Tuesday, 20 September 2011
Chiragan's Latter pad Sample

Chiragn Officially Approved only This Format Latter Pad for our All reference and Communication. Any letter is not valid without Reference No.
Tuesday, 13 September 2011
11 वर्षो से अनशन कर रहीं मणिपुर की लौह महिला मानी जाने वाली शर्मिला

एक मामले की नियमित सुनवाई के सिलसिले में पहुंचीं शर्मिला ने अदालत के बाहर पत्रकारों से कहा, "केंद्र सरकार ने अन्ना हजारे को सच्चा भारतीय नागरिक माना और उनकी मांगें मान लीं। मुझे विश्वास है कि एक दिन सरकार मुझे और मानवाधिकार हनन के खिलाफ मेरे संघर्ष को मान्यता देगी।"
एक पुलिस वैन में अदालत परिसर से निकलते हुए उन्होंने कहा,"मैं अन्ना से अपील करना चाहूंगी कि वह मणिपुर आएं और अपनी आंखों से देखें कि यहां क्या हो रहा है।"
मणिपुर की लौह महिला मानी जाने वाली शर्मिला ने अपने घर के समीप एक बस पड़ाव पर सेना द्वारा 10 लोगों को मार गिराने की घटना को अपनी आखों से देखने के बाद अपना अनशन दो नवम्बर 2000 को शुरू किया था।
वह अब 40 वर्ष की हो चुकी हैं। अनशन शुरू करने के कुछ ही दिनों बाद उन्हें आत्महत्या के प्रयास के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था। उन्हें एक जेल के अस्पताल में भेज दिया गया जहां उन्होंने रोजाना की तरह अनशन शुरू कर दिया। तब उन्हें नाक के जरिए तरल पदार्थ दिया गया। यह सिलसिला 11 साल से चल रहा है।
स्थानीय अदालत शर्मिला को बार-बार रिहा करती है,लेकिन जेल से बाहर निकलने के बाद वह फिर अनशन पर बैठ जाती हैं और उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाता है।
शहर का जवाहरलाल नेहरू अस्पताल। एक कॉरिडोर के चैनल पर ताला लगा है। यह जेल में तब्दील है। भीतर छोटे से वार्ड में हैं 34 वर्षीय इरोम चानू शर्मिला। 11 बरस बीत गए। पानी की एक बूंद तक गले से नहीं उतरी। नाक में लगी फीडिंग टच्यूब के जरिये तरल भोजन पर जिंदा यह औरत हड्डियों के ढांचे में ही बची है।
इरोम एकदम अकेली हैं। किसी से मिल तक नहीं सकतीं। घरवालों और साथी आंदोलनकारियों से भी नहीं। उनकी मांग एक ही है- आम्र्ड फोर्स (स्पेशल पॉवर्स) एक्ट 1958 खत्म हो। इसके उलट सरकार ने खुदकशी की कोशिश (आईपीसी की धारा 309) के आरोप में उन्हें कैद कर रखा है। अन्ना ने अपने आंदोलन में इरोम को भी बुलावा भेजा। इरोम ने जवाब भेजा- मैं इस वक्त कैद में हूं। निकल नहीं सकती। यहीं से समर्थन दूंगी।
इरोम कॉरिडोर में धीरे-धीरे टहल रही हैं। चैनल की तरफ देखा। मुस्कराईं। वापस मुड़ गईं। पुलिस हर 14 दिन में हिरासत बढ़ाने के लिए अदालत ले जाती है। एक साल से ज्यादा जेल में कैद नहीं रख सकते, इसलिए पुलिस बीच-बीच में दो-तीन दिन के लिए छोड़ने की रस्म भी बदस्तूर निभाती रही है। इस दौरान भी वे आधा किलोमीटर दूर स्थित घर नहीं जातीं। वहीं एक टेंट में रहती हैं। बांस की खपच्चियों और टीन का बना टेंट उनके समर्थकों का ठिकाना है। 
इसलिए अनशन पर
सुरक्षा बलों द्वारा 10 लोगों की हत्या की प्रत्यक्षदर्शी शर्मिला की मांग है कि आम्र्ड फोर्स (स्पेशल पॉवर्स) एक्ट 1958 को हटाया जाए, क्योंकि यह कानून सुरक्षा बलों को बिना किसी कानूनी कार्रवाई के गोली मारने का अधिकार देता है।
The article is downloaded from google web.... With heartily, thankfully Regards.... If any One have problem using with this article, so please call or mail us with your detail, we unpublished or delete this Article.
The article is downloaded from google web.... With heartily, thankfully Regards.... If any One have problem using with this article, so please call or mail us with your detail, we unpublished or delete this Article.
Subscribe to:
Posts (Atom)