देश में आजकल स्टॉक एक्सचेंज का कारोबार एक बार फिर उफान पर है। मुंबई
स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में हर दिन होने वाले कारोबार पर
सैकड़ों लोगों की सुबह से नजरें रहती हैं। कौन-सा शेयर कितना चढ़ा और कितना
गिरा, किसे-कितना मुनाफा और किसे कितना घाटा हुआ आदि। हालांकि इस कारोबार
का फामरूला सबकी समझ से परे है। जो इसे समझते हैं, वे ही इसमें रात-दिन
मुनाफा और कमाई की राह ढूंढते हैं। स्टॉक एक्सचेंज और इससे जुड़े कारोबार
की ही गुत्थी सुलझाने और इससे जुड़े करियर की ओर राह दिखाने के लिए देश के
विभिन्न शिक्षण संस्थानों ने हाल के वर्षो में कैपिटल मार्केट का कोर्स
तैयार किया है। कहीं पार्ट टाइम, तो कहीं फुलटाइम के रूप में चलाया जा रहा
यह कोर्स छात्रों में कैपिटल मार्केट की आधारभूत समझ पैदा करता है। पढ़ाई
के बाद इस क्षेत्र में करियर और कमाई का रास्ता भी दिखाता है। दिल्ली
विविद्यालय के रामजस कॉलेज ने इस क्षेत्र में करियर की राह दिखाने के लिए
ही कुछ वर्ष पहले इससे जुड़ा शॉर्ट टर्म कोर्स कैपिटल मार्केट शुरू किया
था। इसकी देखादेखी कई और कॉलेजों में इसे चलाया गया था।
लेकिन आर्थिक मंदी और दिल्ली विविद्यालय के कोर्स में फेरबदल की वजह से यह बीच में बंद हो गया था। हालांकि निजी शिक्षण संस्थानों में यह कोर्स अब भी सफलतापूर्वक चलाया जा रहा है। देश-विदेश में शेयर बाजार की मौजूदगी को देखते हुए सीबीएसई ने भी कुछ साल पहले बारहवीं स्तर पर फाइनेंशियल मार्केट मैनेजमेंट का पेपर स्कूलों में ऑफर किया था। स्कूलों के इस कोर्स को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की मदद से तैयार किया गया था। स्कूलों, सरकारी कॉलेजों के अलावा देश में कई निजी संस्थानों ने इससे जुड़े कोर्स छात्रों के सामने पेश किए हैं। कहीं यह सर्टिफिकेट के रूप में है तो कहीं डिप्लोमा और डिग्री कोर्स के रूप में सफलतापूर्वक चलाया जा रहा है। इस कोर्स में दाखिला लेकर शेयर बाजार की दुनिया में अपनी किस्मत चमका सकते हैं। कोर्स की रूपरेखा स्टॉक मार्केट ऑपरेशंस से जुड़े कोर्स के तहत छात्रों को स्टॉक एक्सचेंज में लाइव ट्रेडिंग कैसे होती है। उनमें कौन-कौन से र्टम्स यानी तकनीकी और व्यावसायिक शब्दावली इस्तेमाल में आती है, उन शब्दों के सही मायने क्या हैं- इसकी जानकारी दी जाती है। शेयर बाजार क्या है, यह किस-किस तरह का है, उसकी कीमत कैसे देखी जाती है, उन कीमतों में उतार-चढ़ाव का आकलन और उसकी जानकारी भी छात्रों को दी जाती है। एक निवेशकर्ता के नाते किस शेयर में कब और कितना निवेश करना फायदेमंद है, यह भी कोर्स में बताया जाता है। भारतीय प्रतिभूति बाजार और उसके रेग्युलेशन की जानकारी भी छात्रों को दी जाती है। यहां प्राइमरी मार्केट, सेकेंड्री मार्केट और जमाकर्ताओं के प्रोफाइल से भी रू-ब-रू कराया जाता है। सरकारी प्रतिभूति बाजार और डेरिवेटिव्स मार्केट का ज्ञान दिया जाता है । निवेश के तौर-तरीके के बारे में बताया जाता है। इनमें इस्तेमाल होने वाले गणितीय फामरूले की जानकारी दी जाती है। कमोडिटी मार्केट्स, बॉण्ड मार्केट, म्यूचुअल फंड्स और रिस्क मैनेजमेंट जैसी चीजें भी कोर्स में शामिल हैं। गणितीय फामरूले और आंकड़ों का प्रयोग किस रूप में होता है इसका ज्ञान कराया जाता है। दाखिला कैसे इस कोर्स