Thursday, 27 November 2014

पीपीएफ में निवेश की बढ़ाएं चमक

जो लोग अपने निवेश पर कोई जोखिम लेना पसंद नहीं करते उनके लिए लोक भविष्य निधि (पीपीएफ) एक बढ़िया विकल्प है। इस योजना के तहत छोटी-छोटी बचत करके लंबी अवधि में बड़ा फंड तैयार कर सकते हैं। रिटायरमेंट प्लानिंग और टैक्स सेविंग के लिए यह योजना काफी उपयोगी साबित होती है। इस योजना में निवेश की प्रक्रिया काफी सरल है। पीपीएफ एक सरकारी योजना है जिस पर हर वित्त वर्ष के लिए ब्याज घोषित किया जाता है। फिलहाल इस योजना में सालाना 8.7 फीसद की दर से ब्याज मिल रहा है। सरकार नया वित्त वर्ष शुरू होने से पहले ब्याज की घोषणा करती है। यदि आप अपने पीपीएफ खाते में सुनियोजित तरीके से पैसा जमा करते हैं तो ब्याज के रूप में ज्यादा कमाई कर सकते हैं।
योजना का आकर्षण पीपीएफ में निवेश की प्रक्रिया काफी आसान है। देश के डाकघरों और विभिन्न बैंकों की चुनिंदा शाखाओं में जाकर मामूली सी कागजी कार्रवाई करके पीपीएफ का खाता खुलवा सकते हैं। इस योजना की मैच्योरिटी 15 साल बाद होती है। पीपीएफ में महज 500 रपए से भी खाता खुलवा सकते हैं। इस खाते में एक वित्त वर्ष के दौरान अब अधिकतम 1.5 लाख रपए जमा कर सकते हैं। यह राशि एकमुश्त या अधिकतम 12 किस्तों में जमा कराई जा सकती है। यदि कोई व्यक्ति 25 साल की उम्र में नौकरी लगते ही पीपीएफ में हर साल 50,000 रपए जमा कराता है तो 40 साल की उम्र में उसे 15.45 लाख रपए मिलेंगे। इस रकम के जरिए कोई बड़ा लक्ष्य हासिल किया जा सका है।
कैसे करें शुरुआत मौजूदा परिदृश्य में पीपीएफ निवेश का अच्छा विकल्प है। फिर भी लोग इस योजना का फायदा नहीं उठा पाते। यदि आप अपना पीपीएफ खाता खुलवाना चाहते हैं तो नजदीकी डाकघर में जाकर संपर्क करें। सार्वजनिक क्षेत्र के एसबीआई, पीएनबी और निजी क्षेत्र के आईसीआईसीआई जैसे कई बैंकों की चुनिंदा शाखाओं में भी पीपीएफ खाता खुलवाया जा सकता है। पीपीएफ खाता खोलने के लिए आपका संबंधित बैंक शाखा में बचत खाता होना जरूरी नहीं है। इसके लिए एक साधारण फार्म भरना होगा जिसके साथ अपना पहचान पत्र, निवास प्रमाण पत्र और दो फोटो लगाने होंगे। मामूली औपचारिकताएं पूरी करके आपका पीपीएफ खाता खुल जाएगा। फिलहाल बैंकों में आनलाइन पीपीएफ खाता खुलवाया जा सकता है। इसका फायदा यह होगा कि नेट बैंकिंग के जरिए इसमें कभी भी और कहीं से भी निवेश कर सकते हैं।
ब्याज की गणना पीपीएफ योजना में फिलहाल 8.7 फीसद की दर से चक्रवृद्धि ब्याज मिल रहा है। यह ब्याज पीपीएफ खाते में बकाया राशि पर लगता है जो साल के अंत में खाते में जोड़ा जाता है। इसका महत्वपूर्ण पहलू यह है कि ब्याज की गणना हर माह की जाती है। इसकी प्रक्रिया यह है कि महीने की पांच तारीख से माह की अंतिम तारीख के बीच खाते में जमा सबसे कम राशि पर ब्याज लगाया जाता है। यदि आप ज्यादा ब्याज कमाना चाहते हैं तो इसके लिए अपने पीपीएफ खाते में जो भी रकम जमा कराएं उसे पांच तारीख से पहले ही कराएं। उदाहरण के लिए आपके खाते में पहले से एक लाख रपए जमा हैं और आपने 10 दिसम्बर को उसमें 50,000 रपए और जमा कराते हैं। इस स्थिति में दिसम्बर महीने में आपको सिर्फ एक लाख रपए रपए पर ही ब्याज मिलेगा। यदि यह रकम पांच दिसम्बर या उससे पहले जमा कराई जाती है आपको 1.5 लाख रपए पर ब्याज मिलेगा। इस एवज में मिलने वाली अतिरिक्त रकम लंबी अवधि में रिटर्न बढ़ाने में काफी उपयोगी होती है।
कंपाउंडिंग का असर पीपीएफ योजना लंबी अवधि की है जिसका लॉक इन पीरियड 15 साल है। जाहिर है इसमें से आप लंबी अवधि तक रकम नहीं निकाल सकते। हालांकि आड़े वक्त में एक निश्चित अवधि के बाद लोन का विकल्प है। इस योजना में सबसे बड़ा फायदा निवेश पर मिलने वाले ब्याज पर ब्याज से होता। ब्याज पर मिलने वाले ब्याज को ही कंपाउंडिंग (चक्रवृद्धि) कहते हैं। लंबी अवधि में कंपाउंडिंग का असर काफी प्रभावी होता है। इसीलिए निवेश पोर्टफोलियो में पीपीएफ को जरूर शामिल करना चाहिए।
सोने पर सुहागा आयकर में छूट हासिल करने के लिए पीपीएफ अन्य योजनाओं पर भारी पड़ता है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें जीवन बीमा योजनाओं की तरह आपको हर साल बड़ी किस्त नहीं देनी। एक वित्त वर्ष में महज 500 रपए जमा कराके भी खाते को चालू रखा जा सकता है। दूसरा बड़ा फायदा यह है कि निवेश के समय कर छूट का लाभ मिलता और मैच्योरिटी के समय मिलने वाली रकम भी पूरी तरह से टैक्स फ्री होती है। यदि इस योजना में बुद्धिमानी के साथ निवेश किया जाए तो आयकर छूट और ब्याज के रूप में ज्यादा लाभ अर्जित कर सकते हैं।

