on 18 november 2012 at allahabad museum, company garden, allahabad |
Chiragan District level art competition photos on 18 november 2012 at allahabad museum, company garden, allahabad |
Chiragan District level art competition photos on 18 november 2012 at allahabad museum, company garden, allahabad
Chiragan District level art competition photos on 18 november 2012 at allahabad museum, company garden, allahabad |
Chiragan District level art competition photos on 18 november 2012 at allahabad museum, company garden, allahabad |
Chiragan District level art competition photos on 18 november 2012 at allahabad museum, company garden, allahabad |
Sunday, 18 November 2012
Friday, 16 November 2012
Utar Pradesh Government Start women power help line for women. अब मै नहीं डरती क्योकि मुझे मालूम है वूमेन पॉवर हेल्प लाइन नंबर। अगर कोई आपको फ़ोन, मैसेज, mms करके परेशान कर रहा है तो निशुल्क पुलिस को फोन करे। आपकी पहचान को गोपनीय रखा जायेगा। आपको कभी, कही नहीं बुलाया जायेगा।सेवा केवल उत्तर प्रदेश में। चिरागन की एक पहल। जागरूकता के लिए इशे शेयर करे।
Saturday, 10 November 2012
चिरागन परिवार की तरफ से आप सब को दिवाली की हार्दिक सुभकामनाए. हम आशा करते है आने वाली दिवाली आप सब की जिंदगी में खुशियों की बहार लाये. Wish you a HAPPY DIPAWALI from Chiragan Family.
Sunday, 4 November 2012
चिरागन जिला स्तरीय चित्र कला प्रतियोगिता 2012 Chiragan District level Art Competition 2012
चिरागन के द्वारा चलाये जा रहे कार्यक्रम श्रंखला के अंतर्गत स्कूल स्तरीय
चित्रकला प्रतियोगिता के पश्चात अब हम उसी क्रम में जिला स्तरीय चित्रकला
प्रतियोगिता का आयोजन करने जा रहे है जिसमे स्कूल स्तरीय प्रतियोगिता में
शामिल सभी स्कूलों के सभी बच्चो के अलावा वो सभी बच्चे भी प्रतिभाग कर
सकते है जिन्होंने स्कूल स्तरीय प्रतियोगिता में प्रतिभाग न किया हो.
प्रतियोगिता पूरी तरह निशुल्क है,
प्रतिभाग करने वाले हर एक बच्चे को "लंच बॉक्स" नास्ता दिया जायेगा!
बच्चो को कागज हमारे द्वारा दिया जायेगा, बच्चे अपने साथ पेंसिल, रबर, कटर, रंग (कोई भी) लेकर आयेंगे!
बच्चो के आने जाने के खर्च का वहन उनके अविभावको के द्वारा या विद्यालय के द्वारा किया जायेगा!
रास्ते में होने वाली किसी भी दुर्घटन के लिए चिरागन संस्था या संग्रहालय जिम्मेदार नहीं होगा!
दिन, समय:
प्रतियोगिता का आयोजन 18 नवम्बर 2012 दिन रविवार को सुबह 10 बजे से इलाहबाद संग्रहालय, कंपनी बाग़, सिविल लाइन, इलाहबाद , उत्तर प्रदेश, में किया गया है.! प्रतियोगिता २ घंटे की होगी!
विषय:
नर्सरी से ८ तक के बच्चे कुछ भी अपने मन से बना सकते है!
९ से १२ तक के बच्चो का विषय पर्यावरण तथा पोलीथिन है!
