Monday 13 May 2013

मां को दें सेहत का गिफ्ट

सिस्ट या फाइब्रॉइड ओवरी में सिस्ट या यूटरस में फाइब्रॉइड आजकल कॉमन समस्या है। सिस्ट आमतौर पर फ्लूइड वाले ट्यूमर होते हैं, फाइब्राइड ठोस ट्यूमर होते हैं। ज्यादातर सिस्ट दवा से ठीक हो जाते हैं। पीरियड्स के दौरान ब्लीडिंग बहुत ज्यादा हो और पीरियड्स 15-20 दिन में हो जाते हों तो फाइब्रॉइड हो सकता है। जब कोई दिक्कत होती है, तो डॉक्टर इसे निकालने की सलाह देते हैं। फाइब्रॉइड या सिस्ट के करीब एक फीसदी मामलों के कैंसर में बदलने की आशंका होती है।

 मीनोपॉज 40 साल की उम्र से महिलाओं में कई बदलाव होने लगते हैं। ऐसा अचानक नहीं होता, बल्कि इस बदलाव में कुछ साल लगते हैं। इस स्टेज को पेरीमीनोपॉज कहा जाता है। इस दौरान एग्स कम बनने लगते हैं, पीरियड्स बहुत कम या ज्यादा हो जाते हैं, पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं और मन चिड़चिड़ा हो जाता है। प्राइवेट पार्ट में सूखापन, बालों का झड़ना, ब्रेस्ट का ढीला होना, सेक्स की इच्छा कम होना, मोटापा बढ़ना जैसे बदलाव भी नजर आते हैं। धीरे-धीरे पीरियड्स पूरी तरह बंद हो जाते हैं। अगर एक साल तक पीरियड्स न आएं तो मीनोपॉज हो जाता है। मीनोपॉज के बाद खून के धब्बे नजर आएं तो फौरन डॉक्टर को दिखाएं क्योंकि इस दौरान ब्लीडिंग होने पर कैंसर की आशंका हो सकती है। बेटी इस दौरान मां की शारीरिक और मानसिक स्थिति को समझ उसका सहारा बन सकती है। इस वक्त महिला के खाने में हरी सब्जियां, दूध और सोयाबीन ज्यादा होने चाहिए।
 ओस्टियोऑर्थराइटिस मीनोपॉज के बाद महिलाओं में जोड़ों में दर्द या जकड़न की समस्या आम देखी जाती है क्योंकि इस दौरान कैल्शियम की कमी या एक्सर्साइज न करने से हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। इससे फ्रैक्चर की आशंका बढ़ जाती है। इस दौरान विटामिन सी, डी और बीटा कैरोटीन भरपूर लेना चाहिए। खाने में फैट-फ्री दूध, पनीर, ब्रोकली, बींस, गाजर, पपीता, पालक, अंडा, अखरोट, सेब, चेरी, ग्रीन टी आदि शामिल करने चाहिए। जरूरत पड़ने पर हॉमोर्न रिप्लेस थेरपी भी कराई जा सकती है। मीनोपॉज के बाद लाइफस्टाइल ठीक करें। महिला को ऐसे काम करने चाहिए, जिनमें शारीरिक मेहनत हो, जैसे डांस, बागवानी, चलना आदि। वजन कम करना बहुत जरूरी है।
ये टेस्ट जरूर कराएं महिलाओं को हर साल ब्लड शुगर, यूरिन, ब्लडप्रेशर, कॉलेस्ट्रॉल, पेप स्मियर और मेमोग्रफी टेस्ट जरूर कराने चाहिए। वैसे तो ये टेस्ट 30 साल के बाद ही शुरू कर देने चाहिए लेकिन 40 साल के बाद जरूर रेग्युलर तौर पर ये टेस्ट कराएं। इस उम्र में मां को समझाएं कि वजन कंट्रोल में रखना बहुत जरूरी है। साथ ही नियमित रूप से एक्सर्साइज और योग करने के लिए भी प्रेरित करें।
 पीसीओडी पीसीओडी यानी पॉलिसिस्टिक ओवरी डिसीज 12 से 45 साल की प्रजनन उम्र में होती है। इसके पीछे हॉर्मोंस में बदलाव, लाइफस्टाइल और कई बार जिनेटिक वजहें होती हैं। इसमें ओवरी के आसपास छोटे-छोटे सिस्ट (ट्यूमर) बन जाते हैं। इससे पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं और ब्लीडिंग बहुत कम हो जाती है या फिर बहुत बढ़ जाती है। शरीर पर बालों की ग्रोथ बढ़ जाती है, सिर के बाल झड़ने लगते हैं, मुंहासे निकल आते हैं या वजन बढ़ जाता है। गर्भ धारण करने में दिक्कत हो सकती है। वक्त से इलाज हो तो इस प्रॉब्लम को कम किया जा सकता है। डॉक्टर वजन कम करने, नियमित एक्सर्साइज करने की सलाह देते हैं। आमतौर पर लाइफस्टाइल सुधारने से ही इसमें फायदा हो जाता है।
 जांच करवाएं कैंसर की देर से शादी, पहला बच्चा होने में देरी, बच्चे को दूध न पिलाना और जिनेटिक वजहों से ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा है। इससे बचाव का तरीका यह है कि पीरियड्स शुरू होने या खत्म होने पर महीने में एक बार खुद ब्रेस्ट की जांच करें। यह जांच किसी भी उम्र में की जा सकती है, लेकिन 25 साल की उम्र के बाद नियमित रूप से जांच करनी चाहिए। अगर परिवार में किसी को ब्रेस्ट कैंसर है तो 30 साल, वरना 35 साल की उम्र के बाद साल में एक बार मेमोग्रफी जरूर कराएं। मेमोग्रफी पर करीब डेढ़-दो हजार रुपये का खर्च आता है। इसी तरह, जो महिलाएं तीन साल या ज्यादा समय से सेक्सुअली एक्टिव हैं, वे सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए तीन साल तक लगातार पेप स्मियर टेस्ट कराएं।
 टेस्ट पर 300 से 500 रुपये तक खर्च आता है। अगर तीनों साल तक टेस्ट नेगेटिव आता है तो अगले कुछ साल तक टेस्ट की जरूरत नहीं है। 40-45 साल की उम्र में फिर से यह टेस्ट (तीन साल लगातार) करा लें। कैंसर का पता अगर शुरुआती स्टेज में लग जाता है तो इलाज की संभावना काफी बढ़ जाती है। इसके अलावा, सर्वाकल कैंसर से बचाव के लिए टीका भी मौजूद है। तीन टीकों के इस कोर्स पर 9-10 हजार रुपये का खर्च आता है। टीके लगने के बाद कम-से-कम चार-पांच महीने तक प्रेग्नेंसी प्लान न करें। अगर कोर्स के बीच में प्रेग्नेंट हो जाती हैं तो डिलिवरी के बाद कोर्स पूरा किया जाता है, लेकिन तीनों टीके लगवाना जरूरी है।
 ध्यान दें: टीके लगाने के बावजूद सर्वाइकल कैंसर की आशंका सौ फीसदी खत्म नहीं होती क्योंकि यह कुछ ही वजहों से बचाव करता है। दूसरे, अगर टीके लगने से पहले कैंसर शुरू हो चुका हो तो भी टीकों का कोई फायदा नहीं है। इसलिए भी पेप स्मियर टेस्ट जरूर कराएं। 

No comments:

Post a Comment