Monday, 30 April 2012

चेचक Chickenpox Part-II

परिचय:-
Chechak Badi mata by Chiragan
          जब चेचक का रोग किसी व्यक्ति को हो जाता है तो इस रोग को ठीक होने में 10-15 दिन लग जाते हैं। लेकिन इस रोग में चेहरे पर जो दाग पड़ जाते हैं उसे ठीक होने में लगभग 5-6 महीने का समय लग जाता है। यह रोग अधिकतर बसन्त ऋतु तथा ग्रीष्मकाल में होता है। यदि इस रोग का उपचार जल्दी ही न किया जाए तो इस रोग के कारण  रोगी व्यक्ति की  मृत्यु हो सकती है।
 चेचक का रोग 3 प्रकार का होता है-
1. रोमान्तिका या दुलारी माता
2. मसूरिका (छोटी माता या शीतला माता)
3. बड़ी माता (शीतला माता)
रोमान्तिका (दुलारी माता):-
          जब किसी व्यक्ति को रोमान्तिका का रोग हो जाता है तो इसके दाने उसके शरीर की त्वचा के रोमकूपो पर निकलते हैं। इसलिए इस चेचक को रोमान्तिका कहते हैं। इस प्रकार के चेचक से पीड़ित रोगी की मृत्यु नहीं होती है। इस रोग में निकलने वाले दाने 2-3 दिन में ठीक हो जाते हैं। यह रोग 12 वर्श से कम आयु के बच्चों को अधिक होता है। इस रोग के दाने बहुत बारीक होते हैं। चेचक का रोमान्तिका रोग अपने आप ही ठीक हो जाता है।
रोमान्तिका (दुलारी माता) के लक्षण-
          रोमान्तिका रोग में रोगी व्यक्ति के चेहरे पर लाल रंग के दाने निकलने लगते हैं तथा जब ये दाने निकलते हैं तो रोगी व्यक्ति को बुखार हो जाता है और बैचेनी सी होने लगती हैं। यह दाने 2-3 दिनों के बाद फफोलों का रूप ले लेते हैं तथा इसके बाद कुछ दिनों बाद ये सूख कर झड़ने लगते हैं।
मसूरिका (छोटी माता या शीतला माता):-
          जब किसी व्यक्ति को चेचक का मसूरिका रोग हो जाता है तो उसके शरीर पर मसूर की दाल के बराबर के दाने निकलने लगते हैं। इसलिए इसे चेचक का मसूरिका रोग कहते हैं। इस चेचक को ठीक होने में कम से कम 11-12 दिनों का समय लग जाता है। कभी-कभी इस चेचक को ठीक होने में बहुत अधिक समय भी लग जाता है। इस चेचक के कारण शरीर पर घाव भी हो जाते हैं, जिससे रोगी के शरीर में कहीं-कहीं निशान भी पड़ जाते हैं। इस रोग के कारण त्वचा पर पड़े निशान कम से कम 2 महीने के बाद साफ होते हैं। यह बहुत ज्यादा संक्रामक रोग है। इस रोग के दाने कम से कम 10 दिनों में निकल आते हैं। जब यह रोग आक्रमक होता है तो रोगी के शरीर पर बहुत सारे दाने निकल आते है और इनके निकलने के 5-6 घण्टों के अन्दर ही इनमें पीब भर जाती है और दाने 1-2 दिनों में फफोलों की तरह त्वचा पर नज़र आने लग जाते हैं। यदि इस रोग का उपचार सही से किया जाए तो यह कुछ ही दिनों में ये ठीक हो जाते हैं।
मसूरिका रोग के लक्षण-
          जब रोगी को मसूरिका चेचक हो जाता है तो उसे बुखार हो जाता है, सिर में दर्द होने लगता है, उसकी आंखें पानी से भर आती हैं और उसे जुकाम हो जाता है। रोगी को रोशनी अच्छी नहीं लगती है, खांसी हो जाती है, छींके आने लगती है। मसूरिका रोग में रोगी के शरीर पर कम से कम 2 दिनों में दाने निकलने लगते हैं। इस रोग में दाने कभी-कभी बिना बुखार आए भी निकलने लगते हैं।
बड़ी माता (शीतला माता)-
          चेचक रोग में बड़ी माता से पीड़ित व्यक्ति को बहुत अधिक परेशानी होती है। इस चेचक के रोग को ठीक होने में कम से कम 20 से 30 दिनों का समय लग जाता है तथा इसके निशान त्वचा पर जीवन भर रहते हैं।
