कानून के क्षेत्र में लोगों को खूब नौकरियां मिल रही हैं। देश में
अदालतें बेशक कम हों, लेकिन मुकदमों की तादाद लगातार बढ़ती ही जा रही है।
इसीलिए दिन-ब-दिन वकीलों की मांग भी बढ़ती जा रही है। देश के कानून इतने
व्यापक हैं कि स्पेशलाइजेशन की जरूरत बढ़ जाती है, बिलकुल मेडिकल फील्ड की
तरह। आप अपनी रुचि के अनुसार किसी विशेष क्षेत्र के कानून के विशेषज्ञ के
रूप में पहचान बना सकते हैं। यह क्षेत्र एडमिनिस्ट्रेटिव लॉ, कांस्टीटय़ूशन
लॉ, फैमिली लॉ, इंटरनेशनल लॉ, साइबर लॉ, लेबर लॉ, पेटेंट लॉ, एनवायरमेंटल
लॉ और कॉरपोरेट लॉ आदि में से कुछ भी हो सकता है कानून से जुड़े रोजगार
कैसे बनें कॉरपोरेट लॉयर यह लीगल फील्ड का उभरता स्वरूप है। बड़े बिजनेस हाउसेज और सरकारी विभागों को भी कई जटिल कानूनी मामलों का सामना करना पड़ता है। इन्हें हल करने के लिए कॉरपोरेट लॉयर्स की मांग बड़ी तेजी से बढ़ रही है। इनका काम कंपनी के संचालन में कानूनी नियमों का पालन सुनिश्चित करना, कंपनी से जुड़े मुकदमों की पैरवी करना, कंपनी के लिए कांट्रेक्ट्स तैयार करना आदि होता है। कॉरपोरेट कंपनियों में मिलने वाले आकर्षक वेतन के चलते युवा इस तरफ आकर्षित हो रहे हैं। समय से आगे चलने और दुनिया की भीड़ से कुछ अलग कर गुजरने की हिम्मत किसी-किसी में होती है। वैश्वीकरण के फलस्वरूप बाजार की वृहत्ता में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कंपनियां एक साथ काम कर रही हैं। इन्हें प्राधिकृत करने के लिए सरकार ने नियमों की रचना की है। इसमें से कुछ नियम सरकार द्वारा तथा कुछ कंपनियों द्वारा खुद ही तय किये जाते हैं। सरकारी नियमों के अलावा कंपनियां कर्मियों, ग्राहकों या सहयोगियों के लिए अपने भी नियम बनाती हैं। ऐसे ही नियमों की गुत्थ्यिों को समझने और उनकी प्राथमिकताओं को पूरा करने का भार कॉरपोरेट लॉ के जानकारों का होता है। कॉरपोरेट लॉ फर्म अपने ग्राहक की टैक्स प्लानिंग से लेकर, कर्मियों, सहयोगियों, शेयरधारकों, यहां तक कि किरायों और समझौ तों की संपूर्ण रूपरेखा बनाते हैं। कॉरपोरेट लॉ फर्म किसी भी कंपनी की रीढ़ होती है, जिसके द्वारा किए गए काम से ही कंपनी की वास्तविक आमदनी और उपलब्धियों का आकलन किया जाता है। नियमों में पारदर्शिता और स्थिरता कंपनी का भविष्य तय करती है। कैसे मिलेगी एंट्री आईईसी यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डॉक्टर नवीन गुप्ता के मुताबिक दसवीं के बाद लॉ की पढ़ाई शुरू की जा सकती है। कई यूनिवर्सिटीज और प्राइवेट कॉलेजों में पांच वर्षीय बीए एलएलबी कोर्स कराया जाता है। अगर आप ग्रेजुएट हैं, तो तीन वर्षीय एलएलबी कोर्स के बाद इस क्षेत्र में करियर शुरू कर सकते हैं। एंट्रेंस एग्जाम में बैठने के लिए दसवीं में कम से कम 55 प्रतिशत अंक होने चाहिए। देश के विभिन्न ‘नेशनल लॉ स्कूल्स’ में एडमिशन ‘कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (सीएलएटी) के माध्यम से होता है। अन्य संस्थान लॉ कोर्सेज के लिए अलग-अलग एंट्रेंस एग्जाम आयोजित करते हैं। कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट में आमतौर पर इंग्लिश, लॉजिकल रीजनिंग, लीगल रीजनिंग, मैथमेटिक्स और जनरल नॉलेज से जुड़े सवाल पूछे जाते हैं। अगर आप विदेश जाकर लॉ की पढ़ाई करना चाहते हैं तो वहां एडमिशन की प्रक्रिया अलग हो सकती है। प्रमुख लॉ सं स्थान नेशनल लॉ स्कूल ऑ फ इंडिया यूनिवर्सिटी, बेंगलुरू डॉ. राम मनोहर लोहिया नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, लखनऊ आईईसी यूनिवर्सिटी, बद्दी, हिमाचल प्रदेश चाणक्या नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, पटना नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ स्टडी एंड रिसर्च इन लॉ, रांची फजले गुफरान
