खुद भी जागें औरों को भी जाग्रत करें..मिली जानकारियों के अनुसार ये ''चांदी के वर्क'' नकली और मांसाहार हैं....
हमारे देश में मिठाइयां लोगों की कमजोरी हैं। बच्चे हों या बूढ़े, मिठाइयों को देखकर उन्हें मन को काबू कर पाना मुश्किल हो जाता है। लेकिन कम ही लोगों को इस बात का पता है कि रसीली मिठाइयों में लिपटा चांदी का वर्क मिठास के साथ उनके शरीर में ऐसे जहर भी घोल रहा है, जिनसे कैंसर तक हो सकता है।
मिठाइयों पर लिपटे चांदी के वर्क को हम इस भ्रम में बड़े चाव से खा जाते हैं कि आयुर्वेद के हिसाब से यह ताकत पहुंचाने वाली बेशकीमती धातु है। लेकिन इस मिलावटी चांदी के वर्क में बेहद नुकसान पहुंचाने वाले निकल, जस्ता और अन्य रासायनिक तत्व होते हैं जिनसे कैंसर सहित कई तरह की खतरनाक बीमारियां हो सकती हैं।
देश के सबसे प्रामाणिक माने जाने वाले 'इंडस विष विज्ञान अनुसंधान केन्द्र' ने चांदी के वर्क पर हाल ही में एक रिसर्च किया। संस्था ने अपनी रिपोर्ट में साफ चेतावनी दी है कि इसके अधिक सेवन से कैंसर तक का खतरा हो सकता है। रिपोर्ट में बताया गया कि मिलावट निरोधी अधिनियम के तहत चांदी का वर्क बनाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली चांदी की शुद्धता 99.9 प्रतिशत निश्चित है। लेकिन जांच में बाजार में बिकने वाले चांदी के वर्क में से आधे भी इस मानक पर खरे नहीं उतरे।
देश में चांदी के वर्क की लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यह हर परचून की दुकान पर मिलता है। देश में इसकी सालाना खपत 2 लाख 75 हजार किलोग्राम है। मिलावटी चांदी के अलावा ये चांदी के वर्क जिन जगहों पर और जिस तरह से बनाए जाते हैं, वह भी इतने गंदे हैं जो कई बीमारियों को बुलावा दे सकते हैं। एक तो चांदी शुद्ध नहीं होती और दूसरे उसे जिस चमड़े की थैली में पीट-पीटकर बनाया जाता है, वह बेहद गंदी होती है और इससे संक्रमण होना लाजमी है।
हमारे देश में मिठाइयां लोगों की कमजोरी हैं। बच्चे हों या बूढ़े, मिठाइयों को देखकर उन्हें मन को काबू कर पाना मुश्किल हो जाता है। लेकिन कम ही लोगों को इस बात का पता है कि रसीली मिठाइयों में लिपटा चांदी का वर्क मिठास के साथ उनके शरीर में ऐसे जहर भी घोल रहा है, जिनसे कैंसर तक हो सकता है।
मिठाइयों पर लिपटे चांदी के वर्क को हम इस भ्रम में बड़े चाव से खा जाते हैं कि आयुर्वेद के हिसाब से यह ताकत पहुंचाने वाली बेशकीमती धातु है। लेकिन इस मिलावटी चांदी के वर्क में बेहद नुकसान पहुंचाने वाले निकल, जस्ता और अन्य रासायनिक तत्व होते हैं जिनसे कैंसर सहित कई तरह की खतरनाक बीमारियां हो सकती हैं।
देश के सबसे प्रामाणिक माने जाने वाले 'इंडस विष विज्ञान अनुसंधान केन्द्र' ने चांदी के वर्क पर हाल ही में एक रिसर्च किया। संस्था ने अपनी रिपोर्ट में साफ चेतावनी दी है कि इसके अधिक सेवन से कैंसर तक का खतरा हो सकता है। रिपोर्ट में बताया गया कि मिलावट निरोधी अधिनियम के तहत चांदी का वर्क बनाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली चांदी की शुद्धता 99.9 प्रतिशत निश्चित है। लेकिन जांच में बाजार में बिकने वाले चांदी के वर्क में से आधे भी इस मानक पर खरे नहीं उतरे।
देश में चांदी के वर्क की लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यह हर परचून की दुकान पर मिलता है। देश में इसकी सालाना खपत 2 लाख 75 हजार किलोग्राम है। मिलावटी चांदी के अलावा ये चांदी के वर्क जिन जगहों पर और जिस तरह से बनाए जाते हैं, वह भी इतने गंदे हैं जो कई बीमारियों को बुलावा दे सकते हैं। एक तो चांदी शुद्ध नहीं होती और दूसरे उसे जिस चमड़े की थैली में पीट-पीटकर बनाया जाता है, वह बेहद गंदी होती है और इससे संक्रमण होना लाजमी है।
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