पिछले कुछ वर्षो में देश में ई कामर्स का विस्तार तेजी से हुआ है। ई
कामर्स के जरिये अब कोई भी व्यक्ति घर बैठे देश-विदेश की किसी भी दुकान से
मनचाही वस्तु आनलाइन खरीद सकता है। आनलाइन खरीदारी में ग्राहक को कई
वस्तुएं बाजार मूल्य से कम पर मिल जाती हैं जिससे ग्राहक की बचत में इजाफा
होता है
पिछले कुछ वर्षो में देश में आनलाइन शापिंग का क्रेज काफी तेजी से बढ़ा है। एक अनुमान के मुताबिक मौजूदा समय में देश में करीब 20 करोड़ लोग इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं और इनमें से दो करोड़ लोग आनलाइन शापिंग सुविधा का इस्तेमाल कर रहे हैं। दुनिया के पांच खरब डालर के रिटेल कारोबार में आनलाइन रिटेल कारोबार की हिस्सेदारी करीब सवा अरब डालर से भी ज्यादा है। एक रिपोर्ट के अनुसार आनलाइन रिटेल कारोबार में अगले दस साल में करीब 60 फीसद की वृद्धि होने वाली है। आनलाइन शापिंग के बढ़ते कारोबार को देखते हुए दर्जनों ई कामर्स कंपनियां इस क्षेत्र में उतर चुकी हैं और कई उतरने को तैयार हैं। एसोचैम की एक रिपोर्ट के अनुसार देश में सबसे ज्यादा आनलाइन शापिंग दिल्ली में की जाती है। मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरू, हैदराबाद, जयपुर और लखनऊ जैसे शहरों में भी आनलाइन शापिंग का क्रेज तेजी से बढ़ा है।
क्या है ई कॉमर्स हर कारोबार को करने के लिए कोई न कोई विधि अपना
ई जाती है। जैसे अपने उत्पादों को आम आदमी तक पहुंचाने के लिए कंपनियां पहले डिस्ट्रीब्यूटर बनाती हैं, फिर डिस्ट्रीब्यूटरों द्वारा डीलरों की नियुक्ति की जाती है और डीलरों द्वारा कंपनी के उत्पादों को रिटेलरों तक पहुंचाया जाता है और रिटेलर इस उत्पाद को ग्राहकों के हाथ सीधे बेचता है। इस तरह एक उत्पाद कंपनी से ग्राहक तक पहुंचने में चार चरणों या चैनल से गुजरता है। इस लिहाज से चार लोगों या संस्थाओं का हित (कमीशन) भी इसमें जुड़ता जाता है और जो चीज कंपनी से एक रपए में निकलती है, बाजार तक पुहंचते-पहुंचते चार रपए की हो जाती है। इसी तरह डोर टू डोर शापिंग भी कारोबार की एक विधि है। इस विधि के तहत कंपनी अपने कर्मचारियों की मदद से अपने उत्पादों को सीथे क्रेता के घर तक पहुंचाती है। इसमें कंपनी का उत्पाद कंपनी से निकलने के बाद सिर्फ एक चैनल के जरिये ग्राहक तक पहुंचता है इसलिए इसमें सिर्फ व्यक्ति या संस्था का हित अथवा कमीशन जुड़ा होता है। इस वजह से डोर टू डोर बिकने वाली वस्तु बाजार में मिलने वाली वस्तु से कुछ सस्ती होती है। ठीक इसी तरह ई कामर्स भी कारोबार की एक विधि है। इस विधि में कंपनियां अपने उत्पादों को आनलाइन प्लेटफार्म के जरिये बेचती हैं और इसमें कंपनी से जो उत्पाद निकलता है उसको आनलाइन कंपनी द्वारा इंटरनेट के माध्यम से बेचा जाता है। इस हिसाब से इसमें भी उत्पाद के कंपनी से निकलने से लेकर ग्राहक के हाथ पहुंचने तक बीच में सिर्फ एक चैनल होता है जिसकी वजह से इसमें सिर्फ एक व्यक्ति या संस्था (ई कामर्स कंपनी) का हित या कमीशन होता है। इस वजह से ई कामर्स कंपनी के जरिये आनलाइन बेचे जाने वाले उत्पाद बाजार मूल्य से कुछ कम कीमत पर मिल जाते हैं।
