Friday, 31 January 2014
Thursday, 30 January 2014
Wednesday, 29 January 2014
कृपया चांदी का वर्क लगी मिठाइयां का सेवन ना करें ..! Chiragan NGO
खुद भी जागें औरों को भी जाग्रत करें..मिली जानकारियों के अनुसार ये ''चांदी के वर्क'' नकली और मांसाहार हैं....
हमारे देश में मिठाइयां लोगों की कमजोरी हैं। बच्चे हों या बूढ़े, मिठाइयों को देखकर उन्हें मन को काबू कर पाना मुश्किल हो जाता है। लेकिन कम ही लोगों को इस बात का पता है कि रसीली मिठाइयों में लिपटा चांदी का वर्क मिठास के साथ उनके शरीर में ऐसे जहर भी घोल रहा है, जिनसे कैंसर तक हो सकता है।
मिठाइयों पर लिपटे चांदी के वर्क को हम इस भ्रम में बड़े चाव से खा जाते हैं कि आयुर्वेद के हिसाब से यह ताकत पहुंचाने वाली बेशकीमती धातु है। लेकिन इस मिलावटी चांदी के वर्क में बेहद नुकसान पहुंचाने वाले निकल, जस्ता और अन्य रासायनिक तत्व होते हैं जिनसे कैंसर सहित कई तरह की खतरनाक बीमारियां हो सकती हैं।
देश के सबसे प्रामाणिक माने जाने वाले 'इंडस विष विज्ञान अनुसंधान केन्द्र' ने चांदी के वर्क पर हाल ही में एक रिसर्च किया। संस्था ने अपनी रिपोर्ट में साफ चेतावनी दी है कि इसके अधिक सेवन से कैंसर तक का खतरा हो सकता है। रिपोर्ट में बताया गया कि मिलावट निरोधी अधिनियम के तहत चांदी का वर्क बनाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली चांदी की शुद्धता 99.9 प्रतिशत निश्चित है। लेकिन जांच में बाजार में बिकने वाले चांदी के वर्क में से आधे भी इस मानक पर खरे नहीं उतरे।
देश में चांदी के वर्क की लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यह हर परचून की दुकान पर मिलता है। देश में इसकी सालाना खपत 2 लाख 75 हजार किलोग्राम है। मिलावटी चांदी के अलावा ये चांदी के वर्क जिन जगहों पर और जिस तरह से बनाए जाते हैं, वह भी इतने गंदे हैं जो कई बीमारियों को बुलावा दे सकते हैं। एक तो चांदी शुद्ध नहीं होती और दूसरे उसे जिस चमड़े की थैली में पीट-पीटकर बनाया जाता है, वह बेहद गंदी होती है और इससे संक्रमण होना लाजमी है।
हमारे देश में मिठाइयां लोगों की कमजोरी हैं। बच्चे हों या बूढ़े, मिठाइयों को देखकर उन्हें मन को काबू कर पाना मुश्किल हो जाता है। लेकिन कम ही लोगों को इस बात का पता है कि रसीली मिठाइयों में लिपटा चांदी का वर्क मिठास के साथ उनके शरीर में ऐसे जहर भी घोल रहा है, जिनसे कैंसर तक हो सकता है।
मिठाइयों पर लिपटे चांदी के वर्क को हम इस भ्रम में बड़े चाव से खा जाते हैं कि आयुर्वेद के हिसाब से यह ताकत पहुंचाने वाली बेशकीमती धातु है। लेकिन इस मिलावटी चांदी के वर्क में बेहद नुकसान पहुंचाने वाले निकल, जस्ता और अन्य रासायनिक तत्व होते हैं जिनसे कैंसर सहित कई तरह की खतरनाक बीमारियां हो सकती हैं।
देश के सबसे प्रामाणिक माने जाने वाले 'इंडस विष विज्ञान अनुसंधान केन्द्र' ने चांदी के वर्क पर हाल ही में एक रिसर्च किया। संस्था ने अपनी रिपोर्ट में साफ चेतावनी दी है कि इसके अधिक सेवन से कैंसर तक का खतरा हो सकता है। रिपोर्ट में बताया गया कि मिलावट निरोधी अधिनियम के तहत चांदी का वर्क बनाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली चांदी की शुद्धता 99.9 प्रतिशत निश्चित है। लेकिन जांच में बाजार में बिकने वाले चांदी के वर्क में से आधे भी इस मानक पर खरे नहीं उतरे।
देश में चांदी के वर्क की लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यह हर परचून की दुकान पर मिलता है। देश में इसकी सालाना खपत 2 लाख 75 हजार किलोग्राम है। मिलावटी चांदी के अलावा ये चांदी के वर्क जिन जगहों पर और जिस तरह से बनाए जाते हैं, वह भी इतने गंदे हैं जो कई बीमारियों को बुलावा दे सकते हैं। एक तो चांदी शुद्ध नहीं होती और दूसरे उसे जिस चमड़े की थैली में पीट-पीटकर बनाया जाता है, वह बेहद गंदी होती है और इससे संक्रमण होना लाजमी है।
Tuesday, 28 January 2014
कुछ पेट्रोल पंप वाले हमें कैसे धोखा देते है....
- हर पेट्रोल पंप में पेट्रोल के लिए 1 लीटर 2 लीटर के नाप होते है सो वो
एक लीटर 2 लीटर में चोरी नहीं कर सकते इसलिए वो सेटिंग करते है 100 रुपये
में 200 रुपये में 500 रुपये में जिस से उनकी चोरी कभी पकड़ में नहीं आति
क्यों कि 100 रुपये का पेट्रोल हम कभी नाप नहीं कर सकते इसलिए वो कम
पेट्रोल का सेटिंग हमेशा 100-200-500-1000 में ही करते है
- आपसे निवेदन है के जब भी आप पेट्रोल भरवाओ आप 105 रुपये 205 रुपये या एक लीटर 233 रुपये ऎसे ऑड फिगर में भरवाओ तो आपको कभी भी कम पेट्रोल नहीं मिलेगा.
- कर के देखिए आपका फायदा अवश्य होगा.
