Sunday, 31 March 2013

कब लोग मै से हम पर आयेंगे? गलती बताओ तो हल भी दो: Chiragan

आज कल हम लोग एक पत्रिका प्रयाग गौरव से जुड़ कर कार्य कर रहे थे उसके प्रबंध संपादक अनूप त्रिपाठी जी जब हमसे मिले थे और साथ कार्य करने का प्रस्ताव रखा था तो हम उनके विचारो से प्रभावित हुए थे और लगा की हा ये भीड़ से अलग कुछ करना चाहते है  हम उनके साथ जुड़ गए। पर कल जब उस मेहनत का फल निकलने की बारी आई तो लगा की यहाँ पर तो अनूप जी से भी बड़े धुरंधर बैठे हुए है जो उनकी सोच और शक्ति को आगे नहीं बढ़ने दे रहे है फिर हम क्या थे। अनूप जी को भी न चाहते हुए भी उन कार्यो को करना पद रहा है जो वो नहीं करना चाहते थे। कल उनके साथ  के कुछ लोग मुझे नसीहत देने लगे की किंजल तुम्ह लोगो को काम करना नहीं आता है ऐसे चलोगे तो काम नहीं कर पाओगेअ मुझे भी लगा की हा वो सही कह रहे है की मुझे काम करना नहीं आता है क्योकि चिरागन कभी दबाव में काम नहीं करता है। कभी चाटुकारिता नहीं करता है क्योकि हमने सोच रखा है की देश सबसे पहले फिर चिरागन फिर हम। और शायद इशी का परिणाम है जो हमे आपका इतना प्यार मिला है की फेसबुक पर हमारे बारह हजार से अधिक फोलोवर है, और हमारे ब्लॉग को हर महीने आप जैसे तीस हजार से अधिक लोग देखते है। इशी बात पर मैंने कुछ दिनों पहले नव भारत टाइम्स पर रविशंकर जी के बारे में एक लेख पढ़ा था सोचता हु वो भी आपसे शेयर करू।

 गलती बताओ तो हल भी दो
जाने-माने आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर का जन्म तमिलनाडु के पापनाशम में 1956 में आज ही के दिन यानी 13 मई को हुआ था। 1982 में उन्होंने आम लोगों के जीवन से तनाव दूर करने और सामाजिक समस्याओं के हल के लिए आर्ट ऑफ लिविंग की स्थापना की। अद्वैत वेदांत दर्शन को मानने वाले श्री श्री रविशंकर ने लोगों को तनावमुक्त करने के लिए सुदर्शन क्रिया जैसी प्रभावशाली तकनीक ईजाद की। पेश हैं उनके कुछ विचार-

- जागो और देखो कि जीवन बहुत छोटा है। यही अनुभव आपके जीवन में गतिशीलता बढ़ा देगा।

- गलती को बस गलती की तरह देखिए, उसकी या अपनी गलती के तौर पर नहीं। अपनी गलती के तौर पर देखोगे तो अपराधबोध होगा और दूसरे की गलती के रूप में देखोगे तो क्रोध आएगा।
- गलती की ओर इशारा करो तो उसका हल भी दो। यदि तुम गलती बता दो और हल न दो, तो बात अधूरी रह गई।

- सचाई को सबूतों के जरिये नहीं समझा जा सकता क्योंकि जिस चीज को साबित किया जा सकता है, उसे झूठा भी ठहराया जा सकता है। सचाई तो सबूतों से परे होती है।

- आध्यात्मिकता किसी केले की तरह है और धर्म उसका छिलका।

- गुणों का अति दुर्लभ मिश्रण है आत्मविश्वासी और विनम्र होना। अकसर आत्मविश्वासी लोग विनम्र नहीं होते और विनम्र लोग आत्मविश्वासी नहीं होते। दोनों का एक ही शख्स के अंदर होना सराहनीय है।

- जीवन कोई बहुत गंभीर विषय नहीं है। दर्पण में देखकर अपने आप को मुस्कान देकर अपना दिन शुरू करो, गाओ, नाचो और उत्सव मनाओ। उत्सव मनाने की मंशा ही तुम्हें वर्तमान में ले आएगी।

- अपनी मुस्कान को सस्ता और गुस्से को महंगा बनाओ।

- खुश रहने की आदत डालो। यह तुम्हें ही करना है। यह तुम्हारे लिए कोई और नहीं कर सकता।

- अपना जीवन विनोदी बनाइए जिससे लोग तुम्हारी ओर खिंचे चले आएं।

- सबसे उत्तम पूजा है प्रसन्न और कृतज्ञ रहना।

- आमतौर पर भोले और निश्छल लोग बुद्धिमान नहीं होते और जो बुद्धिमान होते हैं, वे कपटी होते हैं। अच्छा तो यह है कि बुद्धिमत्ता और निश्छलता दोनों एक ही व्यक्ति में हों, हालांकि ऐसा बहुत दुर्लभ है।

- मौज-मस्ती के पीछे भागोगे तो दुख मिलेंगे। ज्ञान के पीछे भागोगे तो मस्ती खुद आप तक आएगी।

आशा है आप मेरी भावनाओ को समझ रहे होंगे। 
किंजल कुमार




 


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