सभी स्कूल और छात्र अव्यवस्था से बचने के लिए दिनांक 17 नवम्बर 2012 तक चिरागन संस्था के नंबर 09616-0000-39 या 09795-0172-04 पर फोन करके निशुल्क अपना रजिस्ट्रेशन क्रमांक ले ले! रजिस्ट्रेशन न करने वालो को बाद में सम्मिलित करना मुश्किल होगा! स्कूल अपने यहाँ से प्रतिभाग करने वाले छात्रों का नाम, पिता का नाम, क्लास एक सादे कागज पर लिखकर प्रतियोगिता के दिन चिरागन के हेल्प सेंटर डेस्क पर जरूर जमा कर देंगे! नाम न जमा करने वाले छात्रों को अनुपस्थित माना जायेगा!
यह हमारे लिए एक शुख्द बात रही की हमने जो भी स्कूल स्तर की प्रतियोगिता करायी उनमे से ९५% से अधिक उन ग्रामीण छेत्रो में करायी जहा के बच्चो को कभी भी उभरने के पर्याप्त अवसर नहीं मिल पाते! इसमें हमसे जुड़े स्कूलों का सहयोग जो हमे मिला हम उसके प्रति आभार व्यक्त करते है!
इश प्रतियोगिता का आयोजन बच्चो के मानशिक विकाश को विकशित कर उनकी प्रतिभा को निखारने के लिए किया जा रहा है
प्रतियोगिता का आयोजन इलाहबाद संग्रहालय के सहयोग से उनके यहाँ चल रहे बाल महोत्सव कार्यक्रम के अंतर्गत १८ नवम्बर २०१२ को होने वाले कार्यक्रम में किया जा रहा है!
प्रतियोगिता में होने वाले सभी खर्चो का वहन इलाहबाद संग्रहालय की तरफ से किया जा रहा है ! बच्चो के मानशिक, शारीरिक, शिच्छिक विकाश के लिए हमारी संस्था, हमसे जुड़े स्कूलों, बच्चो को संग्रहालय की तरफ से जो आमंत्रण, सहयोग मिला उसके लिए हम संग्रहालय परिवार, वहा के निदेशक श्री राजेश पुरोहित जी, डा० प्रभाकर पाण्डेय जी के आभारी है आशा है, आगे भी हमे उनका सहयोग मिलता रहेगा!
प्रतियोगिता पूरी तरह निशुल्क है,
प्रतिभाग करने वाले हर एक बच्चे को "लंच बॉक्स" नास्ता दिया जायेगा!
बच्चो को कागज हमारे द्वारा दिया जायेगा, बच्चे अपने साथ पेंसिल, रबर, कटर, रंग (कोई भी) लेकर आयेंगे!
बच्चो के आने जाने के खर्च का वहन उनके अविभावको के द्वारा या विद्यालय के द्वारा किया जायेगा!
रास्ते में होने वाली किसी भी दुर्घटन के लिए चिरागन संस्था या संग्रहालय जिम्मेदार नहीं होगा!
दिन, समय:
प्रतियोगिता का आयोजन 18 नवम्बर 2012 दिन रविवार को सुबह 10 बजे से इलाहबाद संग्रहालय, कंपनी बाग़, सिविल लाइन, इलाहबाद , उत्तर प्रदेश, में किया गया है.! प्रतियोगिता २ घंटे की होगी!
विषय:
नर्सरी से ८ तक के बच्चे कुछ भी अपने मन से बना सकते है!
९ से १२ तक के बच्चो का विषय पर्यावरण तथा पोलीथिन है!
सभी स्कूल और छात्र अव्यवस्था से बचने के लिए दिनांक 17 नवम्बर 2012 तक चिरागन संस्था के नंबर 09616-0000-39 या 09795-0172-04 पर फोन करके निशुल्क अपना रजिस्ट्रेशन क्रमांक ले ले! रजिस्ट्रेशन न करने वालो को बाद में सम्मिलित करना मुश्किल होगा! स्कूल अपने यहाँ से प्रतिभाग करने वाले छात्रों का नाम, पिता का नाम, क्लास एक सादे कागज पर लिखकर प्रतियोगिता के दिन चिरागन के हेल्प सेंटर डेस्क पर जरूर जमा कर देंगे! नाम न जमा करने वाले छात्रों को अनुपस्थित माना जायेगा!