- आपसे निवेदन है के जब भी आप पेट्रोल भरवाओ आप 105 रुपये 205 रुपये या एक लीटर 233 रुपये ऎसे ऑड फिगर में भरवाओ तो आपको कभी भी कम पेट्रोल नहीं मिलेगा.
- कर के देखिए आपका फायदा अवश्य होगा.
You don't need a reason to help people.
People
love to be appreciated for the things that they do and say.
Appreciation acknowledges their value and uniqueness. When you
appreciate someone for something, you raise their self-esteem, increase
their self-confidence and improve their self-image. The more you
appreciate someone for something, the more likely they are to do it
again, and to do it even better next time, so that they can earn even
more appreciation than before.
If you don't have time to do it, when will you have time to do it over?
This
quote belongs to Hall of Fame basketball player/coach John Wooden. It's
a good reminder that rushing through something might save you time
right now, but it'll ultimately take you more time to do it over if
there are problems.
Saving time is great when it doesn't come at a cost, but when you run the risk of making mistakes by taking the shortest route you're not really saving time at all.
Saving time is great when it doesn't come at a cost, but when you run the risk of making mistakes by taking the shortest route you're not really saving time at all.
गाय के घी के महत्वपूर्ण उपयोग
1.गाय का घी नाक में डालने से पागलपन दूर होता है।
2.गाय का घी नाक में डालने से एलर्जी खत्म हो जाती है।
3.गाय का घी नाक में डालने से लकवा का रोग में भी उपचार होता है।
4.20-25 ग्राम घी व मिश्री खिलाने से शराब, भांग व गांझे का नशा कम हो जाता है। 5.गाय का घी नाक में डालने से कान का पर्दा बिना ओपरेशन के ही ठीक हो जाता है। 6.नाक में घी डालने से नाक की खुश्की दूर होती है और दिमाग तारो ताजा हो जाता है। 7.गाय का घी नाक में डालने से कोमा से बहार निकल कर चेतना वापस लोट आती है। 8.गाय का घी नाक में डालने से बाल झडना समाप्त होकर नए बाल भी आने लगते है। 9.गाय के घी को नाक में डालने से मानसिक शांति मिलती है, याददाश्त तेज होती है। 10.हाथ पाव मे जलन होने पर गाय के घी को तलवो में मालिश करें जलन ढीक होता है। 11.हिचकी के न रुकने पर खाली गाय का आधा चम्मच घी खाए, हिचकी स्वयं रुक जाएगी।
12.गाय के घी का नियमित सेवन करने से एसिडिटी व कब्ज की शिकायत कम हो जाती है।
13.गाय के घी से बल और वीर्य बढ़ता है और शारीरिक व मानसिक ताकत में भी इजाफा होता है
14.गाय के पुराने घी से बच्चों को छाती और पीठ पर मालिश करने से कफ की शिकायत दूर हो जाती है।
15.अगर अधिक कमजोरी लगे, तो एक गिलास दूध में एक चम्मच गाय का घी और मिश्री डालकर पी लें।
16.हथेली और पांव के तलवो में जलन होने पर गाय के घी की मालिश करने से जलन में आराम आयेगा।
17.गाय का घी न सिर्फ कैंसर को पैदा होने से रोकता है और इस बीमारी के फैलने को भी आश्चर्यजनक ढंग से रोकता है।
18.जिस व्यक्ति को हार्ट अटैक की तकलीफ है और चिकनाइ खाने की मनाही है तो गाय का घी खाएं, हर्दय मज़बूत होता है।
19.देसी गाय के घी में कैंसर से लड़ने की अचूक क्षमता होती है। इसके सेवन से स्तन तथा आंत के खतरनाक कैंसर से बचा जा सकता है।
20.घी, छिलका सहित पिसा हुआ काला चना और पिसी शक्कर (बूरा) तीनों को समान मात्रा में मिलाकर लड्डू बाँध लें। प्रातः खाली पेट एक लड्डू खूब चबा-चबाकर खाते हुए एक गिलास मीठा कुनकुना दूध घूँट-घूँट करके पीने से स्त्रियों के प्रदर रोग में आराम होता है, पुरुषों का शरीर मोटा ताजा यानी सुडौल और बलवान बनता है.
21.फफोलो पर गाय का देसी घी लगाने से आराम मिलता है।गाय के घी की झाती पर मालिस करने से बच्चो के बलगम को बहार निकालने मे सहायक होता है।
22.सांप के काटने पर 100 -150 ग्राम घी पिलायें उपर से जितना गुनगुना पानी पिला सके पिलायें जिससे उलटी और दस्त तो लगेंगे ही लेकिन सांप का विष कम हो जायेगा। 23.दो बूंद देसी गाय का घी नाक में सुबह शाम डालने से माइग्रेन दर्द ढीक होता है। सिर दर्द होने पर शरीर में गर्मी लगती हो, तो गाय के घी की पैरों के तलवे पर मालिश करे, सर दर्द ठीक हो जायेगा।
24.यह स्मरण रहे कि गाय के घी के सेवन से कॉलेस्ट्रॉल नहीं बढ़ता है। वजन भी नही बढ़ता, बल्कि वजन को संतुलित करता है । यानी के कमजोर व्यक्ति का वजन बढ़ता है, मोटे व्यक्ति का मोटापा (वजन) कम होता है।
