BREST CANCER 01 BY CHIRAGAN |
स्तनों का कैंसर
एक बहुत ही भयानक रोग है जिसके कारण स्त्रियों को बहुत अधिक परेशानी होती
है। यदि इस रोग का जल्दी ही उपचार न किया जाता है तो इसके कारण स्त्री की
मृत्यु भी हो सकती है।
कारण-
- अगर स्त्री के परिवार आदि में पहले किसी को स्तनों का कैंसर हुआ हो तो उसे भी इस रोग के होने की संभावना होती है।
- ज्यादा शराब के सेवन से स्त्रियों में स्तनों के कैंसर का रोग हो जाता है।
- बांझपन की शिकार स्त्रियों में 40 साल की उम्र के बाद ये रोग होने के आसार बढ़ जाते हैं।
- ऐसी स्त्रियां जिन्होने कभी बच्चे को अपने स्तनों से दूध ना पिलाया हो उन्हे ये रोग हो सकता है।
- ज्यादा भारी शरीर की स्त्रियों को 40-45 साल की उम्र के बाद मासिकधर्म बंद होने पर ये रोग हो सकता है।
लक्षण-
BREST CANCER 02 BY CHIRAGAN |
- कैंसर की शुरुआती दौर में किसी भी प्रकार के कैंसर में दर्द आदि नहीं होता है ये लक्षण तो बाद में शुरु होते हैं।
- अगर स्त्री को मासिकस्राव के साथ दर्द कम होता है या बढ़ जाता है तो ये फाइब्रोएडेनोसिस हो सकता है।
- अगर किसी स्त्री के स्तनों में कैंसर होता है तो उसके स्तनों के निप्पलों से स्राव निकलता रहता है जो खून या खून के जैसा भी हो सकता है।
- अगर उनमे से पीब निकले तो ये विपाक भी हो सकता है और अगर स्राव हरे रंग का हो तो ये फाइब्रोएडेनोसिस हो सकता है।
- फाइब्रोएडेनोसिस किसी प्रकार का कैंसर नहीं होता और ये लड़कियों में अक्सर होता है।
BREST CANCER 03 BY CHIRAGAN |
स्तनों की जांच-
- स्त्रियों को एक महीने में कम से कम 15 मिनट स्तनों की जांच के लिए समय निकालना बहुत जरूरी है।
- स्तनों की जांच का सबसे अच्छा समय मासिकस्राव आने के बाद का होता है।
- स्त्री को सबसे पहले ये देखना चाहिए कि उसके स्तनों के निप्पलों में से किसी प्रकार का कोई स्राव आदि तो नहीं हो रहा है।
- स्त्री अपने दोनों हाथों को ऊपर उठा ले। इसके बाद स्तन पर दूसरा हाथ फेरकर बगल से जांच करना शुरू करें कि किसी प्रकार की सूजन या झुर्रियां आदि तो नहीं है फिर हाथ नीचे करते हुए ये जांच करे कि स्तनों के निप्पल हिलते हैं या नहीं।
- अब आगे झुके कि स्तनों की रूपरेखा में कोई भी बदलाव, त्वचा पर कोई झुर्री, गड्ढा या स्तनों के निप्पलों में किसी तरह का खिंचाव तो नहीं है।
- अब स्त्री पीठ के बल लेट जाए और अपने हाथ को स्तन पर रखकर जांच करें कि इसमे कोई भी पिड़क या गुमटा नहीं होना चाहिए, दबाव बराबर होना चाहिए न ज्यादा और न कम।
- स्तनों की जांच निप्पल पर हाथ रखकर शुरू करना चाहिए तथा हाथ को कांख तक ले जाना चाहिए। फिर चारों तरफ हाथ घुमाकर देख लेना चाहिए कि किसी भी प्रकार का पिड़क तो नहीं है।
- दोनो स्तनों की जांच बारी-बारी और बराबर रूप से करनी चाहिए। अगर कुछ शक लगता है तो तुरंत ही चिकित्सक के पास जाना चाहिए क्योंकि 10 से से 1 पिड़क कैंसर का हो सकता है।
स्तनों के निप्पल की जांच-
अगर स्त्री के स्तनों में कैंसर होता है तो उसके स्तन का निप्पल अन्दर की ओर धंस जाता है और उस पर जख्म सा बन जाता है।
स्तन की त्वचा-
स्तन का कैंसर होने पर उसकी त्वचा पर गड्ढा सा बन जाता है या
त्वचा अन्दर की ओर खिंच जाती है तथा उसका रंग बंदलकर नारंगी रंग का हो जाता
है।
भुजा-
स्तन का कैंसर ज्यादातर स्तन के ऊपरी या बाहरी भाग में ही
होता है। पिड़क अक्सर नाप और आकार में एक जैसे नहीं होते अगर एक जैसे होते
हैं तो रोगी स्त्री को फाइब्रोएडेनोमा होने की संभावना बढ़ जाती है। स्तनों
का कैंसर होने पर पिड़क सख्त होता है इधर-उधर नहीं घूमता।
जानकारी-
- अगर स्त्री को स्तनों की जांच के दौरान किसी प्रकार की सूजन या पिड़क होने का शक होता है तो उसे तुरंत ही चिकित्सक से संपर्क करना चिाहए क्योंकि उसी समय इलाज करवाने से ये बिल्कुल ठीक हो सकती है।
- 22 से 25 साल की उम्र में शादी या बच्चे को जन्म देने से स्तनों का कैंसर होने की संभावना कम हो जाती है।
- स्त्री को बच्चे को नियमित रूप से अपना दूध पिलाने से भी स्तनों का कैंसर होने के आसार ना के बराबर रहते हैं।
स्तन में कैंसर होने पर प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार :-
1. स्तन
में कैंसर का उपचार करने के लिए सबसे पहले रोगी स्त्री को कम से कम एक
महीने तक फलों का रस पीकर उपवास रखना चाहिए। उपवास के समय में रोगी स्त्री
को प्रतिदिन गुनगुने पानी से एनिमा क्रिया करके अपने पेट को साफ करना
चाहिए।
2.
स्तन में कैंसर के रोग से पीड़ित स्त्री को उपवास समाप्त करने पर सादा तथा
पचने वाले भोजन का सेवन करना चाहिए तथा प्रतिदिन घर्षणस्नान, मेहनस्नान,
सांस लेने वाले व्यायाम तथा शरीर के अन्य व्यायाम करने चाहिए तथा सुबह के
समय में साफ तथा स्वच्छ जगह पर टहलना चाहिए।
3. स्तन
में कैंसर के रोग से पीड़ित स्त्री को सप्ताह में 1 बार गुनगुने पानी में
नमक डालकर उस पानी से स्नान करना चाहिए तथा प्रतिदिन गरम तथा ठंडे पानी से
स्नान करना चाहिए।
4. जब रोगी स्त्री को मासिकधर्म हो उस समय इन सभी उपचारों को बंद कर देना चाहिए।
5.
रोगी स्त्री को प्रतिदिन गुनगुने पानी में रूई को भिगोंकर, इससे अपने
स्तनों को साफ करना चाहिए इससे यह रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।
6. रोगी स्त्री को प्रतिदिन अपने स्तनों पर गरम तथा ठंडी सिंकाई करने तथा मेहनस्नान करने से बहुत लाभ मिलता है।
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