बड़ी माता (शीतला माता) के लक्षण-
  • बड़ी माता (शीतला माता) चेचक के दाने बड़े-बड़े फफोलों के रूप में शरीर पर निकलने लगते हैं इसलिए इसको बड़ी माता कहते हैं। जब इसके दाने फूटते हैं तो उनमे से पानी निकलने लगता है और कभी-कभी उनमें पीब तथा मवाद भी पड़ जाती है तथा बदबू भी आने लगती है। इस चेचक के कारण रोगी की आंखों में फुल्ली पड़ जाती है या रोगी बहरा हो जाता है। इस चेचक के दाग गहरे होते हैं तथा जीवन भर नहीं मिटते है।
  • जिस व्यक्ति को चेचक के दाने निकलने को होते हैं, उस व्यक्ति की भूख मर जाती है, रोगी की जीभ का स्वाद बिगड़ जाता है, उसके शरीर में सुस्ती, कमजोरी और सिर में भारीपन होने लगता है। रोगी व्यक्ति को कब्ज रहने लगता है तथा उसकी रीढ़ की हड्डी में दर्द भी होने लगता है।
चेचक रोग होने का कारण:-
          किसी भी तरह का चेचक रोग होने का सबसे प्रमुख कारण शरीर में दूषित द्रव्य का जमा हो जाना है। यह एक संक्रामक रोग है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को भी हो जाता है। यह रोग गन्दगी के तथा गन्दे पदार्थों का सेवन करने से होता है।
चेचक रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार :-
  • चेचक रोग से पीड़ित रोगी को पूरे दिन में कई बार पके नारियल का पानी के चेचक के दागों पर लगाना चाहिए। इस प्रकार से प्रतिदिन कुछ दिनों तक उपचार करने से चेचक के दाग ठीक होने लगते हैं।
  • रोमान्तिका चेचक को ठीक करने के लिए रोगी व्यक्ति को सफाई वाले स्थानों पर ही आराम करना चाहिए तथा उसे भोजन में दूध और फलों का सेवन अधिक मात्रा में करना चाहिए। यदि रोगी व्यक्ति को कब्ज हो तो उसे एनिमा क्रिया करनी चाहिए। इस प्रकार से उपचार करने से यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
  • मसूरिका चेचक के रोग में रोगी व्यक्ति को छाया में आराम करना चाहिए तथा यह ध्यान रखना चाहिए कि वह जहां पर आराम कर रहा है वह स्थान साफ-सुथरा तथा हवादार होना चाहिए। रोगी व्यक्ति को अपनी आंखों को गुलाब जल या फिटकरी के पानी से दिन में 2-3 बार धोना चाहिए तथा इसके बाद पलकों को आपस में चिपकने से बचाने के लिए अच्छी किस्म की बैसलीन या शुद्ध घी का काजल लगाना चाहिए। रोगी व्यक्ति को प्रतिदिन गुनगुने पानी से एनिमा क्रिया करनी चाहिए और अधिक मात्रा में पानी पीना चाहिए। पानी में नींबू के रस को मिलाकर पीने से रोगी को बहुत फायदा मिलता है। जब तक बुखार न उतर जाए तब तक रोगी को कुछ भी नहीं खाना चाहिए। जब बुखार ठीक हो जाए तब रोगी को फलों का रस पीना चाहिए। रोगी व्यक्ति को दोपहर के समय फल तथा सब्जियों का सेवन करना चाहिए। इसके बाद रोगी व्यक्ति को 3-4 दिनों बाद नाश्ते में 1 गिलास दूध तथा फलों का रस पीना चाहिए फिर सामान्य भोजन करना चाहिए। इस प्रकार से प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार करने से मसूरिका चेचक जल्द ही ठीक हो जाता है।
  • यदि चेचक के दाग बहुत अधिक पुराना हो गए हो तो ये बहुत मुश्किल से ठीक होते हैं। जब चेचक के दाने सूखकर झड़ने लगे तो उन पर साफ गीली मिट्टी का लेप अच्छी तरह से कुछ दिनों तक लगातार लगाने से चेचक के दाग कुछ ही दिनों में दूर हो जाते हैं तथा रोगी का चेहरा भी साफ हो जाता है।