25.एक चम्मच गाय का शुद्ध घी में एक चम्मच बूरा और 1/4 चम्मच पिसी काली मिर्च इन तीनों को मिलाकर सुबह खाली पेट और रात को सोते समय चाट कर ऊपर से गर्म मीठा दूध पीने से आँखों की ज्योति बढ़ती है।
26.गाय के घी को ठन्डे जल में फेंट ले और फिर घी को पानी से अलग कर ले यह प्रक्रिया लगभग सौ बार करे और इसमें थोड़ा सा कपूर डालकर मिला दें। इस विधि द्वारा प्राप्त घी एक असर कारक औषधि में परिवर्तित हो जाता है जिसे जिसे त्वचा सम्बन्धी हर चर्म रोगों में चमत्कारिक मलहम कि तरह से इस्तेमाल कर सकते है। यह सौराइशिस के लिए भी कारगर है।
27.गाय का घी एक अच्छा(LDL)कोलेस्ट्रॉल है। उच्च कोलेस्ट्रॉल के रोगियों को गाय का घी ही खाना चाहिए। यह एक बहुत अच्छा टॉनिक भी है। अगर आप गाय के घी की कुछ बूँदें दिन में तीन बार,नाक में प्रयोग करेंगे तो यह त्रिदोष (वात पित्त और कफ) को संतुलित करता है।
2.गाय का घी नाक में डालने से एलर्जी खत्म हो जाती है।
3.गाय का घी नाक में डालने से लकवा का रोग में भी उपचार होता है।
4.20-25 ग्राम घी व मिश्री खिलाने से शराब, भांग व गांझे का नशा कम हो जाता है। 5.गाय का घी नाक में डालने से कान का पर्दा बिना ओपरेशन के ही ठीक हो जाता है। 6.नाक में घी डालने से नाक की खुश्की दूर होती है और दिमाग तारो ताजा हो जाता है। 7.गाय का घी नाक में डालने से कोमा से बहार निकल कर चेतना वापस लोट आती है। 8.गाय का घी नाक में डालने से बाल झडना समाप्त होकर नए बाल भी आने लगते है। 9.गाय के घी को नाक में डालने से मानसिक शांति मिलती है, याददाश्त तेज होती है। 10.हाथ पाव मे जलन होने पर गाय के घी को तलवो में मालिश करें जलन ढीक होता है। 11.हिचकी के न रुकने पर खाली गाय का आधा चम्मच घी खाए, हिचकी स्वयं रुक जाएगी।
12.गाय के घी का नियमित सेवन करने से एसिडिटी व कब्ज की शिकायत कम हो जाती है।
13.गाय के घी से बल और वीर्य बढ़ता है और शारीरिक व मानसिक ताकत में भी इजाफा होता है
14.गाय के पुराने घी से बच्चों को छाती और पीठ पर मालिश करने से कफ की शिकायत दूर हो जाती है।
15.अगर अधिक कमजोरी लगे, तो एक गिलास दूध में एक चम्मच गाय का घी और मिश्री डालकर पी लें।
16.हथेली और पांव के तलवो में जलन होने पर गाय के घी की मालिश करने से जलन में आराम आयेगा।
17.गाय का घी न सिर्फ कैंसर को पैदा होने से रोकता है और इस बीमारी के फैलने को भी आश्चर्यजनक ढंग से रोकता है।
18.जिस व्यक्ति को हार्ट अटैक की तकलीफ है और चिकनाइ खाने की मनाही है तो गाय का घी खाएं, हर्दय मज़बूत होता है।
19.देसी गाय के घी में कैंसर से लड़ने की अचूक क्षमता होती है। इसके सेवन से स्तन तथा आंत के खतरनाक कैंसर से बचा जा सकता है।
20.घी, छिलका सहित पिसा हुआ काला चना और पिसी शक्कर (बूरा) तीनों को समान मात्रा में मिलाकर लड्डू बाँध लें। प्रातः खाली पेट एक लड्डू खूब चबा-चबाकर खाते हुए एक गिलास मीठा कुनकुना दूध घूँट-घूँट करके पीने से स्त्रियों के प्रदर रोग में आराम होता है, पुरुषों का शरीर मोटा ताजा यानी सुडौल और बलवान बनता है.
21.फफोलो पर गाय का देसी घी लगाने से आराम मिलता है।गाय के घी की झाती पर मालिस करने से बच्चो के बलगम को बहार निकालने मे सहायक होता है।
22.सांप के काटने पर 100 -150 ग्राम घी पिलायें उपर से जितना गुनगुना पानी पिला सके पिलायें जिससे उलटी और दस्त तो लगेंगे ही लेकिन सांप का विष कम हो जायेगा। 23.दो बूंद देसी गाय का घी नाक में सुबह शाम डालने से माइग्रेन दर्द ढीक होता है। सिर दर्द होने पर शरीर में गर्मी लगती हो, तो गाय के घी की पैरों के तलवे पर मालिश करे, सर दर्द ठीक हो जायेगा।
24.यह स्मरण रहे कि गाय के घी के सेवन से कॉलेस्ट्रॉल नहीं बढ़ता है। वजन भी नही बढ़ता, बल्कि वजन को संतुलित करता है । यानी के कमजोर व्यक्ति का वजन बढ़ता है, मोटे व्यक्ति का मोटापा (वजन) कम होता है।
25.एक चम्मच गाय का शुद्ध घी में एक चम्मच बूरा और 1/4 चम्मच पिसी काली मिर्च इन तीनों को मिलाकर सुबह खाली पेट और रात को सोते समय चाट कर ऊपर से गर्म मीठा दूध पीने से आँखों की ज्योति बढ़ती है।
26.गाय के घी को ठन्डे जल में फेंट ले और फिर घी को पानी से अलग कर ले यह प्रक्रिया लगभग सौ बार करे और इसमें थोड़ा सा कपूर डालकर मिला दें। इस विधि द्वारा प्राप्त घी एक असर कारक औषधि में परिवर्तित हो जाता है जिसे जिसे त्वचा सम्बन्धी हर चर्म रोगों में चमत्कारिक मलहम कि तरह से इस्तेमाल कर सकते है। यह सौराइशिस के लिए भी कारगर है।
