Monday 5 September 2011

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन


हरेक भारतीय के लिए यह गर्व की बात है कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) हर वर्ष आठ उपग्रहों के प्रक्षेपण की तैयारी कर रही है। बंगलौर स्थित इसरो अंतरिक्ष कार्यक्रमों को संचालित करनेवाला देश का राष्ट्रीय संस्थान है। भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम डॉ. विक्रम साराभाई की संकल्पना है, जिन्हें देश में इसका जनक कहा जाता है। 1962 में भारतीय परमाणु कार्यक्रम के जनक और परमाणु ऊर्जा विभाग के निदेशक डॉ. होमी जहांगीर भाभा ने अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए भारतीय राष्ट्रीय समिति (इनकोस्पार) का गठन किया और उसका सभापति डॉ. साराभाई को बनाया। 1969 में इनकोस्पार से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का गठन किया गया।
डॉ. साराभाई ने टेलीविजन प्रसारण व दूरसंचार जैसे बहु-अनुप्रयोगों के लिए उपयोगी उपग्रहों की संभाव्यता के संदर्भ में नासा केसाथ अध्ययन किया और उपग्रह को ही सबसे सस्ता और सरल साधन पाया।

19 अप्रैल, 1975 को पहले भारतीय उपग्रह आर्यभट्ट का सफल प्रक्षेपण रूस के सहयोग से किया गया। 1979 में रोहिणी उपग्रह का प्रक्षेपण असफल रहा। लेकिन 1980 में एसएलवी-3 की सहायता से रोहिणी को सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित किया गया। 1984 में राकेश शर्मा पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री बने। 1992 में स्वदेशी तकनीक से बने इनसैट-2ए का सफल प्रक्षेपण किया गया। 1999 में पहली बार भारत से विदेशी उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण किया गया। 2004 में जीएसएलवी एडुसैट और 2008 में चंद्रयान का सफल प्रक्षेपण संभव हुआ।

इसरो दो महत्वपूर्ण उपग्रह प्रणाली-संचार सेवाओं के लिए इनसेट और प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन के लिए आईआरएस का सफल संचालन करता है। इनसेट उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए जीएसएलवी और आईआरएस उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए पीएसएलवी का उपयोग किया जाता है। 

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