परिचय-
Chechak chickenpox Badi mata by chiragan |
चेचक के रोग में बुखार के बाद शरीर पर लाल दाने निकलते हैं। ये दाने 2 से 3
दिन के बाद फफोले का रूप ले लेते हैं। 4 से 5 दिन में इन दानों में से
पपड़ी जमकर नीचे गिरने लगती है। चेचक में बुखार और प्रदाह (जलन) के कारण
रोगी को काफी बैचेनी होती है। इस रोग को ठीक होने में कम से कम 7 से 10 दिन
तक लग जाते हैं।
कारण :
चेचक के रोग को घरेलू भाषा में `माता´ या `‘शीतला´ भी कहते हैं। यह रोग
अक्सर उन बच्चों को होता है जिनके शरीर में शुरू से ही गर्मी होती है तथा
उनकी उम्र 2 से 4 साल तक की होती है। कभी-कभी यह औरतों और बड़ों में भी हो
जाता है। इस रोग के फैलने का कारण वायरस (जीवाणु) हैं। इसके जीवाणु थूक,
मलमूत्र (टट्टी-पेशाब) और नाखूनों में पाये जाते हैं। सूक्ष्म (छोटे-छोटे)
जीवाणु हवा में घुल जाते हैं और सांस लेते समय ये जीवाणु अन्दर चले जाते
हैं। इस रोग को आर्युवेद में मसूरिका के नाम से जाना जाता है।
लक्षण -
चेचक (माता) होने पर शरीर का तापमान बढ़ जाता है। यह बुखार 104 डिग्री
फारेनहाइट हो जाता है। रोगी को बेचैनी होने लगती है। उसे बहुत ज्यादा प्यास
लगती है और पूरे शरीर में दर्द होने लगता है। दिल की धड़कन तेज हो जाती है
और साथ में जुकाम भी हो जाता है। 2-3 दिन के बाद बुखार तेज होने लगता है।
शरीर पर लाल-लाल दाने निकलने लगते हैं। दानों में पानी जैसी मवाद पैदा हो
जाती है और 7 दिनों में दाने पकने लगते हैं जोकि धीरे-धीरे सूख जाते हैं।
दानों पर खुरण्ड (पपड़ी) सी जम जाती है। कुछ दिनों के बाद खुरण्ड (पपड़ी) तो
निकल जाती है लेकिन उसके निशान रह जाते हैं।
भोजन और परहेज :
- छोटे बच्चों को चेचक होने पर दूध, मूंग की दाल, रोटी और हरी सब्जियां तथा मौसमी फल खिलाने चाहिए या उनका जूस पिलाना चाहिए।
- चेचक के रोग से ग्रस्त रोगी के घर वालों को खाना बनाते समय सब्जी में छोंका नहीं लगाना चाहिए।
- रोगी को तली हुई चीजें, मिर्चमसाले वाला भोजन और ज्यादा ठंड़ी या ज्यादा गर्म चीजें नहीं देनी चाहिए।
- अगर बुखार तेज हो तो दूध और चाय के अलावा रोगी को कुछ नहीं देना चाहिए।
- दरवाजे पर नीम के पत्तों की टहनी लटका देनी चाहिए।
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