Thursday, 11 July 2013

समय पूर्व पैदा होने वाले बच्चों के फेफड़ों की रक्षा में हल्दी हो सकती है फायदेमंद

हल्दी में पाया जाने वाला करक्यूमिन नाम का पदार्थ समय से पहले पैदा होने वाले शिशुओं के फेफड़ों के संभावित जानलेवा नुकसान से उनकी रक्षा कर सकता है। भारतीय मूल के एक वैज्ञानिक के नेतृत्व में किए गए एक अध्ययन में इस बात का दावा किया गया है।
ऐसा माना जाता रहा है कि मसालेदार करी व्यंजनों में डाली जाने वाली हल्दी में औषधीय गुण होते हैं।
समय से पहले पैदा होने वाले शिशुओं को अकसर वेंटिलेटर और आॅक्सीजन थेरेपी की मदद की जरूरत होती है क्योंकि उनमें फेफड़े सही तरह से काम नहीं करते।
लेकिन इस उपचार से शिशुओं के फेफड़ों को नुकसान पहुंच सकता है और उनकी मौत भी हो सकती है।
हार्बर-यूसीएलए मेडिकल सेंटर के लॉस एंजिलिस बायोमेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने बीमारी के मॉडलों का इस्तेमाल कर पाया कि करक्यूमिन से इस तरह के नुकसान से लंबे समय के लिए बचाव हो सकता है।
अमेरिकन जर्नल आॅफ फिजियोलॉजी में प्रकाशित किए गए इस अध्ययन में पाया गया कि करक्यूमिन से ब्रांकोपलमोनरी डिस्प्लेसिया :बीडीपी: से रक्षा हो सकती है। बीडीपी के तहत जन्म के 21 दिनों तक फेफड़ों से होते हुए बहुत अधिक आॅक्सीजन शरीर में आ जाता है।
शोधकर्ता दल के प्रमुख वीरेंदर के रेहन ने कहा, ‘‘यह अध्ययन समय से पूर्व जन्म लेने वाले बच्चों के फेफड़ों की रक्षा करने में करक्यूमिन से होने वाले दीर्घकालीन लाभों का पता लगाने से जुड़ा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘करक्यूमिन में एंटीआॅक्सीडेंट, ज्वलन विरोधी समेत कई गुण होते हैं। इससे यह समयपूर्व पैदा होने वाले बच्चों, जिन्हें आॅक्सीजन थेरेपी की जरूरत होती है, के लिए एक सही उपचार है।’

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