Friday, 19 April 2013

मां होती है कामयाबी का भरोसा

आम लोग समझते हैं कि आसान रास्ते जीवन में अप्रिय जगहों की ओर जाते हैं। अगर कोई जीवन में कामयाब होना चाहता है तो उसे खुद को कठिनाइयों और समय की कसौटी पर कसना चाहिए। जीवन संघर्ष का क्षेत्र है। जीवन में पूर्णता का पुरस्कार उन्हें मिलता है जो साहसिक कायरे की तलाश में रहते हैं। स्वाभाविक रूप से, साहसभरे जीवन संघर्ष ही संघर्ष होते हैं। दुनिया मानती है कि यही जीवन का चारित्रिक गुण है। मां जीवन को एक दूसरा ही आयाम देती है। प्रयास करने के दौरान दो में से एक तरह की संभावना हमारे समक्ष होती हैं- सफलता या विफलता। लंबे समय तक ऐसा प्रयास करना संघर्ष नहीं कहा जाता है क्योंकि इसमें आनंद मिलता है, ऐसा आनंद जो संघर्ष के भीतर से पैदा हुआ है। सामान्य रूप से मां, जीवन के भीतर से विफलता की गुंजाइश को ही निकाल देती है और उसकी जगह विकल्पों के रूप में कामयाबी की दो श्रेणियां प्रस्तुत करती है। वह प्रयास को कभी नहीं निकालती है बल्कि प्रयास करने के दौरान संघर्ष को निकाल बाहर करती है। विभिन्न अवसरों पर यह सच हुआ दिखता रहा है। साथ ही, एक मां विफलता को दूर नहीं करती है। एक मां बहुत कम मौकों पर विफलता की गुंजाइश छोड़ती है। वह भाग्य से भी आगे जाकर महान कामयाबी के रास्ते पर नजरें टिकाए रहती है। अगर मां के चलते विफलता संबंधी तमगा मिला, तो इसका अर्थ है कि यह बच्चे के लिए ज्यादा बड़ी कामयाबी का पासपोर्ट है। मानव के जीवन में असत्य का अंबार है। अनिवार्य रूप से असत्य मौजूद होने का तात्पर्य है कि किसी कार्य को पूरा करने के लिए संघर्ष करना ही पड़ेगा। इस दौरान हर तरफ से विफलता की संभावना बनी रहेगी ही। अब अगर एक चेतनशील मां है तो वह असत्य के मौजूद होने की कतई गुंजाइश नहीं रखेगी। ऐसे में संघर्ष का खात्मा हो जाएगा और विफलता की गुंजाइश भी समाप्त हो जाएगी। मां जीवन में योग को सामने रखकर काम करती है। वह कहती है कि भगवान के बारे में जानना सामान्य मस्तिष्क में आता ही है। सामान्य मस्तिष्क जीवन में सबसे बड़ा काम करता है। ये जीवन पर अभिन्न रूप से हावी रहता है। सामान्य मस्तिष्क के भीतर आम इंसान संघर्ष और उससे मिली विफलता के बारे में सोचता है। बल्कि उसका समूचा जीवन तो उम्मीदों, चिड़चिड़ापन, हताशा, निराशा, पीड़ा आदि के बारे से चिंता से घिरा रहता है। इससे बाहर आकर सोचने वाला उम्मीद करता है कि वह समस्त दबावों से बाहर आएगा। लेकिन एक मां सोचती है कि दबावों से बाहर आने वाला इंसान भगवान को जान लेता है। कहने का तात्पर्य यह है कि भगवान प्रतीक्षा करता है कि इंसान उनकी ओर मुड़े। सामान्य लोगों के मस्तिष्क में यह सब समाया होता है बल्कि उसके स्वभाव में ही होता है।
(उपयरुक्त विचार स्वतंत्रता सेनानी और दार्शनिक अरबिंद की लेख-श्रंखला से लिये गये हैं)

खाली समय का सदुपयोग

यदि किसी के पास खाली वक्त है तो इसका मतलब यह नहीं कि यह वक्त सोकर या अर्थहीन काम करके गवां दिया जाए। खाली वक्त में फालतू के काम या फिजूल की बातें करने से बचें । अधिकतर लोग खाली समय में गॉसिप या चुगलखोरी करते हैं। यह बुरी आदत है। इससे व्यक्ति के चरित्र में, व्यवहार में निगेटिविटी आती है। जबकि खाली वक्त में कई तरह के रचनात्मक कार्य कर सकते हैं। ऐसे कायरे में आप खुशी-खुशी अपना भविष्य भी तलाश सकते हैं

कभी भी खाली न बैठें। अपने खाली समय का सही तरीके से इस्तेमाल करें। यह भी जानने की कोशिश करें कि खाली समय का इस्तेमाल से आपका कितना फायदा और कितना नुकसान हो सकता है। खाली वक्त का हमेशा इस तरह उपयोग करें जिससे आपका फायदा हो। रोजाना काम करने के बीच खाली समय आता है। इस समय को भी इंज्वॉय करना चाहिए। अकसर लोग खाली समय को मौजमस्ती करते हुए बिताते हैं। एक सीमा तक मौजमस्ती जरूरी भी है, पर जहां यह हद से बाहर चली जाती है, नुकसानदायक बन जाती है। मौजमस्ती इंसान की कार्यक्षमता और उनकी ऊर्जा को बढ़ाते हैं। पर यह बात हमेशा ध्यान में रखें कि ज्यादा मौजमस्ती भी अनुशासन में खलल डालते हैं। लगातार काम करने से इंसान थक जाता है। जिस तरह से स्कूल, कॉलेज या फिर ऑफिस में मन मुताबिक छुट्टियां नहीं मिलने पर हम तनाव से घिर जाते हैं, ठीक उसी तरह वैज्ञानिकों का कहना है कि लंबे समय तक छुट्टी पर रहना या फिर ज्यादा समय तक काम से दूर रहना भी तनाव पैदा कर सकता है। खाली वक्त का कम मिल पाना या ज्यादा मस्ती करना दोनों का जीवन पर फर्क पड़ता है। खाली रहने का मतलब कुछ भी करके टाइम पास करना नहीं है। कुछ भी करके समय काटने से अच्छा है, अपने समय का सदुपयोग करें। यदि कोई कुछ भी गलत काम करके खाली समय बिताता है तो ऐसी खाली समय हमें क्षणिक खुशी तो देता है, लेकिन यह दुख और तनाव का स्थायी तौर पर कारण बनता है। सकारात्मक व्यस्तता को श्रेष्ठ जीवन की अभिव्यक्ति कहा जाता है। हर व्यक्ति को अपने रोजमर्रा के काम के बाद मिलने वाले खाली समय का भी सदुपयोग करना चाहिए। समय की कीमत पहचानने वाले के लिए खाली समय किसी सौगात से कम नहीं होता लेकिन जिनके लिए समय को कोई मोल नहीं, उनके लिए खाली वक्त किसी बुराई से कम नहीं। इसलिए जरूरी है वक्त को पहचानें, समझें और उसका अधिकतम सदुपयोग करें।

कानून से जुड़े रोजगार

कानून के क्षेत्र में लोगों को खूब नौकरियां मिल रही हैं। देश में अदालतें बेशक कम हों, लेकिन मुकदमों की तादाद लगातार बढ़ती ही जा रही है। इसीलिए दिन-ब-दिन वकीलों की मांग भी बढ़ती जा रही है। देश के कानून इतने व्यापक हैं कि स्पेशलाइजेशन की जरूरत बढ़ जाती है, बिलकुल मेडिकल फील्ड की तरह। आप अपनी रुचि के अनुसार किसी विशेष क्षेत्र के कानून के विशेषज्ञ के रूप में पहचान बना सकते हैं। यह क्षेत्र एडमिनिस्ट्रेटिव लॉ, कांस्टीटय़ूशन लॉ, फैमिली लॉ, इंटरनेशनल लॉ, साइबर लॉ, लेबर लॉ, पेटेंट लॉ, एनवायरमेंटल लॉ और कॉरपोरेट लॉ आदि में से कुछ भी हो सकता है कानून से जुड़े रोजगार

कैसे बनें कॉरपोरेट लॉयर यह लीगल फील्ड का उभरता स्वरूप है। बड़े बिजनेस हाउसेज और सरकारी विभागों को भी कई जटिल कानूनी मामलों का सामना करना पड़ता है। इन्हें हल करने के लिए कॉरपोरेट लॉयर्स की मांग बड़ी तेजी से बढ़ रही है। इनका काम कंपनी के संचालन में कानूनी नियमों का पालन सुनिश्चित करना, कंपनी से जुड़े मुकदमों की पैरवी करना, कंपनी के लिए कांट्रेक्ट्स तैयार करना आदि होता है। कॉरपोरेट कंपनियों में मिलने वाले आकर्षक वेतन के चलते युवा इस तरफ आकर्षित हो रहे हैं। समय से आगे चलने और दुनिया की भीड़ से कुछ अलग कर गुजरने की हिम्मत किसी-किसी में होती है। वैश्वीकरण के फलस्वरूप बाजार की वृहत्ता में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कंपनियां एक साथ काम कर रही हैं। इन्हें प्राधिकृत करने के लिए सरकार ने नियमों की रचना की है। इसमें से कुछ नियम सरकार द्वारा तथा कुछ कंपनियों द्वारा खुद ही तय किये जाते हैं। सरकारी नियमों के अलावा कंपनियां कर्मियों, ग्राहकों या सहयोगियों के लिए अपने भी नियम बनाती हैं। ऐसे ही नियमों की गुत्थ्यिों को समझने और उनकी प्राथमिकताओं को पूरा करने का भार कॉरपोरेट लॉ के जानकारों का होता है। कॉरपोरेट लॉ फर्म अपने ग्राहक की टैक्स प्लानिंग से लेकर, कर्मियों, सहयोगियों, शेयरधारकों, यहां तक कि किरायों और समझौ तों की संपूर्ण रूपरेखा बनाते हैं। कॉरपोरेट लॉ फर्म किसी भी कंपनी की रीढ़ होती है, जिसके द्वारा किए गए काम से ही कंपनी की वास्तविक आमदनी और उपलब्धियों का आकलन किया जाता है। नियमों में पारदर्शिता और स्थिरता कंपनी का भविष्य तय करती है। कैसे मिलेगी एंट्री आईईसी यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डॉक्टर नवीन गुप्ता के मुताबिक दसवीं के बाद लॉ की पढ़ाई शुरू की जा सकती है। कई यूनिवर्सिटीज और प्राइवेट कॉलेजों में पांच वर्षीय बीए एलएलबी कोर्स कराया जाता है। अगर आप ग्रेजुएट हैं, तो तीन वर्षीय एलएलबी कोर्स के बाद इस क्षेत्र में करियर शुरू कर सकते हैं। एंट्रेंस एग्जाम में बैठने के लिए दसवीं में कम से कम 55 प्रतिशत अंक होने चाहिए। देश के विभिन्न ‘नेशनल लॉ स्कूल्स’ में एडमिशन ‘कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (सीएलएटी) के माध्यम से होता है। अन्य संस्थान लॉ कोर्सेज के लिए अलग-अलग एंट्रेंस एग्जाम आयोजित करते हैं। कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट में आमतौर पर इंग्लिश, लॉजिकल रीजनिंग, लीगल रीजनिंग, मैथमेटिक्स और जनरल नॉलेज से जुड़े सवाल पूछे जाते हैं। अगर आप विदेश जाकर लॉ की पढ़ाई करना चाहते हैं तो वहां एडमिशन की प्रक्रिया अलग हो सकती है। प्रमुख लॉ सं स्थान नेशनल लॉ स्कूल ऑ फ इंडिया यूनिवर्सिटी, बेंगलुरू डॉ. राम मनोहर लोहिया नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, लखनऊ आईईसी यूनिवर्सिटी, बद्दी, हिमाचल प्रदेश चाणक्या नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, पटना नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ स्टडी एंड रिसर्च इन लॉ, रांची फजले गुफरान
कॉरपोरेट लॉ का कार्यक्षेत्र कंपनी के टैक्सों का आकलन और निष्पादन नये संस्थानों के गठन की संरचना लाइसेंस समझौता बनाना बौद्धिक संपतियों को संरक्षित करना शेयरधारकों के लिए नियम बनाना विक्रय तथा वितरक समझौते की रूपरेखा तैयार करना ट्रेड मार्क और कॉपी राइट नियमों का निष्पादन करना कर्मियों के लिए कं पनी अधिनियमों के अनुरूप नियम बनाना सं युक्त अथवा किसी भी प्रकार के उपक्रम की संरचना नये व्यवसायों के लिए लाभ- हानि की सलाह देना आदि

