Friday 8 June 2012

सूरज की घातक किरणे by चिरागन

झुर्रि यां
येल यूनिवर्सिटी में डम्रेटोलॉजिस्ट के एसोसिएट क्लीनिकल प्रोफेसर एलीसिया डी जाल्का के अनुसार, सूर्य की अल्ट्रा वाइलेट (यूबी) यानी पराबैंगनी किरणों आपकी त्वचा की लचीलेपन को ढीला करती हैं। इससे त्वचा में सिलवटें दिखने लगती हैं और ये झुर्रियों का रूप ले लेती हैं। इससे आप समय से पहले बूढ़ी लगने लगती हैं। इससे त्वचा को नुकसान पहुंचने के साथ-साथ उसकी चमक भी कम होती है। ये डार्क सन स्पॉट्स के कारण भी बनतेहैं। ऐसे में, सन ब्लॉक्स पहनने और सूरज की तेज किरणों से बचाने वाले कपड़े पहनने से भी इसकी किरणों से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है। सूरज की किरणों के कारण सन डैमेज होना मुमकिन है यानी प्रतिदिन लंबे समय तक यदि आप सूरज की किरणों सहेंगी तो यह आपकी त्वचा के सेल्स के डीएनए की क्षति का कारण बनेगा। ऐसे में या तो ये सेल्स खत्म हो जाते हैं या फिर अपने मैकेनिज्म सिस्टम के जरिये रिपेयर हो जाते हैं। यदि नुकसान बहुत ज्यादा गंभीर होता है और सेल्स इन्हें पर्याप्त रूप से रिपेयर नहीं कर पाए तो ये स्किन कैंसर के रूप में भी सामने आ सकते हैं।
संक्रामक बीमारी
बहुत ज्यादा देर तक सूरज की किरणों को झेलते रहने का निगेटिव असर इम्यून सिस्टम पर भी पड़ता है जो बीमारियों से लड़ने वाला हमारे शरीर की प्राकृतिक रक्षा पण्राली है। यूवी किरणों बैक्टीरियल एजेंट से प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करती हैं और संक्रमण कां खतरा बढ़ाती हैं। यूवी रेडिएशन स्मॉल पॉक्स, हर्पीज सिप्लेक्स वायरस और मुंह के छाले आदि का कारण बनते हैं।
आंखों की केयर
कॉन्रेल यूनिवर्सिटी मेडिकल कॉलेज में डम्रेटोलॉजिस्ट के क्लीनिकल एसोसिएट प्रो. स्टाकी पी. सलोव के अनुसार सूरज की किरणों में बहुत ज्यादा समय तक रहना मोतियाबिंद का कारण बनता है। यह मस्क्युलर डिजेनरेशन की ऐसी स्थिति है जिसे पट्रेजियम कहते हैं तथा जिनमें आंखों के सफेद हिस्से में पीले-पीले धब्बे से नजर आने लगते हैं। उनके अनुसार चाहे आप मानें या न मानें लेकिन ज्यादा देर तक सूरज की तेज किरणों में रहने के कारण आपकी आंखों में मेलानोमा का विकास होता है। इसलिए घर से निकलने से पहले अच्छी कंपनी के सनग्लासे स जो यूवी प्रोटेक्शन वाले हों, को पहनना न भूलें।
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