27.गाय का घी एक अच्छा(LDL)कोलेस्ट्रॉल है। उच्च कोलेस्ट्रॉल के रोगियों को गाय का घी ही खाना चाहिए। यह एक बहुत अच्छा टॉनिक भी है। अगर आप गाय के घी की कुछ बूँदें दिन में तीन बार,नाक में प्रयोग करेंगे तो यह त्रिदोष (वात पित्त और कफ) को संतुलित करता है।
Monday, 13 January 2014
साइन लैंग्वेज में भी रोजगार
अगर देश-विदेश में मूक बधिर युवाओं को उनकी भाषा में ज्ञान देना चाहते
हैं, उन्हें पढ़ा-लिखाकर समाज की मुख्यधारा में ले जाना चाहते हैं तो इसके
लिए साइन लैंग्वेज पर पकड़ होनी जरूरी है। यह भाषा सिर्फ मूक- बधिर बच्चों
के लिए ही नहीं है, उन लोगों के लिए भी जरूरी है जो उन्हें पढ़ाना और उनके
दुख-दर्द में शामिल होना चाहते हैं
दिल्ली विविद्यालय के समान भागीदारी यानी ‘इक्वल ऑपरच्युनिटी’ से ल ने अपने यहां मूक-बधिर लोगों की जरूरतों को ध्यान में रखकर इससे जुड़ा कोर्स तैयार किया है। इसमें मूक बधिर के अलावा सामान्य छात्रों को भी दाखिला दिया जाता है। तीन से चार माह के इस कोर्स के अलावा, विकलांग वर्ग से जुड़े कई और कोर्स भी हैं जिन्हें पूरा करने के बाद रोजगार की राह अख्तियार कर सकते हैं। सामान्य लीक से हटकर चलने वाले ये शॉर्ट टर्म कोर्स हैं जिनकी जरूरत जीवन में हर किसी को पड़ती है। इन कोर्सेज में जनवरी-फरवरी में दाखिले की प्रक्रिया चलेगी। इसके बाद पहले सप्ताह से कक्षाएं होंगी। साइन लैंग्वेज : बधिर और विकलांग छात्रों को इस कोर्स में विभिन्न प्रतीकों की जानकारी दी जाएगी। उसके इस्तेमाल की विधि बताई जाएगी।
सभी कोर्स दो से चार माह के हैं। इनमें दो बजे के बाद कक्षाएं आयोजित की जाएंगी। यहां आर्थोपेडिक्स और विजुअल्स के लिए कम्प्यूटर लैब और अन्य सुविधाएं भी मुहैया कराई गई हैं। इन कोसरे में पहले विकलांग, सामान्य वर्ग और एससी, एसटी छात्रों को भी दाखिला दिया जाएगा। ध्यान रहे, साइन लैंग्वेज में सामान्य वर्ग के छात्रों के लिए भी दाखिले के दरवाजे खुले हैं। कोर्स के तहत बेसिक और एडवांस लेवल की जानकारी अलग- अलग चरणों में दी जाती है। उन्हें ज्ञान-विज्ञान की दुनिया से जुड़ने के लिए संकेतों के माध्यम से गहन अध्ययन भी कराया जाता है। इस कोर्स में 20 सीटें हैं। इस माध्यम में छात्रों को पढ़ाई के दौरान आवश्यक अध्ययन सामग्री भी उपलब्ध कराई जाती है। कम्युनिकेटिव इंग्लिश : यह कोर्स विकलांग छात्रों को इंग्लिश बोलने की कला और उसके लिए आवश्यक गुण सिखाएगा। ऐसे छात्रों को ही ध्यान में रखकर यह कोर्स तैयार किया गया है। अगर पर्याप्त संख्या में छात्र आते हैं तो उनके लिए यह कोर्स संस्थान चलाता है। आईसीटी : इसका मतलब है इनफॉम्रेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी। इसके तहत दृष्टिहीन छात्रों को चार-पांच माह में कम्प्यूटर पर अपना सॉफ्टवेयर इस्तेमाल में कैसे लाना है, इसकी लैब में ट्रेनिंग दी जाएगी। कम्प्यूटर का इस्तेमाल आज रोजमर्रा की जिंदगी में हर जगह हो रहा है। ऐसे में यह कोर्स विकलांग वर्ग के छात्रों के लिए खासा फायदेमंद है। ह्यूमन राइट फॉर डिसएबिलिटीज : यह कोर्स ज्ञान पर आधारित है। इसमें विकलांग छात्रों को आज के समय में उनके अधिकारों से अवगत कराया जाएगा। उनके सामाजिक, कानूनी और राजनीतिक अधिकार क्या हैं, उनके इस्तेमाल के बारे में भी बताया जाएगा। विश्वभर में विकलांगों से जुड़ी संस्थाएं खासकर एनजीओ में काम करने के लिए यह कोर्स खासा उपयोगी है। मास मीडिया : यह कोर्स दिल्ली विविद्यालय में चलने वाले अन्य कॉलेजों के कोसरे से इस मायने में अलग है क्योंकि इसमें विकलांग छात्रों को न्यूज रीडिंग और एंकरिंग सिखाई जाएगी। अगर विकलांग छात्रों के बाद सीटें बचती हैं तो उस पर एससी, एसटी और अन्य छात्रों के दाखिले पर विचार किया जाता है। ब्रेल लिपि रीडिंग एंड राइटिंग : यह कोर्स ऐसे छात्रों के लिए है जो ब्रेल लिपि सीखने-सिखाने में रुचि रखते हैं। चाहे वे सामान्य वर्ग के हों या विकलांग कैटेगरी के। इस कोर्स की फीस दो हजार रुपये है। फीस : इस तरह के कोर्स की फीस पांच सौ से एक हजार रुपये के बीच है। छात्रों को इस दौरान लैब में कम्प्यूटर ट्रेनिंग और अध्ययन संबंधी सामग्री भी मुहैया कराई जाती है। लाइब्रेरी में पढ़ने का भी मौका दिया जाता है। छात्र इस कोर्स को अपने रेगुलर कोर्स के साथ-साथ कर सकते हैं। कक्षाएं पार्ट टाइम के रूप में आयोजित की जाती हैं। कोर्स पूरा होने के बाद उन्हें डीयू के समान अवसर सेल की ओर से सर्टिफिकेट दिया जाएगा।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी विपिन तिवारी के मुताबिक, साइन लैंग्वेज सीखकर सामान्य छात्र भी मूक-बधिर छात्रों के अध्ययन- अध्यापन से जुड़कर न सिर्फ समाज सेवा कर सकते हैं बल्कि रोजगार भी पा सकते हैं। ऐसे छात्रों को स्कूलों में अध्यापक के तौर पर रखा जाता है। कई स्वयंसेवी संस्थाएं ऐसे युवाओं की मदद लेती हैं। बदले में उन्हें शुरुआती तौर पर 20 से 25 हजार रुपये प्रतिमाह वेतनमान भी दिया जाता है। देश-विदेश में उन्हें कई जगह काम करने का मौका मिल सकता है। संस्थान उन्हीं कोर्स को चला पाता है जिनमें पर्याप्त संख्या में छात्र दाखिला लेते हैं।
