अहंकार तो रावणका भी नहीं बचा फिर हम आप क्या?
आपसी सामंजस्य आवश्यक है अन्यथा क्यों राम वनवास जाते, और क्यों रावण मरता!
भगवान् श्रीराम द्वारा रावण का वध जिस दिन किया गया उसको दशहरा कहा गया !
इस दिन रावण का पुतला जलाकर बुराई पर अच्छाई की जीत क
ो
सिद्ध करते है! लेकिन भारतीय संस्कृति में प्रत्येक त्योहार का आध्यात्मिक
अर्थ होता है, इसी को जीवन में लगाना होता है! रावण और कुछ नहीं बल्कि
हमारा अहंकार ही है, जब तक ये अहंकार है तब तक हमारे अन्दर अनेक विकार
पनपते रहेंगे ये ही हमारे सारे दुखों की जड़ है, जितना ज्यादा अहंकार होता
है उतना ही ज्यादा दुःख होता है, ये अहंकार ही हमें अपने सत चित आनंद
स्वरुप से दूर किए रखता है!
आप सभी को "चिरागन" की और से विजयदशमी की शुभकामनाएं,
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