Friday 8 August 2014

परियों जैसी प्यारी प्यारी, मिश्री जैसी मधुर है बेटी!

परियों जैसी प्यारी प्यारी, मिश्री जैसी मधुर है बेटी!
एक मानव के जीवन पथ में, फूलों जैसी डगर है बेटी!
जिस आंगन में बेटी न हो वो, उस घर में रहती नीरसता,
कड़ी धूप में जलधारा की, एक मनभावन लहर है बेटी!

बेटी की तुलना बेटों से, करके उसको कम न आंको!
बेटी है बेटों से बढ़कर, कभी रूह में उसकी झांको!

वो कविता का भावपक्ष है, किसी गज़ल की बहर है बेटी!
परियों जैसी प्यारी प्यारी, मिश्री जैसी मधुर है बेटी...

जन्मकाल से ही बेटी को, कुदरत से ये गुण मिलते हैं!
बचपन से ही उसके मन में, नम्र भाव के गुल खिलते हैं!
बेटी के मन में बहता है, सहनशीलता का एक सागर,
नहीं आह तक करती है वो, भले ही उसके हक छिलते हैं!

बेटी तो है ज्योति जैसी, वो घर में उजियारा करती!
वो चिड़ियों की तरह चहककर, घर आंगन को प्यारा करती!

बेटे यहाँ बदल जायें पर, अपनी आठों पहर है बेटी!
परियों जैसी प्यारी प्यारी, मिश्री जैसी मधुर है बेटी....

आशाओं की ज्योति है वो, पूनम जैसी निशा है बेटी!
अंतर्मन को सुख देती है, कुदरत की वो दुआ है बेटी!
"देव" जहाँ में बेटी जैसा, कोई अपना हो नहीं सकता,
किसी मनुज के बिगड़े पथ की, सही सार्थक दिशा है बेटी!

बेटी है तो घर सुन्दर है, बिन बेटी के घर खाली है!
बेटी है तो खिला है उपवन, बेटी है तो हरियाली है!

हंसकर वो कुर्बानी देती, ऐसा पावन रुधिर है बेटी!
परियों जैसी प्यारी प्यारी, मिश्री जैसी मधुर है बेटी!"

"
बेटी-एक ऐसा चरित्र, जिसके बिना किसी मनुज का जीवन पूर्ण नही होता, जिसकी किलकारी के बिना, जिसकी चहक के बिना, कोई घर सम्पूर्ण नहीं होता, वो ऐसा चरित्र जो अपने हर सुख का दमन करते हुए, अपने परिजनों के लिए अपने रुधिर की एक एक बूंद तक कुर्बान कर देती है, तो आइये कुदरत के ऐसा अनमोल चरित्र "बेटी" का सम्मान करें !"

Thursday 7 August 2014

कटहल का प्रयोग

कटहल (Jackfruit )-
कटहल का प्रयोग बहुत से कामों में किया जाता है | कच्चे कटहल की सब्जी बहुत स्वादिष्ट बनती है तथा पक जाने पर अंदर का गूदा खाया जाता है | कटहल के बीजों की सब्जी भी बनाई जाती है | आमतौर पर यह सब्जी की तरह ही प्रयोग में आता है परन्तु कटहल में कई औषधीय गुण भी पाये जाते हैं| कटहल में कई महत्वपूर्ण प्रोटीन्स,कार्बोहाइड्रेट्स के अलावा विटामिन्स भी पाये जाते हैं |
कटहल के औषधीय गुण -



१- पके हुए कटहल के सेवन से गैस और बदहज़मी में लाभ होता है |

२- कटहल की पत्तियों को छाया में सुखाकर चूर्ण बना लें | यह चूर्ण एक छोटी चम्मच की मात्रा में प्रतिदिन सेवन करने से पेट के अलसर में आराम मिलता है |

३- कटहल की छाल घिसकर लेप बना लें | यह लेप मुहँ के छालों पर लगाने से छाले दूर होते हैं |

४- कटहल के पत्तों को गर्म करके पीस लें और इसे दाद पर लेप करें | इससे दाद ठीक होता है |