  • बड़ी माता के रोग को ठीक करने के लिए करेले की बेल, पत्ते तथा फल के 10 मिलीलीटर रस में 1 चम्मच शहद मिलकर रोगी व्यक्ति को दिन में 3 बार चटाने से बहुत अधिक लाभ मिलता है।
  • कच्चे करेले को काटकर पानी में उबाल लें। फिर उस पानी को गुनगुना ही दिन में कम से कम 3 बार रोगी को प्रतिदिन पिलाएं। इससे कुछ ही दिनों में बड़ी माता का रोग ठीक हो जाता हैं।
  • पानापोटी के 3-4 पत्ते और 7 कालीमिर्च के दानों को एक साथ पीसकर पानी में मिलाकर 3 दिनों तक रोगी को पिलाने से बड़ी माता  ठीक हो जाती है।
  • रुद्राक्ष को पानी में घिसकर चेचक के रोगी के घावों पर लगाने से उसकी जलन दूर होती है और घाव भी जल्दी ठीक होते हैं।
  • चेचक के रोग से पीड़ित रोगी का उपचार करने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को कुछ दिनों उपवास रखना चाहिए। उपवास के दौरान रोगी को पानी में नींबू का रस मिलाकर दिन में कम से कम 6 बार पीना चाहिए तथा गुनगुने पानी से एनिमा क्रिया करनी चाहिए ताकि पेट साफ हो सके। रोगी व्यक्ति को सुबह तथा शाम के समय में उदरस्नान तथा मेहनस्नान करना चाहिए।
  • चेचक के निशानों को दूर करने के लिए अंकोल का तेल, आटे और हल्दी को एक साथ मिलाकर लेप बना लें। इस लेप को चेहरे पर कुछ दिनों तक लगाने से चेचक के दाग चेहरे से दूर हो जाते हैं और चेहरा साफ हो जाता है।
  • बनफ्शा की जड़, कूट, जलाया हुआ बारहसिंगा, मुर्दासंग, अर्मनी का बुरादा तथा उशुक को 1-1 ग्राम लेकर मक्खन मिले दूध में पीसकर लेप बना लें। इस लेप को चेचक के निशानों पर कुछ दिनों तक प्रतिदिन लगाने से यह निशान कुछ दिनों में ही साफ हो जाते हैं।
  • हाथी के दांत का चूर्ण, अर्मनी का बुरादा और पामोलिव साबुन को आपस में मिलाकर लेप तैयार कर लें। इस लेप को रात को सोते समय चेहरे पर चेचक के निशानों पर लगाएं और सुबह के समय में उठने पर चेहरे को पानी से धो डालें। इस प्रकार से प्रतिदिन चेहरे पर लेप करने से कुछ ही दिनों में चेचक के दाग समाप्त हो जाते हैं और चेहरा बिल्कुल साफ और सुन्दर बन जाता है।


चेचक (शीतला)
Small pox


विभिन्न औषधियों से चिकित्सा :-
जेल्सीमियम :-
          यह रोग होने पर जब बुखार तेज चढ़ जाए और अधिक बेचैनी हो रही हो तो इस औषधि की 3 या 30 शक्ति की मात्रा का उपयोग अधिक लाभदायक है।
वेरियोलीनम :-
  1. वेरियोलीनम औषधि शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है। इस औषधि से चिकित्सा करने के लिए इसकी 200 शक्ति की मात्रा का प्रयोग करना चाहिए।
  2. इस औषधि के प्रभाव से चेचक ठीक होने लगता है। इस रोग प्रतिरोधक औषधि को सप्ताह में एक बार सेवन करने से लाभ मिलता है।
  3. चेचक रोग को ठीक करने के लिए वेरियोलीनम औषधि के साथ ही बीच-बीच में सल्फर औषधि की 200 शक्ति की मात्रा का उपयोग करना अधिक लाभदायक होता है।
  4. यदि रोग ठीक हो जाने के बाद भी चेचक का दाग ठीक न हो तो उसे ठीक करने के लिए भी इस औषधि का उपयोग किया जा सकता है। इस औषधि के द्वारा चिकित्सा करने के लिए सबसे पहले इसकी 6x या 12x मात्रा का उपयोग सप्ताह में एक बार दें। इसे लगातार तीन सप्ताह तक देते रहने से रोग पूरी तरह से ठीक हो सकता है।