में कई संस्थानों में दाखिला आमतौर बारहवीं पास छात्रों को दिया जाता है। लेकिन बहुत सारे संस्थानों में स्नातक या उसके बाद ज्ञान कराया जाता है। जिन छात्रों की पृष्ठभूमि कॉमर्स की है उन्हें दाखिला के दौरान विशेष प्राथमिकता दी जाती है। खास बात यह है कि छात्रों को इस फील्ड का व्यावहारिक अनुभव हो, इसके लिए ये कोर्स कई जगहों पर स्टॉक एक्सचेंज की मदद से चलाए जा रहे हैं। दिल्ली विविद्यालय के साउथ कैंपस में मास्टर इन फाइनेंस एंड कंट्रोल प्रोग्राम में भी इससे संबंधित विषय की पढ़ाई होती है। यहां छात्रों को दाखिला अखिल भारतीय प्रवेश परीक्षा के आधार पर दिया जाता है। कहा जा सकता है कि यह इस क्षेत्र में एक्सपर्ट बनाने वाला कोर्स है। कहां हैं अवसर इस कोर्स को करने के बाद स्टॉक एक्सचेंज, ब्रोकरेज फर्म, म्यूच्युअल फंड कंपनी, बैंक की निवेश सलाह विभाग और कॉरपोरेट जगत के ट्रेजरी विभाग में काम की तलाश की जा सकती है। ऐसे युवाओं के लिए इक्विटी रिसर्च फर्म में भी काम करने के कई मौके हैं। यहां फंड मैनेजर, टेक्निकल एनालिस्ट, पोर्टफोलियो मैनेजर, मर्चेट बैंकर और फॉरेक्स ट्रेडर के रूप में अपनी भूमिका निभा सकते हैं। आमतौर पर ऐसे युवाओं को शुरुआती स्तर पर 30 से 40 हजार रुपये के वेतन मिल जाते हैं। कंपनी खोलकर खुद का व्यवसाय भी कर सकते हैं। क्या कहते हैं विशेषज्ञ दिल्ली विविद्यालय में इस कोर्स के विशेषज्ञ अमित सिंघल कहते हैं, यह कोर्स सीधे-सीधे रोजगार दिलाने के बजाय छात्रों को इस क्षेत्र की समझ पैदा करता है। इस कारण से स्नातक या एमए की पढ़ाई पूरी करने वाले छात्र शेयर बाजार या स्टॉक एक्सचेंज के क्षेत्र में जाने की राह आसान कर सकते हैं। अगर वह इस क्षेत्र में नौकरी करते हैं तो उन्हें इसे समझने के लिए अलग से ट्रेनिंग की जरूरत नहीं पड़ती। सिंघल ने बताया कि छात्रों में समझ पैदा करने के लिए लाइव ट्रेडिंग से रू-ब-रू कराया जाता है। उन्हें कम्प्यूटर पर प्रैक्टिकल कराया जाता है। यह कोर्स ऐ सा है जिसमें साइंस हो या कॉ मर्स या फिर आर्ट्स किसी भी फील्ड का छात्र दाखिला ले सकता है हालांकि कॉमर्स की पृष्ठभूमि के लिए यह ज्यादा उपयुक्त माना जाता है।
लेकिन आर्थिक मंदी और दिल्ली विविद्यालय के कोर्स में फेरबदल की वजह से यह बीच में बंद हो गया था। हालांकि निजी शिक्षण संस्थानों में यह कोर्स अब भी सफलतापूर्वक चलाया जा रहा है। देश-विदेश में शेयर बाजार की मौजूदगी को देखते हुए सीबीएसई ने भी कुछ साल पहले बारहवीं स्तर पर फाइनेंशियल मार्केट मैनेजमेंट का पेपर स्कूलों में ऑफर किया था। स्कूलों के इस कोर्स को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की मदद से तैयार किया गया था। स्कूलों, सरकारी कॉलेजों के अलावा देश में कई निजी संस्थानों ने इससे जुड़े कोर्स छात्रों के सामने पेश किए हैं। कहीं यह सर्टिफिकेट के रूप में है तो कहीं डिप्लोमा और डिग्री कोर्स के रूप में सफलतापूर्वक चलाया जा रहा है। इस कोर्स में दाखिला लेकर शेयर बाजार की दुनिया में अपनी किस्मत चमका सकते हैं। कोर्स की रूपरेखा स्टॉक मार्केट ऑपरेशंस से जुड़े कोर्स के तहत छात्रों को स्टॉक एक्सचेंज में लाइव ट्रेडिंग कैसे होती है। उनमें कौन-कौन से र्टम्स यानी तकनीकी और व्यावसायिक शब्दावली इस्तेमाल में आती है, उन शब्दों के सही मायने