कोर्स के दाखिले की प्रक्रिया जनवरी-फरवरी में शुरू
प्रियंका कुमारी
With thanks of sahara group
दिल्ली विविद्यालय के समान भागीदारी यानी ‘इक्वल ऑपरच्युनिटी’ से ल ने अपने यहां मूक-बधिर लोगों की जरूरतों को ध्यान में रखकर इससे जुड़ा कोर्स तैयार किया है। इसमें मूक बधिर के अलावा सामान्य छात्रों को भी दाखिला दिया जाता है। तीन से चार माह के इस कोर्स के अलावा, विकलांग वर्ग से जुड़े कई और कोर्स भी हैं जिन्हें पूरा करने के बाद रोजगार की राह अख्तियार कर सकते हैं। सामान्य लीक से हटकर चलने वाले ये शॉर्ट टर्म कोर्स हैं जिनकी जरूरत जीवन में हर किसी को पड़ती है। इन कोर्सेज में जनवरी-फरवरी में दाखिले की प्रक्रिया चलेगी। इसके बाद पहले सप्ताह से कक्षाएं होंगी। साइन लैंग्वेज : बधिर और विकलांग छात्रों को इस कोर्स में विभिन्न प्रतीकों की जानकारी दी जाएगी। उसके इस्तेमाल की विधि बताई जाएगी।
सभी कोर्स दो से चार माह के हैं। इनमें दो बजे के बाद कक्षाएं आयोजित की जाएंगी। यहां आर्थोपेडिक्स और विजुअल्स के लिए कम्प्यूटर लैब और अन्य सुविधाएं भी मुहैया कराई गई हैं। इन कोसरे में पहले विकलांग, सामान्य वर्ग और एससी, एसटी छात्रों को भी दाखिला दिया जाएगा। ध्यान रहे, साइन लैंग्वेज में सामान्य वर्ग के छात्रों के लिए भी दाखिले के दरवाजे खुले हैं। कोर्स के तहत बेसिक और एडवांस लेवल की जानकारी अलग- अलग चरणों में दी जाती है। उन्हें ज्ञान-विज्ञान की दुनिया से जुड़ने के लिए संकेतों के माध्यम से गहन अध्ययन भी कराया जाता है। इस कोर्स में 20 सीटें हैं। इस माध्यम में छात्रों को पढ़ाई के दौरान आवश्यक अध्ययन सामग्री भी उपलब्ध कराई जाती है। कम्युनिकेटिव इंग्लिश : यह कोर्स विकलांग छात्रों को इंग्लिश बोलने की कला और उसके लिए आवश्यक गुण सिखाएगा। ऐसे छात्रों को ही ध्यान में रखकर यह कोर्स तैयार किया गया है। अगर पर्याप्त संख्या में छात्र आते हैं तो उनके लिए यह कोर्स संस्थान चलाता है। आईसीटी : इसका मतलब है इनफॉम्रेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी। इसके तहत दृष्टिहीन छात्रों को चार-पांच माह में कम्प्यूटर पर अपना सॉफ्टवेयर इस्तेमाल में कैसे लाना है, इसकी लैब में ट्रेनिंग दी जाएगी। कम्प्यूटर का इस्तेमाल आज रोजमर्रा की जिंदगी में हर जगह हो रहा है। ऐसे में यह कोर्स विकलांग वर्ग के छात्रों के लिए खासा फायदेमंद है। ह्यूमन राइट फॉर डिसएबिलिटीज : यह कोर्स ज्ञान पर आधारित है। इसमें विकलांग छात्रों को आज के समय में उनके अधिकारों से अवगत कराया जाएगा। उनके सामाजिक, कानूनी और राजनीतिक अधिकार क्या हैं, उनके इस्तेमाल के बारे में भी बताया जाएगा। विश्वभर में विकलांगों से जुड़ी संस्थाएं खासकर एनजीओ में काम करने के लिए यह कोर्स खासा उपयोगी है। मास मीडिया : यह कोर्स दिल्ली विविद्यालय में चलने वाले अन्य कॉलेजों के कोसरे से इस मायने में अलग है क्योंकि इसमें विकलांग छात्रों को न्यूज रीडिंग और एंकरिंग सिखाई जाएगी। अगर विकलांग छात्रों के बाद सीटें बचती हैं तो उस पर एससी, एसटी और अन्य छात्रों के दाखिले पर विचार किया जाता है। ब्रेल लिपि रीडिंग एंड राइटिंग : यह कोर्स ऐसे छात्रों के लिए है जो ब्रेल लिपि सीखने-सिखाने में रुचि रखते हैं। चाहे वे सामान्य वर्ग के हों या विकलांग कैटेगरी के। इस कोर्स की फीस दो हजार रुपये है। फीस : इस तरह के कोर्स की फीस पांच सौ से एक हजार रुपये के बीच है। छात्रों को इस दौरान लैब में कम्प्यूटर ट्रेनिंग और अध्ययन संबंधी सामग्री भी मुहैया कराई जाती है। लाइब्रेरी में पढ़ने का भी मौका दिया जाता है। छात्र इस कोर्स को अपने रेगुलर कोर्स के साथ-साथ कर सकते हैं। कक्षाएं पार्ट टाइम के रूप में आयोजित की जाती हैं। कोर्स पूरा होने के बाद उन्हें डीयू के समान अवसर सेल की ओर से सर्टिफिकेट दिया जाएगा।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी विपिन तिवारी के मुताबिक, साइन लैंग्वेज सीखकर सामान्य छात्र भी मूक-बधिर छात्रों के अध्ययन- अध्यापन से जुड़कर न सिर्फ समाज सेवा कर सकते हैं बल्कि रोजगार भी पा सकते हैं। ऐसे छात्रों को स्कूलों में अध्यापक के तौर पर रखा जाता है। कई स्वयंसेवी संस्थाएं ऐसे युवाओं की मदद लेती हैं। बदले में उन्हें शुरुआती तौर पर 20 से 25 हजार रुपये प्रतिमाह वेतनमान भी दिया जाता है। देश-विदेश में उन्हें कई जगह काम करने का मौका मिल सकता है। संस्थान उन्हीं कोर्स को चला पाता है जिनमें पर्याप्त संख्या में छात्र दाखिला लेते हैं।
