भारत में एनर्जी की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए गवर्नमेंट के
साथ-साथ प्राइवेट सेक्टर की कंपनियां भी कई प्रोजेक्ट्स पर काम कर रही हैं।
ऐसे में एनर्जी इंजीनियरिंग से जुड़े प्रोफेशनल्स की डिमांड बढ़ने लगी है।
क्या है इस फील्ड में संभावनाएं?
बायोफ्यूल की लगातार घटती क्वांटिटी और देश में एनर्जी की बढ़ती डिमांड को देखते हुए एनर्जी प्रोडक्शन पर बल देना सरकार की प्राथमिकता बन गई है। इस सोच के तहत साल 2050 तक न्यूक्लियर रिएक्टर्स से कुल एनर्जी प्रोडक्शन का करीब 25 फीसदी हिस्सा पैदा करने लॉन्ग टर्म प्लान तैयार किया गया है। इसी क्रम में 2020 तक बीस हजार मेगावाट इलेक्ट्रिसिटी का एक्स्ट्रा प्रोडक्शन न्यूक्लियर एनर्जी रिसोर्सेज से किया जाएगा। एनर्जी मिनिस्ट्री के मुताबिक, आगामी पांच साल में इस फील्ड में करीब पांच लाख करोड़ रुपये का निवेश करना होगा, तभी बढ़ती एनर्जी जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा। न सिर्फ देश की बड़ी-बड़ी कंपनियां बल्कि दुनिया भर की तमाम बड़ी न्यूक्लियर रिएक्टर सप्लायर कंपनियां, जैसे- जीई हिटैची, वेस्टिंग हाउस भी इस ओर नजरें गड़ाए बैठी हैं। ऐसे में एनर्जी इंजीनियर की मांग का बढ़ना स्वाभाविक है।
एलिजिबिलिटी
एनर्जी इंजीनियरिंग में बीई या बीटेक करने के लिए फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथमैटिक्स के साथ 12वीं पास होना जरूरी है। इसमें बीटेक करने के बाद एमटेक भी किया जा सकता है। ज्यादातर इंस्टीट्यूट्स में एडमिशन एंट्रेस एग्जाम से होता है। वैसे, यह ग्रेजुएट लेवल के मुकाबले पोस्ट ग्रेजुएट लेवल पर ज्यादा सक्सेज माना जाता है। मास्टर्स कोर्स में एनर्जी के रिन्यूएबल सोर्स और नॉन ट्रेडिशनल सोर्सेज में सुधार पर अधिक बल दिया जाता है।
स्किल्स
सफल एनर्जी इंजीनियर बनने के लिए लॉजिकल और एनालिटिकल होना बहुत जरूरी है। इस फील्ड में बहुत अधिक लोगों से संपर्क करने की आवश्यकता नहीं पड़ती, इसलिए एक इंट्रोवर्ट स्टूडेंट भी आसानी से एनर्जी इंजीनियर बन सकता है। अक्सर कई-कई दिनों तक घर से बाहर जाने की जरूरत पड़ती है, इसलिए घर से दूर रहने की भी आदत होनच् चाहिए। इसके अलावा आपमें पेशेंस भी होना चाहिए।
अपच्ॅर्च्युनिटी
क्लाइमेट चेंज और ग्लोबल वार्मिंग के बारे में बढ़ती जागरूकता के चलते एनर्जी इंजीनियरिंग की बहुत डिमांड है। सरकारी संस्थानों, खासकर राज्यों की रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसीज में स्किल्ड लोगों की जबरदस्त डिमांड है। सरकार ने इंडस्ट्रीज के लिए एनर्जी ऑडिटिंग, एनर्जी कंजर्वेशन और एनर्जी मैनेजमेंट में स्पेशलाइजेशन करने वालों के अप्वाइंटमेंट को भी अनिवार्य कर दिया है। इस फील्ड में सैलरी ऑर्गेनाइजेशन पर निर्भर करती है। शुरुआती दौर में आपकी सैलरी 20-30 हजार रुपये प्रतिमाह हो सकती है।
बायोफ्यूल की लगातार घटती क्वांटिटी और देश में एनर्जी की बढ़ती डिमांड को देखते हुए एनर्जी प्रोडक्शन पर बल देना सरकार की प्राथमिकता बन गई है। इस सोच के तहत साल 2050 तक न्यूक्लियर रिएक्टर्स से कुल एनर्जी प्रोडक्शन का करीब 25 फीसदी हिस्सा पैदा करने लॉन्ग टर्म प्लान तैयार किया गया है। इसी क्रम में 2020 तक बीस हजार मेगावाट इलेक्ट्रिसिटी का एक्स्ट्रा प्रोडक्शन न्यूक्लियर एनर्जी रिसोर्सेज से किया जाएगा। एनर्जी मिनिस्ट्री के मुताबिक, आगामी पांच साल में इस फील्ड में करीब पांच लाख करोड़ रुपये का निवेश करना होगा, तभी बढ़ती एनर्जी जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा। न सिर्फ देश की बड़ी-बड़ी कंपनियां बल्कि दुनिया भर की तमाम बड़ी न्यूक्लियर रिएक्टर सप्लायर कंपनियां, जैसे- जीई हिटैची, वेस्टिंग हाउस भी इस ओर नजरें गड़ाए बैठी हैं। ऐसे में एनर्जी इंजीनियर की मांग का बढ़ना स्वाभाविक है।
एलिजिबिलिटी
एनर्जी इंजीनियरिंग में बीई या बीटेक करने के लिए फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथमैटिक्स के साथ 12वीं पास होना जरूरी है। इसमें बीटेक करने के बाद एमटेक भी किया जा सकता है। ज्यादातर इंस्टीट्यूट्स में एडमिशन एंट्रेस एग्जाम से होता है। वैसे, यह ग्रेजुएट लेवल के मुकाबले पोस्ट ग्रेजुएट लेवल पर ज्यादा सक्सेज माना जाता है। मास्टर्स कोर्स में एनर्जी के रिन्यूएबल सोर्स और नॉन ट्रेडिशनल सोर्सेज में सुधार पर अधिक बल दिया जाता है।
स्किल्स
सफल एनर्जी इंजीनियर बनने के लिए लॉजिकल और एनालिटिकल होना बहुत जरूरी है। इस फील्ड में बहुत अधिक लोगों से संपर्क करने की आवश्यकता नहीं पड़ती, इसलिए एक इंट्रोवर्ट स्टूडेंट भी आसानी से एनर्जी इंजीनियर बन सकता है। अक्सर कई-कई दिनों तक घर से बाहर जाने की जरूरत पड़ती है, इसलिए घर से दूर रहने की भी आदत होनच् चाहिए। इसके अलावा आपमें पेशेंस भी होना चाहिए।
अपच्ॅर्च्युनिटी
क्लाइमेट चेंज और ग्लोबल वार्मिंग के बारे में बढ़ती जागरूकता के चलते एनर्जी इंजीनियरिंग की बहुत डिमांड है। सरकारी संस्थानों, खासकर राज्यों की रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसीज में स्किल्ड लोगों की जबरदस्त डिमांड है। सरकार ने इंडस्ट्रीज के लिए एनर्जी ऑडिटिंग, एनर्जी कंजर्वेशन और एनर्जी मैनेजमेंट में स्पेशलाइजेशन करने वालों के अप्वाइंटमेंट को भी अनिवार्य कर दिया है। इस फील्ड में सैलरी ऑर्गेनाइजेशन पर निर्भर करती है। शुरुआती दौर में आपकी सैलरी 20-30 हजार रुपये प्रतिमाह हो सकती है।
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