Saturday, 19 July 2014

ख़ुशी ना दे पाएं हर एक को गर मुमकिन ना हो तो पीड़ा भी न पहुँचायें..!!

सब शब्दों का ही तो खेल है ..!
मीठे हुए तो दिल में उतर शीतलता दे जाते है ..!!
कभी तीखे हुए तो दिल में कटार बन जख्म दे जाते है ..!
मन में कितना भी अंतर्द्वंद चल रहा है,ये कौन जान पाता है ..!!
क्या कहा किन शब्दों से हमने खुद को अभिव्यक्त किया बस ..!
वही सामने वाले ने समझा और हमारे लिए अपनी धारणा बना ली ..!!
आपके कहे शब्द किसी का दिल न दुःखायें जाने -अनजाने कुछ ऐसा ना कह जाये ..!
सामने वाला दुखी हो जाये या अपमानित समझे खुद को सके सामने ..!!
कोशिश कीजिये जो भी कहें सोच समझ का तोल-मोल कर बोलें शब्दों की महिमा को समझें.!
ख़ुशी ना दे पाएं हर एक को गर मुमकिन ना हो तो पीड़ा भी न पहुँचायें..!!

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