कैसे काम करती हैं ई कॉमर्स कंपनियां आनलाइन शापिंग के बढ़ते शौक से देश में कई ई कामर्स कंपनियों का कारोबार चमकने लगा है। अमेजन, फ्लिपकार्ट, स्नैपडील जैसी कई कंपनियां भारत व अन्य देशों में कारोबार कर रही हैं। यह कंपनियां निर्माताओं से सीधे माल की खरीद करके अपने वेयर हाउस में रखती हैं और आनलाइन डिमांड आने पर इसे कुरियर कंपनियों के माध्यम से क्रेता तक पहुंचाती हैं। निर्माताओं से सीधे माल खरीदने के अलावा यह कंपनियां विभिन्न शहरों में फैले रिटेलरों से भी संपर्क में रहती हैं। क्रेता से आर्डर मिलने पर छोटे से छोटे शहर में भी यह अपने उत्पाद रिटेलरों के माध्यम से संबंधित व्यक्ति तक पहुंचा देती हैं। उदाहरण के तौर पर अगर किसी कंपनी को किसी राज्य के छोटे से शहर में एलसीडी टीवी चाहिए तो यह ई कामर्स कंपनी उक्त शहर के रिटेल कारोबारी से संपर्क करके संबंधित व्यक्ति को एलसीडी टीवी उपलब्ध करा देगी। इन उत्पादों की कीमत ई कामर्स कंपनी द्वारा सीधे कंपनी से खरीदकर बेचे जाने वाले उत्पाद की तुलना में कुछ ज्यादा होती है क्योंकि इसमें लोकर डीलर का कमीशन भी जुड़ जाता है।
ग्राहकों को कई फायदे आनलाइन शापिंग और बाजार जाकर शापिंग करने पर खरीदार को कई तरह के फायदे होते हैं। उत्पादों की कीमतें कम होती हैं, बाजार जाने में लगने वाला खर्च इंटरनेट ट्रांजेक्शन शुल्क की तुलना में काफी कम होता है, समय की बचत होती है और ग्राहकों की बचत में इजाफा होता है। ग्राहक इस बचत को किसी निवेश योजना में निवेश कर बढ़िया रिटर्न हासिल कर सकता है।
डाक विभाग भी ई कॉमर्स में जल्द ही डाक विभाग भी ई कामर्स के क्षेत्र में उतरने जा रहा है। डाक विभाग अपने विशाल नेटवर्क के जरिये ई कामर्स कंपनियों को कड़ी टक्कर दे सकता है। इंडिया पोस्ट के इस क्षेत्र में उतरने के बाद दूर दराज के इलाकों में भी ई कामर्स का विस्तार होगा और आटा, दाल, चावल और महीने का राशन भी लोग ई कामर्स के जरिये खरीद सकेंगे। खादी एवं ग्रामोद्योग मंत्रालय ने पहले ही अपने उत्पादों को ई कामर्स के जरिये बेचने की घोषणा कर दी है।
पिछले कुछ वर्षो में देश में आनलाइन शापिंग का क्रेज काफी तेजी से बढ़ा है। एक अनुमान के मुताबिक मौजूदा समय में देश में करीब 20 करोड़ लोग इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं और इनमें से दो करोड़ लोग आनलाइन शापिंग सुविधा का इस्तेमाल कर रहे हैं। दुनिया के पांच खरब डालर के रिटेल कारोबार में आनलाइन रिटेल कारोबार की हिस्सेदारी करीब सवा अरब डालर से भी ज्यादा है। एक रिपोर्ट के अनुसार आनलाइन रिटेल कारोबार में अगले दस साल में करीब 60 फीसद की वृद्धि होने वाली है। आनलाइन शापिंग के बढ़ते कारोबार को देखते हुए दर्जनों ई कामर्स कंपनियां इस क्षेत्र में उतर चुकी हैं और कई उतरने को तैयार हैं। एसोचैम की एक रिपोर्ट के अनुसार देश में सबसे ज्यादा आनलाइन शापिंग दिल्ली में की जाती है। मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरू, हैदराबाद, जयपुर और लखनऊ जैसे शहरों में भी आनलाइन शापिंग का क्रेज तेजी से बढ़ा है।
क्या है ई कॉमर्स हर कारोबार को करने के लिए कोई न कोई विधि अपना
ई जाती है। जैसे अपने उत्पादों को आम आदमी तक पहुंचाने के लिए कंपनियां पहले डिस्ट्रीब्यूटर बनाती हैं, फिर डिस्ट्रीब्यूटरों द्वारा डीलरों की नियुक्ति की जाती है और डीलरों द्वारा कंपनी के उत्पादों को रिटेलरों तक पहुंचाया जाता है और रिटेलर इस उत्पाद को ग्राहकों के हाथ सीधे बेचता है। इस तरह एक उत्पाद कंपनी से ग्राहक तक पहुंचने में चार चरणों या चैनल से गुजरता है। इस लिहाज से चार लोगों या संस्थाओं का हित (कमीशन) भी इसमें जुड़ता जाता है और जो चीज