ऐकोनाइट :-
          ऐकोनाइट औषधि का उपयोग तब करते हैं जब चेचक रोग के लक्षण शुरू हुए हो और तेज बुखार के साथ ही बेचैनी हो रही हो। यह इस रोग को ठीक करने में बहुत असरदार औषधि है। ऐसे लक्षणों को ठीक करने में इस औषधि की अपेक्षा बेलाडोना औषधि का उपयोग भी बहुत अधिक लाभदायक है।
मैलेन्ड्रिनम :-
          मैलेन्ड्रिनम औषधि शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है और चेचक रोग को भी ठीक करने में लाभकारी है।
ब्रायोनिया :-
          चेचक रोग के शुरू-शुरू के लक्षणों में यह औषधि बहुत अधिक उपयोगी है। इस रोग से पीड़ित रोगी में और भी कई प्रकार के लक्षण होते हैं जैसे- तेज उल्टी आना, सिर में तेज दर्द होना, बुखार होने के साथ ही शरीर पर दाने निकलना और जी मिचलाना आदि। ऐसे लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग का उपचार करने के लिए ब्रायोनिया औषधि की 30 शक्ति की मात्रा का प्रयोग किया जाता है। इस औषधि से उपचार करते समय यह भी ध्यान रखना चाहिए कि रोगी जब हरकत करता है तो उसे परेशानी होती है।
थूजा :-
          थूजा औषधि का प्रयोग चेचक रोग की दूसरी अवस्था में करते हैं जब इस प्रकार के लक्षण हो जाते हैं- दाने दूध के समान सफेद और पीब युक्त हो या काले दाने हो, दाने सूजी हुई त्वचा पर निकल रहे हो, इन दानों से अधिक बदबू आ रही हो। ऐसे लक्षण होने पर चिकित्सा करने के लिए इस औषधि की 30 शक्ति की मात्रा का प्रयोग करने से लाभ मिल सकता है। यह औषधि शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाती है।
ऐन्टिम टार्ट :-
          चेचक रोग होने पर जब चेचक के फफोले पड़ जाए तो रोग को ठीक करने के लिए इस औषधि की 6x मात्रा का प्रयोग करने से अधिक लाभ मिलता है। इस रोग के होने के साथ ही छालों में पीब बन रहे हो तो भी ऐन्टिम टार्ट औषधि के द्वारा उपचार किया जा सकता है। रोगी के श्वास नली में सूजन हो, ब्रौंको-न्यूमोनिया हो, खांसी हो रही हो, छाती में घड़घड़ की आवाजें हो रही हो और साथ ही चेचक के दाने हो तब इस औषधि से उपचार करना और भी अधिक लाभकारी है। ऐन्टिम टार्ट औषधि से तब भी उपचार कर सकते हैं जब अधिक मात्रा में दाने शरीर पर निकल आए।
हाइड्रेस्टिस :-
          यह औषधि चेचक रोग को ठीक करने में अधिक लाभकारी है। हाइड्रेस्टिस औषधि की 30 शक्ति की मात्रा का उपयोग रोग को ठीक करने के लिए करना चाहिए।
मर्क-सौल :-
          इस औषधि की 30 शक्ति की मात्रा के द्वारा उपचार तब किया जाता है जब चेचक रोग में फफोले पकने लगें और रोग की अवस्था तीसरी अवस्था में बदल जाए।
क्रोटेलस :-
          यह औषधि सांप के विष से बनाई जाती है। इस औषधि का प्रयोग तब करते हैं जब चेचक रोग का स्वरूप अधिक खतरनाक होने लगे। इस औषधि की 6 शक्ति के द्वारा ही उपचार करना चाहिए।
हैमैमेलिस :-
          यदि चेचक रोग से पीड़ित रोगी को रक्त स्राव हो रहा हो तो उसके रोग को ठीक करने के लिए इस औषधि की 6 शक्ति की मात्रा का उपयोग लाभदायक है।
हिपर सल्फ :-
          चेचक रोग में इसका उपयोग चेचक के दाने को पकाने के लिए किया जाता है। इस औषधि की 30 शक्ति की मात्रा का प्रयोग करना चाहिए।

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