जन लोकपाल बिल भारत में नागरिक समाज द्वारा प्रस्तावित भ्रष्टाचारनिरोधी बिल का मसौदा है। यह सशक्त जन लोकपाल के स्थापना का प्रावधान करता है जो चुनाव आयुक्त की तरह स्वतंत्र संस्था होगी। जन लोकपाल के पास भ्रष्ट राजनेताओं एवं नौकरशाहों पर बिना किसी से अनुमति लिये ही अभियोग चलाने
की शक्ति होगी। भ्रष्टाचार विरोधी भारत (इंडिया अगेंस्ट करपशन) नामक गैर
सरकारी सामाजिक संगठन का निमाण करेगे.संतोष हेगड़े, वरिष्ठ अधिवक्ता
प्रशांत भूषण, मैग्सेसे पुरस्कार विजेता सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल ने
यह बिल भारत के विभिन्न सामाजिक संगठनों और जनता के साथ व्यापक विचार
विमर्श के बाद तैयार किया था। इसे लागु कराने के लिए सुप्रसिद्ध सामाजिक
कार्यकर्ता और गांधीवादी अन्ना हजारे के नेतृत्व में २०११ में अनशन शुरु
किया गया। १६ अगस्त में हुए जन लोकपाल बिल आंदोलन २०११ को
मिले व्यापक जन समर्थन ने मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली भारत सरकार को संसद
में प्रस्तुत सरकारी लोकपाल बिल के बदले एक सशक्त लोकपाल के गठन के लिए
सहमत होना पड़ा।
जन लोकपाल बिल के मुख्य बिन्दु==
- इस नियम के अनुसार केंद्र में लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्त का गठन होगा।
- यह संस्था निर्वाचन आयोग और उच्चतम न्यायालय की तरह सरकार से स्वतंत्र होगी।
- किसी भी मुकदमे की जांच ३ महिने के भीतर पूरी होगी। सुनवाई अगले ६ महिने में पूरी होगी।
- भ्रष्ट नेता, अधिकारी या न्यायाधीश को १ साल के भीतर जेल भेजा जाएगा।
- भ्रष्टाचार के कारण से सरकार को जो नुकसान हुआ है अपराध साबित होने पर उसे दोषी से वसूला जाएगा।
- अगर किसी नागरिक का काम तय समय में नहीं होता तो लोकपाल दोषी अधिकारी पर जुर्माना लगाएगा जो शिकायतकर्ता को क्षतिपूर्ति के तौर पर मिलेगा।
- लोकपाल के सदस्यों का चयन न्यायाधीश, नागरिक और संवैधानिक संस्थाएं मिलकर करेंगी। नेताओं का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा।
- लोकपाल/ लोक आयुक्तों का काम पूरी तरह पारदर्शी होगा। लोकपाल के किसी भी कर्मचारी के खिलाफ शिकायत आने पर उसकी जांच 2 महीने में पूरी कर उसे बर्खास्त कर दिया जाएगा।
- सीवीसी, विजिलेंस विभाग और सीबीआई के ऐंटि-करप्शन विभाग का लोकपाल में विलय हो जाएगा।
- लोकपाल को किसी भी भ्रष्ट जज, नेता या अफसर के खिलाफ जांच करने और मुकदमा चलाने के लिए पूरी शक्ति और व्यवस्था होगी।
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