कॉस्ट अकाउंटेंट मैनेजमेंट की चुनौतियों का सामना करने और ऑपरेशंस
को कॉस्ट इफेक्टिव बनाने में माहिर होते हैं। वे ही हिसाबकिता ब करते हैं
कि किसी भी वस्तु की वास्तविक लागत क्या है और उसे कितने मुनाफे के साथ
बाजार में उतारना है। कॉस्ट अकाउंटेंट बनने के लिए बारहवीं पास छात्र को
पहले फाउंडेशन कोर्स करना होता है
कॉस्ट अकाउंटेंसी चार्टर्ड अकाउंटेंसी से मिलता-जुलता कोर्स है। समाज और पूरा विश्व आज उपभोक्तावाद के दौर से गुजर रहा है। बाजार कई तरह के सामान से अटे पड़े हैं। हर वस्तु और सेवा पर कम से कम लागत में ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाने की होड़ लगी है। भारत भी वैश्वीकरण के दौर से अछूता नहीं है। यहां भी विश्व की दूसरी सबसे बड़ी आबादी रहती है। उपभोक्ताओं से पूरा दे श भरा पड़ा है। देश में उनके लिए तरह-तरह की उपभोक्ता वस्तुएं और सेवाओं की मैन्यूफैक्चरिंग होती है। इन वस्तुओं की वास्तविक लागत क्या है, उन्हें किस कीमत पर और कितने मुनाफे के साथ बाजार में उतारना है, इसका हिसाब-किताब और आकलन करने का काम कॉस्ट अकाउंटेंट करता है। इसके लिए भी कोर्स और ट्रेनिंग की जरूरत पड़ती है। ‘द इंस्टीट्यूट ऑ फ कॉस्ट एंड वर्क्स अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया’ इसके लिए विभिन्न चरणों में कोर्स पूरा कराती है। इसे पूरा करने वाले छात्र को कॉस्ट अकाउंटेंट और इससे जुड़े पद पर काम करने का मौका मिलता है। ये प्रोफेशनल्स मैनेजमेंट की चुनौतियों का सामना करने और ऑपरेशंस को कॉस्ट इफेक्टिव बनाने में माहिर होते हैं। ये इनवेस्टमेंट प्लानिंग, प्रॉफिट प्लानिंग, प्रोजेक्ट मैनेजमेंट और सही समय पर प्रबंधकीय निर्णय लेने में माहिर होते हैं।
दाखिला कॉस्ट अकाउंटेंट बनने के लिए 12वीं पास छात्र को पहले फाउंडेशन कोर्स करना होता है। इसके लिए ‘द इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट एंड वर्क्स अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया’ में आवेदन करना होता है, जहां जून और दिसम्बर महीने में प्रवेश परीक्षा होती है। फाउंडेशन कोर्स के बाद इंटरमीडिएट कोर्स करना होता है और फिर सीए की तरह ही फाइनल परीक्षा देकर कोर्स पूरा करना होता है। इंटरमीडिएट कोर्स में दाखिला किसी भी विषय से स्नातक डिग्री हासिल किए हुए छात्र ले सकते हैं। इस कोर्स को पत्राचार के जरिए भी किया जा सकता है। नामांकन के समय सभी विषयों पर सामग्री उपलब्ध कराई जाती है और ऐच्छिक ओरल कक्षाओं की भी व्यवस्था कराई जाती है। प्रोफेशनल प्रोग्राम जिसमें आठ पेपर होते हैं, को पूरा करने के बाद छात्र को किसी कंपनी के तहत ट्रेनिंग प्रोग्राम करना होता है। इंटरमीडिएट कोर्स में दाखिले के लिए उम्र कम से कम 18 वर्ष होना जरूरी है।अच्छी समझ, कमिटमेंट, गंभीरता, ईमानदारी और खुद को अपडेट करते रहना जरूरी है।
संस्थान द इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट एंड वर्क्स अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया 12, सदर स्ट्रीट, कोलकाता। यह संस्थान देश में कॉस्ट अकाउंटेंट्स तैयार करती है। इसके लिए पत्राचार और अन्य माध्यमों से अलग-अलग सेंटरों के माध्यम से कोर्स कराती है।
अवसर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निजी कंपनियां, फाइनेंस, बैंकिंग और सरकारी निकाय सभी को आज कॉस्ट अकाउंटेंट की जरूरत पड़ती है। इसके अलावा, प्रैक्टिशनर के रूप में काम कर सकते हैं। कोर्स पूरा करने वाले छात्र मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी या सर्विस सेक्टर में काम कर सकते हैं। इसे करने के बाद लंबे अनुभव के बाद चेयरमैन, सीईओ, मैनेजिंग डायरेक्टर, फाइनेंस डायरेक्टर, मुख्य अकाउंटेंट, कॉस्ट कंट्रोलर, मार्केटिंग मैनेजर जैसे पदों पर कार्य कर सकते हैं। सेवा सेक्टर में आज काम के बहुत सारे अवसर हैं। प्रैक्टिस का प्रमाणपत्र प्राप्त करने के बाद स्वतंत्र प्रैक्टिस भी की जा सकती है। यह कोर्स पीएचडी कोर्स में दाखिले और कॉमर्स और मैनेजमेंट में लेक्चरर बनने के लिए मान्य है।
वेतन एक कॉस्ट अकाउंटेंट की तनख्वाह प्रतिमाह तीस हजार से शुरू होकर पचास हजार रुपये से ऊपर तक जाती है। निजी तौर पर सेवाएं प्रदान कर रहे हों तो यह कमाई इससे कई गुना ज्यादा भी हो सकती है। यह व्यक्ति की सेवा और काम पर निर्भर है कि वह कितने लोगों या कंपनियों को अपनी सेवा प्रदान करता है।