कंपनी से एक रपए में निकलती है, बाजार तक पुहंचते-पहुंचते चार रपए की हो जाती है। इसी तरह डोर टू डोर शापिंग भी कारोबार की एक विधि है। इस विधि के तहत कंपनी अपने कर्मचारियों की मदद से अपने उत्पादों को सीथे क्रेता के घर तक पहुंचाती है। इसमें कंपनी का उत्पाद कंपनी से निकलने के बाद सिर्फ एक चैनल के जरिये ग्राहक तक पहुंचता है इसलिए इसमें सिर्फ व्यक्ति या संस्था का हित अथवा कमीशन जुड़ा होता है। इस वजह से डोर टू डोर बिकने वाली वस्तु बाजार में मिलने वाली वस्तु से कुछ सस्ती होती है। ठीक इसी तरह ई कामर्स भी कारोबार की एक विधि है। इस विधि में कंपनियां अपने उत्पादों को आनलाइन प्लेटफार्म के जरिये बेचती हैं और इसमें कंपनी से जो उत्पाद निकलता है उसको आनलाइन कंपनी द्वारा इंटरनेट के माध्यम से बेचा जाता है। इस हिसाब से इसमें भी उत्पाद के कंपनी से निकलने से लेकर ग्राहक के हाथ पहुंचने तक बीच में सिर्फ एक चैनल होता है जिसकी वजह से इसमें सिर्फ एक व्यक्ति या संस्था (ई कामर्स कंपनी) का हित या कमीशन होता है। इस वजह से ई कामर्स कंपनी के जरिये आनलाइन बेचे जाने वाले उत्पाद बाजार मूल्य से कुछ कम कीमत पर मिल जाते हैं।
कैसे काम करती हैं ई कॉमर्स कंपनियां आनलाइन शापिंग के बढ़ते शौक से देश में कई ई कामर्स कंपनियों का कारोबार चमकने लगा है। अमेजन, फ्लिपकार्ट, स्नैपडील जैसी कई कंपनियां भारत व अन्य देशों में कारोबार कर रही हैं। यह कंपनियां निर्माताओं से सीधे माल की खरीद करके अपने वेयर हाउस में रखती हैं और आनलाइन डिमांड आने पर इसे कुरियर कंपनियों के माध्यम से क्रेता तक पहुंचाती हैं। निर्माताओं से सीधे माल खरीदने के अलावा यह कंपनियां विभिन्न शहरों में फैले रिटेलरों से भी संपर्क में रहती हैं। क्रेता से आर्डर मिलने पर छोटे से छोटे शहर में भी यह अपने उत्पाद रिटेलरों के माध्यम से संबंधित व्यक्ति तक पहुंचा देती हैं। उदाहरण के तौर पर अगर किसी कंपनी को किसी राज्य के छोटे से शहर में एलसीडी टीवी चाहिए तो यह ई कामर्स कंपनी उक्त शहर के रिटेल कारोबारी से संपर्क करके संबंधित व्यक्ति को एलसीडी टीवी उपलब्ध करा देगी। इन उत्पादों की कीमत ई कामर्स कंपनी द्वारा सीधे कंपनी से खरीदकर बेचे जाने वाले उत्पाद की तुलना में कुछ ज्यादा होती है क्योंकि इसमें लोकर डीलर का कमीशन भी जुड़ जाता है।
ग्राहकों को कई फायदे आनलाइन शापिंग और बाजार जाकर शापिंग करने पर खरीदार को कई तरह के फायदे होते हैं। उत्पादों की कीमतें कम होती हैं, बाजार जाने में लगने वाला खर्च इंटरनेट ट्रांजेक्शन शुल्क की तुलना में काफी कम होता है, समय की बचत होती है और ग्राहकों की बचत में इजाफा होता है। ग्राहक इस बचत को किसी निवेश योजना में निवेश कर बढ़िया रिटर्न हासिल कर सकता है।
डाक विभाग भी ई कॉमर्स में जल्द ही डाक विभाग भी ई कामर्स के क्षेत्र में उतरने जा रहा है। डाक विभाग अपने विशाल नेटवर्क के जरिये ई कामर्स कंपनियों को कड़ी टक्कर दे सकता है। इंडिया पोस्ट के इस क्षेत्र में उतरने के बाद दूर दराज के इलाकों में भी ई कामर्स का विस्तार होगा और आटा, दाल, चावल और महीने का राशन भी लोग ई कामर्स के जरिये खरीद सकेंगे। खादी एवं ग्रामोद्योग मंत्रालय ने पहले ही अपने उत्पादों को ई कामर्स के जरिये बेचने की घोषणा कर दी है।
ReplyDeleteThanks for sharing this Information !!
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