पिछले
पोस्ट में मैंने अखाड़ो और आश्रम के अन्दर की बाते लिखी थी इस बार मै थोडा
और अन्दर गया और एक पंजाब से आये बाबा की कुटी के अन्दर घुसा तो देखा की
बाबा जी अपने साथ सोनी की 42" की एलसीडी साथ लाये है और क्रिकेट नामक
विद्या पर अपने भक्तो के साथ दन्लफ़ के
गद्दे पर बैठ कर साधना कर रहे है, बाबा जी की कठिन साधना से प्रभावित होके
मैंने सोचा बाबा जी की फोटो खीचने के बहाने बाबा जी की साधना की भी फोटो
खीच लूँगा, तभी उनका चेला आया और बोल "Photo not allowed without 100
rupese per photo payment" जो की मेरे बस की बात नहीं थी फिर क्या? बाहर
निकला और chintoo कैमरे से चुपके से फोटो ले ली, बाबा जी की साधना और उनके
चेले की रिक्वेस्ट देखकर साथ चल रहे मेरे मित्र के मुह से बरबस ही निकल पड़ा
"हे प्रभु, अगले जनम मोहे "बाबा" ही कीजो" तभी एक बाबा आये और बोले
तथास्तु, आशीर्वाद। किंजल
Thursday, 21 February 2013
मुझे तो बस आप जैसे लोगो से प्यार चाहिए" उनके साहस और जज्बे को मेरा और चिरागन का सलाम।
कहते है जब लोग अपाहिज हो जाते है तो वो दूसरो पर आश्रित हो जाते है, अपना काम खुद नहीं कर पाते है और जब बात हो कुम्भ जैसे विश्व के सबसे बड़े मेले की तो कल्पना ही की जा सकती है की वहा पर उनको किन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता होगा। पर हा कुछ विरले लोग होते है जो समाज को एक नयी राह दिखाते है और दुसरो को उसका अनुसरण करने को मजबूर करते है, एक ऐसी ही व्यक्ति है ये रामदास जी, जिनकी एक दुर्घटना में जांघ से ही दोनों पैर कट गए, पर उन्होंने हिम्मत न हारी और समाज में अपने जैसे ना जाने कितने लोगो को जीने की नई राह दिखाई। मेले में जब वो बिना किसी सहायता के अकेले ही संगम स्नान करने के लिए जा रहे थे तो उनकी हीम्मत और साहस को देख कर बरबस ही मै उन तक खीचा चला गया, उनसे बाते की और जब जाने की बारी आई तो मैंने सोचा मै इनकी कुछ आर्थिक सहायता कर दू। मै कुछ पैसे निकाल कर उनको देने लगा तो उनके शब्द सुनकर मेरे मन में उनके प्रति सम्मान और बढ़ गया उनके शब्द थे " बेटा मुझे पैसे नहीं चाहिए, मुझे तो बस आप जैसे लोगो से प्यार चाहिए" उनके साहस और जज्बे को मेरा और चिरागन का सलाम। By: Kinjal Kumhar
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