अब जब आज अरविन्द केजरीवाल ने अपने अनशन को कल शाम(6 अप्रेल) 5 बजे खत्म
करने की घोषणा कर दी है तो एक तरफ जन्हा "आप समर्थको" में ख़ुशी का माहौल है
वन्ही दूसरी और हमारे विरोधियो ने फिर प्रश्न करने शुरू कर दिए है की क्या
सरकार न हमारी मांगे मान ली थी जो अरविन्द केजरीवाल ने अपना अनशन समाप्त
कर दिया है?
पर मैं उन लोगो से पूछना चाहूँगा की सरकार से हमारी मांग ही क्या थी? अरविन्द सरकार से कोई अपनी मांगे मनवाने के लिए नहीबैठे थे अनशन पर, अरविन्द जी अनशन पर बैठे थे दिल्ली की जनता का डर निकालने के लिए और यदि एक आदमी की 14 दिन की भूख हड़ताल के बाद दस लाख लोग शपथ पत्र भर कर कहते है की हम अब बिजली के बिल नही देंगे तो क्या ये आन्दोलन की सफलता का पैमाना नही माना जाना चाहिय?
और वेसे भी जो लोग चाहते थे की इस अनशन के द्वारा ही बिजली के बड़े हुए दाम घटाए शिला सरकार तो उन्हें देखना चाहिए की एक डाबीटीज का मरीज़ और कितने दिन अपना खून जला सकता था दिल्ली के लोगो को जगाने के लिए और फिर भी मैं सलाम करता हूँ अरविन्द केजरीवाल को जिन्होंने अपना खून जला कर सच में दिल्ली के लोगो को जगाया और आप कार्यकर्ता द्वारा दस लाख लोगो से घर-घर जाकर शपथ पत्र भरवाना उसकी एक मिसाल है, हम इस आन्दोलन को याद करेंगे आज़ाद भारत के पहले असहयोग आन्दोलन के रूप में जिसमे इतनी बड़ी तादात में लोग सरकार के साथ असहयोग करने को तैयार है...
और जो लोग समझ रहे है की कल अनशन खत्म करने के बाद ये बिजली-पानी का आन्दोलन भी खत्म हो जाएगा, उनके लिए तो अरविन्द भाई ने कह ही दिया है की कल से आन्दोलन का दूसरा चरण शुरू हो जाएगा और कल से जिन लोगो के बिजली के कनेक्शन काट दिए जायेंगे उनके कनेक्सन आप कार्यकर्ता घर घर जाकर जोड़ेंगे...
अब बस दुआ है इस आन्दोलन की सफलता की...
आर्यन कोठियल
पर मैं उन लोगो से पूछना चाहूँगा की सरकार से हमारी मांग ही क्या थी? अरविन्द सरकार से कोई अपनी मांगे मनवाने के लिए नहीबैठे थे अनशन पर, अरविन्द जी अनशन पर बैठे थे दिल्ली की जनता का डर निकालने के लिए और यदि एक आदमी की 14 दिन की भूख हड़ताल के बाद दस लाख लोग शपथ पत्र भर कर कहते है की हम अब बिजली के बिल नही देंगे तो क्या ये आन्दोलन की सफलता का पैमाना नही माना जाना चाहिय?
और वेसे भी जो लोग चाहते थे की इस अनशन के द्वारा ही बिजली के बड़े हुए दाम घटाए शिला सरकार तो उन्हें देखना चाहिए की एक डाबीटीज का मरीज़ और कितने दिन अपना खून जला सकता था दिल्ली के लोगो को जगाने के लिए और फिर भी मैं सलाम करता हूँ अरविन्द केजरीवाल को जिन्होंने अपना खून जला कर सच में दिल्ली के लोगो को जगाया और आप कार्यकर्ता द्वारा दस लाख लोगो से घर-घर जाकर शपथ पत्र भरवाना उसकी एक मिसाल है, हम इस आन्दोलन को याद करेंगे आज़ाद भारत के पहले असहयोग आन्दोलन के रूप में जिसमे इतनी बड़ी तादात में लोग सरकार के साथ असहयोग करने को तैयार है...
और जो लोग समझ रहे है की कल अनशन खत्म करने के बाद ये बिजली-पानी का आन्दोलन भी खत्म हो जाएगा, उनके लिए तो अरविन्द भाई ने कह ही दिया है की कल से आन्दोलन का दूसरा चरण शुरू हो जाएगा और कल से जिन लोगो के बिजली के कनेक्शन काट दिए जायेंगे उनके कनेक्सन आप कार्यकर्ता घर घर जाकर जोड़ेंगे...
अब बस दुआ है इस आन्दोलन की सफलता की...
आर्यन कोठियल
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