Friday, 8 June 2012

जंग का साहस भी विजय

खिलाड़ी हो या कोई अदना सा शख्स, दोनों के भीतर जीत और चित संबंधी भावनाएं होती हैं। इन्हीं दोनों के बीच वह मजबूत से पहले वाली यानी जीत संबंधी भावना के पलड़ा भारी करने की कोशिश करता रहता है।
अगर आप सोचते हैं कि आप विजयी हो सकते हैं, तो आप वै सा कर भी सकते हैं लेकिन याद रखिए, विजयी होने के लिए ईमानदारी से उस पर डटे रहना बहुत जरूरी है। रेस को जीतने वाला अपने शरीर और अपनी भावनाओं पर कुछ न कुछ खरोंच भी सह लेता है। लेकिन आप रेस में हिस्सा लेने की ठान लिये तो इसका अर्थ है कि आप रेस को जीतने के लिए उसमें शिरकत कर रहे थे । ओलम्पिक में शिरकत करने वाला शायद ही कोई खिलाड़ी हो, जिसके भीतर जीतने का जज्बा कूट-कूटकर न भरा हो। स्कूलों में यदा-कदा होते छोटे-मोटे खेलों को भी हम जीतना ही चाहते हैं। आखिर वह अपने लिए थोड़े ही खेल रहा होता है बल्कि उसे इस बात का अच्छी तरह अहसास रहता है कि उसके देश का एक-एक बच्चा उसे उम्मीदों भरी नजरों से देख रहा है। गजब अहसास है खेल में देश का प्रतिनिधित्व करना!
खिलाड़ी हो या कोई सामान्य-सा शख्स, दोनों के भीतर जीत और चित संबंधी भावनाएं होती हैं। इन्हीं दोनों के बीच वह मजबूती से पहले वाली यानी जीत संबंधी भावना के पलड़ा भारी करने की कोशिश करता रहता है। हमेशा से वह बात कभी-कभी कही जाती रही है कि जीत की भावना का कोई विकल्प नहीं है। हर कोई हर पल जीतना चाहता है। आप नींद पूरी कर उठते हैं, तो उठने का अर्थ है कि आप अब सोना नहीं चाहते। इस तरह नींद को जीत चुके होते हैं। कोई कठिन चीज याद हो जाए तो इसका अर्थ है कि याद करने संबंधी कठिनाई को जीत चुके हैं। जब आप टीम के सदस्य बन कर खेलते हैं, तो वैयक्तिक गवरेक्ति महत्वपूर्ण नहीं होती। बल्कि सामूहिक दमखम मायने रखता है। इसी तरह, जब आप जीतते हैं तो ये मायने नहीं रखता कि आप एक इंच या एक मील के अंतर से जीते। यहां भी विजय ही मायने रखती है। अडिग विास मजबूत विास का ही नाम होता है। कोई भी जीत किसी किले को फतह करने से कम नहीं है। बस, इच्छा-शक्ति हो कि इसे फतह करना ही करना है। अगर ऐसी इच्छा-शक्ति नदारद है तो जिंदगी भर जंग लड़ते रखिए, नतीजा मुट्ठी के बीच से सरकती रेत जैसा होना है। जंग का साहस नहीं, तो विजयश्री असंभव, दौड़ने की हिम्मत नहीं, तो दौड़ जीत कर तमगा गले में लटकाने का सपना असंभव। अर्थात उच्च स्तर का साहस विजयश्री की ओर झुकाकर उसे सृजनशील कर्म पथ के सामने खड़ा कर देता है और आपकी भावनाएं उभारकर उसे अपने करीब आने में बाध्य कर देता है।
(ब्रिटेन में जन्मे विलियम हैज्लेट चित्रकार, दार्शनिक और साहित्यक आलोचक थे)

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