कॉस्ट अकाउंटेंसी भरपूर मौकों से भरी राह

कॉस्ट अकाउंटेंट मैनेजमेंट की चुनौतियों का सामना करने और ऑपरेशंस को कॉस्ट इफेक्टिव बनाने में माहिर होते हैं। वे ही हिसाबकिता ब करते हैं कि किसी भी वस्तु की वास्तविक लागत क्या है और उसे कितने मुनाफे के साथ बाजार में उतारना है। कॉस्ट अकाउंटेंट बनने के लिए बारहवीं पास छात्र को पहले फाउंडेशन कोर्स करना होता है
कॉस्ट अकाउंटेंसी चार्टर्ड अकाउंटेंसी से मिलता-जुलता कोर्स है। समाज और पूरा विश्व आज उपभोक्तावाद के दौर से गुजर रहा है। बाजार कई तरह के सामान से अटे पड़े हैं। हर वस्तु और सेवा पर कम से कम लागत में ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाने की होड़ लगी है। भारत भी वैश्वीकरण के दौर से अछूता नहीं है। यहां भी विश्व की दूसरी सबसे बड़ी आबादी रहती है। उपभोक्ताओं से पूरा दे श भरा पड़ा है। देश में उनके लिए तरह-तरह की उपभोक्ता वस्तुएं और सेवाओं की मैन्यूफैक्चरिंग होती है। इन वस्तुओं की वास्तविक लागत क्या है, उन्हें किस कीमत पर और कितने मुनाफे के साथ बाजार में उतारना है, इसका हिसाब-किताब और आकलन करने का काम कॉस्ट अकाउंटेंट करता है। इसके लिए भी कोर्स और ट्रेनिंग की जरूरत पड़ती है। ‘द इंस्टीट्यूट ऑ फ कॉस्ट एंड वर्क्‍स अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया’ इसके लिए विभिन्न चरणों में कोर्स पूरा कराती है। इसे पूरा करने वाले छात्र को कॉस्ट अकाउंटेंट और इससे जुड़े पद पर काम करने का मौका मिलता है। ये प्रोफेशनल्स मैनेजमेंट की चुनौतियों का सामना करने और ऑपरेशंस को कॉस्ट इफेक्टिव बनाने में माहिर होते हैं। ये इनवेस्टमेंट प्लानिंग, प्रॉफिट प्लानिंग, प्रोजेक्ट मैनेजमेंट और सही समय पर प्रबंधकीय निर्णय लेने में माहिर होते हैं।
दाखिला कॉस्ट अकाउंटेंट बनने के लिए 12वीं पास छात्र को पहले फाउंडेशन कोर्स करना होता है। इसके लिए ‘द इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट एंड वर्क्‍स अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया’ में आवेदन करना होता है, जहां जून और दिसम्बर महीने में प्रवेश परीक्षा होती है। फाउंडेशन कोर्स के बाद इंटरमीडिएट कोर्स करना होता है और फिर सीए की तरह ही फाइनल परीक्षा देकर कोर्स पूरा करना होता है। इंटरमीडिएट कोर्स में दाखिला किसी भी विषय से स्नातक डिग्री हासिल किए हुए छात्र ले सकते हैं। इस कोर्स को पत्राचार के जरिए भी किया जा सकता है। नामांकन के समय सभी विषयों पर सामग्री उपलब्ध कराई जाती है और ऐच्छिक ओरल कक्षाओं की भी व्यवस्था कराई जाती है। प्रोफेशनल प्रोग्राम जिसमें आठ पेपर होते हैं, को पूरा करने के बाद छात्र को किसी कंपनी के तहत ट्रेनिंग प्रोग्राम करना होता है। इंटरमीडिएट कोर्स में दाखिले के लिए उम्र कम से कम 18 वर्ष होना जरूरी है।अच्छी समझ, कमिटमेंट, गंभीरता, ईमानदारी और खुद को अपडेट करते रहना जरूरी है।
संस्थान द इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट एंड वर्क्‍स अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया 12, सदर स्ट्रीट, कोलकाता। यह संस्थान देश में कॉस्ट अकाउंटेंट्स तैयार करती है। इसके लिए पत्राचार और अन्य माध्यमों से अलग-अलग सेंटरों के माध्यम से कोर्स कराती है।
अवसर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निजी कंपनियां, फाइनेंस, बैंकिंग और सरकारी निकाय सभी को आज कॉस्ट अकाउंटेंट की जरूरत पड़ती है। इसके अलावा, प्रैक्टिशनर के रूप में काम कर सकते हैं। कोर्स पूरा करने वाले छात्र मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी या सर्विस सेक्टर में काम कर सकते हैं। इसे करने के बाद लंबे अनुभव के बाद चेयरमैन, सीईओ, मैनेजिंग डायरेक्टर, फाइनेंस डायरेक्टर, मुख्य अकाउंटेंट, कॉस्ट कंट्रोलर, मार्केटिंग मैनेजर जैसे पदों पर कार्य कर सकते हैं। सेवा सेक्टर में आज काम के बहुत सारे अवसर हैं। प्रैक्टिस का प्रमाणपत्र प्राप्त करने के बाद स्वतंत्र प्रैक्टिस भी की जा सकती है। यह कोर्स पीएचडी कोर्स में दाखिले और कॉमर्स और मैनेजमेंट में लेक्चरर बनने के लिए मान्य है।
वेतन एक कॉस्ट अकाउंटेंट की तनख्वाह प्रतिमाह तीस हजार से शुरू होकर पचास हजार रुपये से ऊपर तक जाती है। निजी तौर पर सेवाएं प्रदान कर रहे हों तो यह कमाई इससे कई गुना ज्यादा भी हो सकती है। यह व्यक्ति की सेवा और काम पर निर्भर है कि वह कितने लोगों या कंपनियों को अपनी सेवा प्रदान करता है।

