अन्ना की बेदाग ज़िंदगी
शुक्र है ईश्वर का.पिछले 74 साल में अन्ना ने कोई भी काम ऎसा नही किया जो सरकार के हाथ का हथियार बन सका हो.उन्होने ढूंढा तो बहुत मगर कुछ मिला नही.अन्ना से बेहतर और ज्यादा वे जान गये हैं कि अन्ना की पिछ्ली ज़िंदगी कैसे गुज़री.अगर अन्ना ने स्कूल में चाकलेट भी चुराई होती तो ये सरकार उन्हे रामदेव बाबा से भी ज्यादा कूटते और हो सकता है गांधी की फोटो के बगल में अन्ना को ही तस्वीर बना कर लटका देते़.शुक्रिया अन्ना आपकी बेदाग ज़िंदगी का.
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