कॉस्ट अकाउंटेंसी चार्टर्ड अकाउंटेंसी से मिलता-जुलता कोर्स है। समाज और पूरा विश्व आज उपभोक्तावाद के दौर से गुजर रहा है। बाजार कई तरह के सामान से अटे पड़े हैं। हर वस्तु और सेवा पर कम से कम लागत में ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाने की होड़ लगी है। भारत भी वैश्वीकरण के दौर से अछूता नहीं है। यहां भी विश्व की दूसरी सबसे बड़ी आबादी रहती है। उपभोक्ताओं से पूरा दे श भरा पड़ा है। देश में उनके लिए तरह-तरह की उपभोक्ता वस्तुएं और सेवाओं की मैन्यूफैक्चरिंग होती है। इन वस्तुओं की वास्तविक लागत क्या है, उन्हें किस कीमत पर और कितने मुनाफे के साथ बाजार में उतारना है, इसका हिसाब-किताब और आकलन करने का काम कॉस्ट अकाउंटेंट करता है। इसके लिए भी कोर्स और ट्रेनिंग की जरूरत पड़ती है। ‘द इंस्टीट्यूट ऑ फ कॉस्ट एंड वर्क्स अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया’ इसके लिए विभिन्न चरणों में कोर्स पूरा कराती है। इसे पूरा करने वाले छात्र को कॉस्ट अकाउंटेंट और इससे जुड़े पद पर काम करने का मौका मिलता है। ये प्रोफेशनल्स मैनेजमेंट की चुनौतियों का सामना करने और ऑपरेशंस को कॉस्ट इफेक्टिव बनाने में माहिर होते हैं। ये इनवेस्टमेंट प्लानिंग, प्रॉफिट प्लानिंग, प्रोजेक्ट मैनेजमेंट और सही समय पर प्रबंधकीय निर्णय लेने में माहिर होते हैं।
दाखिला कॉस्ट अकाउंटेंट बनने के लिए 12वीं पास छात्र को पहले फाउंडेशन कोर्स करना होता है। इसके लिए ‘द इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट एंड वर्क्स अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया’ में आवेदन करना होता है, जहां जून और दिसम्बर महीने में प्रवेश परीक्षा होती है। फाउंडेशन कोर्स के बाद इंटरमीडिएट कोर्स करना होता है और फिर सीए की तरह ही फाइनल परीक्षा देकर कोर्स पूरा करना होता है। इंटरमीडिएट कोर्स में दाखिला किसी भी विषय से स्नातक डिग्री हासिल किए हुए छात्र ले सकते हैं। इस कोर्स को पत्राचार के जरिए भी किया जा सकता है। नामांकन के समय सभी विषयों पर सामग्री उपलब्ध कराई जाती है और ऐच्छिक ओरल कक्षाओं की भी व्यवस्था कराई जाती है। प्रोफेशनल प्रोग्राम जिसमें आठ पेपर होते हैं, को पूरा करने के बाद छात्र को किसी कंपनी के तहत ट्रेनिंग प्रोग्राम करना होता है। इंटरमीडिएट कोर्स में दाखिले के लिए उम्र कम से कम 18 वर्ष होना जरूरी है।अच्छी समझ, कमिटमेंट, गंभीरता, ईमानदारी और खुद को अपडेट करते रहना जरूरी है।
संस्थान द इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट एंड वर्क्स अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया 12, सदर स्ट्रीट, कोलकाता। यह संस्थान देश में कॉस्ट अकाउंटेंट्स तैयार करती है। इसके लिए पत्राचार और अन्य माध्यमों से अलग-अलग सेंटरों के माध्यम से कोर्स कराती है।
अवसर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निजी कंपनियां, फाइनेंस, बैंकिंग और सरकारी निकाय सभी को आज कॉस्ट अकाउंटेंट की जरूरत पड़ती है। इसके अलावा, प्रैक्टिशनर के रूप में काम कर सकते हैं। कोर्स पूरा करने वाले छात्र मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी या सर्विस सेक्टर में काम कर सकते हैं। इसे करने के बाद लंबे अनुभव के बाद चेयरमैन, सीईओ, मैनेजिंग डायरेक्टर, फाइनेंस डायरेक्टर, मुख्य अकाउंटेंट, कॉस्ट कंट्रोलर, मार्केटिंग मैनेजर जैसे पदों पर कार्य कर सकते हैं। सेवा सेक्टर में आज काम के बहुत सारे अवसर हैं। प्रैक्टिस का प्रमाणपत्र प्राप्त करने के बाद स्वतंत्र प्रैक्टिस भी की जा सकती है। यह कोर्स पीएचडी कोर्स में दाखिले और कॉमर्स और मैनेजमेंट में लेक्चरर बनने के लिए मान्य है।
वेतन एक कॉस्ट अकाउंटेंट की तनख्वाह प्रतिमाह तीस हजार से शुरू होकर पचास हजार रुपये से ऊपर तक जाती है। निजी तौर पर सेवाएं प्रदान कर रहे हों तो यह कमाई इससे कई गुना ज्यादा भी हो सकती है। यह व्यक्ति की सेवा और काम पर निर्भर है कि वह कितने लोगों या कंपनियों को अपनी सेवा प्रदान करता है।
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