Sunday, 27 May 2012

हमारी पर्सनालिटी खिल उठेगी Humari Personality khil Uthegi by Chiragan


Personality development by Chiragan
कुछ व्यक्तियों की सोच होती है, जैसे वे सबकुछ जानता है। वास्तव में, कोई इंसान सबकुछ नहीं जान सकता। अगर कोई ऐसा सोचता है तो वह ऐसा सोचकर अपने दिमाग का दरवाजा बंद कर लेता है। जब कोई खुद को बुद्धिमान और ज्ञानी समझने लगता है तो ऐसी हालत में वह नए थॉट्स और इनफॉर्मेशन को जानने-पहचानने के अलावा नए विचारों को अपने भीतर आने नहीं देता। सफलता प्राप्त करने के लिए इन मामलों से निजात पाना जरूरी है। त्यागें सेल्फ ईगो- जो काम आपको नहीं आता, जिसके बारे में आपको जानकारी नहीं हैं तो उसे स्वीकारना सीखें। दूसरों को दिखाने के लिए यह न कहें कि वह तो मुझे मालूम है, जबकि वास्तव में उसके बारे में आपको ढेला तक भी मालूम नहीं होता। अकसर देखा जाता है कि लोग अपने जूनियर के सामने खुद को अधिक बुद्धिमान दिखाने की कोशिश करते हैं, जबकि कई मामलों में वे होते नहीं हैं। जो चीज आपको नहीं पता है या जिसके बारे में अनजान हैं, तो आप किसी से भी सीख सकते हैं लेकिन इसके लिए आपको अपना ईगो दूर करना होगा। यदि आप छोटे से ही कुछ बातें सीख लेंगे तो वह आपका अपना हो जाएगा। कुछ नया करें- हमेशा कुछ नया सीखने और नया काम करने के लिए तैयार रहें।
Personality development by Chiragan
नया सीखने के लिए जरूरी नहीं है कि आप सिर्फ अपने फील्ड की जानकारी से ही अपडेट रहें। प्रेरणा कहीं से भी मिल सकती है। यह ऐसी चीज है जिसे आप सफल व्यक्ति से लेकर मजदूर तक से भी ले सकते हैं। ध्यान से सुनें-जिस व्यक्ति से आप बात कररहे हैं, उनकी बातों को ध्यान से सुनें। उनकी विचारों को भी समझें। सुनना एक कला है। उनके हर सवालों का जवाब अपनी जानकारी के अनुसार सही सही दें। साथ ही, कोई जरूरी नहीं है कि सामने वाले के हर बात का जवाब दिया ही जाए। डायरी लिखें- दिनभर में जो कुछ नया देखें, उसे डायरी में नोट कर लें। जब आप किसी जानकार जूनियर या सीनियर से कुछ सीख लेते हैं या डेली लाइफ में बातचीत के दौरान कोई अच्छा शब्द मिल जाता है, उसे नोट कर लेंगे तो आपको वह याद रहेगा और उसका उपयोग आप आगे कर सकते हैं। आत्मविश्लेषण करें- कोई भी व्यक्ति जन्मजात महान या खास नहीं होता। बस वह अपने कायरे से, अपने गुणों से, अपने सिद्धांतों से महान बनता है। वही व्यक्ति जीवन में आगे निकलता है जो अपना आत्मविश्लेषण करता है और अपने हर कदम पर सोचता है कि उसने सही कदम उठाया या नहीं। काम को समझें- जो काम जरूरी है, उसे अच्छी तरह से समझने के
बाद ही करें। जब तक काम को अपनी समझ में शामिल नहीं करेंगे, तब तक आपको काम में मन नहीं लगेगा।

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