Friday, 21 November 2014

महिलाओं के लिए अमेरिका में पढ़ने के अवसर

वकालत शिक्षा, परोपकार और शोध द्वारा महिलाओं और लड़कियों का समान रूप से विकास अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ यूनिवर्सिटी वुमेन यानी एएयूडब्ल्यू का उद्देश्य है। एएयूडब्ल्यू आर्थिक और शैक्षिक बाधाओं को दूर करता है जिससे महिलाओं को करियर बनाने का अच्छा मौका मिलता है। एएयूडब्ल्यू उन महिलाओं का, जो अमेरिका की नागरिक नहीं हैं या पर्मानेंट रेजीडेंट नहीं हैं, को अमेरिका में रहकर फुलटाइम स्टडी या रिसर्च करने का अवसर प्रदान करता है। ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट, दोनों कोर्सो को वहां की मान्यता प्राप्त संस्थाओं के सहयोग से कराया जाता है। एएयूडब्ल्यू राज्यस्तरीय नेटवर्क है जिसमें 170,000 सदस्य और सपोटर्स हैं, 1,000 स्थानीय ब्रांच हैं और 800 कॉलेज और यूनिवर्सिटी इसके पार्टनर्स हैं। खासतौर से शैक्षिक कार्यक्रमों के लिए प्राइवेट फंडिंग के लिए एएयूडब्ल्यू राष्ट्र का सबसे बड़ा स्रेत है जो सीधे महिलाओं और लड़कियों को लाभान्वित करता है। हर साल एएयूडब्ल्यू 200 से ज्यादा महिलाओं को फेलोशिप और ग्रांट
प्रदान करता है। मूल रूप से एएयूडब्ल्यू विविधतापूर्ण मेंबरशिप को मान्यता देता है। इस संस्थान में लैंगिक, जाति, उम्र, राष्ट्रीय ता, मूल, अशक्तता या वर्ग जैसी कोई बाधाएं नहीं हैं। योग्यता इस अंतरराष्ट्रीय फेलोशिप का अस्तित्व 1917 से है। यह फेलोशिप अमेरिका में एक वर्षीय ग्रेजुएट या पोस्ट ग्रेजुएट कार्यक्रम में अध्ययन के लिए सहयोग करता है। इसे उन महिलाओं को प्रदान किया जाता है जो अमेरिकी नागरिक नहीं होती। जिन महिलाओं के पास डय़ूल सिटीजनशिप यानी अमेरिकी नागरिकता के साथ ही दूसरे देश की नागरिका हो, तो वह भी इस स्कॉलरशिप की पात्र नहीं हो सकतीं। उन्हीं महिलाओं को प्राथमिकता दी जाती है जो पहले से ही नगर, समाज या प्रोफेशनल वर्क में महिलाओं और लड़कियों की प्रगति की प्रतिज्ञा लेती हैं। यह फेलोशिप अमेरिका में अध्ययन करने का अवसर देती है, इसमें इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ यूनिवर्सिटी वुमेन की गिनी-चुनी सदस्यों को ही अवसर मिलता है। पाठय़क्रम पूरा होने के पश्चात कैंडीडेट में अपने होम कंट्री लौट कर करियर बनाने का इरादा होना जरूरी है। कैंडीडेट्स को अंग्रेजी में निपुण होना आवश्यक है, नहीं तो उसे इस बात का सत्यापन कराना होगा कि उसकी क्षेत्रीय भाषा अंग्रेजी है या उसने अंग्रेजी में सेकेंड्री डिप्लोमा या इंग्लिश-स्पीकिंग इंस्टीट्यूशन से अंडर ग्रेजुएट डिग्री या फिर उसने इंग्लिश स्पीकिंग कॉलेज या यूनिवर्सिटी से अक्टूबर 2012 और सितम्बर 2014 के बीच फुलटाइम अध्ययन कर रखा है। स्कॉ लरशिप्स के प्रारूप मास्टर्स/प्रोफेशनल फेलोशिप : 18,000 डॉलर डॉक्टोरेट फे लोशिप : 20,000 डॉलर पोस्ट डॉक्टोरल फेलोशिप : 30,000 डॉलर इंटरनेशनल फेलोशिप्स फंड केवल शैक्षिक खर्च, रहने का खर्च, निर्भर बच्चे की देखभाल और प्रोफेशनल मीटिंग के लिए यात्रा का खर्च देता है। कॉन्फ्रेंस या सेमिनार लंबे समय से नहीं हुआ है लेकिन फेलोशिप का दस प्रतिशत इसके लिए मिल सकता है। अंतिम तिथि मास्टर्स/फस्र्ट प्रोफेशनल डिग्री या डॉक्टोरल प्रोग्राम में दाखिला लेने के लिए 1 दिसम्बर 2014 है। पोस्ट डॉक्टोरल के लिए आवेदन करने वाले कैंडीडेट्स को अपना डॉक्टोरेट डिग्री का प्रूफ देना होगा। आवेदन का प्रारूप आवेदन और सपोर्टिंग डॉक्युमेंट्स को ऑनलाइन जमा किया जा सकता है।

Wednesday, 12 November 2014

क्या आप जानते हैं की निवेश कम उम्र और बड़ी उम्र में शुरू करने से बचत में बड़ा अंतर आ जाता है।