कम्प्यूटर इंफ्रास्ट्रक्चर मैनेजमेंट

आज के दौर में किसी भी संस्थान का हृदय आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर को माना जाता है क्योंकि इससे सूचनाओं की गति कम्प्यूटर के प्रयोग द्वारा तेजी से चलती रहती है। किसी भी व्यवसाय की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने में इंफॉम्रेशन सिस्टम की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इस पण्राली के जरिये किसी भी डाटा की जब भी आवश्यकता होती है, वह आसानी से मिल जाती है। इंफ्रास्ट्रक्चर मैनेजमेंट सर्विस किसी संस्था के आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर को सुव्यवस्थित ढंग से मैनेज और मेंटेन करने में सहायता करता है। कम्प्यूटर इंफ्रास्ट्रक्चर मैनेजमेंट खासतौर से व्यापारिक संस्थानों के कम्प्यूटर नेटवर्क से संबंधित योजना, निर्णय, रखरखाव और अड़चनों को दूर करने वाले क्रियाकलाप के समस्त कार्यों को कहते हैं। ज्यादातर सर्विस इंडस्ट्री, कम्प्यूटर नेटवर्क्‍स और इंटरनेट आदि इसके प्रमुख वर्किग प्लेटफॉर्म्स होते हैं। कम्प्यूटर इंफ्रास्ट्रक्चर मैनेजमेंट का उद्देश्य डेवलपमेंट टीम को इस बात से आश्वस्त करना होता है कि उन्हें निर्बाध सेवा मिलती रहेगी।
कार्य का प्रकार कम्प्यूटर इंफ्रास्ट्रक्चर मैनेजमेंट का मुख्य काम नेटवर्किग है। हालांकि कम्प्यूटर नेटवर्किग भी भिन्न-भिन्न रूपों में की जाती है और कॉरपोरेट हाउसेस की मांग भिन्न होती है। नेटवर्क सिस्टम मैनेजमेंट नेटवर्क सपोर्ट सर्विस का हिस्सा होता है जो मल्टी प्लेटफॉर्म पर सिस्टम को डिस्ट्रीब्यूट, नेटवर्क और मल्टी वेंटर सर्विसेज को मैनेज करता है। मल्टी वेंडर सर्विसेस को ओपन सिस्टम टेक्नोलॉजी के रूप में जाना जाता है। किसी भी तरह से नेटवर्किग मैनेजमेंट में बाधा आने से बड़ी आर्थिक हानि होती है और यह हानि करोड़ों रुपये तक की हो सकती है। जिन कैंडीडेट्स ने आईटी फील्ड में इंफ्रास्ट्रक्चर मैनेजमेंट कोर्स किया है उनके लिए करियर के कई विकल्प मौजूद हैं। वे कई लेवल्स पर काम कर सकते हैं उनमें से मुख्य हैं : प्रोजेक्ट मैनेजर- डाटा सेंटर मैनेजमेंट- सर्वर, स्टोरेज और वर्चुअलाइजेशन टेक्नोलॉजी, डेस्कटॉप सर्वि सेज, टेक्नोलॉजी लीड्स सर्वर- स्टोरेज और वजरुअलाइजेशन टेक्नोलॉजी, लेवल 3 सिस्टम एनालिस्ट, एल3 नेटवर्क इंजीनियर, सीनियर एसोसिएट, सीनियर एनालिस्ट आदि।
व्यक्तित्व तकनीक की बेहतर समझ और हमेशा सीखने की प्रवृत्ति, सफल नेटवर्किग प्रोफेशनल बनने के लिए जरूरी है। जाहिर है कि तकनीक को निरन्तर परिवर्तन का विज्ञान कहा जाता है इसलिए यहां शिखर पर बने रहना आवश्यक है। समस्याओं के समाधान के लिए विश्लेषण का गुण भी जरूरी है। हालांकि यह सपोर्ट जॉब है इसलिए ऑर्गनाइजेशन के सीईओ से लेकर किसी जूनियर मोस्ट स्टाफ की समस्या का समाधान करते वक्त कूल बने रहना भी नेटवर्किग प्रोफेशनल्स के गुण होते हैं।
कार्य क्षेत्र आज के बिजनेस र्वल्ड में तकनीक के प्रयोग का महत्व बहुत ज्यादा है। कम्प्यूटर इंफ्रास्ट्रक्चर मैनेजमेंट के क्षेत्र में करियर की गति मुख्य रूप से इस क्षेत्र में एक साल के अनुभव पर निर्भर करती है। इस क्षेत्र में कैंडीडेट जितने साल का अनुभव हासिल करता है उसे उतने ही बेहतर मौके मिलते हैं। कई क्षेत्र ऐसे हैं जो अपने व्यवसाय को तेज गति देने के लिए बड़े सर्वर पर निर्भर होते हैं। देश और विदेश में भी आईटी प्रोफेशनल्स और सिस्टम एडमिनिस्ट्रेटर्स को बिजनेस हाउसेस द्वारा सहज कम्युनिकेशन और ऑपरेशन के लिए नियुक्त किया जाता है। कैंडीडेट्स के लिए कई विकल्प होते हैं जिनसे वे ज्यादा से ज्यादा सर्टिफिकेशंस द्वारा अपने रेज्यूम को बढ़ा कर भविष्य के दरवाजे खोल सकते हैं।
आय शुरू में कम्प्यूटर इंफ्रास्ट्र्क्चर मैनेजमेंट में 2.5 लाख रुपये सालाना तक की आय हो जाती है। अकसर कैंपस प्लेसमेंट्स, पैकेजेज आदि का ऑफर आईटी कंपनियां देती हैं। हालांकि तीन से छह साल के अनुभव के साथ ही आय छह से आठ लाख सालाना हो जाती है। अनुभव के साथ-साथ आय का ग्राफ भी बढ़ता जाता है।
संस्थान लगभग सभी कॉलेज और यूनिवर्सिटी कम्प्यूटर साइंस में कोर्स उपलब्ध कराते हैं। कुछ इंस्टीट्यूट्स जैसे एनआईआईटी, एप्टेक, डाटाप्रो, ब्रेनवेयर कम्प्यूटर अकादमी आदि स्पेश्लाइज्ड कोर्सज कराते हैं। इन इंस्टीट्यूट्स में एमएस ऑफिस का डिप्लोमा कोर्स और कई अन्य स्पेश्लाइज्ड कोर्स ऑफर किये जाते हैं। डिस्टेंस एजुकेशन द्वारा भी आप कोर्स कर सकता है। डिस्टेंस एजुकेशन प्रदान करने वाले मुख्य कॉलेज हैं- इग्नू, अन्नामलाई यूनिवर्सिटीज कम्प्यूटर एप्लीकेशन में बैचलर डिग्री और कम्प्यूटर में मास्टर डिग्री कराते हैं। कई प्राइवेट यूनिवर्सिटीज जैसे एमिटी यूनिवर्सिटी और राय यूनिवर्सिटी भी कम्प्यूटर एप्लीकेशन में को र्स कराते हैं। देश में कई स्पेश्लाइज्ड इंस्टीट्यूट्स हैं जो कम्प्यूटर इंफ्रास्ट्रक्चर में कोर्स कराते हैं। मुंबई के गेट्स ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट को भारत में नेटवर्किग ट्रेनिंग के मामले में उत्तम माना जाता है। यह अंतरराष्ट्रीय छात्रों का भी पसंदीदा इंस्टीट्यूट है। एपिन नॉलेज सॉल्युशंस को दुनियाभर में हाई-टेक्नोलॉजी सर्टिफिकेशन प्रोग्राम के लिए जाना जाता है। इसके केंद्र नई दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कानपुर और बेंगलुरू में हैं। इनके अतिरिक्त देश के अन्य संस्थान हैं :
सीएआईटी एमजेपी रुहेलखंड, बरेली आरके कॉलेज ऑफ सिस्टम एंड मैनेजमेंट, फिरोजाबाद एबीएफ नेटवर्क्‍स, बेंगलुरू आई सॉल्युशंस, मुंबई सपना
योग्यता कम्प्यूटर इंफ्रास्ट्रक्चर में पोस्ट ग्रेजुएट करने के इच्छुक कैंडीडेट के पास इलेक्ट्रिकल/इलेक्ट्रॉन्िाक्स/कम्प्यूटर साइंस में डिग्री या डिप्लोमा के साथ बेहतर शैक्षिक रिकॉर्ड और कम्प्यूटर हार्डवेयर और नेटवर्किग के क्षेत्र में कम से कम एक साल का कार्यानुभव होना आवश्यक है। आईटी एप्टीट्यूट के साथ बी. ई. या बी.टेक के फ्रेश ग्रेजुएट्स यह कोर्स कर सकते हैं।

Thursday, 11 April 2013

आपके परिवार को, मित्रो को भारतीय नव वर्ष एव नवरात्री की हार्दिक सुभकामनाए देते हुए आपके उर्जावान स्वर्णिम भविष्य की हम कामना करते है।

आपके परिवार को, मित्रो को भारतीय नव वर्ष एव नवरात्री की हार्दिक सुभकामनाए देते हुए आपके उर्जावान स्वर्णिम भविष्य की हम कामना करते है।

Sunday, 7 April 2013

हृदयाघात (हार्ट अटैक) या दिल के दौरे से बचाव, रोग-निदान By: Chiragan

रोधगलन का निदान रोगी के शिकायतों और शारीरिक स्थिति का आकलन करने के बाद किया जा सकता है. ईसीजी परिवर्तन, कोरोनरी एंजियोग्राम और मार्कर के स्तर के हृदय के निदान में मदद करने के लिए की पुष्टि करें. ईसीजी सुराग देता है मूल्यवान को क्षति के दौरे साइट की पहचान करते हुए कोरोनरी एंजियोग्राम जहाजों दिल या अवरोधों में संकुचन की अनुमति देता है. शव परीक्षण में, एक रोगविज्ञानी अनाटोमोपैथोलॉजिकल निष्कर्ष के आधार पर निदान कर सकते हैं.
एक चेस्ट रेडियोग्राफ़ और नियमित रक्त परीक्षण जटिलताओं या शीघ्र कारणों का संकेत कर सकते हैं और आपात स्थिति की संभावना को दर्शाते हैं. नई क्षेत्रीय दीवार प्रस्ताव असामान्यताओं पर एक इकोकार्डियोग्राम भी रोधगलन के लिए विचारोत्तेजक होता है. इको हृदय रोग विशेषज्ञ कॉल के द्वारा मामलों को गोलमोल किया जा सकता है. स्थिर रोगियों में जिनके लक्षण समय की ऊचाई, टेक्निटियम (99mTc) सेसटामिबी (i.e.एक "MIBI स्कैन") के द्वारा हल किया जाता है या थेलियम-201 क्लोराइड का इस्तेमाल न्यूक्लियर दवा के रूप में शारीरिक या फार्मोकोलॉजिक तनाव के साथ रक्त के कम प्रवाह वाले क्षेत्रों को देखा जा सकता है. थेलियम का इस्तेमाल ऊतक के व्यवहार्यता का निर्धारण करने, गैर कार्यात्मक मायोकार्डियम के वास्तव में मरा है कि नहीं, इसकी जांच करने के लिए किया जा सकता है या शीत निष्क्रियता अवस्था के केवल जांच करने या भौचक्का होने की जांच करता है.
डब्ल्यूएचओ मापदंड 1979 में तैयार किया गया है जिसका इस्तेमाल एमआई का निदान के लिए किया जाता है; एक रोगी का इलाज रोधगलन के साथ किया जाता है निम्नलिखित मापदंड यदि दो (संभावित) या तीन (निश्चित) को संतुष्ट करती है:
  1. इस्कीमिक प्रकार के सीने में 20 मिनट से अधिक समय तक दर्द का नैदानिक इतिहास हो
  2. सीरियल ईसीजी ट्रेसिंग में परिवर्तन
  3. क्रिएटिन किनेस-एमबी अंश और ट्रोपोनिन जैसे सेरियम कार्डियक बायोमार्कर का ऊंचाव और गिरावट
डब्ल्यूएचओ मापदंड को 2000 में परिष्कृत किया गया था ताकि कार्डियक बायोमार्कर को प्रमुखता दिया जा सके.  नए दिशा निर्देशों के अनुसार एक कार्डियक ट्रोपोनिन या तो विशिष्ट लक्षण, पेथोलॉजिकल क्यू तरंगों, एसटी एलिवेशन या अवसाद या कोरोनरी हस्तक्षेप आदि एमआई के निदान हैं.