कोर्स के दाखिले की प्रक्रिया जनवरी-फरवरी में शुरू
प्रियंका कुमारी
With thanks of sahara group
किस फील्ड में आपको करियर बनाना है
यदि आप इस साल इंटरमीडिएट या बारहवीं की परीक्षा दे रहे हैं तो किस
फील्ड में आपको करियर बनाना है, इसे लेकर गंभीर विचार-विमर्श कर रहे होंगे
या फिर फैसला ले चुके होंगे। प्रतिस्पर्धा की इस अंधी दौड़ में यह बात
जानना अति आवश्यक है कि आने वाले समय में कौन- सा फील्ड ग्रोथ कर रहा है और
किससे जुड़ी डिग्री हमें करियर में आगे ले जाएगी और हमें पद, पैसा और
शोहरत देगी। इस वक्त कई डिग्रियां काफी हॉट हैं और कई डिग्रियां ऐसी भी हैं
जिन्हें हासिल करने के बाद उन्हें कोई नहीं पूछता। नियंतण्र तौर पर आने
वाले समय में हॉट रहने वाली हिग्री
बैचलर इन फाइनेंस कुछ लोगों का कहना है कि दुनिया गोल है लेकिन बिजनेस लीडर का मानना होता है कि यह सिर्फ पैसों में होता है। आज के दौर में फाइनेंस की डिग्री काफी अहम हो गई है और इससे जुड़े लोगों की मांग नियंतण्र तौर पर है। मालूम हो कि फाइनेंस का अध्ययन करने के बाद आप सिर्फ यह नहीं जानते कि आप फाइनें स से जुड़े मामलों को किस तरह एनालिसिस करें गे बल्कि आप उन बातों को भी जानते हैं कि कहां किस तरह पैसों को इनवेस्ट किया जाए। कोर्स : इस फील्ड में आने के लिए आपके पास फाइनेंस से संबंधित डिग्री होनी चाहिए। इसके लिए इनवेस्टमेंट, इंटरनेशनल फाइनेंस, फाइनेंशियल मैनेजमेंट आदि से संबंधित डिग्री काफी फायदेमंद होती है। करियर : फाइनेंस से संबंधित डिग्री हासिल करने के बाद फाइनेंशियल एनालिस्ट और इसके समकक्ष कई और नौकरी भी कर सकते हैं।
बैचलर इन कम्प्यूटर साइंस कम्प्यूटर साइंस के फील्ड का जबर्दस्त ग्रोथ हो रहा है। इस फील्ड में काम करने वालों को वेतन के साथ-साथ काफी शोहरत भी है। इसके पीछे का कारण यह है कि विभिन्न नौकरियों में भर्ती से लेकर मार्केटिंग, नेटवर्किग, सेल, डिलीवरिंग जैसी सेवाओं में भी कम्प्यूटर साइंस की डिग्री हासिल करने वाले लोगों की जबर्दस्त मांग है। इस डिग्री के तहत कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग, कम्प्यूटर लैंग्वेज और नेटवर्क डिजाइन और इंजीनियरिंग जैसे विषयों का अध्ययन करना होता है। कोर्स : इस फील्ड में आने के लिए आपके पास कम्प्यूटर साइंस की डिग्री होनी चाहिए। हालांकि डिजिटल सिस्टम डिजाइन, सॉ फ्टवेयर इंजीनियरिं ग, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के अलावा थ्योरी ऑफ फॉर्मल लैंग्वेज आदि से संबंधित डिग्री भी फायदेमंद रहती है। नौकरी : इस विषय की डिग्री हासिल करने के बाद आप सॉफ्टवेयर डेवलपर के अलावा और भी कई फील्ड हैं जहां नौकरी मिल सकती है।
बैचलर इन मार्केटिंग किसी भी बिजनेस की सफलता उसकी मार्केटिंग पर निर्भर करती है क्योंकि यह किसी भी बिजनेस की रीढ़ होती है। माना जाता है कि मार्केटिंग की थोड़ी सी भी जानकारी व्यर्थ नहीं जाती। इस फील्ड में हमेशा योग्य लोगों की जरूरत होती है। सोशल मीडिया के आने से मार्केटिंग से जुड़े फील्ड का विस्तार हुआ है और इस फील्ड में वैसे लोगों की जबर्दस्त मांग है जिनमें लिखने, कम्युनिकेशन और इंटरपर्सनल स्किल्स अच्छी है। मार्केटिंग में डिग्री हासिल करने वालों को मार्केट रिसर्च, ब्रांडिंग, मार्केटिंग स्ट्रेटजी और प्रोडक्ट लाइफ साइकिल के अलावा वेब और ग्राफिक डिजाइनिंग की जानकारी भी हासिल करनी होती है। कोर्स : इस फील्ड में आने के लिए एडवरटाइजिंग और प्रमोशन, इंटरनेशनल मार्केटिंग, मार्केटिंग मैनेजमेंट और कन्ज्यूमर बिहेवियर से संबंधित डिग्री हासिल करनी आवश्यक है। नौकरी एडवरटाइजिंग, प्रमोशंस या मार्केटिंग मैनेजर आदि जैसे पदों पर आप काम कर सकते हैं। इन पदों पर नौकरी के लिए आपके पास बैचलर या डिप्लो मा की डिग्री होनी चाहिए। फाइनेंस, एकाउंटिंग, मै नेजमें ट, स्टेटिस्टिक्स और बिजनेस लॉ की डिग्री इस फील्ड में आगे बढ़ने में मदद करेगी।