कॉरपोरेट लॉ का कार्यक्षेत्र कंपनी के टैक्सों का आकलन और निष्पादन नये संस्थानों के गठन की संरचना लाइसेंस समझौता बनाना बौद्धिक संपतियों को संरक्षित करना शेयरधारकों के लिए नियम बनाना विक्रय तथा वितरक समझौते की रूपरेखा तैयार करना ट्रेड मार्क और कॉपी राइट नियमों का निष्पादन करना कर्मियों के लिए कं पनी अधिनियमों के अनुरूप नियम बनाना सं युक्त अथवा किसी भी प्रकार के उपक्रम की संरचना नये व्यवसायों के लिए लाभ- हानि की सलाह देना आदि
कैसे बनें कॉरपोरेट लॉयर यह लीगल फील्ड का उभरता स्वरूप है। बड़े बिजनेस हाउसेज और सरकारी विभागों को भी कई जटिल कानूनी मामलों का सामना करना पड़ता है। इन्हें हल करने के लिए कॉरपोरेट लॉयर्स की मांग बड़ी तेजी से बढ़ रही है। इनका काम कंपनी के संचालन में कानूनी नियमों का पालन सुनिश्चित करना, कंपनी से जुड़े मुकदमों की पैरवी करना, कंपनी के लिए कांट्रेक्ट्स तैयार करना आदि होता है। कॉरपोरेट कंपनियों में मिलने वाले आकर्षक वेतन के चलते युवा इस तरफ आकर्षित हो रहे हैं। समय से आगे चलने और दुनिया की भीड़ से कुछ अलग कर गुजरने की हिम्मत किसी-किसी में होती है। वैश्वीकरण के फलस्वरूप बाजार की वृहत्ता में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कंपनियां एक साथ काम कर रही हैं। इन्हें प्राधिकृत करने के लिए सरकार ने नियमों की रचना की है। इसमें से कुछ नियम सरकार द्वारा तथा कुछ कंपनियों द्वारा खुद ही तय किये जाते हैं। सरकारी नियमों के अलावा कंपनियां कर्मियों, ग्राहकों या सहयोगियों के लिए अपने भी नियम बनाती हैं। ऐसे ही नियमों की गुत्थ्यिों को समझने और उनकी प्राथमिकताओं को पूरा करने का भार कॉरपोरेट लॉ के जानकारों का होता है। कॉरपोरेट लॉ फर्म अपने ग्राहक की टैक्स प्लानिंग से लेकर, कर्मियों, सहयोगियों, शेयरधारकों, यहां तक कि किरायों और समझौ तों की संपूर्ण रूपरेखा बनाते हैं। कॉरपोरेट लॉ फर्म किसी भी कंपनी की रीढ़ होती है, जिसके द्वारा किए गए काम से ही कंपनी की वास्तविक आमदनी और उपलब्धियों का आकलन किया जाता है। नियमों में पारदर्शिता और स्थिरता कंपनी का भविष्य तय करती है। कैसे मिलेगी एंट्री आईईसी यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डॉक्टर नवीन गुप्ता के मुताबिक दसवीं के बाद लॉ की पढ़ाई शुरू की जा सकती है। कई यूनिवर्सिटीज और प्राइवेट कॉलेजों में पांच वर्षीय बीए एलएलबी कोर्स कराया जाता है। अगर आप ग्रेजुएट हैं, तो तीन वर्षीय एलएलबी कोर्स के बाद इस क्षेत्र में करियर शुरू कर सकते हैं। एंट्रेंस एग्जाम में बैठने के लिए दसवीं में कम से कम 55 प्रतिशत अंक होने चाहिए। देश के विभिन्न ‘नेशनल लॉ स्कूल्स’ में एडमिशन ‘कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (सीएलएटी) के माध्यम से होता है। अन्य संस्थान लॉ कोर्सेज के लिए अलग-अलग एंट्रेंस एग्जाम आयोजित करते हैं। कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट में आमतौर पर इंग्लिश, लॉजिकल रीजनिंग, लीगल रीजनिंग, मैथमेटिक्स और जनरल नॉलेज से जुड़े सवाल पूछे जाते हैं। अगर आप विदेश जाकर लॉ की पढ़ाई करना चाहते हैं तो वहां एडमिशन की प्रक्रिया अलग हो सकती है। प्रमुख लॉ सं स्थान नेशनल लॉ स्कूल ऑ फ इंडिया यूनिवर्सिटी, बेंगलुरू डॉ. राम मनोहर लोहिया नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, लखनऊ आईईसी यूनिवर्सिटी, बद्दी, हिमाचल प्रदेश चाणक्या नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, पटना नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ स्टडी एंड रिसर्च इन लॉ, रांची फजले गुफरान
कॉरपोरेट लॉ का कार्यक्षेत्र कंपनी के टैक्सों का आकलन और निष्पादन नये संस्थानों के गठन की संरचना लाइसेंस समझौता बनाना बौद्धिक संपतियों को संरक्षित करना शेयरधारकों के लिए नियम बनाना विक्रय तथा वितरक समझौते की रूपरेखा तैयार करना ट्रेड मार्क और कॉपी राइट नियमों का निष्पादन करना कर्मियों के लिए कं पनी अधिनियमों के अनुरूप नियम बनाना सं युक्त अथवा किसी भी प्रकार के उपक्रम की संरचना नये व्यवसायों के लिए लाभ- हानि की सलाह देना आदि
No comments:
Post a Comment