क्या आप जानते हैं की निवेश कम उम्र और बड़ी उम्र में शुरू करने से बचत में बड़ा अंतर आ जाता है। आप निवेश की शुरु आत जल्दी करेंगे तो आपको जल्द ही इसका रिटर्न मिलेगा और आप इस रिटर्न का एक बार फिर से निवेश कर करेंगे। जो लोग अपनी स्टुडेंट लाइफ खत्म होने के बाद नौकरी ज्वाइन करते हैं, उन्हें शुरू से ही निवेश की आदत डालनी चाहिए। इससे आपको कंपाउंडिंग रिटर्न का फायदा मिल सकेगा। निवेश के बारे में जानने के लिए बेहद जरूरी है कि कंपाउडिंग की ताकत को समझा जाए और इसे बढ़ावा दिया जाए। यह दो सिद्धांतों पर काम करता है- पुनर्निवेश और समय। जब पैसे को किसी वित्तीय उत्पाद में लगाया जाता है तो यह ब्याज या रिटर्न अर्जित करता है। ब्याज की राशि कई बातों पर निर्भर करती है जैसे निवेश राशि, ब्याज दर और समय। निवेश राशि साधारण ब्याज या चक्रवृद्धि ब्याज अर्जित करती है। साधारण ब्याज महज
मूलधन पर देय होता है वहीं मिश्रित ब्याज मूलधन के साथ प्रत्येक वर्ष अर्जित ब्याज पर देय होता है। साल दर साल मूलधन की राशि नियमित रूप से बढ़ती जाती है। ध्यान रखने योग्य पहलू है ब्याज दर। कंपाउंडिंग का प्रभाव उदहारण के लिए 10,000 रपए की रकम को 10 वर्षो के लिए अलग-अलग ब्याज दर पर निवेश किए जाने पर रिटर्न इए प्रकार होगा- 10 फीसद पर : 25,937 रपए 11 फीसद पर : 28,394 रपए 12 फीसद पर : 31,085 रपए ब्याज दर में मामूली सा अंतर भी आपके निवेश पर बड़ा प्रभाव डाल सकता है। एसआईपी के जरिए किए गए निवेश में कंपाउंडिंग रिटर्न का फायदा देखने को मिलता है। इसमें एक छोटी सी रकम बड़ी रकम में बदल जाती है। इसमें ब्याज पर ब्याज की आमदनी होती जाती है। जो लोग कम उम्र से निवेश की शुरु आत करने के इच्छुक होते हैं। कई बार उन्हें पता नहीं होता कि वे इसमें कदम कैसे रखें। ऐसी स्थिति में निवेश शुरू करने के लिए म्यूचुअल फंड बेहतरीन विकल्प है। आप इसमें निवेश के लिए निश्चित राशि निकाल कर रखें। इसमें से कुछ राशि का इस्तेमाल निवेश में करें बाकी को इससे जुड़े खर्चो का प्रबंधन करने में लगाएं। जल्द करें शुरुआत अगर आप युवा हैं तो यह मत समझिए कि अभी तो बहुत समय है, बचा लेंगे। आप जितनी जल्दी शुरुआत करेंगे, उतना आपको कम बचाना पड़ेगा। जैसा कि एक 25 वर्षीय युवा को केवल हर माह 5000 रपए ही बचाने होंगे मगर 35 वर्षीय व्यक्ति को इसके लिए हर माह 11000 रपए बचाने होंगे। वर्तमान समय में निवेश के कई साधन हमारे समक्ष मौजूद हैं। इनमें बैंक, पोस्ट ऑफिस, जीवन बीमा, शेयर बाजार, म्यूचुअल