Monday 4 July 2011

मेल से आगे का जी-मेल

गूगल की ई-मेल सेवा जी-मेल को 1 अप्रैल 2004 को जब शुरू किया गया था तो उसमें कोई विशेष फीचर्स नहीं थे। सिवाय मेल के भीतर बेहतरीन सर्च और एक जीबी की जबरदस्त संग्रहण क्षमता के। जी-मेल की सदस्यता भी उस वक्त निमंत्रण से मिलती थी। उस दौर में अमेरिका की लोकप्रिय ई-मेल सेवा यूएसएडॉटनेट ने लोगों से पैसा वसूलना शुरू किया था, लिहाजा निशुल्क एक जीबी की संग्रहण क्षमता की सुविधा ने लोगों को जी-मेल का दीवाना बना दिया। हालांकि जी-मेल की शुरुआत के पहले दिन सूचना तकनीक के कई जानकार इस बात पर बहस कर रहे थे कि कहीं यह गूगल का पहली अप्रैल का मजाक तो नहीं!



ऐसा नहीं था और देखते देखते जी-मेल पूरी दुनिया पर छा गई, लेकिन पिछले सात साल में जी-मेल अगर एक हद तक ई-मेल का पर्याय बन गई तो इसकी वजह सिर्फ अपार स्टोरेज कैपेसिटी नहीं है, बल्कि कई ऐसे फीचर्स भी हैं, जिन्हें जी-मेल के साथ लगातार जोड़ा गया। यह अलग बात है कि आज भी लाखों उपयोक्ता सिर्फ सामान्य फीचर्स से ही काम चलाते हैं, क्योंकि उन्हें कई उपयोगी सुविधाओं के बारे में पता ही नहीं है। हां, संग्रहण क्षमता भी सात जीबी तक बढ़ चुकी है।

नायाब सुविधाएं
जी-मेल के भीतर कई ऐसी सुविधाएं हैं, जिनका इस्तेमाल न केवल आपका कीमती समय बचाता है, बल्कि कई झंझटों से मुक्ति दिलाता है। मसलन, अगर आपको जी-मेल का इस्तेमाल करते वक्त इंटरनेट पर कुछ सर्च करना है तो आप क्या करते हैं? बहुत संभव है कि आप एक नयी विंडो में गूगल या कोई दूसरा सर्च इंजन खोलें और संबंधित की-वर्ड टाइप करें, लेकिन जी-मेल के भीतर ही गूगल सर्च का विकल्प भी है यानी आप मेल के भीतर ही कुछ खोज सकते हैं। इसके लिए सिर्फ आपको सैटिंग्स में जाकर गूगल सर्च विकल्प को सक्रिय करना है।

इसी तरह आप जी-मेल में फ्लिकर, पिकासा और यूटय़ूब का फीचर ‘इनेबल’ कर लें तो आप जी-मेल के अंदर ही किसी ई-मेल में यूटय़ूब वीडियो और फ्लिकर व पिकासा वगैरह की तस्वीरें देख सकते हैं। इसके लिए आपको इन साइट्स को खोलने की जरूरत नहीं होगी। किसी ई-मेल में अगर इनका लिंक है तो आप उसी ई-मेल के अंदर ये सब देख सकेंगे। इसके लिए आपको लैब्स के ऑप्शन में जाकर इन फीचर्स को ‘इनेबल’ करना पड़ेगा।

जी-मेल की ऐसी ही एक और खास सुविधा है ‘अनडू सेंड’। कई बार ऐसा होता है कि हम जल्दबाजी में ई-मेल के ‘सेंड’ बटन पर क्लिक कर देते हैं और क्लिक करते ही हमें याद आता है कि कोई खास चीज लिखनी तो रह ही गई। ऐसे में यह फीचर विशेष फायदेमंद है। अगर आप लेब्स में जाकर इस फीचर को इनेबल कर लेते हैं तो ई-मेल भेजने के तीस सेकेण्ड बाद तक आप उसे ‘अनडू सेंड’ के बटन पर क्लिक करके रोक सकते हैं।

इसी तरह एक सेवा है मेल गगल्स। इस सुविधा का सोशल मीडिया जानकार मजाक भी उड़ाते हैं, लेकिन कुछ लोगों के लिए यह काम की है। इस फीचर को इनेबल करने के बाद देर रात मेल करने के दौरान लोगों को कुछ वक्त छोटा-सा सवाल हल करना पड़ता है। यह उन लोगों के लिए उपयोगी है, जो देर रात पार्टी करने के बाद भी मेल करते हैं।