बचाव

रोधगलन आवर्तक जोखिम के एक जीवन शैली में परिवर्तन के साथ कड़ाई से कम हो जाती है रक्तचाप और प्रबंधन, मुख्यतः सेवन धूम्रपान बंद करने, नियमित व्यायाम के रोगियों के साथ दिल के लिए आहार समझदार, एक रोग है, शराब की और सीमा.
रोगियों एमआई हैं पद आमतौर पर शुरू किया पर कई दीर्घकालिक दवाओं) CVA दुर्घटना (सरेब्रोवास्कुला या कंजेस्टीव दिल विफलता, इन्फ़र्क्तिओन्स, के उद्देश्य से रोकने माध्यमिक हृदय की घटनाओं जैसे आगे म्योकर्दिअल. कंटेनडिकेटेड, ऐसी दवाओं सकता है: जब तक शामिल हैं
  • प्रमाण हृदधमनी हृदय रोग को कम करने के उपाय के रूप में संतृप्त वसा के बजाय बहुअसंतृप्त वसा के सेवन का समर्थन करता है.
  • अन्तिप्लातेलेट या क्लोपिदोग्रेल / और ड्रग थेरेपी जैसे एस्पिरिन रोधगलन दौरे आवर्तक चाहिए और पट्टिका का टूटना जा रही करने के लिए कम जोखिम. एस्पिरिन पहली लाइन है, इसकी कम लागत और तुलनीय प्रभावकारिता के लिए एस्पिरिन की असहिष्णु रोगियों के लिए आरक्षित क्लोपिदोग्रेल साथ, कारण. और एस्पिरिन क्लोपिदोग्रेल संयोजन की घटनाओं सकता है हृदय के जोखिम को कम करने और आगे है, लेकिन जोखिम का नकसीर. बढ़ जाती है
  • बीटा या कार्वेदिलोल मेतोप्रोलोल के रूप में अवरोधक चिकित्सा जैसे. चाहिए शुरू हो  इन. इस्चेमिया है उच्च किया गया है विशेष रूप से लाभप्रद में हृदय को जारी रखने या / जोखिम रोगियों जैसे उन लोगों के साथ छोड़ दिया वेंट्रिकुलर में शिथिलता और β-ब्लॉकर्स कमी मृत्यु दर और रुग्णता. उन्होंने यह भी NSTEMI में हृदय इस्चेमिया के लक्षणों में सुधार होगा.
  • ऐस अवरोध करनेवाला चिकित्सा रोगियों-स्थिर के बाद एमआई में हेमोद्य्नामिकाल्ली घंटे किया जाना चाहिए शुरू 24-48 के सबूत छोड़ दिया है / या (के रूप में infarct, विशेष रूप से मरीजों के साथ एक इतिहास, मधुमेह एमआई का हो सकता, पूर्वकाल, उच्च रक्तचाप स्थान का मूल्यांकन द्वारा ईसीजी,) और वेंट्रिकुलर में शिथिलता. ऐस इन्हिबितोर्स मृत्यु दर को कम करने, दिल की विफलता के विकास और एमआई कमी वेंट्रिकुलर रेमोदेलिंग के बाद. 
  • सतातीं चिकित्सा एमआई के बाद किया है दिखाया गया रुग्णता कम करने के लिए मृत्यु दर और. स्टेटीन्स का प्रभाव उनके एलडीएल कम करने के प्रभाव से भी अधिक हो सकता है. आम सहमति है कि स्तातिंस लिपिड्स है पट्टिका स्थिरीकरण और कई अन्य ("प्लेइओत्रोपिक") प्रभाव रक्त पर उनके प्रभाव के अलावा रोधगलन रोकने कि हो सकता है. 
  • एल्डोस्टेरोन प्रतिपक्षी एजेंट एप्लेरेनोने ऊपर मानक उपचार किया गया है के साथ संयोजन के रूप में वेंट्रिकुलर रोग, जब इस्तेमाल किया छोड़ दिया मौत हृदय दिखाया को और अधिक जोखिम को कम करने के बाद और विफलता दिल से एमआई में रोगियों.  श्र्पिरोनोलक्तोने लागत है एक और विकल्प है कि वजह से है एप्लेरेनोने के लिए कभी कभी बेहतर है.
  • ओमेगा -3 फैटी एसिड है, आमतौर पर मछली में पाया, एमआई के बाद किया है मृत्यु दर को कम करने के लिए दिखाया गया.  जबकि व्यवस्था है जिसके द्वारा इन फैटी एसिड में कमी मृत्यु अज्ञात है, यह माने गया है कि उत्तरजीविता लाभ फ़िब्रिल्लतिओन निलय में से एक है के कारण रोकथाम और बिजली के स्थिरीकरण. तथापि, जोखिम सबसेट-आगे के अध्ययन में एक उच्च 3 फैटी एसिड स्पष्ट कमी में नहीं दिखाया ओमेगा संभावित घातक वजह से. 
रक्तदान हृदय रोग के जोखिम को पुरुषों में कम कर सकता है,लेकिन यह संबंध दृढ़ता से स्थापित नहीं किया गया है.
एक कोच्राने समीक्षा में पाया गया कि दिल का दौरा देने हेपरिन रूपों और कुछ एनजाइना के लिए लोगों को जो की तरह अस्थिर शर्तें हैं दिल का दौरा एक और दिल होने की कम जोखिम. हालांकि, हेपरिन भी खून बह रहा से थोड़ी सी पीड़ा की संभावना बढ़ जाती है.

प्रबंधन

एक एमआई ध्यान है एक चिकित्सा आपात चिकित्सा की आवश्यकता है जो तत्काल. इलाज 'के प्रयास के रूप में ज्यादा मायोकार्डियम निस्तारण करने के लिए संभव है और मांसपेशियों को रोकने के लिए आगे की जटिलताओं, इस प्रकार वाक्यांश समय है. " ऑक्सीजन, एस्पिरिन, और नाइट्रोग्लिसरीन दिलाई जा सकती है. अफ़ीम प्रभावी नहीं था प्रतिष्ठित किया गया नाइट्रोग्लिसरीन अगर, लेकिन, यह NSTEMI की स्थापना मृत्यु दर में वृद्धि हो सकती है.  समीक्षा 2010 की उच्च रोधगलन दौरे प्रवाह में ऑक्सीजन और एक 2009 आकार इन्फर्क्ट पाया वृद्धि हुई मृत्यु दर और उपयोग में बुला अपनी दिनचर्या के बारे में सवाल सिफारिश. एर्कुतनेऔस कोरोनरी) हस्तक्षेप (पीसीआई या फिब्रिनोल्य्सिस STEMI एक साथ उन लोगों में हैं सिफारिश की है.

जटिलताएं

जटिलताओं या चरण सकते तीव्र होते तुरंत बाद में दिल का दौरा, आवश्यकता हो सकती है समय के लिए विकसित एक पुरानी समस्या है. तीव्र जटिलताओं दिल विफलता भी शामिल है अगर क्षतिग्रस्त दिल नहीं रह गया है पर्याप्त रूप से शरीर के चारों ओर रक्त पंप करने में सक्षम हो सकती हैं धमनीविस्फार या मायोकार्डियम का टूटना, मित्राल रेगुर्गिततिओन, खासकर अगर रोधगलन इल्लों से भरा हुआ मांसपेशियों के रोग का कारण बनता है, और वेंट्रिकुलर फ़िब्रिल्लतिओन जैसे, वेंट्रिकुलर ताच्य्कार्डिया, अत्रिअल फ़िब्रिल्लतिओन और दिल ब्लॉक. दीर्घकालिक जटिलताओं दिल विफलता, अत्रिअल फ़िब्रिल्लतिओन, और एक दूसरे रोधगलन की वृद्धि की जोखिम शामिल हैं.
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हृदयाघात (हार्ट अटैक) या दिल के दौरे के चिन्ह लक्षण और कारण By: Chiragan

रोधगलन (एमआई) में लक्षणों की शुरुआत आमतौर पर कई मिनटों तक धीरे-धीरे होती है, और शायद ही कभी अचानक होती है.  तीव्र रोधगलन के लक्षणों में सीने में दर्द होना सामान्य है और अक्सर पकड़न, दबाव, या निचोड़ की सनसनी महसूस होती है. दिल पेशी के स्थानिक अरक्तता (रक्त की कमी और फिर ऑक्सीजन की कमी) के कारण छाती में दर्द को एनजाइना पेक्टोरिस कहा जाता है. आमतौर पर बांए बांह में सबसे अधिक दर्द होता है, लेकिन दर्द निचले जबड़े, गर्दन, दांए बांह,पीठ और अधिजठर, जहां यह दिल के जलने का कार्य कर सकता है, में फैल सकता है. लेवाइन साइन, जिसमें रोगी को उरफलक में मोड़न के द्वारा छाती में दर्द महसूस करता है, जिसे आम तौर पर कार्डियक छाती दर्द का भावी सूचक माना जाता है, हालांकि एक संभावित अवलोकन अध्ययन से पता चला कि इसका एक कमजोर सकारात्मक भावी सूचक मूल्य था.
सांस की तकलीफ (डिस्पेनिया) तब होती है जब हृदय क्षति बांए वेंट्रिकल की उत्पादन, को सीमित कर देता है, जिसके कारण बांए वेंट्रिकुलर असफलता और फेफड़े शोफ होता है. अन्य लक्षणों में डायफोरेसिस (अत्यधिक रूप से पसीना,) कमजोरी, हल्की सिर दर्द, मिचली, उल्टी और घबराहट, शामिल हैं ये लक्षण सहानुभूति तंत्रिका तंत्र से केटेकोलामाइन्स की भारी संभावना द्वारा प्रेरित होता है जो कि दर्द और हिमोडायनामिक असामान्ताएं के प्रतिक्रिया स्वरूप होता है जो कि कार्डियक के कार्य न करने के परिणामस्वरूप होता है. चेतना का घाटा (हृदयजनित सदमे के कारण अपर्याप्त मस्तिष्क छिड़काव) और अचानक मौत (अक्सर वेंट्रिकुलर फिब्रिलेशन विकास की वजह से) रोधगलन में पाए जा सकते हैं.
महिलाओं और वयस्क रोगियों समकक्षों के विचित्र रिपोर्ट उनमें पुरुष और युवाओं की तुलना में अधिक लक्षण पाए जाते हैं.  पुरूषों की तुलना में महिलाओं में लक्षण की रिपोर्ट अधिक होती है (औसत 2.6 बनाम पुरुषों के लक्षण 1.8). महिलाओं में एमआई का सबसे आम लक्षणों में से डिस्पनिया (सांस की कमी), कमजोरी और थकान शामिल है. थकान, नींद गड़बड़ी, और डिस्पनिया को अक्सर होने वाले लक्षणों में पाया जाता है जो कि वास्तविक चिकित्सकीय प्रकट इस्कीमिक घटना से पहले एक महीने के लंबे समय तक हो सकता है. पुरूषों की तुलना में महिलाओं में सीने में दर्द से कोरोनरी इशेमिया के होने की संभावना कम होती है.
रोधगलन का लगभग एक चौथाई शांत होते हैं, बिना किसी छाती दर्द या अन्य लक्षणों के. ऐसे मामलों को बाद में इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम से पता लगाया जा सकता है, इसमें रक्त एंजाइम परीक्षण या संबंधित शिकायतों के पूर्व इतिहास के बगैर शव परीक्षा का इस्तेमाल किया जाता है. वृद्ध लोगों, मधुमेह मेलिटस के रोगियों में यह शांत लक्षण अधिक आम है  और संभवतः दिल प्रत्यारोपण के बाद, क्योंकि प्राप्तकर्ता की तंत्रिका प्रणाली दाता दिल में पूर्ण रूप से शक्ति उत्पन्न करने में असक्षम होता है. मधुमेह रोगियों में, शुरूआती दर्द में अंतर, ऑटोनोमिक न्यूरोपथी, और मनोवैज्ञानिक कारकों में लक्षणों की कमी के लिए संभावित स्पष्टीकरण के रूप में उद्धृत किया गया है.
दिल में रक्तप्रवाह अचानक रुकावट के साथ संगत लक्षण के किसी भी समूह को तीव्र सिंड्रोम कोरोनरी कहा जाता है.
विभेदक निदान में छाती दर्द के अन्य आपत्तिजनक कारण शामिल है जैसे फुफ्फुसीय अन्त: शल्यता, महाधमनी विच्छेदन, पेरीकार्डियल बहाव के कारण हृदय टेम्पोनेड, तनाव वातिलवक्ष, और एसोफेडिएल टूटन. अन्य गैर आपत्तिजनक भिन्नता में गैस्ट्रोएसोफोजिएल भाटा और टिएट्जे सिंड्रोम शामिल हैं.