बैचलर इन एकाउंटिंग फाइनेंस की तरह एकाउंटिंग की डिमांड की भी जबर्दस्त डिमांड है क्योंकि किसी भी बिजनेस में फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन के ट्रैक और उसकी समीक्षा करने की जरूरत होती है। विश्व के तमाम देशों में एकाउंटिंग को लेकर अलग- अलग नियम बन रहे हैं जिन्हें जानना आवश्यक है क्योंकि यदि आपकी चाहत नियंतण्र तौर पर काम करने की है, तो ये कानून आपको जानने होंगे। कोर्स : एकाउंटिंग इनफॉम्रेशन सिस्टम, बिजनेस लॉ, कॉस्ट एकाउंटिंग, टैक्स एकाउंटिंग और ऑडिट से संबं धित डिग्री काफी फायदेमंद होता है। नौकरी : एकाउंटेंट या ऑडिटर के पद पर इससे संबंधित कोर्स करने के बाद नौकरी की जा सकती है। इनके जिम्मे फाइनेंशियल रिकॉर्ड, टैक्स भुगतान आदि के रिकॉर्ड रखने की जिम्मेदारी होती है। इस फील्ड में आने वाले अधिकतर लोगों के पास एकाउंटिंग में बैचलर डिग्री होती है।
बैचलर इन हेल्थकेयर एडमिनिस्ट्रेशन आज के समय में हेल्थकेयर मैनेजमेंट में बैचलर डिग्री हासिल करने वालों की मांग पूरी दुनिया में है क्योंकि हेल्थकेयर का क्षेत्र दिनोंदिन काफी व्यापक हो रहा है। इससे संबंधित डिग्री हासिल करने के बाद इस फील्ड में एकाउंटिंग से लेकर टेक्नोलॉजी और मार्केटिंग आदि की जानकारी हासिल करते हैं। को र्स : हेल्थकेयर से संबंधित कोर्स करने के दौरान आप एकाउंटिंग, हेल्थकेयर एथिक्स, ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट, एनटॉमी और फिजियोलॉजी आदि की जानकारी प्राप्त करते हैं। इस फील्ड में आने वालों के लिए हेल्थ एडमिनिस्ट्रेशन में बैचलर डिग्री काफी फायदेमंद होती है। नौकरी : संबंधित डिग्री हासिल करने के बाद आप बतौर मेडिकल हेल्थ सर्विस मैनेजर काम कर सकते हैं। ये वे प्रोफेशनल्स हैं जो डॉक्टर, नर्स और दूसरे हेल्थकेयर स्टाफ से सीधे जुड़े होते हैं। इनके जिम्मे किसी भी अस्पताल में सुचारु रूप से विभिन्न विभागों का संचालन होता है।
बैचलर इन बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में बैचलर डिग्री हासिल करने वाले लोगों के लिए भविष्य में काफी संभावनाएं हैं। इस डिग्री को हासिल करने के बाद यदि कोई थोड़ा- बहुत अनुभव प्राप्त कर लेता है तो उन्हें मार्केट हाथोंहाथ लेता है। को र्स : इस फील्ड में आने के लिए आपको एकाउंटिंग, ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट, ऑपरेशंस मैनेजमेंट और फाइनेंशियल मैनेजमेंट में से किसी की भी बैचलर, मास्टर या फिर डिप्लोमा की डिग्री हासिल करनी होगी। नौकरी : बिजनेस मैनेजमेंट की डिग्री हासिल करने के बाद आप पर्सनल फाइनेंशियल एडवाइजर के तौर पर कार्य कर सकते हैं। उनके जिम्मे किसी कंपनी को फाइनेंशियल डिसीजन मसलन टैक्स, इनवेस्टमेंट और इंश्योरेंस आदि को लेकर सलाह देना और उसे कार्यान्वित कराना होता है। बिजनेस, फाइनेंस, इकोनॉमिक्स, एकाउं टिंग, मैथमेटिक्स और लॉ से संबंधित डिग्री काफी कारगर होती है।
With thanks of sahara group.
बैचलर इन फाइनेंस कुछ लोगों का कहना है कि दुनिया गोल है लेकिन बिजनेस लीडर का मानना होता है कि यह सिर्फ पैसों में होता है। आज के दौर में फाइनेंस की डिग्री काफी अहम हो गई है और इससे जुड़े लोगों की मांग नियंतण्र तौर पर है। मालूम हो कि फाइनेंस का अध्ययन करने के बाद आप सिर्फ यह नहीं जानते कि आप फाइनें स से जुड़े मामलों को किस तरह एनालिसिस करें गे बल्कि आप उन बातों को भी जानते हैं कि कहां किस तरह पैसों को इनवेस्ट किया जाए। कोर्स : इस फील्ड में आने के लिए आपके पास फाइनेंस से संबंधित डिग्री होनी चाहिए। इसके लिए इनवेस्टमेंट, इंटरनेशनल फाइनेंस, फाइनेंशियल मैनेजमेंट आदि से संबंधित डिग्री काफी फायदेमंद होती है। करियर : फाइनेंस से संबंधित डिग्री हासिल करने के बाद फाइनेंशियल एनालिस्ट और इसके समकक्ष कई और नौकरी भी कर सकते हैं।
बैचलर इन कम्प्यूटर साइंस कम्प्यूटर साइंस के फील्ड का जबर्दस्त ग्रोथ हो रहा है। इस फील्ड में काम करने वालों को वेतन के साथ-साथ काफी शोहरत भी है। इसके पीछे का कारण यह है कि विभिन्न नौकरियों में भर्ती से लेकर मार्केटिंग, नेटवर्किग, सेल, डिलीवरिंग जैसी सेवाओं में भी कम्प्यूटर साइंस की डिग्री हासिल करने वाले लोगों की जबर्दस्त मांग है। इस डिग्री के तहत कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग, कम्प्यूटर लैंग्वेज और नेटवर्क डिजाइन और इंजीनियरिंग जैसे विषयों का अध्ययन करना होता है। कोर्स : इस फील्ड में आने के लिए आपके पास कम्प्यूटर साइंस की डिग्री होनी चाहिए। हालांकि डिजिटल सिस्टम डिजाइन, सॉ फ्टवेयर इंजीनियरिं ग, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के अलावा थ्योरी ऑफ फॉर्मल लैंग्वेज आदि से संबंधित डिग्री भी फायदेमंद रहती है। नौकरी : इस विषय की डिग्री हासिल करने के बाद आप सॉफ्टवेयर डेवलपर के अलावा और भी कई फील्ड हैं जहां नौकरी मिल सकती है।