फंड, बांड और रीयल एस्टेट शामिल है। आपको अपनी जोखिम क्षमता एवं समय के अनुरूप निवेश माध्यमों का चयन करना चाहिए। मिसाल के तौर पर अगर आपके पास पांच-साल के निवेश के लिए एक लाख रपए हैं तो इसे आप ऐसी फिक्स्ड रिटर्न योजना में निवेश करके पूंजी को सुरक्षित रख सकते हैं जिसमें निवेश की अवधि के अंत में आपकी शुरुआती निवेश के बराबर परिपक्वता हो। जोखिम का आकलन आप कितने समय के लिए निवेश करना चाहते हैं। आपको भविष्य की अपनी महत्वपूर्ण योजनाओं को पूरा करने के लिए कब और कितने पैसों की जरूरत पड़ सकती है, इसका खाका खींच कर रखिए। आपके जोखिम उठाने की क्षमता कितनी है। किसी भी निवेश में अच्छा रिटर्न पाने की उम्मीद करते समय उसके न्यूनतम जोखिम को ध्यान में जरूर रखें। एसआईपी की भी कई ऐसी खूबियां हैं जिनके बारे में हर निवेशक को जानना जरूरी है ताकि इनका पूरा फायदा उठाया जा सके। सारा निवेश एक ही जगह नहीं करें। जोखिम घटने का पूरा फायदा उठाने लिए आपको अपना पूरा निवेश ऐसी विविध संपत्तियों करना चाहिए जिनका आपस में कोई संबंध नहीं हो। निश्चित आय इक्विटी, रीयल एस्टेट, गोल्ड और निवेश के अन्य विकल्पों में लगाई जानी चाहिए। निवेश के पहले हर तरह की जानकारी इकट्ठी करना जरूरी होता है। स्टाक मार्केट में निवेश अगर भविष्य की आर्थिक जरूरतों और सपनों को पूरा करने के लिए अन्य संपत्तियों की तरह शेयरों में निवेश नहीं किया जाता है तो पर्याप्त पैसा नहीं बनाया जा सकता क्योंकि मुद्रास्फीति की मार और करों के बोझ से आप बच नहीं सकते, जो कई बार मिलने वाले रिटर्न को नकारात्मक कर देते हैं। जब शेयरों में धन लगाएं तो अलग-अलग सेक्टरों की कंपनियों में लगाएं। एक ही सेक्टर की ज्यादा कंपनियों में भी पैसा नहीं लगाएं। एफएमसीजी, फार्मा जैसे डिफेंसिव सेक्टर के शेयर खरीद कर पोर्टफोलियो मजबूत कर सकते हैं। ज्यादा रिटर्न के लालच में निवेश न करें बल्कि जरूरत और रिस्क की क्षमता के हिसाब से ही निवेश करें। निवेश का तरीका अपने विचारों के अनुरूप होना चाहिए। शेयर खरीदने के साथ ही उसे बेचने का लक्ष्य तय करना चाहिए। टारगेट प्राइस पर पहुंचने पर ही उसे बेचना चाहिए। टिप्स के आधार पर निवेश नहीं करना चाहिए क्योंकि उससे नुकसान की आशंका रहती है। शेयर बाजार में पैसा बनाना बहुत आसान है उसी प्रकार खोना भी बहुत आसान है। इससे बचा जा सकता है अगर आप स्वंय शेयर बाजार के बारे में अधिक से अधिक जानकारी एकत्र करें, शोध करें और दूसरों के दिए टिप्स पर न जाएं।

