इन्सान इन्सान को खा रहा ये केसी भूख है ?
आज मजहब धरम के नाम पर बाट देते है लोगो को
क्या अब हमारी यही पहचान है ?
पहचानना भूल गए हम खुद को
आज क्या हमारी पहचान है ?
देश बिक रहा हैं आम आदमी रोटी जुटाने मैं परेशां है |
तन को ढकते नहीं और देते बड़े बड़े गयान है .
नेता सरे मिलकर बाट रहे इन्सान है
कोई धर्म को लेकर तो कोई जाती को
लेकर यहाँ सब परेशां है .
यह सब हो रहा मेरे देश मैं
भीर भी हम कहते है
मेरा देश महान है ....
यहाँ हर 100 मे से 99 बईमान है
भीर भी मेरे देश महान है
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