Wednesday, 23 November 2011

बालश्रम :जिन नाजुक अंगुलियों को कलम थामनी होती है, वे बर्तन साफ करने या दीगर किस्म के श्रम में अपनी व्यथा कथा लिख रहे होते हैं।

कहने को बाल मजदूरी करवाना कानून के खिलाफ है पर प्रदेश में कई घरों, ढाबों व अन्य प्रतिष्ठानों में यह बुराई अब भी जारी है, यह खुलासा करती है बिहार के एक बालक की मार्मिक दास्तान जिसे अब अंतत: कुल्लू में सहारा मिला है। संभवत: ऐसी ही घटनाएं सामने आने पर केंद्र नेहिमाचल सरकार को बाल मजदूरी के खिलाफ सख्त रवैया अपनाने के निर्देश दिए हैं। यह उदास करने वाला तथ्य है कि जिन नाजुक अंगुलियों को कलम थामनी होती है, वे बर्तन साफ करने या दीगर किस्म के श्रम में अपनी व्यथा कथा लिख रहे होते हैं। यह दुखद है कि कानूनन जुर्म होने के बावजूद बहुत से घरों की साजसज्जा और सफाई में छोटू नामक बच्चों के हाथ झलकते हैं। उस आजादी को क्या कहें जहां दो वक्त की रोटी व तन ढकने के लिए कपड़े की जरूरत बच्चों से खुलकर रोने का अधिकार भी छीन ले। बच्चे कारखानों का कच्चा माल न बनें, यही सोच कर केंद्र ने प्रदेश सरकार को कड़ा रुख अपनाते हुए बाल मजदूरी पर लगाए जाने वाले जुर्माने में तीन से बढ़ोतरी करने को कहा है। एक्साइज एक्ट की स्वीकृति पर तब तक रोक लगाई है जब तक सरकार विधानसभा में संबंधित संशोधन पास नहीं करवाती। आकाशवाणी व विभिन्न चैनलों के माध्यम से भी बाल मजदूरी पर रोक लगाने के लिए संदेश दिए जा रहे हैं। हिमाचल के संदर्भ में कहना गलत नहीं होगा कि बाहरी राज्य के लोगों के बच्चे भी यहां पर माता-पिता के साथ रोजी रोटी कमाने के लिए ढाबों व कारखानों में काम करते हैं। शीत मरुस्थल में सर्द हुआ बिहार का आठ साल का रामशेष तो महज एक उदाहरण है, धार्मिक और पर्यटक स्थलों पर भी बचपन हाथ फैलाता देखा जा सकता है। चिंता की बात यह है कि कानून बनाने के बावजूद अभी तक बाल मजदूरी पर रोक नहीं लग पाई है। इस मामले में सबसे पहले प्रशासन को चुस्त होने की जरूरत है। किसी भी बुराई को देखने के बाद अपनी आंखें बंद करने से वह खत्म नहीं हो जाती। समाज का भी फर्ज है कि वे बच्चों से उनकी मासूमियत न छीने। ये निष्पाप सपने भटके तो देश ही दुस्वप्न देखेगा। गैर सरकारी संस्थाएं भी कुछ कारगर करते हुए इसमें भूमिका निभा सकती हैं। यह इसलिए जरूरी है कि कोई रामशेष समाज की मुख्यधारा में शामिल हो, लाहुल-स्पीति में पठारों को चीरती हूक पैदा करने न पहुंचे। 

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Wednesday, 16 November 2011

Art Competition at V P public school, bamrauli, Allahabad, UP.


 



We are organized A student motivation & Child Mental Development Art Competition on 05 November 2011 at V P public school, bamrauli, Allahabad, UP.

Art Competition at S S D high school, Manadar, bamrauli, Allahabad, UP.






We are organized A student motivation & Child Mental Development Art Competition on 05 November 2011 at S S D high school, Manadar, bamrauli, Allahabad, UP.

Art Competition at K D convent prathmik vidyalay, Manadar, bamrauli, Allahabad, UP.




We are organized A student motivation & Child Mental Development Art Competition on 05 November 2011 at K D convent prathmik vidyalay, Manadar, bamrauli, Allahabad, Allahabad, UP.