कारण

तीव्र प्रयोग के साथ जुड़ने में दिल का दौरा का दर उच्च होता है, यह मानसिक तनाव या शारीरिक परिश्रम होता है, खासकर व्यक्ति के सामान्य परिश्रम की तुलना में यदि परिश्रम तीव्र हो तो. मात्रात्मक, अत्यधिक परिश्रम की अवधि और अंततः स्वास्थ्य लाभ लगभग 6 गुना उच्च दर के रोधगलन के साथ (फ्रेम समय के साथ अन्य की तुलना में अधिक आराम) शारीरिक रूप से फिट लोगों के साथ जुड़ जाता है.  शारीरिक रूप से ग्रस्त लोगों के लिए दर अंतर 35 गुना अधिक होता है.  इस घटना के लिए वृद्धि हुई एक तंत्र धमनी नाड़ी दबाव खींच को देखा गया है और प्रत्येक दिल की धड़कन के साथ धमनियों का विश्राम जिसे इंट्रावैस्कुलर अल्ट्रासाउंड के साथ देखा जाता है, अथेरोमा और पट्टिका टूटन की संभावना पर "कतरनी तनाव" की यांत्रिक वृद्धि होती है.
निमोनिया जैसे तीव्र गंभीर संक्रमण रोधगलन को बढ़ा सकते हैं. चेलेमीडोफिला निमोनिया संक्रमण और अथेरोस्लेरोसिस के बीच एक अधिक विवादास्पद कड़ी है.  जबकि इसे इंट्रासेलुलर जीव अथेरोस्लेरोसिस सजीले टुकड़े में प्रदर्शन किया गया है, सबूत अनिर्णायक है चूंकि इसे कारण कारक के रूप में माना जा सकता है. एंटीबायोटिक दवाओं के साथ रोगियों में उपचार के दौरान पाया गया है कि अथेरोस्लेरोसिस दिल के दौरो या अन्य कोरोनरी संवहनी हमलों के जोखिम को कम नहीं करता है.
सुबह के समय में दिल के दौरे के मामलों में वृद्धि हुई है, विशेष रूप से लगभग 9 बजे.  कुछ जांचकर्ताओं ने ध्यान दिया है कि सर्काइडियन माप के अनुसार प्लेटलेट्स को और अधिक बढ़ाने की क्षमता है, हालांकि उन्हें करणीय साबित नहीं किया गया है.

जोखिम कारक

अथेरोस्लेरोसिस के लिए जोखिम कारक रोधगलन के लिए आम कारक हैं:
  • मधुमेह (इंसुलिन प्रतिरोध के साथ या बिना) - स्थानिक अरक्तता संबंधी हृदय रोग के लिए सबसे महत्वपूर्ण जोखिम कारक (IHD).
  • तम्बाकू धूम्रपान
  • हाइपरकोलेस्टेरोलेमिया (अधिक संगत हाइपरलिपोप्रोटेनेमिया विशेष रूप से उच्च कम घनत्व लेपोप्रोटीन और कम उच्च घनत्व लेपोप्रोटीन)
  • न्यून एचडीएल
  • उच्च ट्राइग्लिसराइड्स
  • उच्च रक्त-चाप
  • स्थानिक अरक्तता हृदय रोग के परिवारिक इतिहास (IHD)
  • मोटापा (पारिभाषित बॉडी मास इंडेक्स के 30 kg/m² से अधिक या या वैकल्पिक रूप से या कमर परिधि द्वारा या हिप अनुपात परिधि).
  • उम्र: 45 वर्ष की उम्र में पुरुष स्वतंत्र रूप से जोखिम कारक को अधिग्रहण करते हैं, जबकि महिला 55 वर्ष में स्वतंत्र रूप से जोखिम कारक को अधिग्रहित करती है, इसके अलावा अन्य व्यक्ति स्वतंत्र जोखिम कारक को हासिल करते है यदि उनके पास प्रथम डिग्री पुरुष रिश्तेदार (भाई, पिता) होते हैं जो 55 की उम्र से पहले कोरोनरी वैस्कुलर से पीड़ित होते हैं. एक अन्य स्वतंत्र जोखिम कारक को अधिग्रहित किया जाता है अगर उनके पास प्रथम डिग्री महिला रिश्तेदार (मां, बहन) होती हैं जो 65 या छोटी उम्र में एक कोरोनरी संवहनी घटना का सामना करना पड़ा हो.
  • हाइपरहोमोसिस्टेनमिया (उच्च होमोसिस्टेन, एक जहरीले रक्त एमिनो एसिड जो कि विटामिन बी2, बी6 , बी12 के सेवन करने और फोलिक एसिड अपर्याप्त हो)
  • तनाव (उच्च तनाव सूचकांक के साथ व्यवसाय को अथेरोस्लेरोसिस के लिए संवेदनशीलता होने के लिए जाना जाता है)
  • शराब अध्ययनों से पता चलता है कि लम्बे समय से शराब की उच्च मात्रा दिल के दौरे के जोखिम को बढ़ा सकता है.
  • महिलाओं की तुलना में पुरुषों में इसका खतरे ज्यादा होता है.
इन जोखिम कारकों में से कई परिवर्तनीय है, इसीलिए कई दिल के दौरे को एक स्वस्थ जीवन शैली बनाए रखने के द्वारा रोका जा सकता है. उदाहरण के लिए, शारीरिक गतिविधि, न्यून जोखिम प्रोफ़ाइल के साथ जुड़ा है.  गैर परिवर्तनीय जोखिम कारकों में आयु, लिंग और परिवार में समय से पहले दिल के दौरे होने वाले इतिहास (60 की उम्र से पहले), जिसे आनुवंशिक प्रवृति के रूप में परिलक्षित किया जाता है, शामिल हैं.
सामाजिक आर्थिक कारक जैसे कम शिक्षा और कम आय (विशेष कर महिलाओं में), और अविवाहित सहवास एमआई की जोखिम के लिए योगदान दे सकता है. महामारी विज्ञान के अध्ययन के परिणामों को समझने के लिए यह नोट करना महत्वपूर्ण है कि कई एमआई के साथ जुड़े कई कारकों अन्य कारकों के माध्यम से इसके जोखिम को बढ़ाते हैं. उदाहरण के लिए, शिक्षा का प्रभाव इसके आय और वैवाहिक स्थिति पर आंशिक रूप के आधारित होती है.
वे महिलाएं जो की संयुक्त मौखिक गर्भनिरोधक गोली का उपयोग करती हैं, उनमें रोधगलन का जोखिम बढ़ जाता है, विशेष कर जिनमें अन्य जोखिम कारक वर्तमान होते हैं जैसे धूम्रपान.
सूजन को अथेरोस्लेरोटिक पट्टिका गठन प्रक्रिया में महत्वपूर्ण कदम के रूप ज्ञात किया जाता है.सी-प्रतिक्रियाशील प्रोटीन (CRP) एक संवेदनशील होता है लेकिन सूजन के लिए गैर विशिष्ट मार्कर होता है. उच्च सीआरपी रक्त स्तर, विशेष रूप से संवेदनशील परीक्षा के साथ मापा गया, एमआई के जोखिम को पहचान सकता है, साथ ही साथ दौरे और मधुमेह के विकास के जोखिम की भविष्यवाणी कर सकते हैं. इसके अलावा, एमआई के लिए कुछ दवाएं CRP स्तरों कम करते हैं.  सामान्य आबादी एक साधन के रूप में स्क्रीनिंग सीआरपी जांच संवेदनशीलता उच्च उपयोग के विरुद्ध सलाह दी है, लेकिन यह विवेक चिकित्सक पर इस्तेमाल किया जा सकता है वैकल्पिक रूप से, रोगियों में रोग जो धमनी कोरोनरी पहले से ही मौजूद अन्य जोखिम वाले कारकों के साथ या जाना जाता है.  चाहे सीआरपी नाटकों की प्रत्यक्ष भूमिका में अथेरोस्लेरोसिस एक अनिश्चित बनी हुई हो.
कालावधि रोग में सूजन होने से हो सकता है वह कोरोनरी हृदय रोग से जुड़ सकता है, और क्योंकि पिरियडोनटिटिस आम बात है, यह सार्वजनिक स्वास्थ्य होने के लिए महान हो सकता था.  सीरम विज्ञानी विषयों के अध्ययन में एंटीबॉडी स्तर के विरूद्ध ठेठ पिरियडोनटिटिस के कारण होने वाले बैक्टीरिया में पाया गया, वैसे एंटीबॉडी कोरोनरी हृदय रोग के साथ अधिक मौजूद होते है. एरिओदोन्तितिस साइटोकिन्स आदत है और, फाइब्रिनोजेन सीआरपी को रक्त वृद्धि के स्तर के,  इस प्रकार, पेरिओदोन्तितिस कारकों के माध्यम से अन्य जोखिम जोखिम पर एमआई प्रभाव हो सकता है इसकी मध्यस्थता. पूर्वनैदानिक शोध बताते हैं कि पिरियडोनटल बैक्टीरिया प्लेटलेट्स के एकत्रीकरण को बढ़ावा कर सकते हैं और फोम सेल के गठन को और बढ़ावा देते हैं.  विशिष्ट पिरियडोनटल बैक्टीरिया की एक भूमिका के लिए सुझाव दिया गया है लेकिन इसे स्थापित किया गया.  तीव्र रोधगलन दौरे को इन्फ्लूएंजा ट्रिगर कर सकता, इसके प्रमाण उपलब्ध हैं.
गंजापन, बालों के सफेद होने, एक विकर्ण इयरलोब क्रीज (फ्रैंक संकेत  ) और संभवतः अन्य त्वचा सुविधाओं को एमआई के लिए स्वतंत्र जोखिम कारक के रूप में सुझाव दिया गया है  उनकी भूमिका विवादास्पद रहती है, इन चिन्हों के आम भाजक एमआई के जोखिम अपेक्षित है, संभवतः आनुवंशिक है.
कैल्शियम जमा गठन अथेरोस्लेरोटिक पट्टिका का एक और हिस्सा है. कोरोनरी धमनियों में कैल्शियम जमा सीटी स्कैन के साथ पता लगाया जा सकता. कई अध्ययनों से पता चला है कि कोरोनरी कैल्शियम कारकों के जोखिम शास्त्रीय से परे जानकारी प्रदान कर सकते हैं.
कार्डियोलॉजी की यूरोपीय समाज और कार्डियोवास्कुलर रोकथाम और पुनर्वास के लिए यूरोपीय संघ ने भविष्यवाणी के लिए एक इंटरैक्टिव उपकरण विकसित किया है और यूरोप में दिल के दौरे के खतरे और स्ट्रोक का प्रबंध किया है. हार्टस्कोर व्यक्ति हृदय जोखिम में कमी के अनुकूलन में चिकित्सकों का समर्थन करने के उद्देश्य से है. हार्टस्कोर कार्यक्रम संस्करण 12 भाषाओं उपलब्ध है और वेब आधारित या पीसी संस्करण प्रदान करते है. 

