Chickenpox | चिकनपोक्स “वेरीसेल्ला (varicella)“, “छोटीमाता”
1. संक्षिप्त वर्णन
- प्रकार - एक तरह का संक्रमित बीमारी
- कारण - वेरीसेल्ला वायरस
- प्रसार - छूने से और सांस लेने से फैलता है
- अन्य नाम - “वेरीसेल्ला (varicella)“, हिन्दी में “छोटीमाता”
- मुख्य लक्षण – बुखार, फुंसी, खुजली, खाने-पीने में तकलीफ, डिहाईड्रेशन
- इलाज - इसका लक्षण के अनुसार, प्रमुख इलाज घर पर ही होता है
2. लक्षण
चिकनपोक्स के दाने |
बच्चों में इस बीमारी के मुख्य लक्षण हैं – तेज़
बुखार, समूचे शरीर में फुंसी निकलना, बहुत अधिक खुजली, थकान, खाने-पीने में
तकलीफ, शरीर में पानी का कमी या डिहाईड्रेशन, सिरदर्द और अन्य बातें। यह
फुंसी शुरू में चेहरे और छाती पर होता है, और फिर जल्द ही सारे शरीर में
फैल जाता है। इसमें करीब शरीर में 250 से 500 दाने निकलते हैं।
बच्चों में यह
बीमारी करीब 1 से 2 हफ्ते तक रहता है। इस दौरान उनको स्कूल नहीं भेजना
चाहिए। करीब 10 में से 1 बच्चे अस्पताल में भर्ती हो सकते हैं|
आधिकांश लोग को यह
बीमारी बचपन में हो चुका होता है, जिससे कि उन्हें याद भी नहीं रहता है।
लेकिन, जब यह बीमारी पहले बार व्यस्क लोगों में होता है, तो यह और भी
तकलीफदायक होता है।
कुछ लोग जिनके शरीर
का इम्युनिटी कमजोर है, जैसे कि “एच आई वी” का बीमारी हो या फिर कोई दवा ले
रहे हों, जैसे कि बहुत हफ्तों तक स्टीरोयड (steroid) ले रहे हों, उन लोगों
में यह बीमारी अधिक कष्टदायक होता है।
स्मालपोक्स और चिकनपोक्स के दाने में अंतर
3. प्रसार
चिकनपोक्स वायरस के संक्रमण से होता है। इस वायरस को
वेरीसेल्ला – ज़ोस्टर (varicella-zoster virus) कहते हैं। यह वायरस एक
व्यक्ति से दूसरे वयक्ति तक हवा से, जैसे कि छींकने से या खांसने से, अथवा
छूने से जैसे कि हाथ मिलाने से या किसी मरीज द्वारा छुये गये वस्तु को छूने
से हो सकता है। यह वायरस बहुत प्रबल होता है, जिससे कि किसी मरीज़ के फुंसी
के फूटने से भी वायरस हवा में फैल सकता है, और दूसरों को संक्रमित करने
में सक्षम होता है।
चिकनपोक्स का मरीज़, अपने बीमारी के फुंसी निकलने के 1 से 2 दिन पहले
से यह बीमारी फैला सकता है। इसका अर्थ है कि कोई दूसरा व्यक्ति किसी मरीज
के संगति में रह सकता है, बगैर इस ज्ञान के कि उसको चिकनपोक्स है। यह मरीज
फिर फुंसी के सूखने तक दूसरों को फैला सकता है। जिस दूसरे व्यक्ति को किसी
मरीज से सामना होता है, अगर उसको चिकनपोक्स के खिलाफ इम्युनिटी नहीं है, तो
उसको भी 2 से 3 हफ्ते में चिकनपोक्स हो सकता है।
4. समस्या
इस बीमारी से उत्तपन फुंसी में अनेक प्रकार के अन्य
संक्रमण हो सकता है, जिससे कि विभिन्न अंगों में बीमारी हो सकता है, जैसे
कि चर्म का, फेफड़ा का, हड्डी का, खून का, दिमाग का, और अन्य बीमारी। बहुत
कम लोगों में यह बीमारी जानलेवा भी हो सकता है।
5. देखभाल
चिकनपोक्स के इलाज के लिए कोई दवा नहीं होता है| इसका
लक्षण के अनुसार, प्रमुख इलाज घर पर ही होता है। कोई भी दवा देने से पहले
पढ़ लेना चाहिये कि उसमें क्या है?
नीचे लिखे हुये कुछ बातों का ध्यान रखें और मरीज का देखभाल करें -
- खुजली कम करने के लिये -
- दिन में तीन-चार बार ठंडे पानी से नहाना चाहिये, जिससे कि शरीर को ठंडक पहुंच सके।
- केलामाइन लोशन (calamine lotion) का इस्तेमाल करें।
- डाइफेनहाइड्रामिन या बेनाड्रिल (Diphenhydramine or Benadryl) लोशन का इस्तेमाल न करें, क्योंकि यह घाव से शरीर में घुसकर अनचाहा असर पहुंचा सकता है।
- बुखार कम करने के लिये -
- एसिटाअमिनोफेन (acetaminophen) या पेरासिटामोल (paracetamol) युक्त दवा का इस्तेमाल करें
- इबुप्रोफेन (ibuprofen) युक्त दवा का इस्तेमाल करें
- एसपिरिन (aspirin) युक्त दवा का इस्तेमाल, बच्चों में न करें, क्योंकि इससे एक अलग बीमारी हो सकता है, जिसे बच्चे का दिमाग और कलेजा (liver) खराब हो सकता है। इसे रेयस सिंड्रोम (Reye’s syndrome) कहते हैं, और यह जानलेवा भी हो सकता है।
- तेज बुखार के लिये, दिन में तीन-चार बार, सिर पर भिगोया हुआ पट्टी रखें।
- खाने के लिये -
- जितना हो सके मरीज को वो खाने मिले, जिसे वो खा-पी सके और उसके लिये रुचि हो
- तरल खाना अधिक करके न दें
- ठंडा पेय जल, लस्सी, शरबत दें
- खट्टा जूस, जैसे नारंगी का जूस न दें
- गर्म खाना जैसे कि चिकन, मटन, अंडा इत्यादि न दें
- अधिक मिर्चावाला खाना न दें
- डिहाईड्रेशन के लिये जांच करें, और घरेलू इलाज शुरू करें
- बाहर जाने के लिये -
- जब तक सारे फुंसी सूख न जायें, तब तक मरीज को बाहर नहीं जाना चहिये, जिससे कि यह बीमारी दूसरों को न फैल जाये।
- डाक्टर के पास जाने से पहले उनको फोन कर दें, जिससे कि आपके मरीज को वो अलग से देख सकें
6. टीका
चिकनपोक्स के दो टीका लेने से आप अपने बच्चे को
चिकनपोक्स से बचा सकते हैं। हर बच्चे में इस बीमारी का अलग-अलग रूप होता
है, अर्थात किसी बच्चे में मामूली होता है, तो कुछ में भयानक होता है। जब
इसके लिये टीका उपलब्ध है, तो फिर व्यर्थ में किसी जानलेवा बीमारी से यूं
ही सामना नहीं करना चाहिये।
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