यह हमारे लिए एक शुख्द बात रही की हमने जो भी स्कूल स्तर की प्रतियोगिता करायी उनमे से ९५% से अधिक उन ग्रामीण छेत्रो में करायी जहा के बच्चो को कभी भी उभरने के पर्याप्त अवसर नहीं मिल पाते! इसमें हमसे जुड़े स्कूलों का सहयोग जो हमे मिला हम उसके प्रति आभार व्यक्त करते है!
इश प्रतियोगिता का आयोजन बच्चो के मानशिक विकाश को विकशित कर उनकी प्रतिभा को निखारने के लिए किया जा रहा है
प्रतियोगिता का आयोजन इलाहबाद संग्रहालय के सहयोग से उनके यहाँ चल रहे बाल महोत्सव कार्यक्रम के अंतर्गत १८ नवम्बर २०१२ को होने वाले कार्यक्रम में किया जा रहा है!
प्रतियोगिता में होने वाले सभी खर्चो का वहन इलाहबाद संग्रहालय की तरफ से किया जा रहा है ! बच्चो के मानशिक, शारीरिक, शिच्छिक विकाश के लिए हमारी संस्था, हमसे जुड़े स्कूलों, बच्चो को संग्रहालय की तरफ से जो आमंत्रण, सहयोग मिला उसके लिए हम संग्रहालय परिवार, वहा के निदेशक श्री राजेश पुरोहित जी, डा० प्रभाकर पाण्डेय जी के आभारी है आशा है, आगे भी हमे उनका सहयोग मिलता रहेगा!
चिरागन जिला स्तरीय चित्र कला प्रतियोगिता 2012 Chiragan District level Art Competition 2012 |
News published on 02 November 2012 in HINDUSTAN, Allahabad Rashtriya Hindi Dainik (Event: seminar on Ganga " Ganga ki kahani Manav ki jubani" organised by Chiragan an social, human & educational devalopment society on 01 November 2012)
News published on 02 November 2012 in Swatantra Chetna, Allahabad Rashtriya Hindi Dainik (Event: seminar on Ganga " Ganga ki kahani Manav ki jubani" organised by Chiragan an social, human & educational devalopment society on 01 November 2012)
News published on 02 November 2012 in AAJ, Allahabad Rashtriya Hindi Dainik (Event: seminar on Ganga " Ganga ki kahani Manav ki jubani" organised by Chiragan an social, human & educational devalopment society on 01 November 2012)
News published on 02 November 2012 in Chetna Vichardhara, Allahabad Rashtriya Hindi Dainik (Event: seminar on Ganga " Ganga ki kahani Manav ki jubani" organised by Chiragan an social, human & educational devalopment society on 01 November 2012)
उनके एजेंडे में भी किसान नहीं हैं. आखिर ये जाएं तो जाएं कहां?
marta kishan puur indian by chiragan |
समाज में लोग उन्हें सम्मान की नजर से देखते थे. लक्ष्मी बाबू, अपने मजदूरों की हर आवश्यकता को अपनी आवश्यकता समझते थे. गांव के गरीब से गरीब के यहां शादी या श्राद्ध में उनकी अभिभावक सी भूमिका होती थी. उन्होंने कभी मुसहट टोला या धोबी टोला में भेदभाव नहीं किया. हर वर्ग, जाति या धर्म के लोगों की हरसंभव मदद की तन, मन धन से. समय गुजरा. लक्ष्मी बाबू परलोक सिधार गये.
