Saturday 11 May 2013

एक छोटी सी यात्रा बिठुर की

मैंने अक्सर महर्षि बाल्मीकि और उनके आश्रम के बारे में सुन और पढ़ रखा था, मन में सवाल भी आता था की क्या कभी मै वह जा पाउँगा? अभी कुछ दिनों पहले मेरा कानपूर जाना हुआ तो लगा आज मौका भी है दस्तूर भी, फिर क्या निकल पड़ा मै अपने दोस्त के साथ बिठुर के लिए। अब बिठुर क्या है? खुद पढ़िए और जानिए....
महर्षि वाल्मीकि की तपोभूमि बिठूर को प्राचीन काल में ब्रह्मावर्त नाम से जाना जाता था। यह शहर उत्तर प्रदेश के औद्योगिक शहर कानपुर से 22 किमी. दूर कन्नौज रोड़ पर स्थित है। शहरी शोर शराबे से उकता चुके लोगों को कुछ समय बिठूर में गुजारना काफी रास आता है। बिठूर में ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के अनेक पर्यटन स्थल देखे जा सकते हैं। गंगा किनार बसे इस नगर का उल्लेख प्राचीन भारत के इतिहास में मिलता है। अनेक कथाएं और किवदंतियां यहां से जुड़ी हुईं हैं। इसी स्थान पर भगवान राम ने सीता का त्याग किया था और यहीं संत वाल्मीकि ने तपस्या करने के बाद पौराणिक ग्रंथ रामायण की रचना की थी। कहा जाता है कि बिठूर में ही बालक ध्रुव ने सबसे पहले ध्यान लगाया था। 1857 के संग्राम के केन्द्र के रूप में भी बिठूर को जाना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा नदी के किनार लगने वाला कार्तिक अथवा कतकी मेला पूर भारतवर्ष के लोगों का ध्यान खींचता है।
वैसे तो वहा पर देखने के लिए कई स्थल है पर जो मुख्य है आइये आपको उसके बारे में बताता हु।


वाल्मीकि आश्रम- हिन्दुओं के लिए इस पवित्र आश्रम का बहुत महत्व है। यही वह स्थान है जहां रामायण की रचना की गई थी। संत वाल्मीकि इसी आश्रम में रहते थे। राम ने जब सीता का त्याग किया तो वह भी यहीं रहने लगीं थीं। इसी आश्रम में सीता ने लव-कुश नामक दो पुत्रों को जन्म दिया। यह आश्रम थोड़ी ऊंचाई पर बना है, जहां पहुंचने के लिए सीढ़ियां बनी हुई हैं। इन सीढ़ियों को स्वर्ग जाने की सीढ़ी कहा जाता है। आश्रम से बिठूर का सुंदर दृश्य देखा जा सकता है।
ब्रह्मावर्त घाट- इसे बिठूर का सबसे पवित्रतम घाट माना जाता है। भगवान ब्रह्मा के अनुयायी गंगा नदी में स्‍नान करने बाद खडाऊ पहनकर यहां उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। कहा जाता है कि भगवान ब्रह्मा ने यहां एक शिवलिंग स्थापित किया था, जिसे ब्रह्मेश्‍वर महादेव के नाम से जाना जाता है।
पाथर घाट- यह घाट लाल पत्थरों से बना है। अनोखी निर्माण कला के प्रतीक इस घाट की नींव अवध के मंत्री टिकैत राय ने डाली थी। घाट के निकट ही एक विशाल शिव मंदिर है, जहां कसौटी पत्थर से बना शिवलिंग स्थापित है।
ध्रुव टीला- ध्रुव टीला वह स्थान है, जहां बालक ध्रुव ने एक पैर पर खड़े होकर तपस्या की थी। ध्रुव की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान ने उसे एक दैवीय तारे के रूप में सदैव चमकने का वरदान दिया था।
इन धार्मिक स्थानों के अलावा भी बिठूर में देखने के लिए बहुत कुछ है। यहां का राम जानकी मंदिर, लव-कुश मंदिर, हरीधाम आश्रम और नाना साहब स्मारक अन्य दर्शनीय स्थल हैं।
ये सब जानने के बाद मन में एक बार वहा जाने का विचार तो आ ही गया होगा, पर अब सवाल ये उठ रहा होगा की वहा जाये कैसे और रुके कहा? तो आइये उसको भी बताता हु।
वायु मार्ग- बिठूर का नजदीकी एयरपोर्ट कानपुर व लखनऊ है। यहाँ दिल्ली से नियमित सुविधा उपलब्ध है।
रेल मार्ग- कल्याणपुर यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन है। कानपुर जंक्शन यहां का निकटतम बड़ा रेलवे स्टेशन है, जो की भारत के लगभग सभी बड़े सहरो से जुड़ा हुआ है।
सड़क मार्ग- बिठूर आसपास के शहरों से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। लखनऊ, कानपुर, आगरा, कन्नौज, दिल्ली, इलाहाबाद आदि शहरों से बिठूर के लिए नियमित बस सेवा उपलब्ध है।
बिठुर एक छोटा नगर है, इसलिए वहा पर ठहरने के लिए अच्छे होटल नहीं मिलेंगे पर कानपुर यहाँ से मात्र 22 किलोमीटर की दूरी पर है। जहा पर आप अपनी सुविधा अनुसार कोई भी होटल ले सकते है।
बिठुर के भौगोलीक स्थिति की बात करे तो ये लगभग 5 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है और समुद्र तल से इसकी ऊंचाई लगभग 126 मीटर है। जबकि इस पूरे छेत्र में समानाय्तः हिंदी और अवधी बोली जाती है।
तो कब जा रहे है आप बिठुर? आशा है आपको मेरी ये यात्रा पसंद आई होगी।


किंजल कुमार 

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