Monday, 13 January 2014

साइन लैंग्वेज में भी रोजगार

अगर देश-विदेश में मूक बधिर युवाओं को उनकी भाषा में ज्ञान देना चाहते हैं, उन्हें पढ़ा-लिखाकर समाज की मुख्यधारा में ले जाना चाहते हैं तो इसके लिए साइन लैंग्वेज पर पकड़ होनी जरूरी है। यह भाषा सिर्फ मूक- बधिर बच्चों के लिए ही नहीं है, उन लोगों के लिए भी जरूरी है जो उन्हें पढ़ाना और उनके दुख-दर्द में शामिल होना चाहते हैं
दिल्ली विविद्यालय के समान भागीदारी यानी ‘इक्वल ऑपरच्युनिटी’ से ल ने अपने यहां मूक-बधिर लोगों की जरूरतों को ध्यान में रखकर इससे जुड़ा कोर्स तैयार किया है। इसमें मूक बधिर के अलावा सामान्य छात्रों को भी दाखिला दिया जाता है। तीन से चार माह के इस कोर्स के अलावा, विकलांग वर्ग से जुड़े कई और कोर्स भी हैं जिन्हें पूरा करने के बाद रोजगार की राह अख्तियार कर सकते हैं। सामान्य लीक से हटकर चलने वाले ये शॉर्ट टर्म कोर्स हैं जिनकी जरूरत जीवन में हर किसी को पड़ती है। इन कोर्सेज में जनवरी-फरवरी में दाखिले की प्रक्रिया चलेगी। इसके बाद पहले सप्ताह से कक्षाएं होंगी। साइन लैंग्वेज : बधिर और विकलांग छात्रों को इस कोर्स में विभिन्न प्रतीकों की जानकारी दी जाएगी। उसके इस्तेमाल की विधि बताई जाएगी।
सभी कोर्स दो से चार माह के हैं। इनमें दो बजे के बाद कक्षाएं आयोजित की जाएंगी। यहां आर्थोपेडिक्स और विजुअल्स के लिए कम्प्यूटर लैब और अन्य सुविधाएं भी मुहैया कराई गई हैं। इन कोसरे में पहले विकलांग, सामान्य वर्ग और एससी, एसटी छात्रों को भी दाखिला दिया जाएगा। ध्यान रहे, साइन लैंग्वेज में सामान्य वर्ग के छात्रों के लिए भी दाखिले के दरवाजे खुले हैं। कोर्स के तहत बेसिक और एडवांस लेवल की जानकारी अलग- अलग चरणों में दी जाती है। उन्हें ज्ञान-विज्ञान की दुनिया से जुड़ने के लिए संकेतों के माध्यम से गहन अध्ययन भी कराया जाता है। इस कोर्स में 20 सीटें हैं। इस माध्यम में छात्रों को पढ़ाई के दौरान आवश्यक अध्ययन सामग्री भी उपलब्ध कराई जाती है। कम्युनिकेटिव इंग्लिश : यह कोर्स विकलांग छात्रों को इंग्लिश बोलने की कला और उसके लिए आवश्यक गुण सिखाएगा। ऐसे छात्रों को ही ध्यान में रखकर यह कोर्स तैयार किया गया है। अगर पर्याप्त संख्या में छात्र आते हैं तो उनके लिए यह कोर्स संस्थान चलाता है। आईसीटी : इसका मतलब है इनफॉम्रेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी। इसके तहत दृष्टिहीन छात्रों को चार-पांच माह में कम्प्यूटर पर अपना सॉफ्टवेयर इस्तेमाल में कैसे लाना है, इसकी लैब में ट्रेनिंग दी जाएगी। कम्प्यूटर का इस्तेमाल आज रोजमर्रा की जिंदगी में हर जगह हो रहा है। ऐसे में यह कोर्स विकलांग वर्ग के छात्रों के लिए खासा फायदेमंद है। ह्यूमन राइट फॉर डिसएबिलिटीज : यह कोर्स ज्ञान पर आधारित है। इसमें विकलांग छात्रों को आज के समय में उनके अधिकारों से अवगत कराया जाएगा। उनके सामाजिक, कानूनी और राजनीतिक अधिकार क्या हैं, उनके इस्तेमाल के बारे में भी बताया जाएगा। विश्वभर में विकलांगों से जुड़ी संस्थाएं खासकर एनजीओ में काम करने के लिए यह कोर्स खासा उपयोगी है। मास मीडिया : यह कोर्स दिल्ली विविद्यालय में चलने वाले अन्य कॉलेजों के कोसरे से इस मायने में अलग है क्योंकि इसमें विकलांग छात्रों को न्यूज रीडिंग और एंकरिंग सिखाई जाएगी। अगर विकलांग छात्रों के बाद सीटें बचती हैं तो उस पर एससी, एसटी और अन्य छात्रों के दाखिले पर विचार किया जाता है। ब्रेल लिपि रीडिंग एंड राइटिंग : यह कोर्स ऐसे छात्रों के लिए है जो ब्रेल लिपि सीखने-सिखाने में रुचि रखते हैं। चाहे वे सामान्य वर्ग के हों या विकलांग कैटेगरी के। इस कोर्स की फीस दो हजार रुपये है। फीस : इस तरह के कोर्स की फीस पांच सौ से एक हजार रुपये के बीच है। छात्रों को इस दौरान लैब में कम्प्यूटर ट्रेनिंग और अध्ययन संबंधी सामग्री भी मुहैया कराई जाती है। लाइब्रेरी में पढ़ने का भी मौका दिया जाता है। छात्र इस कोर्स को अपने रेगुलर कोर्स के साथ-साथ कर सकते हैं। कक्षाएं पार्ट टाइम के रूप में आयोजित की जाती हैं। कोर्स पूरा होने के बाद उन्हें डीयू के समान अवसर सेल की ओर से सर्टिफिकेट दिया जाएगा।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी विपिन तिवारी के मुताबिक, साइन लैंग्वेज सीखकर सामान्य छात्र भी मूक-बधिर छात्रों के अध्ययन- अध्यापन से जुड़कर न सिर्फ समाज सेवा कर सकते हैं बल्कि रोजगार भी पा सकते हैं। ऐसे छात्रों को स्कूलों में अध्यापक के तौर पर रखा जाता है। कई स्वयंसेवी संस्थाएं ऐसे युवाओं की मदद लेती हैं। बदले में उन्हें शुरुआती तौर पर 20 से 25 हजार रुपये प्रतिमाह वेतनमान भी दिया जाता है। देश-विदेश में उन्हें कई जगह काम करने का मौका मिल सकता है। संस्थान उन्हीं कोर्स को चला पाता है जिनमें पर्याप्त संख्या में छात्र दाखिला लेते हैं।
कोर्स के दाखिले की प्रक्रिया जनवरी-फरवरी में शुरू
प्रियंका कुमारी
With thanks of sahara group

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