जी-मेल की एक अन्य दिलचस्प सुविधा है - मैसेज स्नीक पीक। कई बार हम एक-एक मैसेज खोल कर नहीं देखना चाहते। ऐसे में यदि लैब्स का यह फीचर एक्टिव है तो आप उस ई-मेल पर महज कर्सर ले जाकर उसकी शुरुआती चन्द पंक्तियां पढ़ सकते हैं। न केवल यह आपके ई-मेल के काम को तेज करता है, बल्कि आप शीघ्रता से अधिक ई-मेल्स का जायजा ले सकेंगे।

बहुभाषी भी
अगर आपको ऐसी ई-मेल्स अक्सर मिलती हैं, जो किसी अन्य भाषा में हों तो ‘जीमेल ट्रांसलेशन’ की सुविधा भी आपके लिए काफी उपयोगी साबित हो सकती है। इस फीचर को इनेबल करने के बाद आप किसी अन्य भाषा की ई-मेल को खोल कर वहीं उसे अपनी भाषा में अनूदित करके पढ़ सकते हैं और इसके लिए आपको किसी बाहरी साइट पर जाने की भी आवश्यकता नहीं है।

जी-मेल लैब्स की सबसे लोकप्रिय सुविधाओं में से एक है ई-मेल में तस्वीर चस्पां करने की सुविधा। आम तौर पर यदि कोई तस्वीर भेजनी हो तो उसे उपयोक्ता ई-मेल में अटेचमेंट लगा कर भेजते हैं, लेकिन अगर ई-मेल के अंदर ही लिखित सामग्री के साथ बीच-बीच में तस्वीरें लगानी हों तो इस सुविधा के जरिए आसानी से ऐसा किया जा सकता है। आप तस्वीर का आकार भी कम-ज्यादा कर सकते हैं।

वैसे हाल के दिनों में जी-मेल ने कई फीचर्स को हटाने की भी सुविधा दी है। मसलन, जीमेल ने अपने आप ई-मेल पते जोड़ने वाली सुविधा यानी ऑटो एडिंग कंटेक्ट्स को डिसेबल करने की सुविधा जोड़ी है। बहरहाल, जी-मेल लैब्स में ऐसा बहुत कुछ है, जिसे आप अपनी जरूरत के मुताबिक अपने जी-मेल में जोड़ सकते हैं।

मसलन, आप चाहें तो जी-मेल में शॉर्टकट्स इनेबल कर सकते हैं, नए रंग-बिरंगे लेबल्स लगा सकते हैं, अपनी ई-मेल में जी-मेल के अन्य अकाउण्ट्स जोड़ सकते हैं और कई सारे फीचर्स इनेबल कर सकते हैं। जी-मेल का अपनी जरूरत के मुताबिक पूरा इस्तेमाल आपके काम में तेजी लाएगा और समय-प्रबंधन में भी महत्त्वपूर्ण साबित होगा।

गूगल की जी-मेल सेवा के दुनिया भर में करीब 20 करोड़ ग्राहक हैं, जो लाखों मेल रोजाना भेजते हैं। ऐसे में जी-मेल सेवा का एक पल के लिए बंद होना कई उपयोक्ताओं को भारी पड़ जाता है, लेकिन पिछले दिनों जी-मेल में गड़बड़ी की शिकायतें बढ़ी हैं। 2009 में 24 फरवरी को जी-मेल सेवा लगातार तीन घंटे के लिए ठप हो गई थी। उस वक्त गूगल ने माफी मांगी थी।

पिछले महीने भी जी-मेल सेवा में भयंकर गड़बड़ी आई, जिसके चलते करीब 30,000 लोगों का डाटा गायब हो गया। छोटी-मोटी गड़बड़ियों की खबरें लगातार जी-मेल के उपयोक्ताओं और यहां तक की जी-मेल को परेशान कर रही हैं। ऐसे में जरूरी यही है कि जी-मेल के अपने डाटा का संग्रहण सावधानीपूर्वक करें या उनकी एक कॉपी और बनाएं। जी-मेल निश्चित रुप से दुनिया की सबसे लोकप्रिय ई-मेल सेवा है, लेकिन इस पर आवश्यकता से अधिक निर्भरता भी ठीक नहीं।

हिंदुस्तान में छपा पीयूष पांडे जी  का लेख........! साभार

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