Saturday, 21 January 2012

चाणक्य नीति- सांप से भी ज्यादा जहरीले होते हैं ऐसे लोग...

हमारे आसपास दो प्रकार के लोग होते हैं एक तो सज्जन या अच्छे लोग और दूसरे हैं दुर्जन या बुरे लोग। सज्जन लोगों के साथ किसी को कोई परेशानी नहीं रहती है। जबकि दुर्जनों लोगों का साथ हमेशा ही दुख और परेशानियां देने वाला होता है। दुर्जन लोगों के लिए आचार्य चाणक्य ने कहा है कि-

दुर्जनस्य च सर्पस्य वरं सर्पो न दुर्जन:।

सर्पो दंशति काले तु दुर्जनस्तु पदे पदे।।

अर्थात् दुर्जन और सांप दोनों ही जहरीले होते हैं फिर भी दुर्जनों की तुलना में सांप ज्यादा अच्छे होते हैं। क्योंकि सांप मौका मिलते ही केवल एक ही बार डंसता है जबकि दुर्जन लोग हर पल काटते हैं।

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि हमारे आसपास जो दुर्जन लोग हैं वे सांपों से अधिक जहरीले होते हैं और हानिकारक रहते हैं। जो लोग कपटी और नीच होते हैं उनसे दूर ही रहना चाहिए। सांप केवल तभी हमला करता है जब उसे स्वयं के प्राणों का संकट दिखाई देता है। सांप केवल एक ही बार डंसता है। इसके विपरित जो भी लोग कपटी, नीच और दुराचारी होते हैं वे सदैव दूसरों को कष्ट पहुंचाते रहते हैं। इन लोगों की वजह से कई बार निर्दोष व्यक्ति भी बड़ी परेशानियों में उलझ जाता है। कपटी इंसान हर पल समस्याएं खड़ी करते रहते हैं। इसी वजह से ऐसे लोगों सांपों से भी अधिक खतरनाक होते हैं। इन लोगों से दूर रहने में ही भलाई होती है।


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