Friday 8 June 2012

पर्यावरण और उसमे कैरियर द्वारा चिरागन

पर्यावरण का करें वरण हमारा जीवन पूरी तरह पर्यावरण पर आश्रित है। तेजी से बढ़ते शहरीकरण और औद्योगिकीकरण ने हमारे पर्यावरण के संतुलन को बुरी तरह बिगाड़ दिया है। यही कारण है कि वैिक तौर पर इसके प्रति सरकारें और लोग गंभीर और सजग हुए हैं। सुरक्षित पर्यावरण की गंभीरता को समझते हुए इसके अध्ययन को लेकर दुनिया के तमाम देश सामने आए हैं। यही कारण है कि जहां विभिन्न संस्थानों और विविद्यालयों में तमाम तरह के कोर्स उपलब्ध हैं, वहीं इस क्षेत्र में करियर की अनेक संभावनाओं ने भी जन्म लिया है
हमारा जीवन पूरी तरह पर्यावरण पर टिका है। इसके बिना पृथ्वी पर जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। भोजन से लेकर घर, कपड़े, जल, सूर्य का प्रकाश, वायु या जीवन को समर्थन देने वाला कोई अन्य पदार्थ, सबकुछ हमें पर्यावरण ही देता है। लेकिन तेजी से बढ़ते शहरीकरण और औद्योगिकीकरण ने हमारे पर्यावरण के संतुलन को बुरी तरह प्रभावित किया है। यही कारण है कि इसके खतरों के देखते हुए वैिक तौर पर इसके प्रति लोग गंभीर और सजग हुए हैं। आज के दौर में पर्यावरण विशेषज्ञों या पर्यावरण वैज्ञानिकों के सामने बहुत बड़ी जिम्मेदारी यह है कि वे पर्यावरण के अनुकूल विकास की पण्रालियां तैयार करें।
पर्यावरण मामले में गंभीरता बरतते हुए इसके अध्ययन को लेकर दुनिया के तमाम देश सामने आए हैं। यही कारण है कि जहां विभिन्न संस्थानों और विविद्यालयों में तमाम तरह के कोर्स उपलब्ध हैं, वहीं करियर की संभावनाओं ने भी जन्म लिया है। पर्यावरण विज्ञान मूल रूप से ऊर्जा संरक्षण, जैव विविधता, जलवायु परिवर्तन, भूजल तथा मृदा संदूषण तथा वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, औद्योगिक प्रदूषण, वाहन प्रदूषण तथा प्लास्टिक जोखिम को दूर करने के लिए विकसित की गई कई तकनीक का अध्ययन है। पाठ्यक्रम एवं पात्रता एजुकेशन, कंसल्टिंग और इंजीनियरिंग में रुचि रखने वाले छात्र पर्यावरण विज्ञान में बीटेक करने के बाद एमटेक कर सकते हैं। बीटेक के लिए मुख्य योग्यता 12 वीं तक फिजिक्स, केमेस्ट्री और गणित विषयों का अध्ययन करना चाहिए। स्नातक स्तर पर कुछ ही यूनिवर्सिटी में पर्यावरण विज्ञान में बीएससी डिग्री का पाठय़क्रम है। पर्यावरण विज्ञान में एमएससी जैसे स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम भी कर सकते हैं। इस पाठ्यक्रम की अवधि दो वर्ष है। इनके अतिरिक्त, पर्यावरण विज्ञान तथा पर्यावरण प्रबंधक में अल्पकालीन स्नातकोत्तर डिप्लोमा कार्यक्रम भी हैं। छात्र पर्यावरण विज्ञान में एमफिल तथा पीएचडी भी कर सकते हैं।
संभावनाएं इस क्षेत्र में शोध संस्थानों के अलावा उद्योग, एनजीओ, सरकारी संस्थानों, लोक उपक्रम, होटल, बैंक, प्रकाशन समूह के अलावा सलाहकार के रूप में काम करने के अवसर हैं। पर्यावरण वैज्ञानिक ही नहीं बल्कि पर्यावरण इंजीनियर, इनवायरमेंटल बायोलाजिस्ट, इनवायरमेंटल मॉडेलर के साथ ही इनवायरमेंटल जर्नलिस्ट के लिए भी इसमें असीम अवसर है। अध्यापन के क्षेत्र में इनवायरमेंटल साइंस में ग्रेजुएट शिक्षक के रूप में भी कार्य कर सकते हैं। एनजीओ आमतौर पर इनवायरमेंटल साइंस में एमएससी या ब्ाी ए स्ा स्ाी उम्मीदवारों को अवसर देती है। पर्यावरण विज्ञान में मास्टर या ड ा ॅ क् ट र डिग्रीधारी व्यक्ति अपने ज्ञान तथा अनु भव के अनु सार को ई अच्छा पद/रोजगार प्राप्त कर सकता है।
इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय संगठन मसलन, जलवायु परिवर्तन संबंधी अंत: सरकारी पैनल (आईपीसीसी),संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी), भू-पण्राली शासन परियोजना सहित विभिन्न देशों के दूतावास तथा पर्यावरण से जुड़े अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठन भी इस फील्ड में सक्रिय हैं और यहां नौ करी की विभिन्न संभावनाएं हैं। पारिश्रमिक पर्यावरण विज्ञान के क्षेत्र में शोधकर्ता के रूप में जहां 15-20 हजार रुपये से शुरुआत की जा सकती है। वहीं, निजी क्षेत्रों, एनजीओ, शिक्षण संस्थाओं और सलाहकार के रूप में 20-25 हजार रुपये मासिक वेतन आसानी से पा सकते हैं। अध्यापन के फील्ड में इनवायरमेंटल साइंस में ग्रेजुएट शिक्षक की भी मांग बढ़ी है।
जरूरी गुण सफल होने के लिए पर्यावरण से संबंधित मुद्दों के लिए प्रतिबद्धता हो। जलवायु में बदलाव की जानकारी इकट्ठा करने एवं समाज सेवा का जज्बा हो। फील्ड सव्रे टेक्नीक के जानकार हो। टीम के साथ कार्य करने या टीम का नेतृत्व करने की क्षमता हो। रिसर्च स्किल्स के साथ समस्याओं को हल करने की क्षमता हो। टाइम मैनेजमेंट, रिस्क एसेसमेंट, टीम वर्क, प्रॉब्लेम सॉल्विंग और एनालिसिस आदि मामलों में प्लान करने व प्रोजेक्ट को मैनेज करने के गुण हों। इस फील्ड में करियर बनाने के लिए प्रबल अभिरुचि तथा इच्छा हो।
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