५- कटहल के पत्तों पर घी लगाकर एक्ज़िमा पर बाँधने से आराम मिलता है

६- कटहल के ८-१० बीजों के चूर्ण का क्वाथ बनाकर पीने से नकसीर में लाभ होता है |

Wednesday 6 August 2014

अमरबेल

अमरबेल -
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यह एक ही वृक्ष पर प्रतिवर्ष पुनः नवीन होती है तथा यह वृक्षों के ऊपर फैलती है , भूमि से इसका कोई सम्बन्ध नहीं रहता अतः आकाशबेल आदि नामों से भी पुकारी जाती है | अमरबेल एक परोपजीवी और पराश्रयी लता है , जो रज्जु [रस्सी ] की भांति बेर , साल , करौंदे आदि वृक्षों पर फ़ैली रहती है | इसमें से महीन सूत्र निकलकर वृक्ष की डालियों का रस चूसते रहते हैं , जिससे यह तो फलती- फूलती जाती है , परन्तु इसका आश्रयदाता धीरे - धीरे सूखकर समाप्त हो जाता है | आज हम अमरबेल के कुछ औषधीय गुणों की चर्चा कर रहे हैं ----

१-अमरबेल को तिल के तेल में या शीशम के तेल में पीसकर सर पर लगाने से गंजेपन में लाभ होता है तथा बालों की जड़ मज़बूत होती हैं | यह प्रयोग धैर्य पूर्वक लगातार पांच से छह सप्ताह करें |
२- लगभग ५० ग्राम अमरबेल को कूटकर १ लीटर पानी में पकाकर , बालों को धोने से बाल सुनहरे व चमकदार बनते हैं तथा बालों का झड़ना व रुसी की समस्या इत्यादि भी दूर होती हैं |
३- अमरबेल के १०-२० मिलीलीटर रस को जल के साथ प्रतिदिन प्रातःकाल पीने से मस्तिष्कगत तंत्रिका [Nervous System ] रोगों का निवारण होता है |
४- अमरबेल के १०मिली स्वरस में ५ ग्राम पिसी हुई काली मिर्च मिलाकर खूब घोटकर नित्य प्रातः काल ही रोगी को पिला दें | तीन दिन में ही ख़ूनी और बादी दोनों प्रकार की बवासीर में विशेष लाभ होता है |
५- अमरबेल को पीसकर थोड़ा गर्म कर लेप करने से गठिया की पीड़ा में लाभ होता है तथा सूजन शीघ्र ही दूर हो जाती है । अमरबेल का काढ़ा बनाकर स्नान करने से भी वेदना में लाभ होता है |
६- अमरबेल के २-४ ग्राम चूर्ण को या ताज़ी बेल को पीस कर थोड़ी सी सोंठ और थोड़ा सा घी मिलाकर लेप करने से पुराना घाव भी भर जाता है |

Tuesday 5 August 2014

कान का दर्द

कान का दर्द -
गर्मियों में कान के अंदरूनी या बाहरी हिस्से में संक्रमण होना आम बात है| अधिकतर तैराकों को ख़ास-तौर पर इस परेशानी का सामना करना पड़ता है | कान में फुंसी निकलने,पानी भरने या किसी प्रकार की चोट लगने की वजह से दर्द होने लगता है | कान में दर्द होने के कारण रोगी हर समय तड़पता रहता है तथा ठीक से सो भी नहीं पाता| बच्चों के लिए कान का दर्द अधिक पीड़ा भरा होता है | लगातार जुक़ाम रहने से भी कान का दर्द हो जाता है |
आज हम आपको कान के दर्द के लिए कुछ घरेलू उपचार बताएंगे -



१- तुलसी के पत्तों का रस निकाल लें| कान में दर्द या मवाद होने पर रस को गर्म करके कुछ दिन तक लगातार डालने से आराम मिलता है |

२- लगभग १० मिली सरसों के तेल में ३ ग्राम हींग डाल कर गर्म कर लें | इस तेल की १-१ बूँद कान में डालने से कफ के कारण पैदा हुआ कान का दर्द ठीक हो जाता है |

३- कान में दर्द होने पर गेंदे के फूल की पंखुड़ियों का रस निकालकर कान में डालने से कान का दर्द ठीक हो जाता है |

४- तिल के तेल में लहसुन की काली डालकर गर्म करें,जब लहसुन जल जाए तो यह तेल छानकर शीशी में भर लें | इस तेल की कुछ बूँदें कान में डालने से कान का दर्द समाप्त हो जाता है |

५- अलसी के तेल को गुनगुना करके कान में १-२ बूँद डालने से कान का दर्द दूर हो जाता है |

६- बीस ग्राम शुध्द घी में बीस ग्राम कपूर डालकर गर्म कर लें | अच्छी तरह पकने के बाद ,ठंडा करके शीशी में भरकर रख लें | इसकी कुछ बूँद कान में डालने से दर्द में आराम मिलता है |