कुछ जमीन उनके श्राद्ध में बिक गयी और बाकी बच्चों ने बांट ली. समय का चक्र तेजी से घूमता रहा. खाद, बीज महंगे होते गये. खेती के अलावा आमदनी का अन्य स्रेत नहीं था. भूमि उतनी ही रही, खाने वाले बढ़ते गये. ऊपर से शादी, न्यौता, दवाई का खर्च अलग. ऐसा समाज और गांव के हर परिवार चाहे वह गरीब हो या अमीर सबके साथ हो रहा था. आमदनी स्थिर थी, खर्च माल्थस के सिद्धान्त से भी तेजी से बढ़ रहा था.
पिछले 5-7 सालों से स्थिति और भयावह होती गई है. गांव में मजदूर मिलने बन्द हो गए हैं. एक-दो मजदूर मिलते भी हैं तो उनकी मजदूरी की दर लक्ष्मी बाबू के बेटे ही नहीं, बड़े से बड़े किसानों और जमींदारों के बूते से बाहर की बात है. नतीजा चार-पांच बीघे जोत वाले किसान के घर में अगर पांच-छह लोग खाने वाले हैं तो उनके किशोर बेटे को दिल्ली व पंजाब जाकर मजदूरी करना पड़ रही है.
आखिर एक अच्छी चलती वाले किसान के बेटे-पोतों को क्यों दिल्ली आकर मजदूरी करनी पड़ी? बेशक इसका सीधा कारण सीमित साधन और बढ़ती जनसंख्या हैं पर जनसंख्या वृद्धि पर नियंतण्रकिया जा सकता है, पूरी तरह अंकुश नहीं लगाया जा सकता. सवाल है कि लक्ष्मी बाबू के बेटे-पोते जैसे करोड़ो लोग, जो कुछ सालों पहले संपन्न किसान थे, इस देश के शहरी समाज का पेट भरते थे, कैसे आज मजदूर हो गये? इस यक्ष प्रश्न का जवाब देने की जिम्मेवारी समाज के हर वर्ग की है. आखिर तेजी से वि-मानचित्र पर उभरते उस भारतवर्ष का अभिजात्य वर्ग, जो 2020 तक वि-महाशक्ति बनने का दावा करता हो, इस सच्चाई से कैसे मुंह मोड़ सकता है! जवाब तो देना ही पड़ेगा.
भारत के उन्हीं गांवों का एक दूसरा पहलू भी है जो मजदूर किसान के खेतों में काम करता था, उसका मकान आज पक्का हो गया. उसके घर में बिजली के बल्ब और पंखे चलते हैं. सरकार उसे सस्ती दरों पर मुफ्त राशन देती है और तो और 100 दिन की मजदूरी बिना काम किये भी मिल सकती है जो अक्सर मिल ही जाती है. इन्दिरा आवास योजना, मनरेगा और राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना आदि में चाहे जितना भी घोटाला हुआ हो परन्तु एक हद तक समाज के वंचित, दलित और शोषितों के जीवन स्तर में सकारात्मक बदलाव लाने में यह सफल रही हैं. दो जून की रोटी जिन्हें नसीब नहीं हो पाती थी, आज वो लोग कम से कम भूखे नहीं सोते हैं. इसका श्रेय सरकार की उन लोक कल्याणकारी योजनाओं को जाता है जो गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले तथा अन्य दलित एवं शोषित समाज के लोगों के कल्याण के लिए बनी हैं.
इन नीतियों-योजनाओं का असर गांवों में दिख रहा है. गांव बदल रहा है. यहां के लोगों का जीवन स्तर बदल रहा है. जो कल तक मजदूर थे, उन्हें इतनी सरकारी सहायता मिल जाती है कि उन्हें बड़े किसानों के यहां मजदूरी की जरूरत नहीं रह जाती है. इस बदलाव के चक्र में लक्ष्मी बाबू के बेटे सरीखे करोड़ों और लोग इनको मिल रही सुविधाओं की ओर टकटकी लगाये देख रहे हैं. कल तक जो उनके मजदूर थे, आज ऐशो-आराम से जी रहे हैं. बल्ब की रोशनी, पंखे की हवा, पक्का मकान, बारिश या बाढ़ में भी सूखा बदन, सूखे कपड़े, सूखे जलावन. इन ऐशो-आराम के साधनों के वे केवल ख्वाब देख सकते हैं, जिसके लिए कोई पैसा नहीं देना पड़ता है.
