वर्षो से चला आ रहा पुलिस एक्ट ने तो लगता है
जैसे पुलिस वालों को मनमानी का लाइसेंस दे दिया है। इस देश में एक सवाल
बहुत दिन से जवाब के इंतजार में हैं कि ये खाकी वाले कब सुधरेंगे। शासन की
मंशा और फरमान के बावजूद पुलिस वालों की कार्यशैली में को
ई
बदलाव नहीं आ रहा है। थाने पर पहुंचने वाले फरियादी को डांटना और
दुत्कारना पुलिस कर्मियों की आदत बन गई है। पुलिस उन्हीं मामलों में तेजी
दिखाती है, जिसमें उसकी सेवा हो जाती है। एफआइआर दर्ज करने में पुलिस आना
कानी करती है। इसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है। वैसे अब पब्लिक
खुद भी अपने तरह से हिसाब लेने लगी है। क्या आपको नहीं लगता अंग्रेजों के
समय के पुलिस एक्ट में बदलाव होना चाहिए।
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