Sunday 5 February 2012

बेलगाम रफ्तार के लिए मां-बाप को जिम्मेदार

Bike accident with unsafe driving  Chiragan
दिल्ली की एक अदालत ने एक मामले में बेलगाम रफ्तार के लिए मां-बाप को भी जिम्मेदार ठहराया है। अदालत की टिप्पणी निश्चित ही समाज के एक ऐसे सत्य को उजागर करती है, जो बेहद खतरनाक है और सड़क पर चलने वालों के लिए जानलेवा बना हुआ है। चिड़ियाघर के पास एक ट्रैफिक कांस्टेबल को टक्कर मार कर कार के साथ घसीटने के मामले में साकेत कोर्ट में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने अपने फैसले में दो अभियुक्तों की रहम की अपील को स्वीकार करते हुए उनके द्वारा जेल में बिताए गए समय को ही पर्याप्त सजा माना और उनपर जुर्माना लगा दिया। इस मामले में अदालत ने कहा कि माता-पिता अक्सर बच्चों को सहूलियत के नाम पर बिना ड्राइविंग लाइसेंस के वाहन तो थमा देते हैं, मगर भूल जाते हैं कि उसका परिणाम कितना भयंकर हो सकता है। इस बात से कतई इनकार नहीं किया जा सकता कि बिना ड्राइविंग लाइसेंस के या यातायात नियमों की जानकारी हासिल किए वाहन चलाने से दुर्घटना की आशंका हमेशा बनी रहती है। अदालत की यह टिप्पणी यकीनन एक गंभीर समस्या की ओर इंगित करती है, जिसपर गौर करना सभी के लिए अत्यंत आवश्यक है। खासकर उन माता-पिता के लिए जिन्होंने अपने बच्चों को हाल ही में वाहन चलाने की अनुमति दी है या निकट भविष्य में देने वाले हैं।
वास्तव में इस बात से कतई इनकार नहीं किया जा सकता कि माता-पिता को अपने बच्चों को वाहन चलाने देने से पहले उन्हें न सिर्फ ड्राइविंग लाइसेंस दिलवाना चाहिए, अपितु उन्हें यह भी बताना चाहिए कि वे वाहन चलाते समय क्या सावधानियां बरतें। इसके साथ ही समय-समय पर उनके साथ वाहन में बैठकर उनके चलाने के तरीके को भी देखना चाहिए ताकि उसमें कहीं से भी कोई खामी नजर आने पर उन्हें समय रहते सुधार के लिए प्रेरित किया जा सके। उन्हें यह समझना चाहिए कि कोई जानलेवा सड़क हादसा होने की स्थिति में न सिर्फ किसी व्यक्ति की मौत होती है, अपितु यदि वह व्यक्ति घर में एकलौता कमाने वाला होता है तो पूरा परिवार ही बर्बाद हो जाता है। यह एक ऐसा पहलू है, जिसपर तेज रफ्तार से वाहन चलाने वाले गौर नहीं करते। राजधानी सड़क हादसों के लिए कुख्यात है। ऐसे में दिल्लीवासियों को खुद यातायात नियमों का पालन करने के साथ अपने बच्चों को भी पूरी जानकारी देनी चाहिए, ताकि उनका जीवन तो सुरक्षित रहे ही, किसी और को भी उनकी लापरवाही का खामियाजा न भुगतना पड़े।

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