Tuesday, 27 March 2012

मां के बनाए खाने.....

सत्तर के दशक की चर्चित बॉलिवुड फिल्म दीवार में दो भाइयों के बीच का एक संवाद बड़ा मशहूर हुआ था, जिसमें एक भाई कहता है, मेरे पास दौलत है, बंगला है, गाड़ी है, तुम्हारे पास क्या है? और इसके जवाब में दूसरा भाई कहता है, मेरे पास मां है। मां के साथ रहने के कई फायदों में से एक फायदा तो यह है कि उसके हाथ का स्वादिष्ट खाना खाने को मिलता है। अपने देश के अधिकांश मर्दों को अपनी मां के हाथ के खाने के आगे सब कुछ फीका ही लगता है। शायद इसके पीछे कोई मनोवैज्ञानिक कारण हो।

मुमकिन है खाने के स्वाद से ज्यादा अहम हो उसे बनाने या परोसने वाले की भावना। लेकिन हाल के एक रिसर्च में पता चला है कि ब्रिटेन के पुरुष भी इस मामले में भारतीय पुरुषों से अलग नहीं हैं। वे पत्नी या गर्लफ्रेंड के बनाए व्यंजनों से कहीं ज्यादा अपनी मां के बनाए खाने को पसंद करते हैं। एक इंटरटेनमेंट चैनल 'फूड नेटवर्क यूके' ने 2000 पुरुषों पर एक सर्वेक्षण किया, जिसमें एक चौथाई लोगों ने स्वीकार किया कि वे अपनी पत्नी को बताए बगैर चुपके से अपनी मां के पास खाना खाने पहुंच जाते हैं। हालांकि इनका अपनी पत्नी से मधुर संबंध रहा है। इसमें एक और दिलचस्प बात का पता चला।

मांएं शायद ही कभी पहले से तैयार खाना अपने बेटे को खिलाती हैं, जबकि ज्यादातर पत्नियां फ्रिज में रखी चीजों को ही माइक्रोवेव में गर्म करके फिर से परोस देती हैं। असल में उनका बहुत सारा समय दफ्तर और बच्चों की देखरेख में निकल जाता है, इसलिए वे खाने को अपने हिसाब से मैनेज करती हैं। सर्वेक्षण में कई लोगों ने बताया कि उन्होंने अपनी मां से रेसिपी लेकर अपनी पत्नी को दी है। लेकिन कई पत्नियों को अपनी सास की रेसिपी लेना पसंद नहीं आया। कई बार तो खाने की वजह से पति-पत्नी में खटपट भी हो जाती है।

काश, उन पत्नियों ने यह हिंदुस्तानी मुहावरा सुना होता कि मर्दों के दिल का रास्ता पेट से होकर ही जाता है। इसलिए समझदार पत्नियां पति को प्रसन्न करने के लिए उस दिन कुकिंग पर खास ध्यान देती हैं। पर बेेटे के साथ उनका रिश्ता कुछ अलग ही होता है, क्योंकि वे उसकी हरेक आदत को उसके जन्म से ही देखती हैं। इसीलिए उनका बनाया खाना बड़े होने पर भी बच्चे को एक अलग तरह का आस्वाद देता है। 


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