PARALISIS, LAKVA PATIENT BY CHIRAGAN |
लकवा
रोग में रोगी के शरीर की तंतुए शिथिल पड जाती हैं या कहा जाये तो शरीर की
संचालन गति समाप्त हो जाती है इसी को लकवा रोग कहते हैं।
कारण-
लकवा रोग मस्तिष्क में खून का पूर्ण संचरण न होने तथा शरीर की रीढ़ की
हड्डी में किसी प्रकार का रोग हो जाने के कारण हो जाता है।
जब मस्तिष्क में रक्तस्राव (खून का बहना) रुक जाता है तो लकवा हो जाता है। इसके अलावा जो लोग पेट में गैस उत्पन्न करने वाले पदार्थ खाते हैं, अधिक मैथुन क्रिया करते हैं, उल्टी-दस्त, मानसिक कमजोरी होने पर और शरीर के नाजुक हिस्से पर चोट लगने, रक्तचाप बढ़ने (हाई ब्लडप्रेशर) और वायु का प्रकोप आदि को लकवे के मुख्य कारण माने जाते हैं।
रोग का शरीर पर प्रभाव तथा लक्षण-
PARALISIS, LAKVA PATIENT BY CHIRAGAN |
लकवे (पक्षाघात) के निम्नलिखित प्रकार (भेद) होते है-
पूर्णलकवा-
पूर्णलकवा रोग से मनुष्य के शरीर के आधा भाग (शरीर का दायां भाग हो या
बायां भाग) प्रभावित होता है और इससे शरीर का आधा भाग मस्तिष्क के नियंत्रण
में नहीं रहता है।
एकांग लकवा-
इस प्रकार के लकवे में रोगी के शरीर का एक हाथ तथा एक पैर प्रभावित हो जाता है।
अर्द्धांग लकवा-
इस प्रकार के लकवे से शरीर का आधा भाग (शरीर का दायां या बायां भाग)
प्रभावित होता है और इससे सम्बन्धित अंगों निश्चेतनावस्था (शरीर का आधा भाग
कंपकंपाना) (शरीर का आधा भाग सुन पड़ जाना) में लकवा हो जाता है।
निम्नांग लकवा-
इस प्रकार के लकवे में शरीर मे नाभि से नीचे का सम्पूर्ण भाग अर्थात जांघ तथा पैर का भाग सुन्न हो जाता है।
स्वरयन्त्र का लकवा-
इस प्रकार के लकवे रोग में रोगी का बोलना आंशिक रूप से बंद हो जाता है ऐसा
इसलिए होता है क्योंकि इस रोग में रोगी के मुंह वाला भाग सुन्न पड़ जाता है
जिसके कारण रोगी के बोलने की क्रिया नहीं चल पाती है अर्थात वह बोलने में
असमर्थ हो जाता है।
आवाज का लकवा-
इस प्रकार के लकवे के कारण मनुष्य को बोलने में अत्याधिक कष्ट होता है ऐसा
इसलिए होता है क्योंकि इस प्रकार के लकवे से मनुष्य की जीभ में ऐंठन तथा
जकड़न सी हो जाती है।
मुंह का लकवा-
इस प्रकार के लकवे से मनुष्य का मुंह तथा चेहरा टेढ़ा-मेढ़ा हो जाता है तथा
आंख खुली रहती है और मुंह तथा आंखों से पानी आता रहता है।
उपचार-
एक्युप्रेशर चिकित्सा द्वारा इन सभी प्रकार के लकवे का इलाज हो सकता है।
चिकित्सा करने के लिए नीचे दिए गये चित्र के अनुसार दिए गए प्रतिबिम्ब
केन्द्रों पर आवश्यक दबाव देकर लकवे का इलाज कर सकते हैं।
लक्षण :
PARALISIS, LAKVA PATIENT BY CHIRAGAN |
भोजन और परहेज :
- भोजन के रूप में गेहूं तथा बाजरे के आटे से बनी रोटी खानी चाहिए।
- परवल, करेला, बैंगन, घिया, तोरई और सहजन की फली इत्यादि को सब्जी के रूप में खाना चाहिए।
- दूध, पपीता, फालसा, अंजीर और अंगूर आदि फलों का रोजाना खाने के रूप में प्रयोग करना चाहिए।
- दही, चावल, बर्फ की चीजें, तली हुई चीजें, बेसन तथा पेट में गैस पैदा करने वाले पदार्थों को नहीं खाना चाहिए।
No comments:
Post a Comment