Sunday, 2 November 2014

किसे-कितना मुनाफा और किसे कितना घाटा

देश में आजकल स्टॉक एक्सचेंज का कारोबार एक बार फिर उफान पर है। मुंबई स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में हर दिन होने वाले कारोबार पर सैकड़ों लोगों की सुबह से नजरें रहती हैं। कौन-सा शेयर कितना चढ़ा और कितना गिरा, किसे-कितना मुनाफा और किसे कितना घाटा हुआ आदि। हालांकि इस कारोबार का फामरूला सबकी समझ से परे है। जो इसे समझते हैं, वे ही इसमें रात-दिन मुनाफा और कमाई की राह ढूंढते हैं। स्टॉक एक्सचेंज और इससे जुड़े कारोबार की ही गुत्थी सुलझाने और इससे जुड़े करियर की ओर राह दिखाने के लिए देश के विभिन्न शिक्षण संस्थानों ने हाल के वर्षो में कैपिटल मार्केट का कोर्स तैयार किया है। कहीं पार्ट टाइम, तो कहीं फुलटाइम के रूप में चलाया जा रहा यह कोर्स छात्रों में कैपिटल मार्केट की आधारभूत समझ पैदा करता है। पढ़ाई के बाद इस क्षेत्र में करियर और कमाई का रास्ता भी दिखाता है। दिल्ली विविद्यालय के रामजस कॉलेज ने इस क्षेत्र में करियर की राह दिखाने के लिए ही कुछ वर्ष पहले इससे जुड़ा शॉर्ट टर्म कोर्स कैपिटल मार्केट शुरू किया था। इसकी देखादेखी कई और कॉलेजों में इसे चलाया गया था।
लेकिन आर्थिक मंदी और दिल्ली विविद्यालय के कोर्स में फेरबदल की वजह से यह बीच में बंद हो गया था। हालांकि निजी शिक्षण संस्थानों में यह कोर्स अब भी सफलतापूर्वक चलाया जा रहा है। देश-विदेश में शेयर बाजार की मौजूदगी को देखते हुए सीबीएसई ने भी कुछ साल पहले बारहवीं स्तर पर फाइनेंशियल मार्केट मैनेजमेंट का पेपर स्कूलों में ऑफर किया था। स्कूलों के इस कोर्स को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की मदद से तैयार किया गया था। स्कूलों, सरकारी कॉलेजों के अलावा देश में कई निजी संस्थानों ने इससे जुड़े कोर्स छात्रों के सामने पेश किए हैं। कहीं यह सर्टिफिकेट के रूप में है तो कहीं डिप्लोमा और डिग्री कोर्स के रूप में सफलतापूर्वक चलाया जा रहा है। इस कोर्स में दाखिला लेकर शेयर बाजार की दुनिया में अपनी किस्मत चमका सकते हैं। कोर्स की रूपरेखा स्टॉक मार्केट ऑपरेशंस से जुड़े कोर्स के तहत छात्रों को स्टॉक एक्सचेंज में लाइव ट्रेडिंग कैसे होती है। उनमें कौन-कौन से र्टम्स यानी तकनीकी और व्यावसायिक शब्दावली इस्तेमाल में आती है, उन शब्दों के सही मायने क्या हैं- इसकी जानकारी दी जाती है। शेयर बाजार क्या है, यह किस-किस तरह का है, उसकी कीमत कैसे देखी जाती है, उन कीमतों में उतार-चढ़ाव का आकलन और उसकी जानकारी भी छात्रों को दी जाती है। एक निवेशकर्ता के नाते किस शेयर में कब और कितना निवेश करना फायदेमंद है, यह भी कोर्स में बताया जाता है। भारतीय प्रतिभूति बाजार और उसके रेग्युलेशन की जानकारी भी