बैचलर इन मार्केटिंग किसी भी बिजनेस की सफलता उसकी मार्केटिंग पर निर्भर करती है क्योंकि यह किसी भी बिजनेस की रीढ़ होती है। माना जाता है कि मार्केटिंग की थोड़ी सी भी जानकारी व्यर्थ नहीं जाती। इस फील्ड में हमेशा योग्य लोगों की जरूरत होती है। सोशल मीडिया के आने से मार्केटिंग से जुड़े फील्ड का विस्तार हुआ है और इस फील्ड में वैसे लोगों की जबर्दस्त मांग है जिनमें लिखने, कम्युनिकेशन और इंटरपर्सनल स्किल्स अच्छी है। मार्केटिंग में डिग्री हासिल करने वालों को मार्केट रिसर्च, ब्रांडिंग, मार्केटिंग स्ट्रेटजी और प्रोडक्ट लाइफ साइकिल के अलावा वेब और ग्राफिक डिजाइनिंग की जानकारी भी हासिल करनी होती है। कोर्स : इस फील्ड में आने के लिए एडवरटाइजिंग और प्रमोशन, इंटरनेशनल मार्केटिंग, मार्केटिंग मैनेजमेंट और कन्ज्यूमर बिहेवियर से संबंधित डिग्री हासिल करनी आवश्यक है। नौकरी एडवरटाइजिंग, प्रमोशंस या मार्केटिंग मैनेजर आदि जैसे पदों पर आप काम कर सकते हैं। इन पदों पर नौकरी के लिए आपके पास बैचलर या डिप्लो मा की डिग्री होनी चाहिए। फाइनेंस, एकाउंटिंग, मै नेजमें ट, स्टेटिस्टिक्स और बिजनेस लॉ की डिग्री इस फील्ड में आगे बढ़ने में मदद करेगी।
बैचलर इन एकाउंटिंग फाइनेंस की तरह एकाउंटिंग की डिमांड की भी जबर्दस्त डिमांड है क्योंकि किसी भी बिजनेस में फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन के ट्रैक और उसकी समीक्षा करने की जरूरत होती है। विश्व के तमाम देशों में एकाउंटिंग को लेकर अलग- अलग नियम बन रहे हैं जिन्हें जानना आवश्यक है क्योंकि यदि आपकी चाहत नियंतण्र तौर पर काम करने की है, तो ये कानून आपको जानने होंगे। कोर्स : एकाउंटिंग इनफॉम्रेशन सिस्टम, बिजनेस लॉ, कॉस्ट एकाउंटिंग, टैक्स एकाउंटिंग और ऑडिट से संबं धित डिग्री काफी फायदेमंद होता है। नौकरी : एकाउंटेंट या ऑडिटर के पद पर इससे संबंधित कोर्स करने के बाद नौकरी की जा सकती है। इनके जिम्मे फाइनेंशियल रिकॉर्ड, टैक्स भुगतान आदि के रिकॉर्ड रखने की जिम्मेदारी होती है। इस फील्ड में आने वाले अधिकतर लोगों के पास एकाउंटिंग में बैचलर डिग्री होती है।
बैचलर इन हेल्थकेयर एडमिनिस्ट्रेशन आज के समय में हेल्थकेयर मैनेजमेंट में बैचलर डिग्री हासिल करने वालों की मांग पूरी दुनिया में है क्योंकि हेल्थकेयर का क्षेत्र दिनोंदिन काफी व्यापक हो रहा है। इससे संबंधित डिग्री हासिल करने के बाद इस फील्ड में एकाउंटिंग से लेकर टेक्नोलॉजी और मार्केटिंग आदि की जानकारी हासिल करते हैं। को र्स : हेल्थकेयर से संबंधित कोर्स करने के दौरान आप एकाउंटिंग, हेल्थकेयर एथिक्स, ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट, एनटॉमी और फिजियोलॉजी आदि की जानकारी प्राप्त करते हैं। इस फील्ड में आने वालों के लिए हेल्थ एडमिनिस्ट्रेशन में बैचलर डिग्री काफी फायदेमंद होती है। नौकरी : संबंधित डिग्री हासिल करने के बाद आप बतौर मेडिकल हेल्थ सर्विस मैनेजर काम कर सकते हैं। ये वे प्रोफेशनल्स हैं जो डॉक्टर, नर्स और दूसरे हेल्थकेयर स्टाफ से सीधे जुड़े होते हैं। इनके जिम्मे किसी भी अस्पताल में सुचारु रूप से विभिन्न विभागों का संचालन होता है।
बैचलर इन बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में बैचलर डिग्री हासिल करने वाले लोगों के लिए भविष्य में काफी संभावनाएं हैं। इस डिग्री को हासिल करने के बाद यदि कोई थोड़ा- बहुत अनुभव प्राप्त कर लेता है तो उन्हें मार्केट हाथोंहाथ लेता है। को र्स : इस फील्ड में आने के लिए आपको एकाउंटिंग, ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट, ऑपरेशंस मैनेजमेंट और फाइनेंशियल मैनेजमेंट में से किसी की भी बैचलर, मास्टर या फिर डिप्लोमा की डिग्री हासिल करनी होगी। नौकरी : बिजनेस मैनेजमेंट की डिग्री हासिल करने के बाद आप पर्सनल फाइनेंशियल एडवाइजर के तौर पर कार्य कर सकते हैं। उनके जिम्मे किसी कंपनी को फाइनेंशियल डिसीजन मसलन टैक्स, इनवेस्टमेंट और इंश्योरेंस आदि को लेकर सलाह देना और उसे कार्यान्वित कराना होता है। बिजनेस, फाइनेंस, इकोनॉमिक्स, एकाउं टिंग, मैथमेटिक्स और लॉ से संबंधित डिग्री काफी कारगर होती है।
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