हृदयाघात (हार्ट अटैक) या दिल के दौरे के प्रकार By: Chiragan

तीव्र रोधगलन के दो बुनियादी प्रकार होते हैं:
  • ट्रांसमुरल : धमनीकलाकाठिन्य के साथ संबद्ध है जिसमें प्रमुख कोरोनरी धमनी शामिल है. इसे पूर्वकाल, पीछे, या हीन में उप-वर्गीकृत किया जा सकता है. दिल पेशी के सम्पूर्ण मोटाई के माध्यम से ट्रांसमुरल दौरे विस्तारित होते हैं और आमतौर पर क्षेत्र के रक्त संचार का सम्पूर्ण अन्तर्रोध से परिणाम सामने आते हैं. 
  • सुबेंडोकार्डियल : बाईं वेंट्रिकुलर, निलय पट, या इल्लों से भरे हुए मांसपेशियों के सुबेंडोकार्डियल दीवारों में छोटे क्षेत्रों को शामिल किया जाता है. सुबेंडोकार्डियल दौरे को स्थानीय रूप से कम रक्त की आपूर्ति के एक परिणाम के रूप में समझा जाता है, संभवतः कोरोनरी धमनियों की एक संकुचन से माना जाता है. सुबेंडोकार्डियल क्षेत्र दिल की रक्त आपूर्ति से दूर होता है और इस प्रकार के अतिसंवेदनशील के लिए अधिक विकृति है.
चिकित्सकीय, एक रोधगलन को ईसीजी परिवर्तन के आधार पर एक एसटी ऊंचाई एमआई (STEMI) बनाम एक गैर-एसटी ऊंचाई एमआई (गैर-STEMI) के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है.
अचानक हृदय मौत का वर्णन करने के लिए कभी-कभी "दिल का दौरा" वाक्यांश का इस्तेमाल गलत तरीके से किया जाता है जो कि तीव्र रोधगलन के परिणामस्वरूप हो सकता है या नहीं भी हो सकता है. दिल का दौरा इससे अलग होता है, लेकिन पूर्णहृद्रोध का कारण हो सकता है जो कि दिल की धड़कन और असामान्य धड़कन हृद्-अतालता को रोकता है. साथ ही यह हृद्पात से भी अलग होता है, जिसमें दिल को पंप करने में असमर्थ होता है; गंभीर रोधगलन से हृद्पात हो सकता है, लेकिन ऐसा होना जरूरी नहीं है.
2007 में एक आम सहमति के दस्तावेज़ ने रोधगलन को मुख्य रूप से पांच प्रकारों में वर्गीकृत किया है:
  • प्रकार 1 - पट्टिका कटाव और / या विदारण, दरार, या विच्छेदन जैसे प्राथमिक कोरोनरी घटना के कारण स्थानिक-अरक्तता से संबंधित सहज रोधगलन.
  • प्रकार 2 -ऑक्सीजन की बढ़ती मांग या आपूर्ति में कमी के कारण स्थानिक-अरक्तता के लिए रोधगलन माध्यमिक होती है, जैसे कोरोनरी धमनी की ऐंठन, कोरोनरी दिल का आवेश, रक्ताल्पता, एरहैथमियास, उच्च रक्तचाप, या हाइपोटेंशन.
  • प्रकार 3 - पूर्णहृद्रोध सहित अचानक कार्डियक अप्रत्याशित मृत्यु, अक्सर रोधगलन स्थानिक अरक्तता के विचारोत्तेजक लक्षण के साथ होता है, संभाव्यतः नई एसटी ऊंचाई द्वारा होता है, या नए LBBB, या एक कोरोनरी धमनी में ताजा थ्रोम्बस के सबूत एंजियोग्राफी द्वारा होता है और / या में शव परीक्षा के साथ के साथ होता है, लेकिन मृत्यु से पहले रक्त नमूने को लिया जा सकता है या रक्त में कार्डिक बायोमार्कर से पहले लिया जा सकता है.
  • प्रकार 4 - कोरोनरी एंजियोप्लास्टी या स्टेंट्स के साथ जुड़ा हुआ है:
    • प्रकार 4a - PCI के साथ रोधगलन जुड़ा हुआ
    • प्रकार 4b - स्टेंट घनास्त्रता के साथ रोधगलन जुड़ा हुआ चूंकि एंजियोग्राफी या शव परीक्षा द्वारा प्रलेखित है.
  • प्रकार 5 - CABG के साथ रोधगलन जुड़ा हुआ.
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हृदयाघात (हार्ट अटैक) या दिल के दौरे By: Chiragan

रोधगलन (MI ) या तीव्र रोधगलन (AMI ) को आमतौर पर हृदयाघात (हार्ट अटैक) या दिल के दौरे के रूप में जाना जाता है, जिसके तहत दिल के कुछ भागों में रक्त संचार में बाधा होती है, जिससे दिल की कोशिकाएं मर जाती हैं। यह आमतौर पर कमजोर धमनीकलाकाठिन्य पट्टिका के विदारण के बाद परिहृद्-धमनी के रोध (रूकावट) के कारण होता है, जो कि लिपिड (फैटी एसिड) का एक अस्थिर संग्रह और धमनी पट्टी में श्वेत रक्त कोशिका (विशेष रूप से बृहतभक्षककोशिका ) होता है। स्थानिक-अरक्तता के परिणामस्वरूप (रक्त संचार में प्रतिबंध) और ऑक्सीजन की कमी होती है, अगर लम्बी अवधि तक इसे अनुपचारित छोड़ दिया जाए, तो हृदय की मांसपेशी ऊतकों (मायोकार्डियम ) की क्षति या मृत्यु (रोधगलन ) हो सकती है।
तीव्र रोधगलन के शास्त्रीय लक्षणों में अचानक छाती में दर्द, (आमतौर पर बाएं हाथ या गर्दन के बाएं ओर), सांस की तकलीफ, मिचली, उल्टी, घबराहट, पसीना, और चिंता (अक्सर कयामत आसन्न भावना के रूप में वर्णित) शामिल हैं. महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले कम विशिष्ट लक्षण अनुभव हो सकता है, आमतौर पर सांस की कमी, थकान, अपच और कमजोरी.  सभी रोधगलन दौरे सीने में दर्द या अन्य लक्षण के बिना लगभग एक चौथाई "निष्क्रिय" होते हैं.
उपलब्ध दिल पेशी के क्षति का पता लगाने के नैदानिक ​​परीक्षणों में इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी), इकोकार्डियोग्राफी, और विभिन्न रक्त परीक्षण शामिल होते हैं. सबसे अक्सर इस्तेमाल किया जाने वाला मार्कर क्रिएटाइन किनेस-MB (CK-MB) और ट्रोपोनिनt स्तर हैं. संदिग्ध तीव्र रोधगलन के लिए तत्काल इलाज में ऑक्सीजन, एस्पिरिन, और उपजिह्वा नाइट्रोग्लिसरीन शामिल हैं.
एसटीईएमआई (एसटी उत्कर्ष एमआई) के अधिकांश मामलों को थ्रंबोलाइसिस या पर्क्युटेनिएस कोरोनरी इंटरवेंशन (पीसीआई) के साथ इलाज किया जाता है. NSTEMI (गैर-एसटी उत्कर्ष एमआई) को दवा के साथ प्रबंधित किया जाना चाहिए, हालांकि अस्पताल प्रवेश के दौरान PCI का अक्सर इस्तेमाल किया जाता है. वे लोग जिनमें कई रुकावटें और जो अपेक्षाकृत स्थिर रहे हैं, या कुछ आपातकालीन मामलों में, बाईपास सर्जरी एक विकल्प हो सकता है.
दुनिया भर में पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए मौत के मुख्य कारणों में से दिल के दौरा प्रमुख होता है. महत्वपूर्ण जोखिम कारक पूर्व के हृदय रोग, बड़ी आयु, तम्बाकू धूम्रपान के कुछ लिपिड के उच्च रक्त दबाव (ट्राइग्लिसराइड, कम घनत्व लेपोप्रोटीन) और उच्च घनत्व के लेपोप्रोटीन (एचडीएल) के निम्न स्तर, मधुमेह, उच्च रक्तचाप,, मोटापा, गुर्दे की पुरानी बीमारी, हृदय की विफलता, अत्यधिक शराब की खपत, ड्रग्स ( कोकीन और मेथमपेटामाइन ) के दुरुपयोग और पुरानी उच्च तनाव का स्तर हैं.
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भारत के 612 धनकुबेरों की विदेशों में फर्जी कंपनियां By: Chiragan