देश का वही किसान आज सोचने लगा है कि आखिर उससे क्या गलती हुई? क्या उसने खेतों में मेहनत करनी कम कर दी? वह बार-बार दिमाग पर जोर डालता है, परन्तु एक ही जवाब मिलता है. मेहनत ज्यादा की है, अधिक पैदावार भी हुई परन्तु लागत बढ़ गयी और उस अनुपात में फसल के दाम नहीं मिल रहे. हमारे खून और पसीने की कीमत इतनी मामूली है कि न्यूनतम आवश्यकताएं भी पूरी न हो सकें. भले ही मजदूरों की जगह उसने हाथों में खुरपी और हंसिया ले लिया हो पर वह पहले की तरह परिवार का पेट नहीं भर पा रहा है. किसानों या कहिए किसान से बने इस मजदूर वर्ग में व्यवस्था के प्रति आक्रोश पनप रहा है. वह कहता है कि उसका क्या कसूर है और इस दुर्दशा का जिम्मेदार कौन है?
सरकार का तर्क है कि वह गरीबों (बीपीएल), दलितों व वंचितों के उत्थान के लिए लोक-कल्याणकारी योजना बना रही है, उस पर अमल कर रही है और इससे गरीबी मिटाने में मदद मिल रही है. समाज में हो रहे बदलाव भी सरकार के इस तर्क का समर्थन करते हैं परन्तु किसान सरकार से पूछना चाहता है कि इस लोक-कल्याणकारी शब्द में लोक में उसकी भी तो भागीदारी है. तो क्या सरकार उसे अपनी योजनाओं में तब शामिल करेगी जब वह एपीएल और बीपीएल के बीच की पतली रेखा पार कर लेगा! संभवत: सरकार इसी का इन्तजार कर रही है. क्या नित नये बनते ये गरीब देश के नागरिक नहीं है? क्या राष्ट्र के विकास में इनका योगदान नहीं है? तो क्यों राष्ट्रीय योजनाओं में इनके लिए जगह नहीं है? वंचितों, दलितों, शोषिती को मिल रही सुविधाओं से इनकी कोई शिकायत नहीं है. उनको उनका हक मिलना चाहिए. किसान तो यही पूछ रहा है कि उसकी बारी कब आयेगी?
ऐसा इसी देश में हो सकता है कि जो तबका पूरे देश का पेट पालता हो, उसकी सुध लेने की कोई चिंता नहीं है? न सरकार जिम्मेदारी से उनका कल्याण चाह रही है और न विपक्ष इस मुद्दे पर संजीदा है. दुख तब होता है जब इसी पृष्ठभूमि से आये वे लोग जो राजनीति में अपना मुकाम बना लेते हैं, अपने वर्ग की सुध लेने की फुर्सत में नहीं होते हैं. केन्द्र या राज्यों में किसी भी पार्टी की सरकार हो, इन नये गरीबों के उद्धार के लिए न कोई नीति है और न नीयत. हां पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में स्थिति थोड़ी ठीक-ठाक है. वैसे भी आज के नेता और नौकरशाही से समाज के किसी भी तबके को उम्मीद नहीं है तो इन किसानों को ही क्या होगी? परन्तु जो व्यवस्था परिवर्तन की बात करते हैं, भ्रष्टाचार युक्त और कालाधन मुक्त समाज की स्थापना की बात करते हैं, उनके एजेंडे में भी किसान नहीं हैं. आखिर ये जाएं तो जाएं कहां?
ये लेखक के निजी विचार है! लेखक का परिचय:
Virendra Kushwaha, Chiragan |
Subscribe to:
Posts (Atom)