Sunday 27 May 2012

परिपक्वता ही कामयाबी की रेशमी डोर Paripakvata hi lamyabui ki reshami dor hai. by chiragan



Kamyabi aur paripakvata by chiragan
कामयाब होना है तो उसके सपने देखने ही होंगे। लेकिन याद रहे कि सपने देखने के लिए सोना पड़ता है और उससे भी पहले भोजन करना पड़ता है। क्या किसी ऐसे व्यक्ति को देखा है जो बिना खाये-पिये ही आराम से सो गया हो यानी उसे सहजता से नींद आ गयी हो? कामयाबी के सपने देखना और उसे पा लेने के बीच जो गैप है, उसे भरना आसान नहीं है। उसे भरते हैं आपके उद्देश्यपूर्ण तरीके और समय पर हथौड़ा मारने की कुशलता। आप जान लीजिए कि इन्हीं दो तरकीबों या साधनों को जरिया बनाकर आप चलते और चढ़ते हुए मंजिल तक पहुंचते हैं। दरअसल, सफलता और नाकामी के बीच का फासला ‘सही’ और ‘एकदम सही’ के बीच का फासला है। आपने सबकुछ अच्छा किया और समय पर किया लेकिन करते रहने की निरंतरता और उसके माध्यम से उपजने वाली परिपक्वता ही कामयाबी की रेशमी डोर है। ये डोर काफी मजबूत होती है, लेकिन शतरे से बंधी भी होती है। आप देख सकते हैं कि जो डोर आपके जीवन के समूचे परिदृश्य को बदल डालने का दमखम रखती हो, वह हल्की या कमजोर तो हो नहीं सकती? सबसे पहले तो खुद को समझना होगा, इसके बाद खुद के सम्मान को समझना होगा। आप किसी भी बेहद कामयाब शख्स में ये दो चीज जरूर पाएंगे। कामयाबी स्मार्ट लोगों को खोजती है। ऐसे लोगों को, जो स्मार्ट ढंग से काम करते हैं, समय पर सही फैसले लेते हैं।अपनी कृति के लिए ग्राहक तलाशते समय कलाकार के दिमाग में ग्राहक की संतुष्टि सबसे पहले होती है। तभी आज एक और कल एक हजार ग्राहक बनते हैं। ऐसे स्मार्ट लोग अनेक तरह के लोगों के पास रहना चाहते हैं क्योंकि उन्हें ठीक से पता होता है कि क्वालिटी खोजने वाले स्मार्ट लोग है और यही उनकी तकदीर का निर्माण करेंगे, उसे उपलब्धि के शिखर की ओर ले जाएंगे। लेकिन ये सब खुद को सम्मान देने और खुद के दमखम को ईमानदारी से टटोले बिना हो पाना मुश्किल है। उत्साह के साथ कामयाबी तभी मिलती है जब रास्ते में ठोकरें खाकर भी आपके उत्साह में कोई कमी नहीं रहती। कामयाबी के जज्बे से भरे इंसान के लिए आंखों के सामने कोई रास्ता ना भी हो तो भी चिंता नहीं रहती। वे धीरे-धीरे ही सही, आगे बढ़ते जाते हैं। उन्हें कोई जल्दी भी नहीं रहती। ऐसे लोग कुछ भी पाना चाहें, तो वह उनकी जद के भीतर दिखता है। बस वे यही ध्यान रखते हैं कि खुद का धैर्य न खोयें। जब तक मंजिल हाथ ना लगे, वे धैर्य धारण किये रहते हैं और चैन से नहीं बैठते। इसलिए चाहे जो हो जाए, सपने देखना जारी रखिए। आपके सिवाय कोई दूसरा यह अहसास नहीं करने वाला है। बस याद रखिए और हमेशा गांठ बांधे रहिए कि अपनी जिंदगी का फैसला किसी और के हाथों में कतई मत पड़ने दीजिए।
(एडर्वड सिमॉन्स अमेरिकी पेंटर थे, वे भित्ति चित्र यानी म्यूरल्स के लिए जाने जाते रहे हैं)
Rashtriya Sahara में छपा का लेख........! साभार   for original please click
http://www.rashtriyasahara.com/epapermain.aspx?queryed=19 

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