ब्लैक मनी को लेकर देश में चल रही बहस के बीच इंटरनैशनल कंसोर्सियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (ICIJ) ने एक बड़ा खुलासा किया है। दावा किया गया है कि भारत के 612 उद्योगपतियों ने विदेशों में फर्जी कंपनियां खोलकर टैक्स चोरी की और अपने पैसों को खपाया है। इनमें एक कांग्रेस सांसद का नाम भी शामिल हैं। ICIJ ने 170 देशों के 1.2 लाख फर्म्स, ट्रस्ट और एजेंट्स के बारे में यह 'महाखुलासा' किया है।



ICIJ के इस खुलासे में कांग्रेस के लोकसभा सांसद विवेकानंद गद्दम और राज्य सभा सदस्य और किंगफिशर के मालिक विजय माल्या के नाम भी शामिल हैं। इसके अलावा भारत के टॉप बिजनेमैन रविकांत रुइया, समीर मोदी, चेतन बर्मन, अभय कुमार ओसवाल, तेजा राजू, सौरभ मित्तल आदि के भी ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड, कुक आइलैंड और समोआ जैसे टैक्स हेवन समझे जाने वाले देशों में फर्जी कंपनियां और खाते हैं।

इन देशों में पैसा लगाते हुए आरबीआई और FEMA के नियमों का खुलेआम उल्लंघन किया गया है। ICIJ ने सभी की ट्रांजैक्शन डीटेल्स भी जारी की हैं।


ट्रांजैक्शन की डीटेल्स 2.5 मिलियन सीक्रेट फाइल में मौजूद हैं। इन फाइलों में करीब 260 जीबी डेटा है। इनमें पिछले 30 सालों के करीब दो लाख ईमेल्स भी शामिल हैं। इन सीक्रेट फाइलों में कंपनियों के कैश ट्रांसफर के पूरे आंकड़े और कुछ लोगों से कंपनी के संबंधों की भी डीटेल्स हैं। ये दस्तावेज 2010 में विकिलीक्स के अमेरिकी विदेश विभाग के लीक किए गए दस्तावेजों से 160 गुना ज्यादा बताए जा रहे हैं।

क्या है ICIJ: ICIJ दरअसल खोजी पत्रकारों का एक संगठन है। इसका मुख्यालय वॉशिंगटन में है। इसके नेटवर्क में अलग-अलग देशों के कई स्वतंत्र खोजी पत्रकार जुड़े हुए हैं। इसके साथ ही ICIJ से कई मीडिया संगठन भी जुड़े हुए हैं।

सरकारी बिल और जनलोकपाल बिल में मुख्य अंतर

अगस्त से शुरु हुए मानसून सत्र में सरकार ने जो विधेयक प्रस्तुत किया वह कमजोर और जन लोकपाल के सर्वथा विपरीत था। अन्ना हज़ारे ने इसके खिलाफ अपने पूर्व घोषित तिथि १६ अगस्त से पुनः अनशन पर जाने की बात दुहराई। १६ अगस्त को सुबह साढ़े सात बजे जब वे अनशन पर जाने के लिए तैयारी कर रहे थे, उन्हें दिल्ली पुलिस ने उन्हें घर से ही गिरफ्तार कर लिया। उनके टीम के अन्य लोग भी गिरफ्तार कर लिए गए। इस खबर ने आम जनता को उद्वेलित कर दिया और वह सड़कों पर उतरकर सरकार के इस कदम का अहिंसात्मक प्रतिरोध करने लगी। दिल्ली पुलिस ने अन्ना को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया। अन्ना ने रिहा किए जाने पर दिल्ली से बाहर रालेगाँव चले जाने या ३ दिन तक अनशन करने की बात अस्वीकार कर दी। उन्हें ७ दिनों के न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल भेज दिया गया। शाम तक देशव्यापी प्रदर्शनों की खबर ने सरकार को अपना कदम वापस खींचने पर मजबूर कर दिया। दिल्ली पुलिस ने अन्ना को सशर्त रिहा करने का आदेश जारी किया। मगर अन्ना अनशन जारी रखने पर दृढ़ थे। बिना किसी शर्त के अनशन करने की अनुमति तक उन्होंने रिहा होने से इनकार कर दिया। १७ अगस्त तक देश में अन्ना के समर्थन में प्रदर्शन होता रहा। दिल्ली में तिहाड़ जेल के बाहर हजारों लोग डेरा डाले रहे। १७ अगस्त की शाम तक दिल्ली पुलिस रामलीला मैदान में और ७ दिनों तक अनशन करने की इजाजत देने को तैयार हुई।अन्ना को राम्लीला मैदान मै १५ दिन कि अनुमति मिलि,और अब १९ अगस्त से श्री अन्ना राम लीला मेदान मै जन लोकपाल बिल के लिये आनशन जारी रखने पर दृढ़ है| अनशन का आज दसवाँ दिन है | आज २६ अगस्त है फिर भी सरकार अन्ना जी का अन्शन समापत नही करवा पाए |हजारे ने कहा कि अगर जन लोकपाल विधेयक पर संसद चर्चा करती है और इन तीन शर्तों पर सदन के भीतर सहमति बन जाती है तो वह अपना अनशन समाप्त कर देंगे।प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने दोनो पक्षों के बीच जारी गतिरोध को तोड़ने की दिशा में पहली ठोस पहल करते हुए लोकसभा में खुली पेशकश की कि संसद अरूणा राय और डा. जयप्रकाश नारायण सहित अन्य लोगों द्वारा पेश विधेयकों के साथ जन लोकपाल विधेयक पर भी विचार करेगी। उसके बाद विचार विमर्श का ब्यौरा स्थायी समिति को भेजा जाएगा।
सरकारी लोकपाल के पास भ्रष्टाचार के मामलों पर ख़ुद या आम लोगों की शिकायत पर सीधे कार्रवाई शुरु करने का अधिकार नहीं होगा. सांसदों से संबंधित मामलों में आम लोगों को अपनी शिकायतें राज्यसभा के सभापति या लोकसभा अध्यक्ष को भेजनी पड़ेंगी. वहीं प्रस्तावित जनलोकपाल बिल के तहत लोकपाल ख़ुद किसी भी मामले की जांच शुरु करने का अधिकार रखता है. इसमें किसी से जांच के लिए अनुमति लेने की ज़रूरत नहीं है सरकार द्वारा प्रस्तावित लोकपाल को नियुक्त करने वाली समिति में उपराष्ट्रपति. प्रधानमंत्री, दोनो सदनों के नेता, दोनो सदनों के विपक्ष के नेता, क़ानून और गृह मंत्री होंगे. वहीं प्रस्तावित जनलोकपाल बिल में न्यायिक क्षेत्र के लोग, मुख्य चुनाव आयुक्त, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक, भारतीय मूल के नोबेल और मैगासेसे पुरस्कार के विजेता चयन करेंगे ।

राज्यसभा के सभापति या स्पीकर से अनुमति

सरकारी लोकपाल के पास भ्रष्टाचार के मामलों पर ख़ुद या आम लोगों की शिकायत पर सीधे कार्रवाई शुरु करने का अधिकार नहीं होगा. सांसदों से संबंधित मामलों में आम लोगों को अपनी शिकायतें राज्यसभा के सभापति या लोकसभा अध्यक्ष को भेजनी पड़ेंगी.वहीं प्रस्तावित जनलोकपाल बिल के तहत लोकपाल ख़ुद किसी भी मामले की जांच शुरु करने का अधिकार रखता है. इसमें किसी से जांच के लिए अनुमति लेने की ज़रूरत नहीं है.सरकारी विधेयक में लोकपाल केवल परामर्श दे सकता है. वह जांच के बाद अधिकार प्राप्त संस्था के पास इस सिफ़ारिश को भेजेगा. जहां तक मंत्रीमंडल के सदस्यों का सवाल है इस पर प्रधानमंत्री फ़ैसला करेंगे. वहीं जनलोकपाल सशक्त संस्था होगी. उसके पास किसी भी सरकारी अधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई की क्षमता होगी.सरकारी विधेयक में लोकपाल के पास पुलिस शक्ति नहीं होगी. जनलोकपाल न केवल प्राथमिकी दर्ज करा पाएगा बल्कि उसके पास पुलिस फ़ोर्स भी होगी
अधिकार क्षेत्र सीमित
अगर कोई शिकायत झूठी पाई जाती है तो सरकारी विधेयक में शिकायतकर्ता को जेल भी भेजा जा सकता है. लेकिन जनलोकपाल बिल में झूठी शिकायत करने वाले पर जुर्माना लगाने का प्रावधान है.
सरकारी विधेयक में लोकपाल का अधिकार क्षेत्र सांसद, मंत्री और प्रधानमंत्री तक सीमित रहेगा. जनलोकपाल के दायरे में प्रधानमत्री समेत नेता, अधिकारी, न्यायाधीश सभी आएँगे.
लोकपाल में तीन सदस्य होंगे जो सभी सेवानिवृत्त न्यायाधीश होंगे. जनलोकपाल में 10 सदस्य होंगे और इसका एक अध्यक्ष होगा. चार की क़ानूनी पृष्टभूमि होगी. बाक़ी का चयन किसी भी क्षेत्र से होगा.
चयनकर्ताओं में अंतर
सरकार द्वारा प्रस्तावित लोकपाल को नियुक्त करने वाली समिति में उपराष्ट्रपति. प्रधानमंत्री, दोनो सदनों के नेता, दोनो सदनों के विपक्ष के नेता, क़ानून और गृह मंत्री होंगे. वहीं प्रस्तावित जनलोकपाल बिल में न्यायिक क्षेत्र के लोग, मुख्य चुनाव आयुक्त, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक, भारतीय मूल के नोबेल और मैगासेसे पुरस्कार के विजेता चयन करेंगे.लोकपाल की जांच पूरी होने के लिए छह महीने से लेकर एक साल का समय तय किया गया है. प्रस्तावित जनलोकपाल बिल के अनुसार एक साल में जांच पूरी होनी चाहिए और अदालती कार्यवाही भी उसके एक साल में पूरी होनी चाहिए.
सरकारी लोकपाल विधेयक में नौकरशाहों और जजों के ख़िलाफ़ जांच का कोई प्रावधान नहीं है. लेकिन जनलोकपाल के तहत नौकरशाहों और जजों के ख़िलाफ़ भी जांच करने का अधिकार शामिल है. 