क्या हैं- इसकी जानकारी दी जाती है। शेयर बाजार क्या है, यह किस-किस तरह का है, उसकी कीमत कैसे देखी जाती है, उन कीमतों में उतार-चढ़ाव का आकलन और उसकी जानकारी भी छात्रों को दी जाती है। एक निवेशकर्ता के नाते किस शेयर में कब और कितना निवेश करना फायदेमंद है, यह भी कोर्स में बताया जाता है। भारतीय प्रतिभूति बाजार और उसके रेग्युलेशन की जानकारी भी छात्रों को दी जाती है। यहां प्राइमरी मार्केट, सेकेंड्री मार्केट और जमाकर्ताओं के प्रोफाइल से भी रू-ब-रू कराया जाता है। सरकारी प्रतिभूति बाजार और डेरिवेटिव्स मार्केट का ज्ञान दिया जाता है । निवेश के तौर-तरीके के बारे में बताया जाता है। इनमें इस्तेमाल होने वाले गणितीय फामरूले की जानकारी दी जाती है। कमोडिटी मार्केट्स, बॉण्ड मार्केट, म्यूचुअल फंड्स और रिस्क मैनेजमेंट जैसी चीजें भी कोर्स में शामिल हैं। गणितीय फामरूले और आंकड़ों का प्रयोग किस रूप में होता है इसका ज्ञान कराया जाता है। दाखिला कैसे इस कोर्स में कई संस्थानों में दाखिला आमतौर बारहवीं पास छात्रों को दिया जाता है। लेकिन बहुत सारे संस्थानों में स्नातक या उसके बाद ज्ञान कराया जाता है। जिन छात्रों की पृष्ठभूमि कॉमर्स की है उन्हें दाखिला के दौरान विशेष प्राथमिकता दी जाती है। खास बात यह है कि छात्रों को इस फील्ड का व्यावहारिक अनुभव हो, इसके लिए ये कोर्स कई जगहों पर स्टॉक एक्सचेंज की मदद से चलाए जा रहे हैं। दिल्ली विविद्यालय के साउथ कैंपस में मास्टर इन फाइनेंस एंड कंट्रोल प्रोग्राम में भी इससे संबंधित विषय की पढ़ाई होती है। यहां छात्रों को दाखिला अखिल भारतीय प्रवेश परीक्षा के आधार पर दिया जाता है। कहा जा सकता है कि यह इस क्षेत्र में एक्सपर्ट बनाने वाला कोर्स है। कहां हैं अवसर इस कोर्स को करने के बाद स्टॉक एक्सचेंज, ब्रोकरेज फर्म, म्यूच्युअल फंड कंपनी, बैंक की निवेश सलाह विभाग और कॉरपोरेट जगत के ट्रेजरी विभाग में काम की तलाश की जा सकती है। ऐसे युवाओं के लिए इक्विटी रिसर्च फर्म में भी काम करने के कई मौके हैं। यहां फंड मैनेजर, टेक्निकल एनालिस्ट, पोर्टफोलियो मैनेजर, मर्चेट बैंकर और फॉरेक्स ट्रेडर के रूप में अपनी भूमिका निभा सकते हैं। आमतौर पर ऐसे युवाओं को शुरुआती स्तर पर 30 से 40 हजार रुपये के वेतन मिल जाते हैं। कंपनी खोलकर खुद का व्यवसाय भी कर सकते हैं। क्या कहते हैं विशेषज्ञ दिल्ली विविद्यालय में इस कोर्स के विशेषज्ञ अमित सिंघल कहते हैं, यह कोर्स सीधे-सीधे रोजगार दिलाने के बजाय छात्रों को इस क्षेत्र की समझ पैदा करता है। इस कारण से स्नातक या एमए की पढ़ाई पूरी करने वाले छात्र शेयर बाजार या स्टॉक एक्सचेंज के क्षेत्र में जाने की राह आसान कर सकते हैं। अगर वह इस क्षेत्र में नौकरी करते हैं तो उन्हें इसे समझने के लिए अलग से ट्रेनिंग की जरूरत नहीं पड़ती। सिंघल ने बताया कि छात्रों में समझ पैदा करने के लिए लाइव ट्रेडिंग से रू-ब-रू कराया जाता है। उन्हें कम्प्यूटर पर प्रैक्टिकल कराया जाता है। यह कोर्स ऐ सा है जिसमें साइंस हो या कॉ मर्स या फिर आर्ट्स किसी भी फील्ड का छात्र दाखिला ले सकता है हालांकि कॉमर्स की पृष्ठभूमि के लिए यह ज्यादा उपयुक्त माना जाता है।
ReplyDeleteThanks for sharing this Information !!
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