छात्रों को दी जाती है। यहां प्राइमरी मार्केट, सेकेंड्री मार्केट और जमाकर्ताओं के प्रोफाइल से भी रू-ब-रू कराया जाता है। सरकारी प्रतिभूति बाजार और डेरिवेटिव्स मार्केट का ज्ञान दिया जाता है । निवेश के तौर-तरीके के बारे में बताया जाता है। इनमें इस्तेमाल होने वाले गणितीय फामरूले की जानकारी दी जाती है। कमोडिटी मार्केट्स, बॉण्ड मार्केट, म्यूचुअल फंड्स और रिस्क मैनेजमेंट जैसी चीजें भी कोर्स में शामिल हैं। गणितीय फामरूले और आंकड़ों का प्रयोग किस रूप में होता है इसका ज्ञान कराया जाता है। दाखिला कैसे इस कोर्स में कई संस्थानों में दाखिला आमतौर बारहवीं पास छात्रों को दिया जाता है। लेकिन बहुत सारे संस्थानों में स्नातक या उसके बाद ज्ञान कराया जाता है। जिन छात्रों की पृष्ठभूमि कॉमर्स की है उन्हें दाखिला के दौरान विशेष प्राथमिकता दी जाती है। खास बात यह है कि छात्रों को इस फील्ड का व्यावहारिक अनुभव हो, इसके लिए ये कोर्स कई जगहों पर स्टॉक एक्सचेंज की मदद से चलाए जा रहे हैं। दिल्ली विविद्यालय के साउथ कैंपस में मास्टर इन फाइनेंस एंड कंट्रोल प्रोग्राम में भी इससे संबंधित विषय की पढ़ाई होती है। यहां छात्रों को दाखिला अखिल भारतीय प्रवेश परीक्षा के आधार पर दिया जाता है। कहा जा सकता है कि यह इस क्षेत्र में एक्सपर्ट बनाने वाला कोर्स है। कहां हैं अवसर इस कोर्स को करने के बाद स्टॉक एक्सचेंज, ब्रोकरेज फर्म, म्यूच्युअल फंड कंपनी, बैंक की निवेश सलाह विभाग और कॉरपोरेट जगत के ट्रेजरी विभाग में काम की तलाश की जा सकती है। ऐसे युवाओं के लिए इक्विटी रिसर्च फर्म में भी काम करने के कई मौके हैं। यहां फंड मैनेजर, टेक्निकल एनालिस्ट, पोर्टफोलियो मैनेजर, मर्चेट बैंकर और फॉरेक्स ट्रेडर के रूप में अपनी भूमिका निभा सकते हैं। आमतौर पर ऐसे युवाओं को शुरुआती स्तर पर 30 से 40 हजार रुपये के वेतन मिल जाते हैं। कंपनी खोलकर खुद का व्यवसाय भी कर सकते हैं। क्या कहते हैं विशेषज्ञ दिल्ली विविद्यालय में इस कोर्स के विशेषज्ञ अमित सिंघल कहते हैं, यह कोर्स सीधे-सीधे रोजगार दिलाने के बजाय छात्रों को इस क्षेत्र की समझ पैदा करता है। इस कारण से स्नातक या एमए की पढ़ाई पूरी करने वाले छात्र शेयर बाजार या स्टॉक एक्सचेंज के क्षेत्र में जाने की राह आसान कर सकते हैं। अगर वह इस क्षेत्र में नौकरी करते हैं तो उन्हें इसे समझने के लिए अलग से ट्रेनिंग की जरूरत नहीं पड़ती। सिंघल ने बताया कि छात्रों में समझ पैदा करने के लिए लाइव ट्रेडिंग से रू-ब-रू कराया जाता है। उन्हें कम्प्यूटर पर प्रैक्टिकल कराया जाता है। यह कोर्स ऐ सा है जिसमें साइंस हो या कॉ मर्स या फिर आर्ट्स किसी भी फील्ड का छात्र दाखिला ले सकता है हालांकि कॉमर्स की पृष्ठभूमि के लिए यह ज्यादा उपयुक्त माना जाता है।