सज़ा और नुक़सान की भरपाई

सरकारी लोकपाल विधेयक में दोषी को छह से सात महीने की सज़ा हो सकती है और धोटाले के धन को वापिस लेने का कोई प्रावधान नहीं है. वहीं जनलोकपाल बिल में कम से कम पांच साल और अधिकतम उम्र क़ैद की सज़ा हो सकती है. साथ ही धोटाले की भरपाई का भी प्रावधान है.
ऐसी स्थिति मे जिसमें लोकपाल भ्रष्ट पाया जाए, उसमें जनलोकपाल बिल में उसको पद से हटाने का प्रावधान भी है. इसी के साथ केंद्रीय सतर्कता आयुक्त, सीबीआई की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा सभी को जनलोकपाल का हिस्सा बनाने का प्रावधान भी है.
Collection by: Kinjal kumar

जन लोकपाल बिल की प्रमुख शर्तें By: Chiragan

न्यायाधीश संतोष हेगड़े, प्रशांत भूषण और अरविंद केजरीवाल द्वारा बनाया गया यह विधेयक लोगों द्वारा वेबसाइट पर दी गई प्रतिक्रिया और जनता के साथ विचार-विमर्श के बाद तैयार किया गया है। इस बिल को शांति भूषण, जे एम लिंग्दोह, किरण बेदी, अन्ना हजारे आदि का समर्थन प्राप्त है। इस बिल की प्रति प्रधानमंत्री और सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को एक दिसम्बर को भेजा गया था।
  1. इस कानून के अंतर्गत, केंद्र में लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्त का गठन होगा।
  2. यह संस्था निर्वाचन आयोग और सुप्रीम कोर्ट की तरह सरकार से स्वतंत्र होगी। कोई भी नेता या सरकारी अधिकारी की जांच की जा सकेगी
  3. भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कई सालों तक मुकदमे लम्बित नहीं रहेंगे। किसी भी मुकदमे की जांच एक साल के भीतर पूरी होगी। ट्रायल अगले एक साल में पूरा होगा और भ्रष्ट नेता, अधिकारी या न्यायाधीश को दो साल के भीतर जेल भेजा जाएगा।
  4. अपराध सिद्ध होने पर भ्रष्टाचारियों द्वारा सरकार को हुए घाटे को वसूल किया जाएगा।
  5. यह आम नागरिक की कैसे मदद करेगा: यदि किसी नागरिक का काम तय समय सीमा में नहीं होता, तो लोकपाल जिम्मेदार अधिकारी पर जुर्माना लगाएगा और वह जुर्माना शिकायतकर्ता को मुआवजे के रूप में मिलेगा।
  6. अगर आपका राशन कार्ड, मतदाता पहचान पत्र, पासपोर्ट आदि तय समय सीमा के भीतर नहीं बनता है या पुलिस आपकी शिकायत दर्ज नहीं करती तो आप इसकी शिकायत लोकपाल से कर सकते हैं और उसे यह काम एक महीने के भीतर कराना होगा। आप किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार की शिकायत लोकपाल से कर सकते हैं जैसे सरकारी राशन की कालाबाजारी, सड़क बनाने में गुणवत्ता की अनदेखी, पंचायत निधि का दुरुपयोग। लोकपाल को इसकी जांच एक साल के भीतर पूरी करनी होगी। सुनवाई अगले एक साल में पूरी होगी और दोषी को दो साल के भीतर जेल भेजा जाएगा।
  7. क्या सरकार भ्रष्ट और कमजोर लोगों को लोकपाल का सदस्य नहीं बनाना चाहेगी? ये मुमकिन है क्योंकि लोकपाल के सदस्यों का चयन न्यायाधीशों, नागरिकों और संवैधानिक संस्थानों नेताओं द्वारा किया जाएगा। इनकी नियुक्ति पारदर्शी तरीके से और जनता की भागीदारी से होगी।
  8. अगर लोकपाल में काम करने वाले अधिकारी भ्रष्ट पाए गए तो? लोकपाल / लोकायुक्तों का कामकाज पूरी तरह पारदर्शी होगा। लोकपाल के किसी भी कर्मचारी के खिलाफ शिकायत आने पर उसकी जांच अधिकतम दो महीने में पूरी कर उसे बर्खास्त कर दिया जाएगा।
  9. मौजूदा भ्रष्टाचार निरोधक संस्थानों का क्या होगा? सीवीसी, विजिलेंस विभाग, सीबीआई की भ्रष्टाचार निरोधक विभाग (अंटी कारप्शन डिपार्टमेंट) का लोकपाल में विलय कर दिया जाएगा। लोकपाल को किसी न्यायाधीश, नेता या अधिकारी के खिलाफ जांच करने व मुकदमा चलाने के लिए पूर्ण शक्ति और व्यवस्था भी होगी।सभी बिन्दुओ कि समय सिमा ज्यादा है।
Collection By: Kinjal Kumar

जन लोकपाल विधेयक By: Chiragan

जन लोकपाल बिल भारत में नागरिक समाज द्वारा प्रस्तावित भ्रष्टाचारनिरोधी बिल का मसौदा है। यह सशक्त जन लोकपाल के स्थापना का प्रावधान करता है जो चुनाव आयुक्त की तरह स्वतंत्र संस्था होगी। जन लोकपाल के पास भ्रष्ट राजनेताओं एवं नौकरशाहों पर बिना किसी से अनुमति लिये ही अभियोग चलाने की शक्ति होगी। भ्रष्टाचार विरोधी भारत (इंडिया अगेंस्ट करपशन) नामक गैर सरकारी सामाजिक संगठन का निमाण करेगे.संतोष हेगड़े, वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण, मैग्सेसे पुरस्कार विजेता सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल ने यह बिल भारत के विभिन्न सामाजिक संगठनों और जनता के साथ व्यापक विचार विमर्श के बाद तैयार किया था। इसे लागु कराने के लिए सुप्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता और गांधीवादी अन्ना हजारे के नेतृत्व में २०११ में अनशन शुरु किया गया। १६ अगस्त में हुए जन लोकपाल बिल आंदोलन २०११ को मिले व्यापक जन समर्थन ने मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली भारत सरकार को संसद में प्रस्तुत सरकारी लोकपाल बिल के बदले एक सशक्त लोकपाल के गठन के लिए सहमत होना पड़ा।


जन लोकपाल बिल के मुख्य बिन्दु==
  • इस नियम के अनुसार केंद्र में लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्त का गठन होगा।
  • यह संस्था निर्वाचन आयोग और उच्चतम न्यायालय की तरह सरकार से स्वतंत्र होगी।
  • किसी भी मुकदमे की जांच ३ महिने के भीतर पूरी होगी। सुनवाई अगले ६ महिने में पूरी होगी।
  • भ्रष्ट नेता, अधिकारी या न्यायाधीश को १ साल के भीतर जेल भेजा जाएगा।
  • भ्रष्टाचार के कारण से सरकार को जो नुकसान हुआ है अपराध साबित होने पर उसे दोषी से वसूला जाएगा।
  • अगर किसी नागरिक का काम तय समय में नहीं होता तो लोकपाल दोषी अधिकारी पर जुर्माना लगाएगा जो शिकायतकर्ता को क्षतिपूर्ति के तौर पर मिलेगा।
  • लोकपाल के सदस्यों का चयन न्यायाधीश, नागरिक और संवैधानिक संस्थाएं मिलकर करेंगी। नेताओं का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा।
  • लोकपाल/ लोक आयुक्तों का काम पूरी तरह पारदर्शी होगा। लोकपाल के किसी भी कर्मचारी के खिलाफ शिकायत आने पर उसकी जांच 2 महीने में पूरी कर उसे बर्खास्त कर दिया जाएगा।
  • सीवीसी, विजिलेंस विभाग और सीबीआई के ऐंटि-करप्शन विभाग का लोकपाल में विलय हो जाएगा।
  • लोकपाल को किसी भी भ्रष्ट जज, नेता या अफसर के खिलाफ जांच करने और मुकदमा चलाने के लिए पूरी शक्ति और व्यवस्था होगी।
Collection By: Kinjal Kumar

अरविन्द सत्याग्रह से मिला क्या?

अब जब आज अरविन्द केजरीवाल ने अपने अनशन को कल शाम(6 अप्रेल) 5 बजे खत्म करने की घोषणा कर दी है तो एक तरफ जन्हा "आप समर्थको" में ख़ुशी का माहौल है वन्ही दूसरी और हमारे विरोधियो ने फिर प्रश्न करने शुरू कर दिए है की क्या सरकार न हमारी मांगे मान ली थी जो अरविन्द केजरीवाल ने अपना अनशन  समाप्त कर दिया है?


पर मैं उन लोगो से पूछना चाहूँगा की सरकार से हमारी मांग ही क्या थी? अरविन्द सरकार से कोई अपनी मांगे मनवाने के लिए नहीबैठे थे अनशन पर, अरविन्द जी अनशन पर बैठे थे दिल्ली की जनता का डर निकालने के लिए और यदि एक आदमी की 14 दिन की भूख हड़ताल के बाद दस लाख लोग शपथ पत्र भर कर कहते है की हम अब बिजली के बिल नही देंगे तो क्या ये आन्दोलन की सफलता का पैमाना नही माना जाना चाहिय?

और वेसे भी जो लोग चाहते थे की इस अनशन के द्वारा ही बिजली के बड़े हुए दाम घटाए शिला सरकार तो उन्हें देखना चाहिए की एक डाबीटीज का मरीज़ और कितने दिन अपना खून जला सकता था दिल्ली के लोगो को जगाने के लिए और फिर भी मैं सलाम करता हूँ अरविन्द केजरीवाल को जिन्होंने अपना खून जला कर सच में दिल्ली के लोगो को जगाया और आप कार्यकर्ता द्वारा दस लाख लोगो से घर-घर जाकर शपथ पत्र भरवाना उसकी एक मिसाल है, हम इस आन्दोलन को याद करेंगे आज़ाद भारत के पहले असहयोग आन्दोलन के रूप में जिसमे इतनी बड़ी तादात में लोग सरकार के साथ असहयोग करने को तैयार है...

और जो लोग समझ रहे है की कल अनशन खत्म करने के बाद ये बिजली-पानी का आन्दोलन भी खत्म हो जाएगा, उनके लिए तो अरविन्द भाई ने कह ही दिया है की कल से आन्दोलन का दूसरा चरण शुरू हो जाएगा और कल से जिन लोगो के बिजली के कनेक्शन काट दिए जायेंगे उनके कनेक्सन आप कार्यकर्ता घर घर जाकर जोड़ेंगे...

अब बस दुआ है इस आन्दोलन की सफलता की...

आर्यन कोठियल