Monday 16 April 2012

बढ़ता बिहार Badhta, Badalta Bihar

यह पूर्ण सत्य है , कि परिवर्तन, प्रकृति का नियम है . अंधकार के बाद घोर अंधकार , लेकिन सवेरा तो होना ही है. आज का बिहार, इसका सबसे अच्छा उदहारण है.घोर जाती वाद  का अखारा,विकास से परहेज ,और जिसकी लाठी उसकी भैंस का पर्याय बन चुके बिहार, एक नई दिशा के तलास में कराह रहा था . शाम होते सुनी परी गलियां ,रैली के नाम पर जब्त होती गाड़ियाँ ,डर से सहमे लोग और पलायन के दर्द से  ,अपने भाग्य पर सिसकता बिहार, ना जाने कब से परिवर्तन कि वाट जोह रहा था.

                     आजादी के बाद चाहे, पंजाब कि हरित क्रांति हो या गुजरात और महारास्त्र जैसे राज्यों का का औद्योगिक विकास,बिहार मूक गवाह बन कर तकता रहा. केंद्र कि सरकार बनाने या या गिराने तक.ही अपनी जिम्मेदारी पर इठलाता रहा .बिहारियों के लिए उसका राज्य सिर्फ,एक मतदान केंद्र से ज्यादा तो कुछ था ही नहीं. बांकी रोजी - रोजगार के लिए पूरा देस तो था ही,  पलायन करने से भला किसने रोका है. बिहार से बाहर रहकर पढना या नौकरी करना ,सौभाग्य माना जाने लगा. भला ऐसी स्थिती में यहाँ दुरुस्त सड़क, बिजली, सिचाई और अन्य मूल भुत सुबिधाओ कि क्या  आवस्यकता .बिहार कि राजनीती , विकास के नाम पर करना , लालू यादव ऐसे नेताओं को इसलिए बेमानी लगी होगी. जिस जाती का सी ऍम ,उस जाती कि दबगता, को कभी किसी ने गलत रूप में लिया ही नहीं. रोजगार के लिए , दुसरे राज्य में गए लो प्रोफाइल लोगो को जहाँ  बिहारी या भैया का संबोधन , दबंगता का अभाश लगता था,वहीँ हाई  प्रोफाइल, लोग अपनी पहचान छिपाने में सहजता महसूस करने लगे. 
                     नकारात्मक राजनीती का घड़ा , लबालब भर चूका था ,और सकारात्मक राजनीती के लिए , जातिवाद रहित , विकास का मैदान पुर्णतः ख़ाली; ऐसे अवसर को बिहार के चाणक्य कहे जाने वाले श्री नितीश कुमार ने बखूबी पहचाना, इसलिए घुर विरोधी पक्ष बी जे प़ी, से हाथ  मिला कर अपने सुशासन का नीव रखा .
                     काली दिवार पर, सफेदी के थोड़े छींटे भी दूर से ही नज़र आते है.नितीश सुशासन  का विकास भी लोगो को दिखने में जायदा वक्त नहीं लगा .इसलिए दूसरी पाली में , नितीश जायदा मजबूत उभर कर सामने आये .लेकिन जो सबसे जायदा बदलाव हुआ वह, आम बिहारियों के समझ और परख में, इसलिए बिना किसी अहंग और गर्व  किये,नितीश ने कहा ये आम बिहारियों कि जीत है. 
                  विकासवाद और सुशासन कि गाड़ी चलती रहे. बिहार आगे बढ़ता रहे, अपना असली पहचान देश के सामने रखने में पूर्णतः सक्षम बने, बिहारियों की सद्बुद्धि कायम रहे  , ताकि १९९० का इतिहास ,इतिहास बन कर ही रह जाये .   


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